डिमेंशिया क्या है? क्या यह संभव है कि आपका कोई प्रियजन डिमेंशिया से ग्रस्त है, और आपको मालूम ही नहीं? सतर्क रहने के लिए आप को डिमेंशिया के बारे में क्या जानना चाहिए? या हो सकता है कि आपके परिवार में किसी को डिमेंशिया है, और आप समझ नहीं पा रहे कि उनकी देखभाल करें तो कैसे करें, क्योंकि व्यक्ति आपकी बात समझ ही नहीं पाते हैं और अजीब तरह से पेश आ रहे हैं। आइये, डिमेंशिया और संबंधित देखभाल के बारे में कुछ आवश्यक बातें देखें।
डिमेंशिया किसी विशेष बीमारी का नाम नहीं, बल्कि एक बड़े से लक्षणों के समूह का नाम है (संलक्षण, syndrome)। डिमेंशिया को कुछ लोग “भूलने की बीमारी” कहते हैं, परन्तु डिमेंशिया सिर्फ भूलने का दूसरा नाम नहीं हैं, इसके अन्य भी कई लक्षण हैं–नयी बातें याद करने में दिक्कत, तर्क न समझ पाना, लोगों से मेल-जोल करने में झिझकना, सामान्य काम न कर पाना, अपनी भावनाओं को संभालने में मुश्किल, व्यक्तित्व में बदलाव, इत्यादि। यह सभी लक्षण मस्तिष्क की हानि के कारण होते हैं, और ज़िंदगी के हर पहलू में दिक्कतें पैदा करते हैं। यह भी गौर करें कि यह ज़रूरी नहीं है कि डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति की याददाश्त खराब हो–कुछ प्रकार के डिमेंशिया में शुरू में चरित्र में बदलाव, चाल और संतुलन में मुश्किल, बोलने में दिक्कत, या अन्य लक्षण प्रकट हो सकते हैं, पर याददाश्त सही रह सकती है। डिमेंशिया के लक्षण अनेक रोगों की वजह से पैदा हो सकते हैं, जैसे कि अल्ज़ाइमर रोग, लुई बॉडीज वाला डिमेंशिया, वास्कुलर डिमेंशिया (नाड़ी सम्बंधित/ संवहनी मनोभ्रंश),फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया, पार्किन्सन, इत्यादि।
लक्षणों के कुछ उदाहरण। हाल में हुई घटना को भूल जाना, बातचीत करने समय सही शब्द याद न आना, बैंक की स्टेटमेंट न समझ पाना, भीड़ में या दुकान में सामान खरीदते समय घबरा जाना, नए मोबाईल के बटन न समझ पाना, ज़रूरी निर्णय न ले पाना, लोगों और साधारण वस्तुओं को न पहचान पाना, वगैरह। रोगियों का व्यवहार अकसर काफी बदल जाता है। कई डिमेंशिया वाले व्यक्ति ज्यादा शक करने लगते हैं, और आसपास के लोगों पर चोरी करने का, मारने का, या भूखा रखने का आरोप लगाते हैं। कुछ व्यक्ति अधिक उत्तेजित रहने लगते हैं, कुछ अन्य व्यक्ति लोगों से मिलना बंद कर देते हैं और दिन भर चुपचाप बैठे रहते हैं। कुछ व्यक्ति अश्लील हरकतें भी करने लगते हैं। कौन से व्यक्ति में कौन से लक्षण नज़र आयेंगे, यह इस बात पर निर्भर है कि उनके मस्तिष्क के किस हिस्से में हानि हुई है। किसीमे कुछ लक्षण नज़र आते हैं, किसी में कुछ और। जैसे कि, कुछ व्यक्तियों में भूलना इतना प्रमुख नहीं होता जितना चरित्र का बदलाव।
भारत में ज़्यादातर लोग इन सब लक्षणों को उम्र बढ़ने का स्वाभाविक अंश समझते हैं, या सोचते हैं कि यह तनाव के कारण है या व्यक्ति का चरित्र बिगड़ गया है, पर यह सोच गलत है। ये लक्षण डिमेंशिया या अन्य किसी बीमारी के कारण भी हो सकते हैं, इसलिए डॉक्टर की सलाह लेना उपयुक्त है। अफ़सोस, भारत में डिमेंशिया की जानकारी कम होने के कारण इनमे से कई लक्षणों के साथ कलंक भी जुड़ा है। इसलिए डिमेंशिया से पीड़ित व्यक्ति यह सोच कर अपनी समस्याओं को छुपाते हैं कि या उन्हें पागल समझा जाएगा या लोग हंसेंगे कि क्या छोटी सी बात लेकर डॉक्टर के पास जाना चाहते हैं! परिवार वाले इन लक्षणों को बुढ़ापे का नतीजा समझ कर नकार देते हैं। वे यह नहीं सोचते कि सलाह पाने से स्थिति में सुधार हो सकता है। उन्हें यह भी नहीं पता होता है कि व्यक्ति को सहायता की ज़रूरत है। व्यक्ति के बदले हुए व्यवहार को परिवार वाले हट्टीपन या चरित्र का दोष या पागलपन समझते हैं, और कभी दुःखी और निराश होते हैं, तो कभी व्यक्ति पर गुस्सा करने लगते हैं।
निदान (diagnosis) क्यों ज़रूरी है? अगर कोई व्यक्ति डिमेंशिया के लक्षणों से परेशान हों तो डॉक्टर से सलाह करनी चाहिए। डॉक्टर जांच करके पता चलाएंगे कि यह लक्षण किस रोग के कारण हो रहे हैं। हर भूलने का मामला डिमेंशिया नहीं होता–हो सकता है कि लक्षण किसी दूसरी समस्या के कारण हों, जैसे कि अवसाद (depression)। या हो सकता है कि यह लक्षण ऐसे रोग के कारण हैं जो दवाई से पूरी तरह ठीक हो सकता है। एक उदाहरण है थाइरोइड (thyroid) होरमोन की कमी होना)। कुछ प्रकार के डिमेंशिया ऐसे भी हैं जिनका उपचार तो नहीं, पर फिर भी दवाई से कुछ रोगियों को लक्षणों से कुछ आराम मिल सकता है। यह सब तो डॉक्टर की जांच के बाद ही पता चल सकता है।
डिमेंशिया किस को हो सकता है? डिमेंशिया शब्द अँग्रेज़ी का शब्द है, परन्तु इससे ग्रस्त व्यक्ति हर देश, हर शहर, हर कौम में पाए जाते हैं। इसकी संभावना उम्र के साथ बढ़ती है। अगर आप बुजुर्गों के किस्से सुनें तो पायेंगे कि परिवार ने जिसे एक अधेढ़ उम्र के व्यक्ति का अटपटा व्यवहार समझा था, वह व्यवहार शायद डिमेंशिया के कारण था। चूंकि डिमेंशिया अँग्रेज़ी का शब्द है, इसलिए देवनागरी लिपि में इसे लिखने के कई तरीके हैं, जैसे कि, डिमेन्शिया, डिमेंशिया डिमेंश्या, डिमेंटिया, डेमेंटिया, इत्यादि। कुछ लोग इसके लिए संस्कृत के शब्द, मनोभ्रंश का इस्तेमाल करते हैं।
विश्व भर में डिमेंशिया की पहचान पिछले कुछ दशक में ज्यादा अच्छी तरह से हुई है, और अब डॉक्टरों का मानना है कि यह लक्षण उम्र बढ़ने का साधारण अंग नहीं हैं। जो रोग डिमेंशिया का कारण हैं, उन पर शोध हो रहा है ताकि बचाव और इलाज के तरीके ढूंढें जा सकें। आजकल भी, डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्तियों और उनके परिवार वालों के आराम के लिए कुछ उपाय मौजूद हैं, जिससे व्यक्ति और उनके परिवार वाले ज्यादा सरलता और सुख से रह सकें, लक्षणों की वजह से हो रही तकलीफें कम हो जाएँ, और घर के माहौल का तनाव कम हो।
क्या डिमेंशिया भारत में गंभीर समस्या है?कुछ लोग अब भी सोचते हैं कि डिमेंशिया भारत में आम समस्या नहीं है| अफ़सोस, सच तो यह है कि यह भारत में भी एक गंभीर समस्या है| जनवरी 2023 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार 60+ की आयु वर्ग में डिमेंशिया का अनुमान 8.44% है, जिसका अर्थ है कि भारत में डिमेंशिया से ग्रस्त लोगों की संख्या करीब एक करोड़ (100 लाख) है। डिमेंशिया बड़ी उम्र के लोगों में अधिक होता है,और जैसे जैसे भारत में बुजुर्गों का अनुपात बढ़ता जा रहा है, डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्तियों का अनुपात भी बढ़ता जाएगा और यह समस्या अनेक परिवारों के जीवन को छूने लगेगी| जानकारी न हो तो परिवार पहचान नहीं पायेंगे कि उनके प्रियजन की समस्याएं इस रोग के कारण है। वे उचित निदान, उपचार और देखभाल नहीं कर पायेंगे। इसलिए डिमेंशिया के बारे में जानना और इस के प्रति सतर्क रहना बहुत जरूरी है।
डिमेंशिया और बुढ़ापे में फ़र्क है। डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति के साथ रहना किसी अन्य स्वस्थ बुज़ुर्ग के साथ रहने से बहुत फ़र्क है। डिमेंशिया की वजह से व्यक्ति के सोचने-करने की क्षमता पर बहुत असर होता है, और परिवार वालों को देखभाल के तरीके उसके अनुसार बदलने होते हैं। व्यक्ति से बातचीत करने का, उनकी सहायता करने का, और उनके उत्तेजित या उदासीन मूड को संभालने का तरीका बदलना होता है। समय के साथ रोग के कारण मस्तिष्क में बहुत अधिक हानि हो जाती है, और व्यक्ति ज़्यादा निर्भर होते जाते हैं। परिवार वालों को देखभाल के लिए दिन भर व्यक्ति के साथ रहना पड़ता है, और इस को संभव बनाने के लिए अपनी अन्य जिम्मेदारियों में समझौता करना पड़ता है।
डिमेंशिया सिर्फ बुढापे में ही नहीं, पहले भी हो सकता है (जैसे कि 30, 40 या 50 साल में) । कई लोग सोचते हैं कि डिमेंशिया बुढ़ापे की बीमारी है, और सिर्फ बुजुर्गों में पायी जाती है, पर कुछ प्रकार के डिमेंशिया जल्दी शुरू हो सकते हैं। WHO (वर्ल्ड हेल्थ ऑरगैनाइज़ेशन, विश्व स्वास्थ्य संगठन ) का अनुमान है कि 65 साल से कम उम्र में होने वाले डिमेंशिया (जिसे younger onset या early onset कहते हैं) अकसर पहचाने नहीं जाते और ऐसे केस शायद 6 से 9 प्रतिशत हैं।
उचित देखभाल रोगियों और परिवार की खुशहाली के लिए बहुत ज़रूरी है। फिलहाल, अधिकांश डिमेंशिया में दवाई की भूमिका सीमित है। भारत में उपलब्ध दवाई न तो मस्तिष्क को दोबारा ठीक कर सकती है, न ही बीमारी को बढ़ने से रोक सकती है। फिर भी कुछ केस में दवाई लक्षणों से कुछ राहत पहुंचा पाती है, इसलिए डॉक्टर की सलाह ले लेनी चाहिए। क्योंकि डिमेंशिया का सिलसिला कई साल तक चलता है, पर दवाई से रोग कम नहीं होता, इसलिए डिमेंशिया वाले व्यक्ति और परिवार की खुशहाली उचित देखभाल पर निर्भर है। यदि परिवार वाले यह समझ पाएँ कि डिमेंशिया वाले व्यक्ति को किस प्रकार की दिक्कतें हो रही हैं, और वे व्यक्ति से अपनी उम्मीदें उसी हिसाब से रखें और मदद के सही तरीके अपनाएँ तो स्थिति सहनीय रह पाती है, वरना व्यक्ति और परिवार, दोनों के लिए बहुत तनाव बना रहता है। कारगर देखभाल के लिए डिमेंशिया को समझना और सम्बंधित देखभाल के तरीके समझना आवश्यक है।
इस वेबसाइट, डिमेंशिया केयर नोट्स, हिंदी (dementiahindi.com) पर डिमेंशिया की देखभाल के लिए जानकारी, संसाधन, सलाह, सुझाव, और अनेक परिवारों की कहानियाँ है, जिससे डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति की देखभाल करने वाले डिमेंशिया के रोग को समझ पाएँ, और व्यक्ति की देखभाल कैसे करें, यह सोच पाएँ। वेबसाइट पर विशेष रूप से भारत में रहने वाले परिवारों के लिए जानकारी और सलाह है।
डिमेंशिया की देखभाल के तरीके अलग हैं। क्योंकि लोग डिमेंशिया और सामान्य बुढापे में अंतर नहीं समझते, इसलिए वे डिमेंशिया से पीड़ित व्यक्ति के साथ ऐसे पेश आते हैं जैसे कि व्यक्ति की याददाश्त या अन्य किसी क्षमता में कोई कमी ही नहीं है। वे व्यक्ति से उम्मीद रखते हैं कि वे उनकी बात समझ सकेंगे, और थोड़ी कोशिश करे तो अपना काम भी कर सकेंगे। यह सब डिमेंशिया वाले व्यक्ति के लिए खासी मुश्किल पैदा कर देता है , और वे परेशान हो जाते हैं तो गुस्सा करने लगते हैं , या संकोच करने लगते हैं और मेल-जोल और बातचीत बंद कर देते हैं। परिवार वाले समझ नहीं पाते कि व्यक्ति से बात करें तो कैसे, मदद कब और कैसे करें, और उनकी उत्तेजना या अन्य अजीब व्यवहार को कैसे संभालें।
परिवार वाले यदि डिमेंशिया की सच्चाई को समझ पायें, और अपने बोलने और मदद करने का तरीका बदल पायें, तो उन को और डिमेंशिया वाले व्यक्ति को, दोनों को आराम पहुंचेगा।
देखभाल के लिए क्या जानना ज़रूरी है? यदि आप किसी डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति की देखभाल कर रहे हैं, और दिक्कतों का सामना कर रहे हैं, तो पहले कुछ ऐसी बातें पढ़ें और ऐसे उपाय देखें जिन से आपके देखभाल करने में तुरंत आसानी हो सके। जैसे कि, डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति से बातचीत कैसे करें, मदद कैसे करें, मुश्किल व्यवहार तो कैसे समझें और कम करें। आप पहले इस पृष्ठ को देखें: देखभाल करने वालों के लिए ज़रूरी लिंक।
इस साईट पर:
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- डिमेंशिया क्या है, किन रोगों से होता है, निदान कैसे होता है, इलाज है या नहीं, यह बढ़ता कैसे है, इसका व्यवहार पर क्यों और कैसे प्रभाव पड़ता है, भारत में डिमेंशिया और देखभाल की क्या स्थिति है, इन सब विषयों के बारे में इस सेक्शन के पृष्ठ देखे: : डिमेंशिया के बारे में जानकारी ।
- डिमेंशिया के देखभाल का सिलसिला कई साल चलता है (यह एक दशक से ज्यादा भी हो सकता है), और अगर परिवार तनाव से मुक्त रहना चाहे तो देखभाल के लिए सही तरह से प्लान करना होगा। इस सेक्शन में देखभाल के विषय पर अनेक पृष्ठ हैं: देखभाल करने वालों के लिए। कोविड महामारी की वजह से देखभाल में अनेक नई चुनौतियों पर केन्द्रित कुछ ख़ास पोस्ट के लिए भी इस सेक्शन में पृष्ठ हैं।
- डिमेंशिया के देखभाल करने वालों के कई इंटरव्यू हमारे अँग्रेज़ी साईट पर है। भारत में डिमेंशिया देखभाल संबंधी अनुभव वाले लेखों और ब्लॉग के लिंक भी हैं। इन सबके संशिप्त परिचय इस हिंदी साईट पर यहाँ देखें: डिमेंशिया संबंधी कुछ आवाजें, कुछ इंटरव्यू । इस सेक्शन में समाचार पत्रों इत्यादि में हिंदी में उपलब्ध कुछ लेखों के लिंक भी हैं ।
- डिमेंशिया समझने के लिए और देखभाल के तरीके जानने के लिए तैयार किये गए वीडिओ आर प्रेजेनटेशन इस सेक्शन में हैं: वीडिओ औरप्रेजेनटेशन ।
- डिमेंशिया और देखभाल की जानकारी के लिए अन्य उपलब्ध साधन के लिए, और भारत में डिमेंशिया के लिए सेवाओं और संस्थायों के लिए देखें यह सेक्शन: अन्य डिमेंशिया संसाधन ।
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कोविड-19 (COVID-19) महामारी की स्थिति से यह स्पष्ट हो गया है कि बुजुर्गों को खास तौर से गंभीर संक्रमण से बचाने की, उनकी प्रतिरक्षक क्षमता को बढ़ाने की और वैक्सीन देने की जरूरत है। बुजुर्ग और उनके सभी परिवार वालों और देखभाल कर्ताओं को सावधान रहना होता है, और देखभाल के तरीकों को भी बदलना होता है। कोविड महामारी से प्राप्त सीख को अब हमें देखभाल के अनेक पहलुओं से जोड़ना होगा। इस साइट पर, जिन-जिन पृष्ठों पर उचित है, इस सीख पर आधारित सुझाव जोड़े गए हैं। । इसके अतिरिक्त, हमने महामारी के आरंभिक दिनों में कोविड में डिमेंशिया देखभाल के अनेक पहलूओं पर कुछ पृष्ठ प्रकाशित करे थे, और उनका बदलती स्थिति के अनुरूप अनेक बार अद्यतन करा था। आप उन्हें इस सेक्शन में देख सकते हैं – कोविड 19 के दौरान डिमेंशिया देखभाल।
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