भारत में डिमेंशिया (मनोभ्रंश) की देखभाल करने वाले अपने अनुभव खुल कर औरों के साथ नहीं बांटते, क्योंकि लोग डिमेंशिया और सामान्य वृद्धावस्था का अंतर नहीं समझ पाते और सुनने वाले सोचते हैं कि ये देखभाल करने वाले बेकार में छोटी-छोटी बातों को बढ़ा कर अपने कर्त्तव्य से मुकरने की कोशिश कर रहे हैं। डिमेंशिया संबंधी अनुभव बांटना अब कुछ कुछ शुरू तो हुआ है, पर बहुत ही सीमित है। उपलब्ध इंटरव्यू, लेख, ब्लॉग, साईट, वगैरह अधिकांश अँग्रेज़ी में हैं। पर कुछ हिंदी समाचार पत्रों में भी कुछ लेख कभी कभी दिखने को मिलते हैं जिन में डिमेंशिया संबंधी अनुभव बांटे गए हैं। नीचे पेश है हिंदी अखबारों से एकत्रित कुछ आप-बीती/ किस्से जिन में डिमेंशिया अनुभवों की कुछ झलक मिलती है। एक प्रकाशित पुस्तक भी उपलब्ध है।
- पत्नी के अल्झाइमर सफ़र और देखभाल का वर्णन: विंग कमांडर डी पी सभरवाल (सेवानिवृत) की पुस्तक.
- लॉकडाउन के दौरान डिमेंशिया व हृदय रोग से पीड़ित व्यक्ति के भटकने और खोजे जाने पर रिपोर्ट.
- कम उम्र में भी हो सकता है डिमेंशिया: दो केस.
- पिता के डिमेंशिया से सम्बंधित टीवी अभिनेत्री संगीता घोष की आपबीती.
- अल्ज़ाइमर के लक्षणों के उदाहरण, रोग पर जानकारी (विश्व अल्ज़ाइमर दिवस 2013 के अवसर पर लेख).
- डिमेंशिया: कुछ उदाहरण, कुछ किस्से, कुछ जानकारी.
- डिमेंशिया में गंभीर समस्याएँ होती हैं, डिमेंशिया सिर्फ भूलना नहीं है.
- पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपाई पर डिमेंशिया का असर.
इसके अतिरिक्त देखें एक हिंदी ब्लॉग भारत में डिमेंशिया-संबंधी विस्तृत ब्लॉग: एक देखभाल कर्ता की ज़ुबानी Opens in new window। यह हिंदी ब्लॉग पूरी तरह डिमेंशिया (मनोभ्रंश) पर है, और इसमें डिमेंशिया और देखभाल पर जानकारी है और माँ की देखभाल से प्राप्त अपने निजी अनुभव भी हैं।
पत्नी के अल्झाइमर सफ़र और देखभाल का वर्णन: विंग कमांडर डी पी सभरवाल (सेवानिवृत) की पुस्तक.
अल्झाइमर: साहस से सामना कीजिये (विंग कमांडर डी पी सभरवाल (सेवानिवृत))। विंग कमांडर सभरवाल की पत्नी कनु को अल्झाइमर था। इस 110 पृष्ठ की पुस्तक में उन्होंने कनु के अनुभव का, और देखभाल के सफ़र का वर्णन करा है। पुस्तक के तीन भाग है। पहले भाग, “लम्बा सफ़र” में कनु के अल्झाइमर की पूरी अवधि का वर्णन है –हलके प्रारंभिक संकेतों से लेकर अंत के अधिक स्पष्ट और चिंताजनक लक्षणों तक। भाग ख, सही रास्ते, में लेखक अपनी पत्नी की देखभाल के दौरान से जुड़े अनेक अवलोकन और आत्म निरीक्षण को साझा करते हैं। भाग ग, “अभी बाकी है”, में लेखक अपने अंतिम अवलोकन और सुझाव बांटते हैं। पुस्तक में लेखक के निजी अनुभव, संदेह, गलतियों, कठिन निर्णय, सफलताओं, असफलताओं, आदि को सरल और निष्ठापूर्वक भाव से बांटा गया है, और साथ-साथ अल्जाइमर / डिमेंशिया पर जानकारी भी है। पुस्तक ऑर्डर करने के लिए संपर्क करें: aerosaby@gmail.com.
लॉकडाउन के दौरान डिमेंशिया व हृदय रोग से पीड़ित व्यक्ति के भटकने और खोजे जाने पर रिपोर्ट.
लखनऊ में एक डिमेंशिया व हृदय रोग से पीड़ित रिटायर्ड डिप्टी सीएमओ डॉ. पीसी बाजपेयी (69) शाम को घर से बाहर शेविंग कराने निकले पर वापस नहीं लौटे। इस की सूचना मिलते ही, रात 2:30 बजे ही पुलिस ने पांच टीमें गठित करके सर्च ऑपरेशन शुरू किया। फोटो लेकर अलग-अलग इलाकों में खोज शुरू हुई। सीसीटीवी कैमरों की मॉनिटरिंग से पता चला कि गुमशुदा व्यक्ति उन्नाव की तरह निकले थे। तीन घंटे बाद, पुलिस ने उन्हें घर से 25 किलोमीटर दूर उन्नाव सीमा पर एक चबूतरे पर थके हुए बैठे पाया।
रिपोर्ट यहाँ पढ़ें: डिमेंशिया से ग्रसित रिटायर डिप्टी सीएमओ को तीन घंटे में ढूंढा Opens in new window।
कम उम्र में भी हो सकता है डिमेंशिया: दो केस.
अधिकाँश डिमेंशिया के केस बड़ी उम्र के लोगों में होते हैं पर डिमेंशिया कम उम्र में भी हो सकता है। इस लेख में डिमेंशिया के कुछ जोखिम कारकों पर चर्चा है, और लेख के अंत में दो ऐसे केस का वर्णन है जो कम उम्र वाले व्यक्तियों के हैं (उम्र 43 और 47)। दोनों केस में शुरू में लक्षण नहीं पहचाने गए पर समस्याएं बढ़ने पर डॉक्टर से सलाह करने पर सही निदान मिल पाया।
लेख यहाँ देखें: अल्जाइमर दिवस: अब तो कम उम्रवाले युवा भी आ रहे इस बीमारी की चपेट में, जानें क्या है वजह Opens in new window।
पिता के डिमेंशिया से सम्बंधित टीवी अभिनेत्री संगीता घोष की आपबीती.
टीवी अभिनेत्री संगीता घोष अपनी ज़िंदगी के उस दौर का वर्णन करती हैं जब उनके पिता को हार्ट अटैक हुआ, चलने में वे असमर्थ हो गए, और उन्हें डिमेंशिया भी था। संगीता घोष बताती हैं कि पिता का हाल देखना कितना मुश्किल था, और वे खुद को कितना बेबस महसूस करती थीं। संगीताजी बताती हैं कि अपने पिता, और फिर बाद में अपनी माँ के देखभाल कर पाने के लिए उन्होंने किस तरह के बदलाव करे और हिम्मत से काम लिया।
लेख यहाँ पढ़ें: उम्मीदों का साथ नहीं छोड़ा संगीता घोष Opens in new window।
डिमेंशिया की वजह से उनकी याद्दाश्त और आवाज भी चली गई। वह बेहद जिंदादिल और सक्रिय इंसान थे। उन्हें ऐसे हालात में देखना मेरे लिए बेहद दुखद था।
अल्ज़ाइमर के लक्षणों के उदाहरण, रोग पर जानकारी (विश्व अल्ज़ाइमर दिवस 2013 के अवसर पर लेख).
एक रिटायर्ड व्यक्ति में हो रहे बदलाव को परिवार वाले अकसर बढ़ती उम्र का असर समझ के टाल देते हैं, पर कभी कभी लक्षण अल्जाइमर रोग के कारण होते हैं और इस हद तक बढते हैं कि व्यक्ति और अन्य लोगों को कई दिक्कतें होने लगती हैं। इस लेख, विश्व अल्जाइमर दिवस Opens in new window में एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है, और साथ में उपयोगी जानकारी भी। लेख का एक अंश:
…करीबी लोगों के नाम भी वह भूलने लगे। बात करने में वह सही शब्दों का उच्चारण करने में दिक्कत महसूस करते।
डिमेंशिया: कुछ उदाहरण, कुछ किस्से, कुछ जानकारी.
डिमेंशिया के प्रारंभिक लक्षण के कुछ उदाहरण और किस्से, और डिमेंशिया पर कुछ जानकारी पर एक लेख है: अपनी यादों को खो चुके लोग Opens in new window। डिमेंशिया सिर्फ बुढापे में ही नहीं होता, पहले भी हो सकता है, इसका भी एक उदाहरण देखें। लेख से एक अंश:
45 साल की शिल्पा कहती हैं, ‘मेरी सास समय देखना, नोटों की समझ और यहां तक कि शब्दों का उच्चारण तक भूल गई थीं।’
डिमेंशिया में गंभीर समस्याएँ होती हैं, डिमेंशिया सिर्फ भूलना नहीं है.
अक्सर लोग “डिमेंशिया” को भूलने की बीमारी कहकर यह सोचते हैं कि यह तो कोई छोटी-मोटी समस्या है। वे यह नहीं जानते कि डिमेंशिया का भूलना कुछ अलग किस्म हा है, और डिमेंशिया का असर व्यक्ति की ज़िंदगी के हर पहलू पर होता है। इस लेख, डिमेंशिया सिर्फ भूलने की बीमारी नहीं? Opens in new window, में एक ऐसा वारदात है जिसमे एक व्यक्ति डिमेंशिया के कारण भटक गया और फिर घर वापस आने के लिए रास्ता नहीं ढूंढ पाया। अन्य भी कई लक्षणों के बारे में चर्चा है, और डिमेंशिया के बारे में जानकारी भी। लेख से एक अंश:
दिल्ली सरकारी नौकरी से रिटायर 65 वर्षीय राम गोपाल (बदला हुआ नाम) अपने मोहल्ले से करीब 10 किलोमीटर दूर सड़क पर मारे-मारे फिर रहे थे, जब पुलिस की गाड़ी ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया। उनके कपड़े तार-तार थे। उन्हें इस बात का जरा भी इल्म नहीं था कि कहां जा रहे हैं या आखिर चाहते क्या हैं। जब राम गोपाल का परिवार उनसे मिलने अस्पताल पहुंचा, तो वह उन्हें पहचान ही नहीं पाए।
पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपाई पर डिमेंशिया का असर.
पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपाई अब डिमेंशिया से ग्रस्त हैं। डिमेंशिया का उनके मिलने-जुलने, बात का पाने, इत्यादि पर असर बढ़ता जा रहा है। उनके हाल का वर्णन, और डिमेंशिया पर कुछ जानकारी पढ़ें इस लेख में: राष्ट्रपति के घर आने की खबर सुनकर भी नहीं आई अटलजी के चेहरे पर मुस्कान Opens in new window। लेख से एक अंश:
90 साल के वाजपेयी कई साल से अल्जाइमर और डिमेंशिया से ग्रस्त हैं। बीजेपी डॉक्टर सेल के पूर्व राष्ट्रीय कन्वेनर डॉ राम सागर सिंह के अनुसार एक साल पहले वह अटलजी से मिले थे। वो बोलना चाहते थे, लेकिन बोल नहीं पा रहे थे।
अँग्रेज़ी में उपलब्ध डिमेंशिया-संबंधी आवाज़ें.
डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति की देखभाल के अनुभव के कई विस्तृत इंटरव्यू हमारे अँग्रेज़ी साईट पर हैं। इनकी सूची, हिंदी में संक्षिप्त विवरण, और लिंक देखें: भारत से डिमेंशिया देखभाल करने वालों के इंटेरव्यू या सीधे अँग्रेज़ी में इंटरव्यू सूची देखें: Interviews with dementia caregiversOpens in new window.
अँग्रेज़ी में उपलब्ध कुछ भारतीय देखभाल कर्ताओं की आपबीती आप नीचे दिए लिंक पर देख सकते हैं: Voices: Caregiving in the news Opens in new window.
Previous: डिमेंशिया संबंधी कुछ आवाज़ें, कुछ इंटरव्यू Next: भारत से डिमेंशिया देखभाल करने वालों के इंटरव्यू