फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया : एक परिचय

फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया (मनोभ्रंश) (Frontotemporal Dementia, FTD) एक प्रमुख प्रकार का डिमेंशिया है। यह अन्य प्रकार के डिमेंशिया से कई महत्त्वपूर्ण बातों में फर्क है और इसलिए अकसर पहचाना नहीं जाता। देखभाल में भी ज्यादा कठिनाइयाँ होती हैं। इस पृष्ठ पर उपलब्ध सेक्शन:

फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया क्या है (What is Frontotemporal Dementia) (FTD)।

  • फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया (Fronto-Temporal Dementia, FTD) चार प्रमुख प्रकार के डिमेंशिया (मनोभ्रंश) में से एक है*1
    • इस डिमेंशिया में हुई मस्तिष्क की हानि को दवाई से पलटा नहीं जा सकता। यह इर्रिवर्सिबल (irreversible) है। व्यक्ति का मस्तिष्क फिर से सामान्य नहीं हो सकता।
    • मस्तिष्क की हानि समय के साथ बढ़ती जाती है। यह एक प्रगतिशील डिमेंशिया (प्रगामी डिमेंशिया, progressive dementia)माना जाता है।
    • अंतिम चरण में फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया वाले व्यक्ति सब कामों के लिए दूसरों पर निर्भर हो जाते हैं।
  • यह डिमेंशिया अन्य प्रकार के डिमेंशिया से कई महत्त्वपूर्ण बातों में फर्क है।
  • सभी डिमेंशिया में मस्तिष्क में किसी भाग में क्षति होती है, जिस के कारण लक्षण पैदा होते हैं। फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया में यह क्षति मस्तिष्क के दो खंडों में होती है। ये हैं:
    • ललाटखंड (अग्र खंड, फ्रंटल लोब, frontal lobe), और
    • शंख खंड (कर्णपट खंड, टेम्पोरल लोब, temporal lobe)।
  • प्रभावित खंडों में कुछ असामान्य प्रोटीन इकट्ठा होने लगते हैं, कोशिकाएं मरने लगती हैं, जरूरी रसायन ठीक से नहीं बन पाते, और लोब सिकुड़ने लगते हैं।
  • इस हानि के कारण व्यक्ति को उन लोब के काम से संबंधित लक्षण होने लगते हैं।

FTD brain lobes
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फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया के लक्षण (Symptoms of Frontotemporal Dementia)।

  • शुरू के आम लक्षण हैं व्यक्तित्व और व्यवहार में बदलाव, और भाषा संबंधी समस्याएँ। याददाश्त अकसर ठीक रहती है।
    • व्यक्ति में कौन से लक्षण होंगे यह इस पर निर्भर है कि फ्रंटल और टेम्पोरल लोब में कहाँ-कहाँ और कितनी क्षति हुई है।
  • व्यक्तित्व/ व्यवहार संबंधित लक्षणों के उदाहरण:
    • व्यक्ति का मेल-जोल कम हो जाना, व्यक्ति का अपने में ही सिमट जाना।
    • दूसरों की भावनाओं की परवाह न करना, सहानुभूति न दिखा पाना।
    • परेशान/ बेचैन रहना, व्यवहार या बात दोहराना, चीजें छुपाना, शक्की होना, उत्तेजित होना, चिल्लाना, आक्रामक होना (दूसरों को मारना)।
    • रात में अधिक विचलित होना और सो न पाना।
    • कुछ तरह की चीजों को खाने की खास इच्छा, जैसे कि मिठाई या तली हुई चीजें।
    • अनुचित , अशिष्ट, अश्लील व्यवहार, समाज में ऐसा व्यवहार करना जो खराब समझा जाता है।
    • ध्यान न लगा पाना, निर्णय लेने में दिक्कत, पैसे का मूल्य समझने में दिक्कत, सोच-विचार न कर पाना।
  • भाषा संबंधित लक्षणों के उदाहरण:
    • सामान्य, रोजमर्रा इस्तेमाल होने वाले शब्दों का अर्थ पूछना, सही शब्द न सूझना और शब्द इस्तेमाल करने के बजाय उस का वर्णन करना।
    • परिचित लोगों या वस्तुओं को पहचानने में दिक्कत।
    • शब्द समझ पाना पर वाक्य न समझ पाना, खास तौर से लंबे, उलझे हुए वाक्य।
    • धीरे-धीरे, झिझक कर बोलना, शब्द उच्चारण में दिक्कत और गलतियाँ, हकलाना, वाक्यों में से छोटे शब्दों को छोड़ देना या व्याकरण में गलती होना।
  • FTD अन्य रोगों के साथ भी पाया जा सकता है।  व्यक्ति को ऐसे अन्य  विकार हो सकते हैं जिन से चलने में दिक्कतें भी होने लगती है। गति धीमी हो सकती है, संतुलन में दिक्कत हो सकती है, निगलने में भी दिक्कत होने लगती है, और पार्किन्सन जैसे कुछ लक्षण हो सकते हैं।

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फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया वर्ग में शामिल रोग (Various Medical conditions of Frontotemporal dementia)।

  • फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया किसी एक विशिष्ट रोग का नाम नहीं है। इस में अनेक रोग शामिल हैं जो मस्तिष्क के फ्रंटल और टेम्पोरल लोब की हानि से संबंधित हैं।
    • इन रोगों में से सबसे पहले पिक रोग (Pick’s Disease) की पहचान हुई थी। कई लोग अब भी फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया को पिक रोग के नाम से ही बुलाते हैं।  इस के अन्य भी कई नाम हैं (नीचे नोट्स देखें)।
    • अब भी इस पर नई जानकारी प्राप्त हो रही है, और फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया के नए प्रकार पहचाने जा रहे हैं।
    • इस श्रेणी के रोगों का वर्गीकरण विशेषज्ञ अलग-अलग तरह से करते हैं।

मोटे तौर पर, फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया के प्रकार हैं:

  • व्यवहार-संबंधी रूप (Behavioural variant Fronto-Temporal Dementia, BvFTD)
    • इस में व्यक्तित्व या व्यवहार में बदलाव नज़र आते हैं। उदाहरण: व्यक्ति मिलना जुलना बंद कर सकते हैं, अपने आप में सिमट सकते हैं। या औरों के प्रति निरादर या लापरवाही दिखा सकते हैं। अनुचित व्यवहार कर सकते हैं, आक्रामक हो सकते हैं, या उन्माद दिखा सकते हैं।
  • भाषा संबंधी रूप (Language variants of frontotemporal dementia), इस में शामिल हैं:
    • अर्थ -संबंधी डिमेंशिया (सिमैंटिक डिमेंशिया , semantic dementia): बोल सकते हैं, पर शब्द का अर्थ नहीं समझते,बोलते हुए अजीब अजीब शब्दों का प्रयोग करते हैं—उनकी बात का अर्थ नहीं निकलता।
    • प्रगतिशील गैर-धाराप्रवाह वाचाघात (progressive non-fluent aphasia): बोलने में दिक्कत होती है, और वे धीरे धीरे और बहुत कठिनाई से बोलते हैं।
  • अन्य रूप, खास रूप, मिश्रित रूप।
    • FTD अन्य रोगों के साथ भी हो सकता है। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार करीब 10 से 20% FTD केस में साथ साथ मोटर न्यूरान संबंधित हानि भी होती है (overlapping motor disorders), जिस से संतुलन में और हिलने/ डुलने/ चलने में समस्या होती है, और पार्किंसन किस्म के लक्षण भी हो सकते हैं।
    • कुछ उदाहरण: मोटर न्यूरान रोग (motor neurone disease), प्रगतिशील सुप्रान्यूक्लियर अंगघात (progressive supranuclear palsy), कोर्टिको-बैसल अपह्रास (corticobasal degeneration)।

फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया : कुछ महत्वपूर्ण तथ्य (Some important facts about Fronto Temporal Dementia)।

फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया होने की संभावना के संबंध में अब तक उपलब्ध जानकारी:

age profile of FTD
genetics image
  • आयु। हालांकि यह सभी उम्र के लोगों में पाया जा सकता है , पर इसके अधिकांश केस कम उम्र के लोगों में देखे जाते हैं (40 से  65 आयु वर्ग में)
    • ध्यान दें, अल्ज़ाइमर रोग की संभावना उम्र के साथ बढ़ती है और अल्ज़ाइमर के अधिकांश केस 65 और उस से अधिक  आयु वर्ग में होते हैं।
    • 65 से कम आयु के लोगों में देखे जाने वाले डिमेंशिया केस में यह एक महत्व-पूर्ण डिमेंशिया है।
  • रिस्क फैक्टर (risk factor):  फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया के कारक स्पष्ट रूप से मालूम नहीं । यह माना जाता है कि यह आनुवांशिकी, स्वास्थ्य-समस्या संबंधी, और जीवन-शैली संबंधी कारणों का मिश्रण हैं।
    • अभी तक सिर्फ एक रिस्क फैक्टर पहचाना गया है: फैमिली हिस्ट्री (family history)–माँ-बाप, भाई-बहन, अन्य पीढ़ियों में अन्य करीबी रिश्तेदार को फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया या अन्य ऐसे किसी रोग का होना (fronto-temporal dementia or other neuro-degenerative diseases)।
    • इस डिमेंशिया की यह आनुवांशिकी अन्य मुख्य डिमेंशिया के प्रकारों के मुकाबले ज्यादा है। National Institute of Aging (USA) की FTD की विषय-पत्रिका के अनुसार करीब 15 से 40 % केस में कोई आनुवांशिकी (जेनेटिक, हेरिडिटरी, genetic)) कारण पहचाना जा सकता है।

अवधि

  • फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया एक प्रगतिशील प्रकार का डिमेंशिया है और समय के साथ व्यक्ति की हालत बिगड़ती जाती है। अंतिम चरण में व्यक्ति पूरी तरह से दूसरों पर निर्भर होने लगते हैं।
  • इस की अवधि हर व्यक्ति में फर्क है, पर आम तौर पर माना जाता है कि शुरू से अंतिम चरण तक 2 से 10 साल लग सकते हैं। औसतन लोग लक्षणों के आरम्भ के बाद करीब 8 साल जीवित रहते हैं।

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फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया रोग-निदान और उपचार (Frontotemporal Dementia Diagnosis and Treatment)।

रोग-निदान: फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया अनेक कारणों से कई बार पहचाना नहीं जाता।

  • प्रारंभिक लक्षण भूलने की बीमारी से नहीं मिलते, इसलिए परिवार और डॉक्टर उन  लक्षणों पर ध्यान नहीं देते। परिवार वाले डॉक्टर से सलाह करने के बारे में नहीं सोचते।
  • अगर 65 से कम उम्र के व्यक्ति में लक्षण होते हैं, तो लोग डिमेंशिया के बारे में नहीं सोचते। बदले व्यवहार को लोग बदले चरित्र की निशानी या तनाव (स्ट्रेस, stress) का नतीजा समझते हैं।
  • डॉक्टर और विशेषज्ञों को भी फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया का कम अनुभव होता है।
  • इन सब कारणों से सही निदान मिलने में देर हो सकती है।

उपचार

medicine pill
  • अभी तक फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया से हो रही हानि को वापस ठीक करने के लिए कोई दवा नहीं है। हानि की प्रगति को रोकने या धीरे करने के लिए भी कोई दवा नहीं है।
  • डॉक्टर की कोशिश रहती है कि व्यक्ति को लक्षणों से कुछ राहत दें।
    • व्यवहार-संबंधी लक्षण चिंताजनक हों तो डॉक्टर ऐसी दवाएं देने की कोशिश करते हैं जिन से व्यवहार में कुछ सुधार हो पाए।
    • बोलने में दिक्कत हो तो स्पीच थेरपी से कुछ केस में कुछ आराम मिल सकता है।
    • पार्किंसन किस्म के लक्षण हों तो डॉक्टर शायद कुछ पार्किसन की दवा भी दें।
    • व्यायाम (एक्सर्साइज) से, और शारीरिक और व्यावसायिक उपचार से भी कुछ आराम हो सकता है (physical and occupational therapy)।

देखभाल में पेश खास कठिनाइयाँ (Special challenges faced in caregiving)।

अन्य डिमेंशिया के मुकाबले फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया में देखभाल में चुनौतियाँ अधिक हैं, और देखभाल ज्यादा मुश्किल और तनावपूर्ण होती है।

  • निदान के समय व्यक्ति अकसर कमाने वाली उम्र में होते हैं, और उनकी ज़िम्मेदारियाँ ज्यादा होती हैं। बचत राशि अकसर कम होती है। देखभाल करने वाले भी नौकरी नहीं कर पाते। पैसे की मुश्किल आम है। बच्चों की उम्र भी कम होती है, और उनकी पढ़ाई वगैरह की जिम्मेदारी और खर्च ज्यादा होते हैं।
  • इस डिमेंशिया में अकसर व्यवहार संभालना ज्यादा मुश्किल रहता है।
  • जवान व्यक्ति के आक्रामक व्यवहार को संभालना ज्यादा कठिन है।
  • अनुचित व्यवहार के कारण समाज में और रिश्तेदारी में समस्या। इस के बारे में जानकारी इतनी कम है कि आस-पास के लोग रोग-निदान पर यकीन नहीं करते और व्यक्ति के चरित्र को खराब समझते हैं।
  • देखभाल सेवाएँ और रहने के लिए केयर होम बहुत ही कम हैं। लगभग सभी उपलब्ध सेवाएं और रहने के लिए केयर होम वृद्धों के लिए हैं। ये जवान, ताकतवर रोगियों के लिए उपयुक्त नहीं हैं।

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फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया: मुख्य बिंदु (Salient Points about Frontotemporal Dementia)।

  • फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया एक प्रमुख प्रकार का डिमेंशिया है जो अन्य डिमेंशिया के प्रकार से कुछ मुख्य बातों में बहुत फर्क है। इस वजह से इस का सही रोग-निदान बहुत देर से होता है।
    • इस के अधिकांश केस 65 से कम उम्र के लोगों में होते हैं।
    • इस के प्रारंभिक लक्षण हैं व्यक्तित्व और व्यवहार में बदलाव और भाषा संबंधी समस्याएँ।
    • शुरू में याददाश्त संबंधी लक्षण नहीं होते।
  • यह प्रगतिशील और ला-इलाज है। अभी इस को रोकने या धीमे करने के लिए कोई दवाई नहीं है।
    • इलाज और देखभाल में दवा से, व्यायाम से, शारीरिक और व्यावसायिक थेरपी से और स्पीच थेरपी से व्यक्ति को कुछ राहत देने की कोशिश करी जाती है।
  • इस डिमेंशिया का अब तक मालूम रिस्क फैक्टर (कारक) सिर्फ फैमिली हिस्ट्री है , यानी कि परिवार में अन्य लोगों को यह या ऐसा कोई रोग होना।
  • इस डिमेंशिया में देखभाल कई कारणों से बहुत मुश्किल होती है, जैसे कि:
    • पैसे की दिक्कत, बदला व्यवहार संभालना ज्यादा मुश्किल, समाज में बदले व्यवहार के कारण दिक्कत, बाद में व्यक्ति की शारीरिक कमजोरी के संभालने में दिक्कत।
    • उपयुक्त सेवाएँ बहुत ही कम हैं, और स्वास्थ्य कर्मियों में भी जानकारी बहुत ही कम।
  • फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया पर विशिष्ट संस्थाएं और ऑनलाइन सपोर्ट कम है। अधिकांश उपलब्ध जानकारी और सपोर्ट अल्ज़ाइमर रोग के लिए तैयार करी गयी है, परन्तु फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया अल्ज़ाइमर रोग से कई महत्त्वपूर्ण बातों में फर्क है और इस लिए कई पहलू हैं जिन पर आम संसाधनों से उपयोगी जानकारी नहीं मिल पाती। यदि आप को या आपके किसी प्रियजन को FTD हो तो जानकारी और सपोर्ट के लिए विशिष्ट FTD संसाधन का भी इस्तेमाल करें।

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(नोट्स: अधिक जानकारी के लिए लिंक, और चित्रों के लिए श्रेय)।
*1अन्य प्रमुख डिमेंशिया और उन पर प्रकाशित पोस्ट भी देखें। अल्ज़ाइमर रोग (सबसे आम डिमेंशिया रोग), संवहनी डिमेंशिया (वैस्कुलर डिमेंशिया, नाड़ी-संबंधी), और लुई बॉडी डिमेंशिया

अन्य सम्रबंधित लेख देखें।

फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया और संबंधित विकारों के लिए कुछ शब्द/ वर्तनी देखें।

  • फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया, फ्रंटल लोबर डिमेंशिया, फ्रंटोटेम्पोरल लोबर डीजेनेरेशन, पिक रोग, मोटर न्यूरान रोग, व्यवहार-संबंधी फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया, भाषा संबंधी फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया, अर्थ -संबंधी डिमेंशिया, सिमैंटिक डिमेंशिया, प्रगतिशील गैर-धाराप्रवाह वाचाघात, मोटर न्यूरान रोग, प्रगतिशील सुप्रान्यूक्लियर अंगघात, और कोर्टिको-बैसल अपह्रास।
  • Frontotemporal dementia, Frontotemporal degeneration, Frontal lobe degeneration, FTD, Pick’s Disease, Behavioural variant Fronto-Temporal Dementia, BvFTD, Language variants of frontotemporal dementia, semantic dementia), progressive non-fluent aphasia, motor neurone disease, progressive supranuclear palsy, corticobasal degeneration.

चित्र का श्रेय: (Public domain pictures) मस्तिष्क का चित्र: Henry Vandyke Carter [Public domain], via Wikimedia Commons.

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डिमेंशिया केयर नोट्स (हिंदी )