शुरू की अवस्था में डिमेंशिया (मनोभ्रंश) से ग्रस्त व्यक्ति इतने सामान्य नज़र आते हैं कि आस-पास के लोग अकसर भूल ही जाते हैं कि इस व्यक्ति को कोई ऐसी बीमारी है जिसके कारण उनके मस्तिष्क को हानि पंहुच चुकी है, और यह हानि बढ़ रही है। निदान को जानने के बावजूद, व्यक्ति के परिवार वाले और अन्य लोग व्यक्ति के अप्रत्याशित व्यवहार या काम में हो रही दिक्कतों को देख कर यह नहीं सोचते कि यह शायद किसी रोग के कारण हैं। उल्टा लोग सोचते हैं कि यह व्यक्ति ज़िद्द कर रहे हैं, या पूरी तरह कोशिश नहीं कर रहे हैं, या व्यक्ति उनसे नाराज़ हैं या उन्हें दुःख पंहुचाना चाहते हैं। इसलिए परिवार वाले चिड़चिड़ा जाते हैं या मायूस हो जाते हैं, और उनकी भावनाओं को देख, डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति अधिक परेशान हो जाते हैं। अगर घर-बाहर के माहौल से व्यक्ति को अपने काम करने में दिक्कत हो रही हो, तो उससे भी व्यवहार में फ़र्क पड़ सकता है।
डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति कभी कभी अजीब तरह से क्यों पेश आते हैं, देखभाल करने वाले यह समझ सकें, इसके लिए इस पृष्ठ पर कुछ तथ्य दिए गए हैं। इस पृष्ठ का उद्देश्य आपको बस व्यक्ति की दिक्कतों के बारे में अंदाजा देना है। यह समझने पर परिवार वाले सोच सकते हैं कि घर के माहौल में, और व्यक्ति की मदद करने में किस तरह के बदलाव संभव हैं जिन से व्यक्ति सुरक्षित भी रहें, और जितना ओ सके, अपने काम भी खुद कर पाएं। यह भी देख सकें कि व्यक्ति खुद को और दूसरों को नुकसान न पहुंचाएं, इस के लिए क्या करा जा सकता है। यहाँ कोई पूरी सूची नहीं है, न ही किसी व्यक्ति की हर समस्या को समझने का तरीका है। व्यक्ति पर उनके रोग के कारण क्या बीत रही है, और व्यक्ति अजीब व्यवहार क्यों दिखा रहे हैं, यह तो उनके समीप के परिवार वाले ही अंदाजा लगा सकते है। ऐसे भी कई संसाधन और समुदाय हैं (support groups) जहाँ व्यक्ति का व्यवहार रोग के कारण किस किस प्रकार से बदल सकता है, इस विषय पर चर्चा होती है। आप इनसे और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
- डिमेंशिया में मस्तिष्क में हानि होती है.
- डिमेंशिया का काम करने की काबिलीयत पर असर.
- डिमेंशिया का व्यक्ति की भावनाओं पर असर.
- घर-बाहर का वातावरण, अन्य लोगों के साथ मिलना जुलना, और उनकी उम्मीदें, इन सब का भी व्यक्ति के व्यवहार पर असर पड़ता है.
- व्यक्ति डिमेंशिया में क्या अनुभव करते हैं: कुछ आपबीती.
- देखभाल करने वाले क्या याद रखें.
- बदले व्यवहार संबंधी शब्दावली.
- इन्हें भी देखें.
डिमेंशिया में मस्तिष्क में हानि होती है
डिमेंशिया का व्यक्ति के व्यवहार पर क्या असर हो सकता है, यह समझने के लिए हमें यह स्वीकार करना होगा कि डिमेंशिया के लक्षण ऐसे रोगों के कारण होते हैं जिन में मस्तिष्क की हानि होती हैं। व्यवहार का बदलाव इस हानि की वजह से होता है। किस व्यक्ति में कौन से लक्षण नज़र आते हैं, यह इस बात पर निर्भर है कि मस्तिष्क के किस भाग में और कितनी हानि हुई है।
हमारे मस्तिष्क में करोड़ों कोशिकाएं हैं जो निरंतर एक दूसरे को सन्देश भेजती हैं और इसी के कारण हम बातें समझ सकते हैं और अपने सब कार्य कर पाते हैं।
मस्तिष्क के भिन्न भिन्न भाग अलग अलग काम करे में उत्तीर्ण हैं।
डिमेंशिया पैदा करने वाले रोग मस्तिष्क पर असर करते हैं। मस्तिष्क के किस भाग में कितनी हानि हुई हैं, और यह हानि समय के साथ कैसे बढ़ेगी, यह इस पर निर्भर है कि डिमेंशिया किस रोग के कारण है।
चित्र का सौजन्य: National Institute on Aging/National Institutes of Health
समय के साथ रोग के कारण मस्तिष्क की हानि बढ़ती जाती है। लक्षण भी उसी प्रकार बढते हैं।
इस बढ़ती हानि को समझने के लिए नीचे दिए गए चित्र देखें। इन में अल्जाइमर से ग्रस्त व्यक्तियों के मस्तिष्क दिखाए गए हैं। अल्जाइमर रोग डिमेंशिया के लक्षण पैदा करने वाले रोगों में सबसे प्रमुख रोग है (चित्र National Institutes of Health के सौजन्य से हैं)।
चित्रों में देखें: प्री -क्लीनिकल अल्जाइमर रोग; शुरुआती और मंद अल्जाइमर रोग; और गंभीर अग्रिम अवस्था का अल्जाइमर रोग।
डिमेंशिया का काम करने की काबिलीयत पर असर
वर्णन | व्यवहार पर प्रभाव | |
चित्र का सौजन्य: National Institute on Aging/National Institutes of Health | डिमेंशिया अनेक रोगों के कारण हो सकता है। रोग के बढ़ने का असर हर व्यक्ति में अलग तरह से प्रकट होता है। किसी व्यक्ति में मस्तिष्क के किसी भाग में ज्यादा हानि होती है, तो किसी और में हानि किसी अन्य भाग में होती है। | हर व्यक्ति अलग समस्याओं का सामना करता है जैसे कि, किसी को बोलने में ज्यादा दिक्कत होती है, तो किसी को चलने में। समय के साथ, व्यक्ति की सभी क्षमताओं पर असर पड़ने लगता है। |
चित्र का सौजन्य: National Institute on Aging/National Institutes of Health | रोग के बिगड़ने से मस्तिष्क की हानि बढ़ती जाती है। | जैसे जैसे मस्तिष्क के भागों में हानि बढ़ती है, वैसे वैसे उस भाग से सम्बंधित क्षमताएं कम होती जाती हैं। दिन के जरूरी काम करना मुश्किल होता जाता है। बातचीत में दिक्कत होने लगती है, उठने/ बैठने में दिक्कत बढ़ जाती है, खाना चबाने में भी दिक्कत हो सकती है, व्यक्तित्व बदलने लगता है, सोचने और समझने पर असर होने लगता है, वगैरह। स्थिति बिगड़ती रहती है। अग्रिम अवस्था में व्यक्ति सब कामों के लिए पूरी तरह से दूसरों पर निर्भर हो जाते हैं और उनका बोल पाना भी अकसर बंद हो जाती है। |
हरेक काम के लिए हमें कई छोटे कदम लेने होते हैं। इन सूक्ष्म कदमों में से कोई एक कदम भी छूट जाए तो काम अधूरा रह जाता है। | यदि रोग के कारण व्यक्ति किसी एक कदम को पूरा करने में नाकाम हों, या वे कदम भूल जाएँ, तो व्यक्ति वह काम अकेले, बिना सहायता के नहीं कर सकेंगे। | |
हर काम के लिए शरीर के विभिन्न अंगों को समन्वय से काम करना होता है। उदाहरणतः गैस स्टोव जलाने कि लिए लाइटर को बर्नर के पास ले जाकर नॉब को घुमाना होता है, और ठीक उसी वक्त लाइटर का बटन दबाना होता है। जैसे जैसे रोग बढ़ता है, व्यक्ति के शरीर के विभिन्न अंगों का आपस में ताल-मेल भी कम हो जाता है। | व्यक्ति बारीकी और पेचीदगी वाले काम करने में दिक्कत महसूस करते हैं, और अपनी कोशिश में नाकाम होने पर निराश और परेशान हो जाते हैं। दुर्घटना भी हो सकती है। | |
हम सभी के काम करने की क्षमता पर हमारे मूड, स्वास्थ्य की स्थिति,और ऊर्जा में होती ऊँच-नीच का असर पड़ता है, पर हम इस बात से ज्यादा चिंतित नहीं होते। हैं डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्तियों में कोई भी कार्य करते समय यह उतार-चढ़ाव काफी स्पष्ट नज़र आता है, और वे कई बार कुछ कार्य बिलकुल ही नहीं कर पाते। कुछ प्रकार के डिमेंशिया में, जैसे कि लुई बॉडी डिमेंशिया (Lewy Body Dementia), ऐसे उतार चढ़ाव ज्यादा पाए जाते हैं। | जब हम डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति से बात करते हैं, तो अकसर पाते हैं कि उन्हें जो बात एक दिन अच्छी तरह से और सही याद होती है, वह दूसरे दिन बिलकुल याद नहीं होती है। या जो काम वे आज कर पाते हैं वे अगले दिन नहीं कर पाते। यदि हम यह जानते हों कि ऐसे उतार चढ़ाव डिमेंशिया में अकसर पाए जाते हैं तो हम इन्हें आलस या जिद्दीपन्न नहीं समझेंगे, और इनसे परेशान नहीं होंगे। | |
डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति अनेक कारणों से घबरा सकते हैं या कंफ्यूस हो सकते हैं, जैसे कि याददाश्त की कमजोरी, शोर से घबरा जाना, लोगों को पहचान नहीं पाना, चेहरे की भावनाओं को समझ नहीं पाना, समय और जगह के बारे में कन्फ्यूज होना, वस्तुओं को नहीं पहचानना, वगैरह। | इससे अनेक समस्याएँ पैदा हो सकती हैं, जैसे कि
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व्यक्ति को अकसर बात करने में दिक्कत होती ही। उन्हें सही शब्द नहीं सूझते, या वे उलटे या अजीबो-गरीब शब्द का प्रयोग करते हैं। आप कुछ कहें, तो भी उन्हें शायद यह न समझ आए कि आप किस वस्तु की बात कर रहे हैं, या किस काम के बारे में बात कर रहे हैं। वे अपनी जरूरत नहीं बता पाते। कुछ व्यक्ति कभी कभी अपनी जरूरत खुद ही नहीं समझा पाते, जैसे कि क्या उन्हें भूख या प्यास लगी है, क्या उन्हें ठंड लग रही है या गर्मी, वगैरह। अगर व्यक्ति किसी तकलीफ में हों, या उनकी तबीयत खराब हो, तब भी वे यह बात परिवार वालों को नहीं बता पाते। | तकलीफ में होने के कारण व्यक्ति के काम करने की क्षमता पर और भी असर पड़ता है, पर क्योंकि व्यक्ति ने किसी को अपनी तबीयत खराब होने के बारे में नहीं बताया है, इसलिए आस पास के लोग समझ नहीं पाते कि व्यक्ति आज फ़र्क तरह से क्यों पेश आ रहे हैं। देखभाल वाले यह नहीं जान पाएंगे कि व्यक्ति को आराम या उपचार की जरूरत है। | |
डिमेंशिया के कई प्रकारों में व्यक्ति हाल ही में हुई घटनाओं को भूल जाते हैं। ऐसे में वे जब कुछ याद करने की कोशिश करते हैं तो कभी कभी अपनी यादों के बीच की दरारों को (बिना जाने) काल्पनिक घटनाओं से भर देते हैं। | व्यक्ति कई बार लोगों को और जगहों को पहचान नहीं पाते, अपने घर और परिवार वालों को भी नहीं। | |
कई व्यक्तियों के लिए नई बातें समझना और याद करना मुश्किल हो जाता है। | नए काम सीखना, नए उपकरण इस्तेमाल करना, नई जगहों में रस्ते समझना, इन सब में व्यक्ति को बहुत कठिनाई हो सकती है। नए लोगों से मिलने से, नई जगह जाने से, उन को तनाव भी हो सकता है। वे घबरा या बौखला सकते हैं, या सहम कर खुद में सिकुड सकते हैं। | |
कई प्रकार के डिमेंशिया में समाज में कैसे बात करते हैं, यह काबिलीयत रोगियों में काफी देर तक बनी रहती है। | बाहर वालों के बीच, व्यक्ति कभी कभी प्रश्नों को टाल कर अपनी याददाश्त की समस्याओं को छुपा पाते हैं।साधारण, छोटी मोटी मुलाकातों में व्यक्ति मेहमानों को सामान्य लगते हैं। | |
डिमेंशिया के कुछ प्रकार में, जैसे कि फ्रंटोटेम्पोरल में (Fronto Temporal Dementia) व्यक्ति के मस्तिष्क में उस भाग में हानि होती है जो व्यवहार का नियंत्रण करता है। उस भाग में भी हानि हो सकती है जिससे व्यक्ति औरों की भावनाओं को समझ पाते हैं या उनकी कद्र कर पाते हैं। | मस्तिष्क की हानि के कारण ये रोगी यह भूल सकते हैं कि लोगों के साथ सभ्यता से कैसे पेश आएँ। वे अपने आवेग को नहीं संभाल पाते। वे अश्लील हरकतें कर सकते हैं, गालियाँ दे सकते हैं, कपड़े उतार सकते हैं, और पुरुष रोगी औरतों के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश भी कर सकते हैं। व्यक्ति लोगों की भावनाओं को भी शायद न समझ पाएँ, और उनकी कद्र न करें। वे शायद अजीब ढंग से बात करें या कटे कटे रहें। ऐसे व्यवहार से अकसर लगता है कि व्यक्ति का चरित्र बदल गया है, और व्यक्ति अब “बुरा आदमी” है। परिवार वालों को शर्मिंदगी भी उठानी पड़ सकती है, और आस पास के लोग खतरा या घिन्न महसूस कर सकते हैं। व्यवहार मस्तिष्क की हानि के कारण है, इस पर लोग शायद यकीन न करें। | |
कुछ प्रकार के डिमेंशिया में (जैसे कि लुई बॉडी), विभ्रम (hallucinations) एक आम लक्षण है। लोग ऐसी वस्तुएँ देखते हैं जो मौजूद नहीं हैं। मिथ्या विश्वास (delusions) और व्यामोह (भ्रान्ति, संविभ्रम, paranoia) भी कई डिमेंशिया में आम लक्षण हैं। | कभी कभी व्यक्ति जब ऐसी चीज़ देखते हैं जो मौजूद नहीं है, तो संदर्भ के कारण पहचान जाते हैं कि उन्हें भ्रम हो रहा है, पर कभी कभी वे उसे सच्चाई भी मान सकते हैं और डर सकते हैं या कुछ गलती कर सकते हैं। जैसे कि अगर व्यक्ति गाड़ी चला रहे हैं और उन्हें लगे कि सामने एक कि बजाय चार सड़क हैं, तो एक्सीडेंट भी हो सकता है। मिथ्या विश्वास–जो सच नहीं है उसको सच मानना– के कारण वे लोगों को चोर या कातिल कह सकते हैं। भ्रान्ति के कारण वे भयभीत या आक्रामक हो सकते हैं। सब पर शक कर सकते हैं। सच क्या है, झूठ क्या, यह उन्हें समझाना बहुत कठिन हो सकता है। | |
बार बार कोई बात दोहराना या कोई क्रिया करना भी डिमेंशिया का एक आम लक्षण है। ऐसे दोहराने वाला व्यवहार कई कारणों से हो सकता है, जैसे कि भूल जाना कि यह बात पहले बात कही थी, बोरियत होना, घबराहट, दुष्चिन्ता, व्यग्रता, उत्तेजना, अपनी असली जरूरत न बता पाना, वगैरह। | कुछ उदाहरण: एक बात बार बार दोहराना, एक ही प्रश्न बार बार पूछना, एक काम बार बार करते रहना। कई बार यह दोहराना किसी को नुकसान नहीं पंहुचाता। परन्तु कुछ ऐसे व्यवहार से समस्या हो सकती है, जैसे कि अगर व्यक्ति बार बार नाश्ता मांगे और खा भी ले, या दवाई बार बार ले ले। यह व्यवहार थका भी सकता है, जैसे के सूटकेस बार बार पैक और अनपैक करना। | |
कई डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति शाम या रात के आते ही बेचैन और परेशान होने लगते हैं। इसको “sundowning” (सनडाउनिंग या सूरज डूबने पर होने वाली क्रिया) कहते हैं। इसके कारण सही तरह से तो मालूम नहीं हैं, पर विशेषज्ञों का मानना है कि कारण अनेक हैं, जैसे कि दिन के अंत की थकावट, बाथरूम जाने की ज़रूरत, अँधेरे से घबराहट, शरीर के “body clock” में गडबड, वगैरह। | शाम आते ही व्यक्ति परेशान लगने लगते हैं। वे उत्तेजित हो सकते हैं, बेचैन हो सकते हैं, चहल-कदमी करने लगते हैं। या मायूस हो जाते हैं। या चिल्लाने लगते हैं या बडबडाने लगते हैं।वे चैन से बैठ नहीं पाते, सो नहीं पाते। कई बार यह सिलसिला रात को देर तक चलता है, और व्यक्ति और परिवार वाले दोनों थक जाते हैं। | |
डिमेंशिया वाले व्यक्ति स्वयं को असुरक्षित समझ सकते हैं। ऐसे में व्यक्ति चिपकू से हो जाते हैं, देखभाल कर्ता पर जरूरत से ज़्यादा निर्भर रहने लगते हैं। या उलट कर वे देखभाल करने वाले से ही डरने लगते हैं और हमले या दुर्व्यवहार के डर में रहते हैं और खुद को बचाने की कोशिश में लगे रहते हैं। वे देखभाल करने वाले पर हमला भी कर सकते हैं। | कुछ लोग चीज़ें छुपाने लगते हैं या बेवजह जमा-खोरी करने लगते हैं। जो वे जमा कर रहे हैं, वे वस्तु मूल्यवान हो, ऐसा ज़रूरी नहीं, पर अगर कोई उनकी छुपाई या जमा करी हुई वस्तु को छेड़े, तो वे एकदम उत्तेजित हो सकते हैं। वे औरों पर चोरी का या बुरे इरादों का इलज़ाम भी लगा सकते हैं। यह भी कह सकते हैं कि उनके साथ दुराचार हुआ है या उनकी अपेक्षा करी गयी है। असुरक्षित महसूस करने वाले रोगी कभी कभी देखभाल कर्ता के पीछे पीछे चलते रहते हैं, उसे अकेला नहीं छोड़ते (trailing, shadowing)। यदि देखभाल करने वाले के पीछे नहीं रह पाते तो बेचैन और परेशान हो जाते हैं, बार बार आवाज़ देते हैं, बुलाते हैं, उत्तेहोत भी हो सकते हैं। देखभाल करने वालों के लिए बाहर जाना तो दूर, बाथरूम तक जाना भी मुश्किल हो सकता है। | |
बात-बेबात व्यक्ति बड़े अजीबो-गरीब तरह से पेश आ सकते हैं। वे शायद बिलकुल ही अपने-आप में सिकुड जाएँ, और परिवार वालों से कह दें, मुझे अकेला छोड़ दो। या शायद वे बहुत विचलित हो जाएँ, उग्र हो जाएँ, गुस्सा दिखाएँ, चिल्लाएं, जब कि परिवार वालों को लगे कि भई ऐसा तो कुछ नहीं हुआ था, ये इतना क्यों बौखला रहे हैं! | डिमेंशिया वाले व्यक्ति की भावनाएं अनेक बातों से प्रभावित हो सकती हैं। आस-पास के लोग शायद इन बातों के असर को पहचान न पाएँ। इस विषय पर अगले सेक्शन में अधिक चर्चा है। |
डिमेंशिया का व्यक्ति की भावनाओं पर असर.
डिमेंशिया के कारण व्यक्ति की भावनाओं पर कई तरह से असर हो सकते हैं।
हमारे मस्तिष्क के कुछ भागों का काम है भावनाओं को पैदा करना और उनपर संयम रखना। यदि डिमेंशिया के कारण मस्तिष्क के इन भागों की हानि हुई है, तो व्यक्ति अपनी भावनाओं को संभाल नहीं पाते। अन्य लोगों के चेहरे और हाव-भाव से उनकी भावनाएँ जान पाने के काम के लिए भी हम अपने मस्तिष्क के कुछ भागों का इस्तेमाल करते हैं। यदि यह भाग ठीक काम न कर रहे हों, तो व्यक्ति यह नहीं जान पाते कि और लोग क्या महसूस कर रहे हैं। वे लोगों के प्रति उदासीन हो जाते हैं, और कटे कटे रहते हैं। इस प्रकार के डिमेंशिया में ऐसा लगता है कि व्यक्ति को औरों की कोई चिंता ही नहीं और वे कुछ भी महसूस नहीं कर रहे हैं।
आस पास के लोगों से कैसे बात करें, बड़ों से क्या कहें, छोटों से क्या कहें, क्या उचित है और क्या नहीं, यह भी हमारे मस्तिष्क द्वारा ही संचालित होता है। कुछ प्रकार के डिमेंशिया में (जैसे कि फ्रंटोटेम्पोरल), मस्तिष्क की हानि के कारण व्यक्ति का व्यवहार बहुत बदल जाता है। वे गाली देने लगते हैं, अश्लील भाषा का इस्तेमाल करते हैं, भद्दी हरकतें भी कर सकते हैं। आस पास वाले सोच सकते हैं कि इस डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति का चरित्र बिगड गया है। परन्तु यह बदलाव मस्तिष्क के कुछ भागों की हानि की वजह से हुआ है।
यह भी हो सकता है कि व्यक्ति इसलिए उत्तेजित या मायूस हों क्योंकि उनकी क्षमताएं बदल रही हैं और उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि उनके साथ यह क्या हो रहा है, या वे अपनी इस बिगड़ती हालत से दुखी हैं। उन्हें लग सकता है कि उनका अस्तित्व ही कुछ कम हो रहा है और वे बार बार अपने आप को असमंजस में पाते हैं और अपना काम ठीक से नहीं कर पाते या आस पास क्या हो रहा है, वे नहीं समझ पाते।
जब व्यक्ति देखते हैं कि वे साधारण काम भी ठीक से नहीं कर पा रहे, तो उन्हें निराशा होती है, और कभी शर्म आती है तो कभी गुस्सा आता है। वे यह नहीं समझ पाते या याद रख पाते हैं कि उन्हें डिमेंशिया है, डिमेंशिया का मतलब क्या है, और इसका उनपर क्या असर हो रहा है।
याददाश्त की कमजोरी की वजह से व्यक्ति बात बात पर औरों पर शक करने लगते हैं। अगर उन्हें यह याद नहीं रहा है कि उन्होंने खाना खाया था, तो वे सोचते हैं कि उन्हें भूखा मारा जा रहा है, और वे बार बार खाना मांगते हैं और बाहर वालों से शिकायत भी करते हैं कि घर वालें उनकी देखभाल ठीक से नहीं कर रहे हैं। वे सोच सकते हैं कि परिवार वाले उनकी जायदाद हड़पने की कोशिश कर रहे हैं और उनकी जान को खतरा है।
जगह और मौके की पहचान खोने की वजह से वे कभी कभी अनुचित व्यवहार भी करते हैं, जैसे कि खुले आम कपडे उतारना।
कभी कभी व्यक्ति की निराशा या उसका गुस्सा सीमा पार कर देता है और रोगी अत्यधिक उत्तेजित हो जाते हैं और बिलकुल ही काबू के बाहर हो जाते हैं। इसे “catastrophic behaviour” भी कहते हैं और इस स्थिति में व्यक्ति को संभालना बहुत ही मुश्किल होता है।
क्योंकि भावनाओं पर नियंत्रण रखने का काम भी मस्तिष्क ही करता है, और उस भाग में भी हानि हो सकती है, तो जब व्यक्ति उत्तेजित हो जाते हैं तो उन्हें उस उत्तेजना से उन्हें उभारना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। किसी भी तीव्र भावना से ब्यक्ति को उभारना बहुत ही मुश्किल हो जाता है, चाहे वे बहुत गुस्से में हों या बहुत दुखी हों।
डिमेंशिया का व्यक्ति पर क्या प्रभाव होता होगा, यह समझने के लिए हमें शायद कुछ पल उनकी स्थिति में अपने आप को डालना होगा।
सोचिये, अगर आपको यही नहीं पता कि आज क्या तारीख है या कौन सा साल है, या आपके पास जो ये अजनबी से लोग हैं ये क्यों कह रहे हैं कि यह आपके परिवार वाले हैं, तो आपको कैसा लगेगा! आप बोलना चाहते हैं तो सही शब्द नहीं सूझता। मदद मांगते हुए डर भी लगता है, और शर्म भी आती है। आप सोचते है, कहीं मैं पागल तो नहीं हो रहा? या सोचते हैं, यह सब लोग झूट बोल कर मुझे बेवक़ूफ़ क्यों बना रहे है? और इस घबराहट को आप किसी के साथ बाँट भी नहीं पाते। आपको हर काम करने में ज्यादा समय लग रहा है, हर काम में दिक्कत हो रही है, पर आस-पास के लोग आपसे पहले जैसी ही बात करने की और काम करने की उम्मीद रखते हैं, और जब आप नहीं कर पाते, तो वे झल्ला जाते हैं।
यदि आप इस तरह अपने आप को डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति के स्थान में रख कर कुछ देर कल्पना करेंगे, तब व्यक्ति की हालत समझने में आपको आसानी होगी, और उसके साथ से कैसे पेश आएँ, यह सोचने में भी आसानी होगी।
घर-बाहर का वातावरण, अन्य लोगों के साथ मिलना जुलना, और उनकी उम्मीदें, इन सब का भी व्यक्ति के व्यवहार पर असर पड़ता है.
एक गलती जो आम है वह है यह सोचना कि बदला व्यवहार एक एकाकी समस्या है, जिसे अलग से सुलझाना है। हम यह नहीं समझ पाते कि व्यवहार के अनेक कारक होते हैं, और सिर्फ व्यक्ति को जिम्मेदार ठहराना गलत है। अगर हम यह समझ पाएँ कि व्यवहार अंदरूनी हालत और बाहर की परिस्थिति दोनों के कारण होता है, और व्यवहार एक प्रतिक्रिया है, तब हम सोच पायेंगे कि हम परिस्थिति में क्या बदल सकते हैं जिससे व्यवहार पर असर पड़े।
व्यक्ति का वातावरण व्यवहार का एक महत्वपूर्ण कारक है। यदि घर ऐसा है कि व्यक्ति को एक कमरे से दूसरे कमरे में जाने में दिक्कत हो, या अपनी जरूरत की वस्तुएँ न मिल रही हों, या बाथरूम के रास्ते में अँधेरा हो, तो व्यक्ति बेचैन होंगे। घर में ऐसे परिवर्तन हों जिनसे व्यक्ति अधिक स्वतंत्र और सक्षम महसूस करें, और सुरक्षित भी, तो व्यक्ति कम उत्तेजित या निराश होंगे।
आसपास के लोगों की उम्मीदों का और प्रतिक्रियाओं का व्यक्ति पर असर होता है। यदि परिवार वाले यह उम्मीद लगाए बैठे हैं कि व्यक्ति उनकी बातें समझेंगे और निर्देश याद रखेंगे, या सोचते हैं कि व्यक्ति पहले जैसे ही सब काम कर पायेंगे, तो यह अनुचित उम्मीदें व्यक्ति पर दबाव डालेंगी। परिवार वाले भी चिड़चिड़ाहट / गुस्सा/ निराशा महसूस करेंगे और व्यक्ति इसको भांप जायेंगे और इससे भी उनका व्यवहार बदलेगा। व्यक्ति भावुक हो सकते हैं, उत्तेजित हो सकते हैं, उदासीन हो सकते हैं। अगर परिवार वाले डिमेंशिया की सच्चाई समझें और स्वीकारें, तो व्यक्ति से इस किस्म की उम्मीदें नहीं रखेंगे और व्यक्ति को उन के कारण तनाव नहीं होगा, और व्यवहार भी फ़र्क होगा।
डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति के व्यवहार को समझने के लिए सभी पहलुओं पर गौर करें। डिमेंशिया के कारण व्यक्ति को हो रही दिक्कतें, व्यक्ति को क्या कोई अन्य बीमारी है या दर्द/ तकलीफ है, घर में चलने की और काम करने की व्यवस्था के व्यक्ति के अनुकूल है, व्यक्ति कार्य कैसे करते हैं, औरों से बातचीत और मिलने-जुलने में किस तरह की स्थितियाँ होती हैं, व्यक्ति पर कोई अनुचित दबाव तो नहीं, और लोग व्यक्ति के साथ कैसे पेश आए रहे हैं, वगैरह। व्यवहार हमेशा किसी संदर्भ में होता है, और न तो एकाकी में समझा जा सकता है न ही बदला जा सकता है। यह मत सोचें कि समस्या सिर्फ व्यक्ति तक ही सीमित है और दवाई से, विनती करने से, समझाने से, डांटने से, व्यवहार फिर सामान्य हो जाएगा। पूरी तरह समझें, तब देखें कि आप क्या बदल सकते हैं जिससे व्यक्ति का व्यवहार बदले, और आप अपनी उम्मीदें कैसे अधिक वास्तविक बना सकते हैं।
कोविड जैसी उच्च तनाव की स्थिति का भी व्यक्ति पर असर पड़ता है, क्योंकि कोविड जैसेई स्थिति में घर एण्ड बाहर बहुत बदलाव हुते हैं, दैनिक दिनचर्या बदल जाती है, और इन सब से व्यक्ति का व्यवहार भी बदल सकता है। ऐसे में अनेक पहलुओं के बारे में सोचना होता है, जैसे कि व्यक्ति को संक्रमण से कैसे बचाए रखें और घर और देखभाल में किस तरह के परिवर्तनों से व्यक्ति पर स्थिति का असर कम करा जा सकता है।
व्यक्ति डिमेंशिया में क्या अनुभव करते हैं: कुछ आपबीती.
यदि हम डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति के अनुभव जान पाएँ, यदि उनके नज़रिए से देख पाएँ कि उन्हें किस तरह की दिक्कतें हो रही हैं, उन को क्या डर लगता है, किस बात से वे हताश होते है, इत्यादि, तो हम देखभाल करते वक्त अधिक संवेदनशील हो पायेंगे, और अधिक कारगर भी, क्योंकि हम सोच पायेंगे कि देखभाल में क्या क्या अंतर लाएं। कुछ डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्तियों ने अपने निजी अनुभव पुस्तकों, ब्लॉग, और वीडियो के माध्यम से बांटे हैं। यह सब अनुभव उन लोगों के हैं जो डिमेंशिया के प्रारंभिक अवस्था में हैं, पर ऐसी आपबीती से भी डिमेंशिया होना कैसा लगता है, इसकी जानकारी मिलती है।
डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्तियों की आपबीती अँग्रेज़ी की पुस्तकों, ब्लॉग, और वीडियो में उपलब्ध हैं: लिंक के लिए इस पृष्ठ के अँग्रेज़ी संस्करण को देखें।
देखभाल करने वाले क्या याद रखें.
जब देखें कि डिमेंशिया वाले व्यक्ति का व्यवहार अजीब है, तो नीचे दिए गए पॉइंट याद करने से स्थति से जूझने में आसानी होगी।
- व्यक्ति के मस्तिष्क को हानि पंहुच चुकी है। आप इस हानि को देख नहीं सकते, पर यह हानि वास्तविक है। जैसे कि आप किसी हृदय-रोगी का दिल नहीं देख सकते पर फिर भी आपको याद रहता हैं कि हृदय-रोगी भारी वज़न नहीं उठा सकते, वैसे ही आपको याद रखना होगा कि डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति को समझने और सोचने में दिक्कत होती है।
- अधिकांश लोग जब कुछ काम करते हैं या कुछ कहते हैं, तो वे जानते हैं कि वे क्या कर रहे हैं और अपने किसी इरादे से ही काम करते हैं। इसलिए अगर किसी ने आपसे कोई बुरी बात कही है तो आप उसे उसके लिए जिम्मेवार समझते हैं। पर यदि किसी को डिमेंशिया है, तो ऐसा मानना ठीक नहीं होगा, क्योंकि डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति के काम किसी स्पष्ट इरादे से हों, यह जरूरी नहीं। क्योंकि व्यक्ति ठीक से सोच-समझ नहीं पाते, उनका व्यवहार साधारण तर्क द्वारा नहीं समझा जा सकता।
- डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति अगर काम धीरे कर रहे हैं, या चकराए हुए लग रहे हैं और हमारी बात नहीं समझ रहे, तो वे यह व्यवहार आपको परेशान करने के लिए नहीं कर रहे। उनका दिमाग उनका साथ नहीं दे रहा, और उन को हर काम में दिक्कत हो रही है। यदि किसी का दिमाग उसका साथ न दे, तो उसे भी ऐसे ही दिक्कत होगी।
- हो सकता है कि यदि आज व्यक्ति रोज से ज्यादा परेशान हैं, तो उसका कोई ऐसा कारण है जो व्यक्ति आपको बता नहीं पा रहे हैं।
- अगर व्यक्ति परेशान या उत्तेजित हैं, तो आपको इससे यह समझना चाहिए कि व्यक्ति को मदद की जरूरत है।
- आपका दिमाग ठीक है, इसलिए आप रोगी की स्थिति समझ सकते हैं। पर डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति (जिसके मस्तिष्क में हानि हो चुकी है) आपकी बात कैसे समझे? व्यक्ति से यह उम्मीद रखना तो गलती होगी।
- यह तो आपको ही सीखना होगा कि व्यक्ति से बातचीत कैसे करें, उनकी मदद कैसे करें, और उन के बदले व्यवहार को कैसे संभालें। डिमेंशिया के कारण व्यक्ति नई चीज़ें नहीं सीख सकते, यह तो डिमेंशिया का माना हुआ लक्षण है, इसलिए स्थिति को संभालने के लिए तौर-तरीके बदलने की जिम्मेवारी आपकी ही है।
- यदि व्यक्ति ऐसा अनुचित व्यवहार कर रहे हैं जो आरों को अटपटा लगे, या अभद्र या अश्लील हरकतें कर रहे हैं, या औरों के प्रति विमुख/ उदासीन हैं, तो यह भी डिमेंशिया के कारण है, क्योंकि व्यक्ति के मस्तिष्क के उस भाग में हानि है जो नियंत्रित करती है कि हम समाज में कैसे आपस में मिल-जुल कर रहें। आखिर भावनाओं का नियंत्रण भी तो मस्तिष्क द्वारा ही होता है।
- शायद हमारे व्यवहार भी व्यक्ति पर किसी किस्म का जोर डाल रहा हो, जैसे कि हमारी निराशा, चिड़चिड़ाहट, चेहरे पर दबा गुस्सा या दुःख। शायद हमारी व्यक्ति से जो उम्मीदें हैं वे अनुचित हैं, और व्यक्ति का तनाव इससे बढ़ रहा है।
- शायद घर की व्यवस्था व्यक्ति की ज़रूरतों और काबिलीयत के अनुकूल नहीं है। शायद इस कारण व्यक्ति को काम करने में दिक्कत हो रही है, या घबराहट हो रही है, और इस सब का असर व्यक्ति के व्यवहार पर पड़ रहा है।
बदले व्यवहार संबंधी शब्दावली.
डिमेंशिया में बदले व्यवहार को लेकर विशेषज्ञों में अनेक शब्दावली का प्रयोग होता है, और पुस्तकों, लेखों, वीडियो वगैरह में भी अलग अलग शब्दों का इस्तेमाल होता है। कुछ प्रचलित शब्दावली है: Challenging behaviour, difficult behaviour, problem behaviour, behaviours of concern, needs-driven behaviour, neuropsychiatric symptoms, BPSD (Behavioural and Psychological Symptoms of Dementia, Behavioral and Psychiatric Symptoms of Dementia), इत्यादि। कुछ शब्द व्यवहार का औरों पर क्या असर है, इस पर जोर देतें है, तो कुछ व्यवहार के संभव कारणों पर। कोई भी शब्द/ वाक्यांश स्थिति का पूर्णतः वर्णन नहीं करता। फिर भी, इस शब्दावली को जानने से जानकारी प्राप्त करने में आसानी हो सकती है। पर चाहे लोग अलग अलग शब्दावली का इस्तेमाल करें, देखभाल करने वालों को इस बात पर केंद्रित रहना होता है कि इस व्यवहार के द्वारा वे समझें कि व्यक्ति को कुछ दिक्कत हो रही है, और सोचें कि इसके बारे में क्या किया जा सकता है ताकि व्यक्ति और पास के लोग, सब का तनाव और दुःख कम हो और उन्हें आराम पहुंचे।
शब्दावली पर विस्तृत चर्चा हमारे अँग्रेज़ी पृष्ठ पर है।
इन्हें भी देखें.
हिंदी पृष्ठ, इसी साईट से:
डिमेंशिया वाले व्यक्तियों के बदले व्यवहार के संभावित कारण समझना, और उनसे किसी को कोई नुकसान न हो, इसके लिए कदम उठाना डिमेंशिया देखभाल का एक बहुत महत्वपूर्ण अंश है। इस हिंदी वेबसाइट पर इस विषय के लिए उपयोगी अनेक पृष्ठ हैं। कुछ खास तौर से उपयोगी प्रासंगिक पृष्ठ हैं:
- घर पर देखभाल करना: क्या समझें, कैसे तैयार हों.
- बदले और मुश्किल व्यवहार को संभालना.
- कुछ विशेष समस्याएँ और उनके लिए सुझाव: घर से निकल कर गुम होना, मल-मूत्र पर नियंत्रण खो देना, बार-बार बात दोहराना, रात भर जाग कर बेचैन रहना.
इस विषय पर हिंदी सामग्री, कुछ अन्य साईट पर: यह याद रखें कि इन में से कई लेख अन्य देश में रहने वालों के लिए लिखे गए हैं, और इनमें कई सेवाओं और सपोर्ट संबंधी बातें, कानूनी बातें, इत्यादि, भारत में लागू नहीं होंगी।
- Australia के राष्ट्रीय संस्थान द्वारा प्रकाशित व्यवहार में बदलाव(Changed Behaviours) Opens in new window (एलसायमरस ऑस्ट्रेलिया से PDF फाइल)।
इस पृष्ठ का नवीनतम अँग्रेज़ी संस्करण यहाँ उपलब्ध है: How dementia impacts behaviour Opens in new window। अंग्रेज़ी पृष्ठ पर आपको विषय पर अधिक सामयिक जानकारी मिल सकती है। कई उपयोगी अँग्रेज़ी लेखों, संस्थाओं और फ़ोरम इत्यादि के लिंक भी हो सकते हैं।
नोट: इस पृष्ठ पर चित्र, अल्ज़ाइमर (Alzheimer’s Disease) के मस्तिष्क पर असर पर, National Institute on Aging/National Institutes of Health Opens in new window के सौजन्य से हैं।
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