देखभाल के लिए उपलब्ध सेवाएं, उनका चुनाव और इस्तेमाल

घर पर डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति की देखभाल करने वालों का कार्यभार अधिक होता है, और वे घर से बाहर भी नहीं जा पाते। उन्हें सहायक सेवाओं की जरूरत होती है।

देखभाल करने वाले क्या कर सकते हैं: उपलब्ध सेवाओं के बारे में जानें और जैसे उचित हो, उनका इस्तेमाल करें। ये सेवाएं विभिन्न संस्थाओं और एजेंसी द्वारा मिल सकती हैं। देखभाल करने वाले इनका इस्तेमाल घर पर सहूलियत के लिए, तथा बाहर के कामों के लिए कर सकते हैं। कुछ सेवाएं विशेषकर डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्तियों और उनके परिवार वालों के लिए हैं, और कुछ आम सेवाएं है जो देखभाल करने वालों के लिए उपयुक्त हो सकती हैं, जैसे कि घर आकर खून का सैम्पल लेना। देखभाल करने वाले इन सेवाओं का उपयोग कुछ समय के लिए विराम पाने के लिए भी कर सकते हैं, जैसे कि डे केयर। सेवाओं को इस्तेमाल करने से पहले यह जांचें कि सेवा उपयुक्त और विश्वसनीय है या नहीं।

डिमेंशिया (मनोभ्रंश) से ग्रस्त व्यक्ति की देखभाल का कार्यभार देखभाल कर्ता को शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक रूप से थका सकता है। प्रारंभिक अवस्था के बाद, अक्सर ग्रस्त व्यक्ति को घर पर अकेले नहीं छोड़ा जा सकता। घर पर ही देखभाल हो सके, इसके लिए उचित, कारगर सेवाएं चाहियें। परिवार वाले अपने अन्य जिम्मेदारियां निभा पाएँ, इसके लिए भी उन्हें सहारे की जरूरत है। सहायता का एक प्रमुख रूप है व्यक्ति के लिए प्रशिक्षित सहायक का इस्तेमाल करना। इस विषय पर हमारे पिछले पृष्ठ पर व्यापक चर्चा थी (घर पर प्रशिक्षित सहायक का उपयोग )। अन्य भी कई सेवाएं हैं जिनके बारे में आप सोच सकते हैं।

इस पृष्ठ के सेक्शन:

कोविड 19 महामारी में हमने देखा कि वरिष्ठ नागरिकों गंभीर संक्रमणों और जटिलताओं के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, और उन्हें ऐसे वाहकों से भी खतरा रहता है जिनमें संक्रमण के कोई लक्षण नहीं नजर या रहे हैं। इसलिए परिवारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे इस बात पर ध्यान दें कि सेवा प्रदाता उन्हें संक्रमणों से बचाने के लिए क्या-क्या कदम उठा रहे हैं।

सावधानी 1: कुछ सेवा देने वाली संस्थाएं यह दावा करती हैं कि उन्हें किसी प्रख्यात, विश्वसनीय संस्था से सर्टिफिकेट मिला है, या उनका किसी प्रख्यात संस्था के साथ सहभागिता (collaboration) है। ऐसे दावों को यूं ही सच न मान लें, इनकी पुष्टि करें, क्योंकि ऐसे कुछ दावे झूट निकले हैं।

सावधानी 2: कभी कभी परिवार किसी एगेन्सी में सदस्यता लेते हैं जो कुछ उपयोगी सेवाएं दे रही है, खास तौर से एमरजेंसी में मदद करने की सेवा। पर जब तक इस्तेमाल करने की जरूरत होती है, तब एन मौके पर पता चलता है कि वह सेवा तो कब से बंद पड़ी है। कृपया जिस भी संस्था में आपने सहारे के लिए सदस्यता ली है, उससे सम्पर्क कायम रखें, ताकि अगर वे बंद हो जाएँ, या अगर वे कोई सेवा बंद कर दें/ बदल दें, तो आपको समय पर मालूम हो जाए और आप टाइम पर दूसरा प्रबंध कर पाएँ।

घर पर नर्स की सेवा (Home nursing services).

equipment for home nursing of late stage dementia

डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति को जब आप किसी टेस्ट के लिए क्लिनिक ले जाते हैं, तो वे अपने आप को नई जगह में पा कर अकसर घबरा जाते हैं। उनको बाहर ले जाना वैसे भी आसान नहीं होता क्योंकि उनको कहीं भी ले जाना हो तो काफी प्लानिंग करनी पड़ती है। जब व्यक्ति ठीक से चल-फिर नहीं पाते तो उन्हें क्लिनिक ले जाना अधिक मुश्किल हो जाता है।

कई शहरों में ऐसी सेवाएं हैं जो आपके घर अपने टेक्नीशियन या नर्स या डॉक्टर को भेजती हैं और व्यक्ति को इन कामों के लिए बाहर नहीं ले जाना पड़ता। कुछ सेवाओं के उदाहरण:

  • खून और पेशाब और अन्य सैम्पल घर से ही लेना।
  • नर्सिंग सेवा, जैसे कि इंजेक्शन, नेब्युलायीज़र (nebulizer), IV, कैथेटर (catheter), ब्लैडर वाश (bladder wash) खाने की ट्यूब डालना (tube feeding), इत्यादि।
  • घर पर डाक्टरी जांच और चेक अप।

कुछ शहरों में होम नर्स सेवाएँ होती हैं जो खास तौर पर बुजुर्गों के लिए या डिमेंशिया वाले लोगों के लिए होती हैं। इनकी जानकारी के लिए आप हमारे अंग्रेजी साइट के पृष्ठ पर देख सकते हैं और शहर के एल्डर हेल्प लाइन से पूछ सकते हैं या अपने डॉक्टर से या किसी बड़े अस्पताल से पूछ सकते हैं। आपके पास के नर्सिंग होम भी शायद आपकी मदद कर पाएँ। सेवाओं को ढूंढ़ने के लिए टिप्स हमारे इस पृष्ठ पर हैं: आपके शहर में संसाधन

घर पर देखभाल करने के लिए शायद आपको घर में इस्तेमाल के लिए कुछ उपकरण (equipment) चाहियेंगे। आप इन्हें नए या सेकंड-हैंड खरीद सकते हैं, या किराए पर ले सकते हैं। अकसर ऐसे उपकरण आपको (नए या किराए पर) सर्जिकल्स (surgicals) की दुकान में मिलेंगे, जो फ्रैक्चर के लिए भी चीज़ें बेचते हैं, और इन दुकानों का पता किसी भी केमिस्ट या क्लिनिक से मिल सकता है।

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घर पर दवाई की डिलिवरी (Home-delivery pharmacy).

केमिस्ट के पास जाकर दवाई खरीदने में दिक्कत हो तो केमिस्ट से पूछें कि क्या वे घर पर डिलिवरी कर सकते हैं। आजकल कई केमिस्ट दवाई घर भेज देते हैं, खासकर अगर आप उनके “रेगुलर कस्टमर” हों और आप उनसे हर महीने काफी सामान खरीदते हों। वैसे भी, हर शहर में कुछ केमिस्ट होते हैं जो होम डिलिवरी करते हैं, और थोडा ढूँढें तो आपको होम-डिलिवरी करने वाला केमिस्ट मिल जाएगा। ई-फार्मसी/ एप भी हैं जो घर पर दवा डिलिवर करते हैं। कुछ संसाधनों द्वारा 24×7 सेवा भी उपलब्ध होगी। आपके डॉक्टर को भी शायद ऐसे किसी केमिस्ट के बारे में पता हो।

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घर आकर डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति और उन की देखभाल के माहौल का आकलन और सुझाव (home assessment and advice).

कुछ शहरों में डिमेंशिया को समझने वाले स्वयंसेवक और विशेषज्ञ घर आकर डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति से मिलते हैं और घर वालों से भी। इसके आधार पर वे निदान, उपचार, व्यक्ति की देखभाल इत्यादि पर अपने सुझाव देते हैं।

घर आकर आंकलन करने की सेवा शायद आपके शहर के किसी डिमेंशिया सेवा से मिल पाए। कुछ शहरों में “डॉक्टर ऑन व्हील्स” का भी इंतजाम होता है।

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डिमेंशिया डे केयर (Dementia Day Care).

जैसा कि हमने महामारी के दौरान देखा है, बुजुर्गों में संक्रमण और जटिलताओं का जोखिम अधिक होता है। डे केयर का उपयोग करने के बारे में सोच रहे परिवारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि डे केयर से आने और जाने के दौरान और डे केयर में भी व्यक्ति संक्रमण से सुरक्षित रहेंगे। वे व्यक्तियों को संक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए डे केयर द्वारा लागू की जा रही सावधानियों और प्रक्रियाओं पर चर्चा कर सकते हैं और देख सकते हैं कि क्या वे संतोषजनक हैं। उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि डे केयर में वास्तव में प्रक्रियाओं का पालन किया जा रहा है।

कुछ शहरों में डिमेंशिया डे केयर सेंटर होते हैं, जहाँ प्रशिक्षित कर्मचारी दिन के कुछ घंटों के लिए डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्तियों की देखभाल करते हैं ताकि परिवार वाले उस समय के लिए देखभाल के कार्य से मुक्त हों और अपने अन्य काम कर पाएँ। ये डे केयर सेंटर सुबह से शाम तक व्यक्ति को रखते हैं, और अकसर रविवार (Sunday) को बंद रहते हैं; हरेक सेंटर का टाइम अलग अलग होता है।

डे केयर सेंटर में कर्मचारी व्यक्ति के पास रहते हैं। वे व्यक्ति को उनकी रुचि और क्षमता के अनुसार गतिविधियों में लगाते हैं। वे व्यक्ति की चलने में और बाथरूम जाने में भी सहायता करते हैं, और भोजन भी खिलाते हैं। कुछ डे केयर सेंटर भोजन भी देते हैं, और कुछ कहते हैं कि परिवार वाले व्यक्ति के साथ भोजन भेजें, और वे उसे गरम करके परोसते हैं। कुछ डे केयर के पास व्यक्ति को घर से लेने का और घर वापस छोड़ना का भी इंतज़ाम होता है, पर अन्य डे केयर सेंटर में आपको व्यक्ति को सुबह छोडना होगा और शाम को लेना होगा।

डे केयर किसी डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति को दाखिल करेंगे या नहीं, यह कई बातों पर निर्भर है। अकसर ऐसे सेंटर ज्यादा लाचार या बीमार व्यक्ति को नहीं लेते। कई ऐसे व्यक्तियों को भी नहीं लेते जो मल/ मूत्र पर नियंत्रण न कर सकें या जो बिलकुल भी बात न कर सकें। अधिकाँश सेंटर अग्रिम/ अंतिम डिमेंशिया के व्यक्तियों को नहीं लेते।

आजकल डे केयर के बदले “ऐक्टिव एजिंग ” और “एल्डर एनरिचमेंट सेंटर” केंद्र देखे जाते हैं जहां बुजुर्ग दिन के कुछ घंटे हमउम्र लोगों के साथ बिता सकते हैं, और सुखद सामाजिक, मानसिक और शारीरिक गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं। कुछ ऐसे केंद्र डिमेंशिया वाले वरिष्ठ नागरिकों को भी स्वीकार करते हैं और उनके लिए उपयुक्त गतिविधियों को अनुकूलित कर सकते हैं।

अगर आप किसी डे केयर सेंटर के बारे में सोच रहे हैं, तो इन बातों को जरूर देखें: वहाँ के कर्मचारी प्रशिक्षित हैं या नहीं, सफाई कैसी है, सेंटर का इस्तेमाल करने वाले डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति खुश लग रहे हैं या नहीं, वे दिन भर क्या करते हैं, सहूलियतें कैसी हैं, चलने-फिरने की जगह कैसी है, सुरक्षा कैसी है। वहाँ लोग कौनसी भाषाएँ बोलते और समझते हैं? वे व्यक्ति को समझने के लिए कितनी कोशिश करने को तैयार हैं, इत्यादि। सोचें कि आपके प्रियजन वहाँ फिट हो पाएंगे या नहीं, खुश रहेंगे या नहीं।

एक बात और: अगर डे केयर वाले पाएंगे कि कोई व्यक्ति बीमार है या इतना उत्तेजित है कि अन्य व्यक्तियों को परेशानी हो रही है, तो वे परिवार वालों से कहेंगे कि आप व्यक्ति को घर वापस ले जाएँ। सेंटर का इस्तेमाल करने से पहले पता चला लें कि वे इस तरह की समस्या को कैसे संभालते हैं।

लंबे अर्से के लिए 24x 7 रहने के केयर होम के मूल्यांकन करने के लिए उपयोग की जाने वाली चेकलिस्ट में कुछ ऐसे बिंदु भी हैं जो डे केयर केंद्रों की उपयुक्तता की जांच के लिए उपयोगी हैं।

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संस्था में व्यक्ति के डिमेंशिया/ व्यवहार का आंकलन (Observation/ behaviour assessment stay).

कुछ डिमेंशिया की समर्थक संस्थाएं एक “Observation/ behaviour assessment stay” सेवा देती हैं जिसमें डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति को कुछ दिन संस्था में रखा जाता है और विशेषज्ञ व्यक्ति के व्यवहार का, और काम करने की क्षमता का अध्ययन करते हैं और डिमेंशिया किस अवस्था में है, यह समझने की कोशिश करते हैं। वे स्थिति के अनुसार सुझाव देते हैं। डिमेंशिया का वैसे तो कोई पूरा इलाज नहीं है, पर कुछ व्यवहार की समस्याओं के लिए दवाईयां हो सकती हैं, जैसे कि नींद न आना, अत्याधिक उत्तेजित होने, वगैरह। इस पर भी सुझाव मिल सकते हैं। देखभाल करने के तरीकों पर भी सुझाव दिए जा सकते हैं।

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डिमेंशिया के व्यक्तियों के लिए होम (Dementia Respite Care and Long-term stay facilities).

इन में प्रशिक्षित कर्मचारियों द्वारा डिमेंशिया व्यक्तियों की 24 x 7 देखभाल करी जाती है।

रिस्पाईट केयर सेंटर (Respite care facilities)। डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्तियों को कुछ दिन, हफ्ते, या महीने के लिए रखते हैं और उनके पास विशिष्ट, प्रशिक्षित कर्मचारी होते हैं जो व्यक्ति की 24 x 7 देखभाल करते हैं। आपको यदि कुछ दिन शहर से बाहर जाना हो, या कुछ दिन के लिए ऐसा काम हो जिसके कारण आप व्यक्ति की घर में देखभाल नहीं कर सकेंगे, तो आप व्यक्ति को ऐसे सेंटर में रख सकते हैं।

लंबे अर्से के लिए रहने के लिए होम (Long-term stay facilities, homes, assisted living facility)। ये उन परिवारों के लिए हैं जो व्यक्ति की घर पर देखभाल नहीं कर पा रहे हैं। शायद व्यक्ति का व्यवहार संभालना बहुत ही मुश्किल है, या देखभाल करने वाले का स्वास्थ्य ठीक नहीं है या वह कमज़ोर है, या अन्य कई जिम्मेदारियां है जिनके कारण घर पर देखभाल संभव नहीं है। या हो सकता है कि डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति का कोई नजदीकी रिश्तेदार हो ही नहीं, या किसी दूसरे देश में हो जहाँ से वे भारत में देखभाल को मैनेज नहीं कर सकते। डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति की देखभाल करने का मतलब है अपनी पूरी जिंदगी को उसके इर्द-गिर्द एड्जस्त करना, और यह हमेशा संभव नहीं होता।

कुछ केस में, जब परिवार वाले और व्यक्ति भारतीय हैं पर भारत के बाहर हैं, तब भी परिवार भारत में ही केयर होम खोजते हैं (विदेश वाले केयर होम नहीं)। यह इसलिए क्योंकि उन्हें लगता है कि व्यक्ति विदेशी केयर होम में अच्छा नहीं महसूस कर पायेंगे क्योंकि वे वहां के रहन-सहन, खान-पान और माहौल में सहज नहीं हो पायेंगे।

अकसर रिस्पाईट केयर सेंटर और लंबे अर्से वाले केयर होम एक ही होते हैं। आप यह न सोचें कि ऐसी जगहें डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्तियों को फालतू समझ कर डालने वाली जगहें होती हैं। अगर ऐसी संस्था खास डिमेंशिया के व्यक्तियों के लिए बनायी गयी है, तो यहाँ व्यक्ति की ज़िंदगी आरामदेह और रुचिकर हो सकती है, क्योंकि यहाँ देखभाल पूरी होती है, और अनेक गतिविधियां भी होती हैं, जैसे कि फिजियोथैरेपी (physiotherapy), गतिविधि कक्ष (activity rooms) पुरानी बातें याद करने के कक्ष (संस्मरण थेरपी/ reminiscence therapy), घूमने के मौके (outings to places), वगैरह। घर पर इतना सब कुछ करना मुमकिन नहीं होता। घर पर चौबीसों घंटे देखभाल करना बहुत मुश्किल है, पर ऐसे सेंटर में दिन-रात व्यक्ति की देखभाल के लिए प्रशिक्षित कर्मचारी शिफ्ट में काम करते हैं।

कुछ केंद्र विशेष रूप से डिमेंशिया व्यक्तियों के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, और केवल डिमेंशिया वाले व्यक्तियों या विशेष आवश्यकताओं वाले वरिष्ठ नागरिकों (डिमेंशिया सहित) के लिए होते हैं। साथ ही, वरिष्ठ नागरिकों के लिए पूरे समय के लिए ठहरने वाले वृद्धाश्रमों में मनोभ्रंश से पीड़ित व्यक्तियों के लिए कई बार अनौपचारिक रूप से और कभी-कभी सार्वजनिक रूप से रहने के अवसर खुल रहे हैं। जगह चाहे किसी भी प्रकार की हो, डिमेंशिया वाले व्यक्ति को वहाँ ले जाने से पहले जगह की सभी सुविधाओं की ठीक से जाँच की जानी चाहिए।

सावधान: कुछ सेवा देने वाली संस्थाएं यह दावा करती हैं कि उन्हें किसी प्रख्यात, विश्वसनीय संस्था से सर्टिफिकेट मिला है, या उनका किसी प्रख्यात संस्था के साथ सहभागिता (collaboration) है। ऐसे दावों को यूं ही सच न मान लें, इनकी पुष्टि करें, क्योंकि ऐसे कुछ दावे झूट निकले हैं।

व्यक्ति को किसी सेंटर में दाखिल करने से पहले सेंटर का मूल्यांकन करना जरूरी है, चाहे यह दाखिला छोटे अर्से के लिए हो या लंबे अर्से के लिए।

सेंटर के मूल तथ्यों को जांचें। सेंटर उपयुक्त है या नहीं, इसके लिए जांचने के लिए कुछ मोटी-मोटी बातें तो स्पष्ट हैं, जैसे कि सेंटर का मैनेजमेंट कैसा है, उनका नाम (reputation) कैसा है। जगह साफ़ है या नहीं, कर्मचारी चुस्त और साफ़ हैं या ढीलेढाले। पैसे कितना मांग रहे हैं, डिपोसिट कितना है और हर महीने का कितना पड़ता है, रिफंड कितना होगा। ऊपर का कितना खर्च होगा। किस किस तरह की रहने की स्कीम हैं, वगैरह।

यह जांचे कि सेंटर डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति के लिए ठीक है या नहीं । यह बहुत जरूरी है क्योंकि डिमेंशिया के कारण व्यक्ति ठीक से बात नहीं कर पाते हैं। यदि सेंटर के कर्मचारी डिमेंशिया के लिए प्रशिक्षित नहीं हों, तो वे व्यक्ति की ठीक से मदद नहीं कर पायेंगे और शायद दुर्व्यवहार भी करें या व्यक्ति को चोट पहुंचाएं। पर व्यक्ति इस तकलीफ/ दुर्व्यवहार के बारे में परिवार वालों से शिकायत नहीं कर पायेंगे। एक अन्य बात जो बहुत जरूरी है वह यह है कि सेंटर का डिजाईन ऐसा होना चाहिए जो डिमेंशिया देखभाल के लिए सुविधाजनक हो और जहाँ व्यक्ति को आराम और संतोष रहेगा और वे सुरक्षित भी रहें।

नीचे कुछ बिंदु हैं जो शायद इस जांच-परख के लिए उपयोगी हों (ध्यान रखें कि यह कोई पूर्ण सूची नहीं है, सिर्फ एक सांकेतिक सूची है):

  • क्या सेंटर डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्तियों को लेती है? कई “assisted living” सेंटर डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्तियों को स्वीकार नहीं करते, या बहुत सारी शर्तें रखते हैं, जैसे कि” रोगी का व्यवहार ठीक रहना चाहिए, रोगी को स्टाफ़ के साथ “cooperate” करना होगा। ऐसी शर्तों से लगता है कि सेंटर डिमेंशिया की सच्चाई नहीं समझते और उन्हें मरीज के व्यवहार के बारे मेंकुछ अवास्तविक उम्मीदें ( unrealistic expectations) हैं। ऐसी जगहों में हो सकता है कि मरीज एक दिन उत्तेजित हो और अगले दिन सेंटर के मेनेजर का फोन आ जाए कि आप उन्हें घर वापस ले जाएँ।
  • क्या सेंटर की बिल्डिंग का डिजाईन और माहौल डिमेंशिया के मरीजों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है? जैसे के, क्या व्यक्ति को भटकने से रोकने के लिए प्रबंध हैं? चलने में असुविधा न हो, क्या इसके लिए हैंड रेल(hand rails, grab rails) हैं? क्या गतिविधियों के लिए कमरे हैं? टहलने के लिए सुरक्षित जगह है? ताजी हवा और पर्याप्त रौशनी है या नहीं? शोर ज्यादा तो नहीं? कमरे इतने छोटे तो नहीं कि व्यक्ति घबरा जाएँ?
  • क्या सेंटर में व्यक्तियों की देखभाल के लिए देखभाल की योजना (“केयर प्लान”, care plan) बनाए जाते हैं? क्या सेंटर के कर्मचारी मरीज के व्यक्तिगत विवरण (केस हिस्टरी, case history) को समझने की कोशिश करते हैं और वे किस प्रकार से इस जानकारी को अपने रिकॉर्ड में लिखते हैं। क्या वे मरीज की पसंद-नापसंद, मेडिकल रिकॉर्ड, बीते दिनों की बातें वगैरह नोट करते हैं? क्या वे इन सब के आधार पर मरीज के लिए उपयुक्त दैनिक दिनचर्या/ टाइमटेबल (daily routine) बनाते हैं? मरीज़ की स्थिति को वे कैसे जांचते और लिखते हैं? परिवार वालों को वे मरीज के बारे में जानकारी कब और कैसे देते हैं?
  • व्यक्ति के लिए घर से यहाँ आने का सदमा (स्थानांतरण का सदमा) कैसे कम करा जाता है? इस बदलाव में व्यक्ति को तनाव न हो, क्या इसके लिए सेंटर वाले परिवार के साथ तय करते हैं कि क्या ठीक रहेगा? या क्या वे तकलीफ की संभावना को नकार देते हैं, यह कहकर कि कुछ नहीं होगा? क्या सेंटर में परख काल (ट्रायल पीरियड, trial period) संभव है?
  • क्या कर्मचारी डिमेंशिया देखभाल के लिए प्रशिक्षित हैं? क्या उन्हें देखभाल के तरीके मालूम हैं–बातचीत कैसे करें, दैनिक कार्यों में मदद कैसे करें, बदले या उत्तेजित व्यवहार को कैसे संभालें, उपयोगी या दिलचस्प गतिविधियों में कैसे व्यस्त करें, वगैरह। क्या कर्मचारी ऐसे व्यक्तियों को संभाल सकते हैं जो बोलते न हों और मिलते-जुलते भी न हों? क्या वे पूरी तरह से निर्भर व्यक्ति को संभाल सकते हैं?
  • हर मरीज के लिए कितने स्टाफ हैं जो मरीज की मदद करते हैं? किस किस प्रकार के विशेषज्ञ (स्पेशलिस्ट) का इंतजाम है? क्या सेंटर में औक्युपेशनल थेरपिस्ट, न्यूट्रीशनिस्ट, फिजियोथैरेपिस्ट (occupational therapists, nutritionists, physical therapists) वगैरह हैं? हर मरीज के साथ हर शिफ्ट में क्या एक सहायक है? नहीं है तो फिर सब सहायक मिल कर देखभाल का काम कैसे बांटते हैं? क्या जूनियर स्टाफ के काम को देखने के लिए सीनियर स्टाफ और सुपरवाईज़र हैं? अगर जरूरत हो तो क्या अधिक सहायक रखे जा सकते हैं? (शायद इसके लिए अतिरिक्त पैसा लगेगा)।
  • सेंटर में उत्तेजित व्यवहार संभालने की क्या पालिसी है? क्या वे मरीजों की उत्तेजना कम करने के लिए दवाओं का इस्तेमाल करते हैं, या व्यक्ति को बाँधने की कोशिश करते हैं? क्या दवाईयां देने से पहले वे अन्य तरीके आजमाते हैं और परिवार से सलाह करते हैं, या सीधे ही मनोरोग/ मनोविक्षिप्त व्यवहार की दवाई (एंटीसाईकोटिक, anti-psychotics) दे देते हैं?
  • सेंटर में मेडिकल एमरजेंसी/ दुर्घटना इत्यादि के लिए क्या इंतजाम है? क्या सेंटर का अन्य सेवाओं और संस्थाओं के साथ कुछ समझौता है, जैसे कि अम्बुलेंस सर्विस, अस्पताल, स्पेसिअलिस्ट डॉक्टर, वगैरह? क्या सेंटर में काम करने वाले डॉक्टर और नर्स को डिमेंशिया का अनुभव है? क्या सेंटर में फर्स्ट-एड और कुछ साधारण होम-नर्सिंग सेवाओं का इंतजाम है?
  • क्या सेंटर में अंतिम चरण के मरीजों की देखभाल का इंतज़ाम है? कई सेंटर साफ कह देते हैं कि अंतिम स्थिति में वो मरीजों की जिम्मेदारी नहीं लेंगे। ऐसे में परिवार क्या करेगा, अगर वे वापस व्यक्ति को घर नहीं ले जा पाएंगे? या क्या सेंटर अंतिम चरण में मरीज को रख तो लेते हैं पर उचित देखभाल नहीं कर पाते? यह सब पहले से ही जानना बहुत जरूरी है क्योंकि मरीज जब अंतिम अवस्था में होंगे तो उन्हें कहीं और ले जाना बहुत कठिन होगा।
  • परिवार वालों से मरीज के बारे में कब और कैसे परामर्श कैसे करा जाता है? क्या मरीज से मिलने में पाबंदी है? क्या परिवार अक्सर आ सकता है? क्या उन्हें नियमित रूप से व्यक्ति की स्थिति के बारे में सूचित किया जाता है? कुछ केंद्र स्काइप की अनुमति देते हैं या उनमें वीडियोकैम होते हैं। इससे परिवार संपर्क में रहता है और देखता है कि व्यक्ति की देखभाल कैसे की जा रही है। क्या सेंटर दिन-प्रतिदिन की स्थिति का रिकॉर्ड रखती है?

कोशिश करें कि आप सेंटर में स्वयं कुछ समय बिताएं और देखें कि कर्मचारी देखभाल कैसे कर रहे हैं। हो सके तो उनसे बात भी करें। इससे आप तय कर पायेंगे कि क्या यह देखभाल आपके प्रियजन के लिए उपयुक्त रहेगी और क्या आपके प्रियजन यहाँ खुश रह पायेंगे। ऊपर लिखे पॉइंट के अलावा, कुछ अन्य चीज़ें जो आप सेंटर में जाकर खुद देख सकते हैं (ध्यान रखे कि यह कोई पूर्ण सूची नहीं है, सिर्फ एक सांकेतिक सूची है):

  • क्या वहाँ रहने वाले मरीज शांत और संतुष्ट लग रहे हैं? या क्या वे सुस्त या ऊबे हुए लग रहे हैं? क्या कम से कम कुछ मरीज गतिविधियां कर रहे हैं या टहल रहे हैं या सक्रिय लग रहे हैं?
  • क्या सेंटर में भीड़ है या शोर है? चलने के लिए जगह है या नहीं? चलने की जगह सुरक्षित है या नहीं (पैने कोने तो नहीं? फर्श फिसलने वाला तो नहीं? ऐसा तो नहीं कि व्यक्ति सेंटर के बाहर निकल सकते हों और खो सकते हों?) क्या सेंटर साफ-सुथरा है, और रोशनी काफी है? क्या आपके प्रियजन यहाँ आराम से रह पायेंगे?
  • क्या सेंटर के कर्मचारी चुस्त और योग्य लग रहे हैं, या क्या वे परेशान या उदासीन लग रहे हैं? क्या वे मरीजों का ध्यान रख रहे हैं या उनकी उपेक्षा कर रहे हैं? क्या वे मरीजों पर रौब झाड़ रहे हैं? या क्या वे शिष्ट और संवेदनशील हैं? क्या वे मरीज की मर्यादा का आदर रखते हैं? हो सके तो कर्मचारियों से बात करें, पूछें कि उनके काम में किस प्रकार की दिक्कतें आती हैं, तो आपको अंदाज़ा पड़ेगा कि सेंटर में देखभाल लिए कैसे कैसे तरीके अपनाए जाते हैं।
  • क्या मरीज साफ़-सुथरे हैं? गंदगी की बू तो नहीं आ रहे, जैसे कि मल-मूत्र की, या बासी हाने की या उल्टी की? सेंटर की स्वच्छता को ध्यान से चेक करें।
  • सेंटर के मेनेजर का स्वभाव देखें। क्या उनका व्यवहार आत्मीय और खुलापन वाला है, या क्या वे अकड़ वाले लगते हैं? क्या वे आपको अन्य मरीजों के परिवार वालों के नाम, फोन नंबर देने को तैयार हैं? ऐसा हो तो आप अन्य परिवारों से सेंटर के बारे में और बातें पता चला सकते हैं।
  • सेंटर ऐसा तो नहीं जहाँ आपको खुद जाने में दिक्कत हो और जहाँ से मरीज की खबर रखना मुश्किल हो?

सेंटर में दाखिल होना व्यक्ति के लिए अत्यंत तनावपूर्ण होता है, चाहे वह कुछ दिनों के लिए हो या लंबे अर्से के लिए। व्यक्ति ठीक से समझ नहीं पाते कि उन्हें अपने चिर परिचित माहौल और दिनचर्या से क्यों हटाया जा रहा है। उन्हें लगता है कि उन्हें परिवार वाले छोड़ रहे हैं, अब वे अकेले हैं। नई जगह में हर चीज़ के साथ उन्हें अडजस्ट करना होगा, पर वे अपनी पसंद-नापसंद, अपनी जरूरतें नहीं बता पाते। यदि जगह अच्छी है और यह घर बदलने का सिलसिला संवेदनशीलता से करा जाए तो तकलीफ कम होगी। वरना व्यक्ति या तो खुद में सिकुड़ सकते हैं या अधिक उत्तेजित और हमलावर भी हो सकते हैं।

यह खयाल रखें कि भारत में इस प्रकार के सेंटर के लिए पर्याप्त कानून नहीं हैं और न ही उन पर सरकार की ओर से निगरानी रखी जाती है। वहाँ कितनी सुरक्षा है, किस प्रकार की सुविधाएँ हैं, किसकी क्या जवाबदारी है, यह सब इतना स्पष्ट नहीं है और न ही लागू करा जाता है। सेंटर की ठीक से जांच करना और नियमित रूप से देखभाल पर नज़र रखना परिवार वालों को ही करना होता है। मरीज की हालत क्या है, और क्या दवा और देखभाल उसके हिसाब से है, यह परिवार वालों को चेक करते रहना होता है।

अकसर परिवार वाले हिम्मत से ज्यादा देखभाल करते रहते हैं। वे खुद को इतना खींचते रहते हैं कि बिलकुल ही थक जाते हैं। तब वे सोचते हैं कि अब व्यक्ति को किसी सेंटर में डालना पड़ेगा, अब हमसे एक पल भी और नहीं काम हो पायेगा। उस वक्त वे बिलकुल टूटने के पॉइंट पर होते हैं और उन्हें व्यक्ति की सूरत देखती ही थकान होने लगती है। पर भारत में अच्छी संस्थाएं बहुत कम हैं, और उनमें व्यक्ति के लिए रिक्त स्थान मिले या नहीं, यह तो चांस की बात है। अगर परिवार ने पहले से ही सेंटर में डालने के बारे में सोचा हो तो इतनी जल्दी नहीं होती है और अच्छी जगह ढूंढ़ने के लिए ज्यादा टाइम मिलता है। अपने को इतना न थकाएं कि टूटने वाले हों और फिर आपको जल्दबाजी हो। पहले से ही पहचानें कि कुछ दिनों बाद ऐसे विकल्प की जरूरत होगी, और ढंग से अलग अलग होम देख कर मूल्यांकन करें, ताकि व्यक्ति को ठीक से किसी अच्छी जगह एडजस्ट करवा पाएं। अच्छी, उपयुक्त जगह ढूँढने में टाइम लगता है, यह न भूलें। यह भी याद रखें कि शायद व्यक्ति को वहाँ कई साल रहना होगा, और जल्दी में ढूंढी जगह ठीक न निकली तो सभी को दिक्कत होगी। खर्चा कितना होगा, आप कब तक संभाल सकेंगे, यह भी सोच लें।

यह भी हो सकता है कि उपयुक्त जगह ना भी मिले, आपको तब भी व्यक्ति को कहीं रखना पड़े। ऐसी स्थिति में सेंटर के मैनेजमेंट से जितनी अच्छी डील मिल सके, उतनी अच्छी डील करें। सेंटर में जो कमियां हैं उनको ऊपर के इंतजाम से ठीक करने कि कोशिश करें। जैसे कि, व्यक्ति के लिए अलग से एक एक्स्ट्रा सहायक रखना, व्यक्ति ठीक हैं या नहीं, इसको वीडियो स्काइप टॉक से चेक करना, व्यक्ति के कमरे को उनके अनुरूप सजाना, इत्यादि। नियमित रूप से चेक करें। अगर परिवार वाले नियमित रूप से प्रियजन के बारे में पूछते हैं और रुचि दिखाते हैं, तो सेंटर भी उस व्यक्ति की ज्यादा अच्छी देखभाल करते हैं। अगर परिवार वाले व्यक्ति को छोड़कर चले जाते हैं और हर महीने सिर्फ पैसे भेजते हैं, तो व्यक्ति की देखभाल पर सेंटर मैनेजमेंट भी ज्यादा ध्यान नहीं देती।

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इन्हें भी देखें।

हिंदी पृष्ठ, इसी साईट से:

घर पर प्रशिक्षित सहायक का उपयोग

भारत में प्रमुख संस्थाओं, उपलब्ध साधन और सेवाओं के लिए देखें: भारत में डिमेंशिया देखभाल के लिए साधन और संस्थाएं और आपके शहर में संसाधन

इस विषय पर हमारे अन्य वेबसाइट से सामग्री: ये सब अंग्रेज़ी पृष्ठ भारत में देखभाल के संदर्भ में लिखे गए हैं।

कुछ उपयोगी इंटरव्यू:

  • डिमेंशिया डे केयर सेंटर में क्या होता है, एक समाज सेविका का वर्णन: Care in a dementia day care centre Opens in new window.
  • व्यक्ति के निदान के बाद, कुछ दिन व्यक्ति को रिस्पईट केयर में रख कर घर को देखभाल के लिए तैयार करना: एक परिवार की कहानी: A family recognizes dementia and adjusts for it Opens in new window.
  • सहायक, डे केयर, रिस्पईट केयर, इन सब सेवाओं के उपयोग से एक वृद्ध देखभाल कर्ता पत्नी को दूर रहते परिवार वाले समर्थन देते हैं: A son talks of supporting his caregiver mother Opens in new window.

इस पृष्ठ का नवीनतम अँग्रेज़ी संस्करण यहाँ उपलब्ध है: Using various dementia/ home care servicesOpens in new window. अंग्रेज़ी पृष्ठ पर आपको विषय पर अधिक सामयिक जानकारी मिल सकती है। कई उपयोगी अँग्रेज़ी लेखों, संस्थाओं और फ़ोरम इत्यादि के लिंक भी हो सकते हैं।

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डिमेंशिया केयर नोट्स (हिंदी )