डिमेंशिया वाले व्यक्ति से बातचीत कैसे करें

डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति आपकी बात नहीं समझ पा रहे हैं, और अपनी जरूरत भी नहीं बता पाते हैं।

देखभाल करने वाले क्या कर सकते हैं: व्यक्ति से बोलने का तरीका बदलें ताकि व्यक्ति को आपकी बात समझने में आसानी हो। व्यक्ति अपनी बात बता सकें, इसके लिए व्यक्ति की मदद कैसे करें, यह भी सीखें। डिमेंशिया के कारण व्यक्ति की सीमाओं को समझें और उसी अनुसार बात करें। बहस न करें।

इस पृष्ठ के सेक्शन:

डिमेंशिया (मनोभ्रंश) से ग्रस्त व्यक्ति से बात कर पाना और उनकी बात समझ पाना देखभाल की बुनियाद है

ऐसी स्थिति की कल्पना कीजिये जिसमें आप यह नहीं समझ पा रहे हैं कि लोग आपसे क्या कह रहे हैं, और न ही आप उन्हें बता पा रहे हैं कि आपको क्या चाहिए। सोचिये, ऐसी समस्या हो तो जीना कितना चुनौतीपूर्ण होगा। अफ़सोस, बातचीत में इस तरह की मुश्किल डिमेंशिया से ग्रस्त लोगों के लिए एक आम समस्या है।

डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति कई बार बोलते हुए सही शब्द नहीं ढूंढ पाते। देखभाल कर्ता यह नहीं जान पाते कि क्या वे कुछ चाहते हैं, या किसी तकलीफ में हैं। क्या उन्हें भूख लगी है? क्या कहीं दर्द है? वे क्यों परेशान है? जब देखभाल कर्ता उनसे कुछ कहते हैं, जैसे कि आपके नहाने का टाइम है, तो वे पलट कर ऐसे देखते हैं जैसे उनके पल्ले कुछ नहीं पड़ा। या वे उत्तेजित हो जाते हैं या डरे डरे से लगते हैं।

डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति की बातचीत में कठिनाई उनकी उत्तेजना का एक प्रमुख कारण होता है और देखभाल करने वालों की चिंता का भी। डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति को अपनी बात बता पाना, और उनकी बात समझ पाना, यह देखभाल का एक आवश्यक अंग है। इससे व्यक्ति के साथ सम्बन्ध बना रहता है और उनकी खुशहाली बढ़ती है और वे चिंताजनक व्यवहार (उत्तेजना, उदासीनता) कम दर्शाते हैं। बातचीत में सुधार का मूल मन्त्र है यह समझ पाना कि व्यक्ति बात बताने में किस तरह की तकलीफ महसूस कर रहे हैं, और अपने बात करने के तरीके को भी उसके अनुसार ढालना।

बातचीत में सुधार सिर्फ शब्दों के सही प्रयोग पर ही निर्भर नहीं है। बोलने का रवैया, चेहरे के भाव, खड़े होने का या बैठने का तरीका, आवाज़ की निर्मलता, आदि, सब बात करने का एक अंश हैं। बातचीत में सुधार के अनेक सरल तरीके हैं जिनसे व्यक्ति से बेहतर सम्बन्ध होगा और देखभाल भी अधिक कारगर होगी।

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वीडियो: डिमेंशिया और बातचीत

नीचे दिए गए वीडियो में डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति से बातचीत करने के विषय पर चर्चा है। वीडियो में बताया गया है कि डिमेंशिया के कारण व्यक्ति को बात करने और समझने में किस प्रकार की दिक्कतें हो सकती हैं, और परिवार वाले कैसे अपने बोलने के ढंग को बदल सकते हैं ताकि बातचीत सफल और कारगर हो।

अगर नीचे दिया गया वीडियो प्लेयर लोड न हो, तो आप डिमेंशिया और बातचीत वीडियो यूट्यूब पर भी देख सकते हैं Opens in new window

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बातचीत के सरल और मूल उपाय

याद रखने लायक कुछ टिप्स::
• अपने आप को याद दिलाएं कि व्यक्ति के मस्तिष्क में कोशिकाएं नष्ट हुई हैं, और इस वजह से व्यक्ति को सचमुच समझने और बोलने में दिक्कत हो रही है।
आसपास शोर-गुल या अन्य कारणों से व्यक्ति का ध्यान न बंटे, इसका ख्याल रखें।
• सरल शब्दों का, सरल वाक्यों का प्रयोग करें, और साथ ही इशारों से संकेत करें कि आप क्या कह रहे हैं।
• व्यक्ति को समझने और सोच कर जवाब देने के लिए समय दें।
• व्यक्ति की प्रतिक्रिया ध्यान से देखें, और उसके अनुसार अपने बोलने का तरीका बदलें।
• शांत रहें, और व्यक्ति की मदद करने के लिए तैयार रहें।

व्यक्ति से बातचीत करते वक्त आपको याद रखना होगा कि व्यक्ति कई शब्दों के अर्थ भूल गए हैं और कभी कभी आपके बोलते बोलते वे यह भी भूल जाते हैं कि आपने एक मिनट पहले क्या कहा था।

आपको यह भी याद रखना होगा कि समय के साथ व्यक्ति की बातचीत करने की क्षमता कम होती जायेगी। यह भी याद रखें कि व्यक्ति की क्षमता रोज एक सी नहीं रहती है। किसी दिन लगेगा कि व्यक्ति आपकी बात समझ रहे हैं, तो किसी दिन लगेगा कि उनके पल्ले कुछ नहीं पड़ रहा। अगर व्यक्ति थके हों, परेशान हों, तो बातचीत अधिक मुश्किल हो जाती है। आपको अपने बातचीत के तरीके को निरंतर उनकी प्रतिक्रिया देखकर बदलते रहना होगा। अगर व्यक्ति मुंह मोड़ लेते हैं या परेशान या घबराए हुए लगते हैं, तो आपको बोलने का ढंग सरल करना होगा।

आपकी कोशिश यह रहनी चाहिए कि व्यक्ति के लिए आपकी बात को समझना आसान हो। पर सरल तरह से बात करने का यह मतलब नहीं कि व्यक्ति को बच्चा समझा जाए या किसी तरह से हीन समझा जाए। बातचीत हमेशा आदर के साथ करनी चाहिए। व्यक्ति रोग से ग्रस्त हैं, इसलिए उनको दिक्कत महसूस हो रही है, इसका लिहाज करना चाहिए, और आदर और स्नेह बनाए रखना चाहिए। आपके लहजे में एक अंश भी निरादर होगा तो वे तुरंत पहचान जायेंगे और दुःखी होंगे या गुस्सा करेंगे।

बातचीत ऐसे माहौल में करें जहाँ उनका ध्यान न बंटे और न ही उनको लगे कि उन पर हमला हो रहा है।

व्यक्ति आपकी बात पर ध्यान दे सकें, इसके लिए उनका ध्यान आपकी तरफ होना चाहिए और उन्हें बेफिक्र होना चाहिये।

  • व्यक्ति आपकी बात आसानी से और स्पष्ट तरह से सुन सके, इसके लिए:
    • यदि व्यक्ति सही सुनने के लिए यंत्र (hearing aid) इस्तेमाल करते हैं तो चेक करें कि यन्त्र ठीक काम कर रहा हैं।
    • आसपास के शोर को बंद करवा दें। टीवी या रेडियो बंद कर दें। अगर पास में कोई जोर से बोल रहा है, या प्लेटों या बर्तन की आवाज़ आ रही है, तो उसे बंद कर दें।
  • सामने से, व्यक्ति की तरफ देख कर बात करें। पीछे से बोलेंगे तो व्यक्ति घबरा सकते हैं या सोच सकते हैं कि उन पर हमला हो रहा है।
  • अगर व्यक्ति घबराए हुए लगें, या आपको ऐसे देखें जैसे वे आपको नहीं जानते, तो अपना छोटा सा परिचय दे दें ताकि व्यक्ति को याद आ जाए कि वे कहाँ है और आप कौन हैं।
  • आँख में आँख डाल कर बात करें, और यदि जरूरी हो तो इसके लिए झुक जाएँ, या व्यक्ति के स्तर पर व्यक्ति के सामने बैठ जाएँ, ताकि व्यक्ति आपको बिना सर ऊपर करे देख सकें।
  • शांत रहें।
  • यदि किसी गंभीर संक्रमण (जैसे कि कोविड) से बचाव के लिए आपको मास्क पहनने की जरूरत हो, तो हो सकता है व्यक्ति आपको मास्क में देखकर परेशान हों या उलझन में पड़ जाएँ। वे शायद आपको पहचान न पाएं। आपका चेहरा और हाव-भाव उनको नजर नहीं आ सकेगा, और आपकी बोली भी स्पष्ट नहीं होगी। मास्क पहने हुए देखभाल कर्ताओं को बातचीत के समय अधिक धैर्य और शांति से बात करनी होगी और व्यक्ति आश्वस्त रहे, इसका भी ध्यान रखना होगा। कुछ लोग यह सुझाव देते हैं कि देखभाल करता खास तरह के मास्क बनवाएं जिनपर उनकी तस्वीर हो, जिस से व्यक्ति उन्हें पहचान पाएं, या मास्क मजेदार किस्म के हों, जैसे कि उन पर स्माइली हो।

सरल तरह से बात करें

डिमेंशिया से ग्रस्त अधिकांश व्यक्ति कठिन शब्द नहीं समझ पाते, और लंबे-चौड़े वाक्य भी नहीं समझ पाते। जो अभी अभी सुना है, वे याद नहीं रख पाते। उन्हें बात समझने में वक्त लगता है।

  • सरल शब्दों का इस्तेमाल करें। छोटे वाक्यों का इस्तेमाल करें।
  • धीरे बोलें।
  • व्यक्ति को आपकी बात समझने के लिए समय दें, और यदि जरूरी हो, तो अपनी बात दोहराएँ।
  • अगर व्यक्ति चकराए हुए लगें तो:
    • अपनी बात के कठिन शब्दों की जगह सरल शब्दों का इस्तेमाल कर अपने वाक्य को दोहराएँ।
    • इशारों का इस्तेमाल करें, वस्तुओं की ओर संकेत करें।
    • रुकें, और व्यक्ति को कुछ समय दें।
    • व्यक्ति से पूछें कि उन्हें क्या चाहिए।

कोई काम कैसे करना है, उसको आसान तरीके से बताएं

जब आप डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति से कुछ काम करने के लिए कहते हैं, तो वह व्यक्ति के लिए मुश्किल पेश कर सकता है, क्योंकि जो आपके लिए एक छोटा काम है, उसमें कई कदम हैं और व्यक्ति इन सब को याद नहीं रख पाते। जब आप व्यक्ति से कुछ करने को कह रहे हों, तो ध्यान रखें।

  • एक समय पर एक ही कदम करने को बोलें।
  • साफ साफ बोलें कि व्यक्ति को क्या करना है।
  • व्यक्ति को यह न बताएं कि उन्हें क्या नहीं करना है। डिमेंशिया से ग्रस्त कई व्यक्तियों को क्या करना है और क्या नहीं करना है, इन दोनों में अंतर नहीं पता होता है। आप कहें, “यह रूमाल मत उठाईए ” तो कई व्यक्ति सोचेंगे कि आप कह रहे हैं “यह रूमाल उठाइए”।
  • कोई काम क्यों जरूरी है, इसके लंबे चौड़े तरह से समझाने से व्यक्ति को ज्यादा दिक्कत होगी। जो काम करना है, वह याद रखना ही कठिन है। काम क्यों करना है, उसका फायदा क्या है, यह सब समझना व्यक्ति के लिए एक और बोझ हो जाता है और उन पर और जोर डालता है।
  • जब काम का एक कदम हो जाए, तो उसको सराहें और व्यक्ति को प्रोत्साहित करें।

सिर्फ सीधे साधे और जरूरी सवाल करें।

कोई भी सवाल व्यक्ति के लिए तनाव पैदा कर सकता है क्योंकि व्यक्ति शायद सवाल न समझ पाएँ या यह न सोच पाएँ कि जवाब क्या दें। अगर आप कुछ पूछें और आपको लगे कि व्यक्ति परेशान लग रहे हैं, तो यह आजमाएं:

  • सवाल को सरल करें, और सिर्फ दो या तीन सरल विकल्प में से चुनने को बोलें।
  • ऐसे सवाल न करें जिनका आप उत्तर नहीं चाहते।
  • जिस बात में व्यक्ति के चुनने की कोई जरूरत ही नहीं, उसके लिए सवाल न करें।
  • व्यक्ति को जवाब देने के लिए समय दें, और जरूरी समझें तो सवाल को, भाषा सरल करके दोहराएँ, या इशारों से वस्तुएं दिखा कर व्यक्ति की चुनने में मदद करें।

सिर्फ शब्दों पर ही निर्भर न हों, बात बताने/ समझाने के दूसरे तरीके भी अपनाएँ।

कई बार डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति शब्द नहीं समझ पाते। इसलिए बोलने के साथ साथ अन्य तरीकों से भी अपनी बात बताएं, जैसे कि:

  • इशारे करें, वस्तु की तरफ उँगली से संकेत करें, या जो काम आप करवाना चाहते हैं, उसका प्रदर्शन करें। (दाँत ब्रश करवाना हो तो अपनी उँगली से ब्रश करके दिखाएँ कि आप क्या कह रहे हैं)।
  • व्यक्ति को वस्तु छूने या सूंघने दें।

अपने चेहरे के हाव-भाव को सहज और सुखद बनाए रखें ।

अधिकांश प्रकार के डिमेंशिया में व्यक्ति आपका मूड पहचान पाते हैं। वे यह जान पाते हैं कि आप गुस्से में हैं या चिड़चिड़ाए हुए। अगर उन्हें लगे कि आप गुस्से में हैं या उनका मजाक उड़ा रहे हैं, तो वे उत्तेजित हो जायेंगे। ऐसे में वे आपकी बात नहीं समझ पायेंगे, उल्टा कुछ और ही कर देंगे या गुस्सा करने लगेंगे। परन्तु अगर आप शांत और सहज रहें तो वे भी शांत रहेंगे। उनके साथ सरलता से, आदर के साथ पेश आएँ, तो वे आपकी बात ज्यादा अच्छी तरह समझ पायेंगे। कुछ टिप्स:

  • शांत और सुखद भावना बनाए रखें।
  • आदर और स्नेह से बात करें।
  • व्यक्ति कुछ गलत कर रहे हों तो भी शांत रहते हुए, कोमलता से, पर दृढ़ता से उन्हें रोकें।
  • कुछ खतरनाक काम से रोकना हो तो चौंक कर न बोलें। ऐसे न बोलें: “अरे, यह क्या कर रहे हैं!!” या “आप तो खुद को चोट लगा लेंगे!!” या “देख नहीं रहे चूल्हा गरम है! हाथ जल जाएगा, पता नहीं क्या!!” आप चाहते हैं कि व्यक्ति रुक जाए, तो आप गुस्सा करने में या कारण समझाने में समय बर्बाद न करें। बस बिना चौंके, सरल, साधारण शब्दों का दृढ़ता से इस्तेमाल करें, जैसे कि “रुकिए” और “नहीं”।
  • जोर से या जल्दी में न बोलें क्योंकि व्यक्ति सोचेंगे कि आप उन पर गुस्सा कर रहे हैं, और स्वाभाविक है कि यह उन्हें पसंद नहीं आएगा।
  • डांटें नहीं।
  • शांत भाव और मंद मुस्कान बनाए रखें। हसें नहीं, क्योंकि शायद व्यक्ति समझें कि आप उन पर हंस रहे हैं। व्यक्ति आपके जिस हाव-भाव से सबसे ज्यादा सहज रहते हों अपने को वैसे ही बनाए रखें।
  • उचित समझें, और व्यक्ति यह पसंद करते हों, तो हलके स्पर्श का इस्तेमाल करें। कुछ व्यक्ति स्पर्श पसंद करते हैं, और उससे उन्हें अपनापन महसूस होता है। पर अन्य व्यक्ति स्पर्श पसंद नहीं करते, और ऐसे लोगों को ज़बरदस्ती न छुएं, और अगर किसी काम में मदद करने के लिए छूना जरूरी हो तो उन्हें पहले बता दें कि आप उन्हें क्यों छूने वाले हैं।
  • किसी भी काम के लिए व्यक्ति को पकड़ना हो तो इतने जोर से न पकड़ें कि व्यक्ति को लगे आप आक्रामक हो रहे हैं। व्यक्ति के कंधे को पकड़ कर झिंझोड़ें नहीं, न ही व्यक्ति को ज़बरदस्ती खींचें। आदर बनाए रखे।

कुछ प्रकार के डिमेंशिया में व्यक्ति शायद चेहरे के भाव इतनी अच्छी तरह न पहचान पाएँ। या शायद उनके व्यवहार से लगे कि उन्हें और लोगों की भावनाओं की कोई कद्र नहीं है, जैसे कि अगर कोई रो रहा है तो वे हँसने लगते हैं, या विरक्त लगते हैं। परन्तु ऐसे में भी उनको औरों की भावनाओं का कुछ एहसास होता है, हालांकि वे अपने व्यवहार में इसे व्यक्त नहीं कर पाते। जो भी है, बात करते समय यदि देखभाल करने वाले शांत और संतुलित रहें और अपने ऊपर नियंत्रण रखें तो बातचीत का माहौल ज्यादा सुखद और कारगर रहता है।

व्यक्ति आपको बता पाएँ कि उनको क्या चाहिए, इसमें उसकी मदद करें

व्यक्ति कुछ आपको बताना चाहें और न बता पाएँ, यह उनके लिए बहुत निराशा की बात होती है।

  • अगर आपको लगे व्यक्ति सही शब्द नहीं ढूँढ पा रहे,
    • अगर आपको लगे कि आप जानते हैं, तो मदद के लिए, शांति और नम्रता से, सही शब्द सुझाएँ।
    • व्यक्ति से कहें कि वे वस्तु की ओर संकेत करें।
    • शांत होकर व्यक्ति के बोलने का इंतजार करें ।
  • कभी कभी व्यक्ति कुछ बोलते वक्त बीच वाक्य रुक जाते हैं, जैसे के वे यही भूल गए हैं कि वे कुछ कह रहे थे। अगर व्यक्ति अशांत न लग रहे हो, तो बस इंतजार करें। बेसब्री न दिखाएँ, न ही जिद्द करें कि व्यक्ति अपनी बात पूरी करे।
  • व्यक्ति से गलती हो, तो सोचें कि क्या इस गलती से किसी का कुछ नुकसान हो रहा है। कई देखभाल करने वाले गलती को पकड़ कर पीछे पड़ जाते हैं, और कोशिश करते हैं कि व्यक्ति गलती समझ कर दुबारा वही बात सही तरीके से कहें या करें। वे सोचते हैं कि व्यक्ति तो जानना चाहिए कि ठीक क्या है, और गलत क्या है। पर व्यक्तियों को ऐसे ठीक करना या उनसे बहस करना अकसर उल्टा पड़ जाता है, क्योंकि व्यक्ति सही बात समझ नहीं पाते या भूल जाते हैं, और उत्तेजित भी हो जाते है कि उनमें गलती निकाली जा रही है। यदि डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति कोई गलती करें, तो हमें यह याद रखना चाहिए कि उन्हें पहली ही हर काम में काफी दिक्कत हो रही है। कुछ गलतियाँ ठीक करने का कोई फायदा नहीं, जैसे कि:
    • व्याकरण में गलती हो।
    • व्यक्ति को कोई बीती हुई बात गलत याद हो।
    • व्यक्ति किसी वस्तु को गलत नाम से पुकारे।
    • अगर व्यक्ति किसी गलत नाम का इस्तेमाल करे तो आप सही नाम धीरे से सुझा सकते हैं, पर जोर देकर, गलती ठीक करने के लहजे से नहीं। व्यक्ति सही शब्द ही इस्तेमाल करे, इस बात पर जोर न दें, न ही गलती पर फटकारें या बहस करें। आपका सिर्फ यह प्रयत्न रहे कि आप उनकी बात समझ पाएँ।

व्यक्ति कोई प्रश्न बार बार दोहराएं या कुछ बार बार मांगें और उत्तेजित लगें। इस तरह के बदले व्यवहार के कारण समझने के लिए और उन्हें संभालने के लिए इस वेबसाइट पर दूसरे पृष्ठों पर विस्तृत चर्चा है; लिंक नीचे “इन्हें भी देखें” सेक्शन में हैं।

अगर हम यह सोचें कि डिमेंशिया का व्यक्ति पर क्या असर होता है, तब यह स्पष्ट होगा कि ऊपर दी गयी टिप्स क्यों काम करती हैं। परन्तु देखभाल करते समय, परिवार वाले व्यक्ति को बात समझाने में या कुछ काम कराने में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि वे यह भूल जाते हैं कि डिमेंशिया का व्यवहार पर क्या असर होता है।

व्यक्ति की बात समझने के लिए उनके बोलने पर कम निर्भर हों, और उनके अन्य संकेतों को समझें । जैसे जैसे डिमेंशिया का मूल रोग बिगड़ता है, व्यक्ति बोलना कम कर देते हैं, या ठीक से बोल नहीं पाते। अगर उनके दाँत में दर्द है, तो शायद वे कहेंगे कि आँख में दर्द है। आपको उनकी बात समझने के लिए सभी संकेत देखने होंगे–वे किसकी ओर इशारा कर रहे हैं, शरीर के किस भाग को छूने पर वे मुंह बनाते हैं या कराहते हैं, वे किस तरफ झुक रहे हैं, वगैरह। अग्रिम अवस्था तक पहुंचते पहुंचते व्यक्ति बोलना बहुत कम कर देते हैं, या बंद कर देते हैं, और उनके शारीरिक संकेत समझना और भी जरूरी हो जाता है।

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कुछ उदाहरण

नीचे प्रस्तुत हैं कुछ उदाहरण – ये सिर्फ अदाहरण हैं, बातचीत के लिए सुझावित आदर्श दृष्टिकोण नहीं। बातचीत ठीक से हो रही है या नहीं, यह इस बात से इंगित होता है कि क्या व्यक्ति आपकी बातें पर्याप्त रूप से समझ पा रहे हैं या नहीं, उस हिसाब से काम कर पा रहे हैं या नहीं, और क्या आप समझ पा रहे हैं कि व्यक्ति क्या चाहते हैं।

उदाहरण 1: सामान्य परिस्थितियों में, परिवार के सदस्य इस तरह से बात करते हैं:

आज शांति ने मुझे फोन किया और आपके बारे में पूछा। आपको शांति याद है, नहीं? वह वसंत विहार में हमारे बगल में रहती थी, और हमेशा शाम को हमसे मिलने आती थी और वह बहुत बढ़िया पायसम बनाती थी। उसका बड़ा बेटा यहाँ बंगलौर में है, और वह यहाँ उससे मिलने आई है, इसलिए उसने कल मुझे यह कहने के लिए फोन किया कि वह यहाँ आकर हमसे मिलना चाहती है। मैंने उससे कहा कि यह ठीक है।

यह समझने में मुश्किल हो सकता है, और इसे छोटे वाक्यों का उपयोग करके और बीच-बीच में कुछ विराम देकर सरल बनाया जा सकता है। जैसे कि:

शांति ने आज मुझे फोन किया। शांति वो दुबली-पतली औरत है जो कई साल पहले दिल्ली में हमारे घर के पास रहती थी। वो बहुत स्वादिष्ट पायसम बनाती थी। (कुछ देर रुकें, ताकि व्यक्ति याद करने की कोशिश कर पाएं कि आप किसकी बात कर रहे हैं। फोटो हो तो दिखाएं।)

फिर कहें: – शांति और उसका बेटा आजकल हमारे शहर में हैं। शांति आज दोपहर हमसे मिलने आएगी। (अधिक जानकारी तभी दें यदि व्यक्ति रुचि दिखाएं ।_

समय के साथ, इतना भी समझना व्यक्ति के लिए मुश्किल हो सकता है। यदि ऐसा है, तो इसे और भी छोटा और सरल बनाएं, जैसे, – आज हमारी फ्रेंड शांति का फोन आया था। (कोई चित्र हो तो दिखाएं। फिर गौर करें कि क्या व्यक्ति दिलचस्पी ले रहे हैं। यदि नहीं, तो विषय पर बात करना बंद कर दें।)

यदि व्यक्ति रुचि दिखाएं, तो एक और साधारण तथ्य जोड़ दें, जैसे कि -वह बहुत अच्छा पायसम बनाया करती थी।

व्यक्ति के रुचि के स्तर के अनुसार या तो बात जारी रखें या छोड़ दें। जैसे – वह आज आपसे मिलने आ रही है।

यदि व्यक्ति तनाव में है, तो उसे आश्वस्त करें, जैसे, शांति के आने पर मैं आपके साथ रहूंगा। सब ठीक रहेगा।

उदाहरण 2: आम तौर पर, परिवार के सदस्य इस तरह से बात करते हैं:

आपको अभी नहाना होगा, क्योंकि उसके बाद आपको नाश्ता करना है और फिर बीपी की दवा लेनी होगी । आज का नाश्ता आपकी पसंदीदा इडली है। आप इसे पसंद करेंगे, है ना? तो नहाने चलें? आप अभी तक बैठी क्यूँ हैं? इडली ठंडी हो जायेगी।

आप इसे तोड़कर समझने में आसान बना सकते हैं, जैसे, आपके नहाने का समय हो गया है। डिमेंशिया वाले व्यक्ति को बिस्तर पर नाइटगाउन और अपने हाथ में तौलिया देखने दें। ये उसे नहाने की याद दिला सकते हैं।

बाद में नहाने के बाद कहें, चलिए , नाश्ता करते हैं। व्यक्ति को नाश्ता सूंघने दें।

नाश्ते के बाद, कहें, ये रही आपकी दवाएं।

कुछ और उदाहरण:

यह कहने के बजाय, क्या आपको भूख लगी है? क्या मैं अभी आपके लिए चाय लाऊं, या आप कॉफी लेंगे? मैं आपकी पसंद के अनुसार चाय में अदरक डाल सकती हूँ। यह आपके लिए अच्छा होगा; यह मौसम बहुत खराब है और अदरक की चाय स्वादिष्ट और अच्छी रहेगी। मैं आपके लिए अदरक वाली चाय लाऊं या सादी चाय? — इस सब के बजाए आप बस कह सकते हैं: क्या आप चाय या कॉफी पसंद करेंगे?

या यदि व्यक्ति हमेशा चाय पीते हैं तो अनावश्यक प्रश्न से बचें और कहें: क्या आप अभी चाय पसंद करेंगे?

या और भी सरल रहें – प्याला दें और कहें, यह रही आपकी चाय।

सादगी अपनाएं। यह न कहें – मौसम इतना गर्म है, है ना? बस कहें : मौसम बहुत गर्म है।

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व्यक्ति के साथ बातचीत का आनंद उठाना

व्यक्ति से बातचीत कर पाना कई बार दिक्कत भरा और थकाने वाला काम हो सकता है, और परिवार वाले इस वगह से शायद बातचीत बहुत कम कर दें, सिर्फ जितना दैनिक कार्यों के लिए जब जरूरत हो, तभी करें। । देखभाल का काम संभालते संभालते थके हुए परिवार वाले यह नहीं सोच पाते कि यदि वे कुछ देर डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति के साथ बैठ कर आराम करें, तो व्यक्ति को और उन्हें, दोनों को अच्छा लग सकता है।

डिमेंशिया के कारण व्यक्ति को अपने आस-पास होती हुई बातों को समझने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है। उन्हें बोलने में और अपने काम करने में दिक्कत होती रहती है, और दिक्कत क्यों हो रही है, इसके बारे में चिंता भी होती है। यह सब उन पर बहुत दबाव डालता है।

आप यदि अपनी थकान और चिंताएं भूल कर कुछ पल निश्चिन्तता के साथ उनके पास बैठें तो वे और आप, दोनों कुछ देर तनाव से दूर हो सकते हैं। शायद ऐसे मौके पर वे भी अपने आप को हल्का महसूस करें और इधर उधर की बातें करने लगें। सही हों या गलत, इस तरह की बातों का अपना ही कुछ अपना ही मजा है, और आप अपनी चिंताओं को परे रख छोड़, इस बहाव में आ कर उनकी संगत का आनंद उठा सकेंगे। यह साथ बिताए हुए पल आपके और व्यक्ति के बीच एक सहजता और स्नेह का माहौल पैदा कर सकते हैं और दिन के बाकी टाइम, जब आप व्यक्ति की काम में मदद कर रहे हैं, या बात करने की कोशिश कर रहे हैं, तब इन पलों की वजह से बने सम्बन्ध आपके बीच ताल-मेल बिठाने में मददगार साबित होंगे।

यदि व्यक्ति को फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया (Frontotemporal Dementia, FTD) है, जिसमें व्यक्ति उदासीन हों और अलग-अलग रहें, तो यह न सोचें कि व्यक्ति किसी के बारे में कोई भावना नहीं रखते; वे भी कुछ तरह से औरों के लिए भावनाएं रखते हैं। इनके लिए भी सुखद गतिविधियां संभव हैं जिनसे नाता भी बने, और व्यक्ति सक्रिय भी रहें।

देखभालकर्ता का अनुभव (1): एक डिमेंशिया से ग्रस्त महिला एक दिन एक लंबा किस्सा सुनाने लगीं कि उनका भाई कैसे एक बार घर से भाग गया था और फलां-फलां शहरों में गया था, और उसने वहाँ क्या क्या करा। वे जो बता रही थीं, वह सब कुछ भी नहीं हुआ था। पर उनका बेटा बस उनके पास बैठ कर, बिना तोके, उनकी बात सुनता रहा, और मां के साथ उनकी अजीबो-गरीब दुनिया में सैर करता रहा। अगले दिन मां ने अपने अतीत के बारे में एक बिल्कुल अलग कहानी सुनाई। बेटे ने तय किया कि वह चुपचाप मां की बातें सुनेगा और उनका साथ देगा, चाहे मां की बातें कितनी भी अजीब और गलत हों। सच क्या है, क्या हुआ था, क्या नहीं, इस पर कुछ नहीं कहेगा। बेटे ने पाया कि इस तरह मां की बातें बिना रोके-तोके सुनने से उसे भी सुकून मिलता था, और लगने लगा कि मां उसके अधिक करीब आने लगीं थीं। अब वह उनके नजरिए और दिक्कतों को भी अधिक समझने लगा था।।

देखभालकर्ता का अनुभव (2): एक बेटी, जो मां की देखभाल के काम से बहुत हताश थी, एक दिन थकी हुई, मां के पास बैठ कर अपनी थकान और दुख के बारे में बात करने लगी। मां ने अपना हाथ बढ़ा कर बेटी के हाथ को थामा और उसे हल्के से सहलाया। बेटी को मां से इस तरह सहानुभूति पाने पर बहुत अचंभा हुआ। डिमेंशिया के बावजूद मां का बेटी के प्रति प्यार स्पष्ट था, और मां उसकी भावनाओं को भांप पायी थीं। बेटी को एहसास हुआ कि जब-जब वह मां पर गुस्सा होती थी या चिड़चिड़ा जाती थी, तब भी मां को पता चल जाता होगा, और मां पर क्या बीतती होगी! इस घटना के बाद बेटी मां के साथ जब बैठ कर, प्यार से उनका हाथ पकड़ कर बैठने लगी, बिना कुछ कहे या पूछे, बस आपस में प्यार महसूस करने के लिए। जब कभी देखभाल का कार्यभार बहुत भारी लगता, तो इन स्नेह भरे पलों की याद से सुकून मिलता, और समय के साथ देखभाल कम भारी लगने लगा ।

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इन्हें भी देखें।

हिंदी पृष्ठ, इसी साईट से:

इस विषय पर हिंदी सामग्री, कुछ अन्य साईट पर: यह याद रखें कि इन में से कई लेख अन्य देश में रहने वालों के लिए बनाए गए हैं , और इनमें कई सेवाओं और सपोर्ट संबंधी बातें, कानूनी बातें, इत्यादि, भारत में लागू नहीं होंगी।

इस पृष्ठ का नवीनतम अँग्रेज़ी संस्करण यहाँ उपलब्ध है: Communication Opens in new window. अंग्रेज़ी पृष्ठ पर आपको विषय पर अधिक सामयिक जानकारी मिल सकती है। कई उपयोगी अँग्रेज़ी लेखों, संस्थाओं और फ़ोरम इत्यादि के लिंक भी हो सकते हैं। इस अंग्रेज़ी पृष्ठ पर बातचीत के अनेक उदाहरण भी हैं, जो ऊपर वाले विषयों और सुझावों को स्पष्ट रूप से समझाते हैं। फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया और बातचीत के संदर्भ में कुछ लिंक भी हैं।

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