डिमेंशिया (Dementia, मनोभ्रंश) किसी विशेष बीमारी का नाम नहीं, बल्कि एक लक्षणों के समूह का नाम है, जो मस्तिष्क की हानि से सम्बंधित हैं। “Dementia” शब्द “de” (without) और “mentia” (mind ) को जोड़ कर बनाया गया है।
[डिमेंशिया नाम पर स्पष्टीकरण: हालाँकि डिमेंशिया (dementia) अँग्रेज़ी का शब्द है, इसका प्रयोग हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में भी होता है, और अधिकांश डॉक्टर निदान (diagnosis) के समय dementia (डिमेंशिया) शब्द का इस्तेमाल करेंगे। इस क्षेत्र के जागरूकता अभियान में, रिपोर्ट्स में, और विशेषज्ञों के इंटरव्यू में भी “डिमेंशिया” शब्द का प्रयोग होता हो। परन्तु यह जानना ज़रूरी है कि हिंदी में पत्रिकाओं, समाचारपत्रों, और वेबसाइट पर डिमेंशिया के लिए “मनोभ्रंश” शब्द का भी इस्तेमाल होता है (मनो–मन सम्बंधी, भ्रंश–नष्ट होना)। यह याद रखें कि डिमेंशिया और मनोभ्रंश एक ही अवस्था के दो नाम हैं। एक अन्य नोट: dementia को देवनागरी में “डिमेंशिया” के अलावा अन्य तरह से भी लिखा जाता है, जैसे कि डिमेन्शिया, डिमेंशिया डिमेंश्या, डिमेंटिया, डेमेंटिया,वगैरह।]
डिमेंशिया के लक्षण कई रोगों के कारण पैदा हो सकते है। ये सभी रोग मस्तिष्क की हानि करते हैं। क्योंकि हम अपने सब कामों के लिए अपने मस्तिष्क पर निर्भर हैं, डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति अपने दैनिक कार्य ठीक से नहीं कर पाते। इन व्यक्तियों की याददाश्त कमजोर हो सकती है। उन्हें आम तौर के रोजमर्रा के हिसाब में दिक्कत हो सकती है, और वे अपना बैंक का काम करने में भी कठिनाई महसूस कर सकते हैं। घर पर पार्टी हो तो उसका आयोजन करना उनके लिए मुश्किल हो सकता है। कभी कभी वे यह भी भूल सकते हैं कि वे किस शहर में हैं, या कौन सा साल या महीना चल रहा है। बोलते हुए उन्हें सही शब्द नहीं सूझता। उनका व्यवहार बदला बदला सा लगने लगता है, और व्यक्तित्व में भी फ़र्क आ सकता है। यह भी हो सकता है के वे असभ्य भाषा का प्रयोग करें या अश्लील तरह से पेश आएँ, या सब लोगों से कटे-कटे से रहें।
साल दर साल डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति की स्थिति अधिक खराब होती जाती है, और बाद की अवस्था में उन्हें साधारण से साधारण काम में भी दिक्कत होने लगती है, जैसे कि चल पाना, बात करना, या खाना ठीक से चबाना और निगलना, और वे छोटी से छोटी चीज के लिए भी निर्भर हो जाते हैं। वे बिस्तर पर पड़ जाते है, और उनका अंतिम समय आ जाता है।
जब व्यक्ति में लक्षण नजर आने शुरू होते हैं तो आस-पास के लोग–परिवार-वाले, दोस्त और प्रियजन, सहकर्मी, पड़ोसी–यह समझ नहीं पाते कि व्यक्ति इस अजीब तरह से क्यों पेश आ रहा है। कभी व्यक्ति परेशान या भुलक्कड़ लगता है, तो कभी सहमा हुआ, तो कभी झल्लाया हुआ, या बेकार गुस्सा करता हुआ। बदला व्यक्तित्व अकसर चरित्र की खामी समझा जाता है। यदि व्यक्ति बुज़ुर्ग हों, तो परिवार वाले अकसर भूलने या अन्य लक्षणों को सामान्य बुढ़ापा समझ कर नज़रअंदाज़ करने की कोशिश करते हैं, पर डिमेंशिया का होना उम्र बढ़ने का सामान्य अंग नहीं है। यदि व्यक्ति चालीस पचास या उससे भी कम उम्र के हों, तो लक्षणों को तनाव का नतीजा समझा जा सकता है।
इस पृष्ठ पर:
- डिमेंशिया के लक्षणों के कुछ उदाहरण.
- डिमेंशिया में जो स्मृति की हानि होती है वह उम्र के साथ होने वाले सामान्य स्मृति हानि से फ़र्क है.
- डिमेंशिया बुढापे का एक सामान्य और अनिवार्य भाग नहीं है.
- हालांकि डिमेंशिया की संभावना उम्र के साथ बढ़ती है, पर डिमेंशिया चालीस पचास या उससे कम उम्र में भी हो सकता है.
- कुछ प्रकार के डिमेंशिया के शुरू के लक्षणों में याददाश्त की समस्याएँ शामिल नहीं हैं.
- डिमेंशिया पर एक संक्षिप्त प्रस्तुति.
- इन्हें भी देखें.
डिमेंशिया के लक्षणों के कुछ उदाहरण
आइये देखें, डिमेंशिया के लक्षणों के कुछ उदाहरण। यह एक सांकेतिक सूची है, और डिमेंशिया से प्रभावित व्यक्ति में, रोग के बढते साथ ज्यादा और अधिक गंभीर लक्षण नज़र आते हैं। याद रखें कि हर व्यक्ति में अलग अलग लक्षण नज़र आते हैं। एक व्यक्ति में यह सब लक्षण हों, यह ज़रूरी नहीं, और यह भी ज़रूरी नहीं कि यदि कोई ये लक्षण दिख रहे है तो उस व्यक्ति को डिमेंशिया है। यह जांच तो डॉक्टर ही कर सकते हैं। यह भी ध्यान में रखें कि कुछ प्रकार के डिमेंशिया में शुरू में व्यक्ति की याददाश्त पूरी तरह से सही सलामत रहती है।
- ज़रूरी चीज़ें भूल जाना, खासकर हाल में हुई घटनाएँ (जैसे, नाश्ता करा था या नहीं)।
- पार्टी का आयोजन न कर पाना, छोटी छोटी समस्याओं को भी न सुलझा पाना।
- साधारण, रोज-मर्रे के काम करने में दिक्कत महसूस करना
- गलत किस्म के कपडे पहनना, कपडे उलटे पहनना, साफ़-सुथरा न रह पाना।
- यह भूल जाना कि तारीख क्या है, कौन सा महीना है, साल कौन सा है, व्यक्ति किस घर में हैं, किस शहर में हैं, किस देश में।
- किसी वस्तु का चित्र देखकर यह न समझ पाना कि यह क्या है।
- नंबर जोड़ने और घटाने में दिक्कत, गिनती करने में दिक्कत।
- बोलते या लिखते हुए गलत शब्द का प्रयोग करना, या शब्दों के अर्थ न समझ पाना।
- चीज़ों को गलत, अनुचित जगह पर रख छोड़ना (जैसे कि घडी को, या ऑफिस फाइल को फ्रिज में रख देना)।
- कुछ काम शुरू करना, फिर भूल जाना कि क्या करना चाहते थे, और बहुत कोशिश के बाद भी याद न कर पाना।
- बड़ी रकम को फालतू की स्कीम में डाल देना, पैसे से सम्बंधित अजीब निर्णय लेना, लापरवाही या गैरजिम्मेदारी दिखाना।
- पैसे के मूल्य को न समझना, जैसे कि हजार रुपए को दस रुपए को एक जैसा समझना।
- अपने आप में गुमसुम रहना, मेल-जोल बंद कर देना, चुप्पी साधना।
- छोटी-छोटी बात पर, या बिना कारण ही बौखला जाना, चिल्लाना, रोना, इत्यादि।
- किसी बात को या प्रश्न को दोहराना, जिद्द करना, तर्क न समझ पाना।
- बात बेबात लोगों पर शक करना, आक्रामक होना।
- लोगों की भावनाओं को न समझना या उनकी कद्र न करना।
- सामाजिक तौर तरीके भूल जाना, और अजीबोग़रीब बातें करना।
- भद्दी भाषा इस्तेमाल करना, गाली देना, अश्लील हरकतें करना।
यह समझना बहुत ज़रूरी है कि डिमेंशिया मंदबुद्धि (mental retardation) नहीं है। यह सन्निपात, उन्माद या संकल्प प्रलाप (delirium) नहीं है। यह पागलपन (insanity) नहीं है।यह अम्नीसिया (स्मृति लोप, स्मृति भ्रंश, amnesia) नहीं है।
अफसोस, भारत में जहाँ हम डिमेंशिया के कई लक्षणों को तो पहचानते हैं, और हमारी भाषाओं में कुछ ऐसे शब्द हैं जो इन लक्षणों से जुड़े हुए हैं (जैसे कि सठियाना), पर लोगों में यह धारणा है कि यह व्यवहार की समस्याएँ हैं, या बुढापे में अकसर पाए जाने वाली आम समस्या। लोग यह नहीं जानते कि यह लक्षण मस्तिष्क के रोग के कारण उत्पन्न हो रहे हैं। वे सोचते हैं कि यह व्यक्ति, जो अजीब तरह से पेश आ रहा है या तो जिद्दी है या पागल है। इसलिए आसपास के लोग उस व्यक्ति को उपचार के लिए डॉक्टर के पास नहीं जाते, और न ही वे व्यक्ति से बातचीत करने का तरीका बदलते हैं। वे डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति के सहायता कैसे करें, यह नहीं जानते। बल्कि वे व्यक्ति से निराश हो जाते हैं, या उस पर गुस्सा करते हैं, या उसकी अवहेलना करने लगते हैं। इससे परिवार में संघर्ष बढ़ जाते हैं और व्यक्ति को, तथा अन्य लोगों को, सब को ज्यादा दिक्कत होती है।
डिमेंशिया में जो स्मृति की हानि होती है वह उम्र के साथ होने वाले सामान्य स्मृति हानि से फ़र्क है
कई लोग डिमेंशिया को “भूलने की बीमारी” कह कर छोटा समझते हैं और टाल देते हैं। कुछ अन्य लोग कोई छोटी सी बात भूलने पर भी घबरा जाते हैं कि भई, उन्हें डिमेंशिया तो नहीं हो गया? एक चाबी इधर से उधर रख दी और ढूँढने पर नहीं मिली तो डिमेंशिया का भय दिमाग को घेर लेता है।सच तो यह है कि हम सब कभी न कभी कुछ न कुछ भूलते हैं, पर डिमेंशिया का भूलना कुछ अलग सा होता है। डिमेंशिया में याददाश्त की समस्याएँ दूसरे रूप की होती हैं।
एक उदाहरण लें: क्या आप सोचते हैं कि आप कभी इतने भी भुलक्कड़ हो जायेंगे कि आप अपना नाम ही भूल जायेंगा? नहीं तो! पर डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति आगे की अवस्था में अपना ही नाम भूल सकते हैं।
एक छोटा सा उदाहरण – सामान्य लोग अकसर तारीखें और साल भूल जाते हैं, जैसे कि मुंबई किस साल गए थे। इस तरह का भूलना सामान्य है। पर डिमेंशिया हो तो व्यक्ति शायद यही भूल जाएँ कि वे काभी मुंबई गए थे, या यह भी पूछ लें कि मुंबई क्या है। सामान्य बुढापे से जुड़े भूलने में और डिमेंशिया वाले भूलने में क्या अंतर है, इसपर अधिक चर्चा, उदाहरण, और लिंक हमारे अंग्रेज़ी पृष्ठ पर देखें।
शुरू की अवस्था में अकसर डिमेंशिया से पीड़ित व्यक्ति अपनी भूलने की समस्या को आस पास के लोगों से छुपा पाते हैं।अगर वे कभी कुछ भूल भी जाएँ, या उलझन में नज़र आएँ, तो लोग उसे नजरंदाज कर देते हैं। बेटा यह सोचता है कि पापा की बढ़ती उम्र है, कुछ भूल गए तो क्या हुआ! शुरू की अवस्था में इन लक्षणों को पहचानने के लिए परिवार वालों को अधिक सतर्क रहना होगा।
पर जैसे जैसे रोग बढ़ता है, डिमेंशिया के लक्षण ज्यादा स्पष्ट होने लगते हैं, और व्यक्ति का व्यवहार सामान्य नहीं रहा है, यह बात औरों को भी नज़र आने लगती है। डॉक्टर से जांच कराने से पता चल सकता है कि क्या लक्षण किसी रोग के कारण हैं, और उपचार क्या है।
डिमेंशिया बुढापे का एक सामान्य और अनिवार्य भाग नहीं है
बुढापे में भी लोग भूलते हैं, अस्त-व्यस्त हो जाते हैं, कभी कभी चिड़चिड़ा भी जाते हैं, पर डिमेंशिया इस साधारण बढ़ती उम्र की समस्याओं से भिन्न है। कुछ डॉक्टर भी शुरू के लक्षणों की ओर ध्यान नहीं देते, और बस बुढ़ापे का नाम देकर छोड़ देते हैं ।
डिमेंशिया को हम यह कह कर नहीं टाल सकते कि यह व्यक्ति कुछ तेज़ी के साथ बूढा हो रहा है। जिन रोगों से डिमेंशिया के लक्षण पैदा होते हैं, ये रोग मस्तिष्क की विशेष हानि करते हैं। मस्तिष्क की कोशिकाओं (neurons) को नष्ट करते हैं, और मस्तिष्क के भागों को जोड़ने वाले जालों को भी नष्ट करते हैं। मस्तिष्क के कुछ भाग सिकुड़ जाते हैं। कुछ लोगों में ये बीमारियां बुढ़ापे में नहीं, बल्कि जल्दी शुरू हो जाती हैं, जैसे कि चालीस पचास की उम्र में, या उससे भी पहले।
हालाँकि डिमेंशिया होने की संभावना उम्र के साथ बढ़ती है, पर उम्र बढ़ने पर डिमेंशिया ज़रूर ही होगा, ऐसा कहना गलत है। कुछ लोगों को वे रोग हो जाएँगे जिन से डिमेंशिया के लक्षण पैदा होते हैं, और दूसरे लोग डिमेंशिया से मुक्त रहेंगे।
डिमेंशिया के लक्षणों पर, और याददाश्त की कमजोरी पर अधिक जानकारी तथा कुछ उपयोगी लिंक इस पृष्ठ के नीचे, “इन्हें भी देखें” सेक्शन में हैं।
हालांकि डिमेंशिया की संभावना उम्र के साथ बढ़ती है, पर डिमेंशिया चालीस पचास या उससे कम उम्र में भी हो सकता है
डिमेंशिया सिर्फ बुजुर्गों तक सीमित नहीं, उससे पहले (जैसे कि 30, 40 या 50 साल में) भी हो सकता है। इसको जल्दी शुरू होने वाला डिमेंशिया कहते हैं। WHO (वर्ल्ड हेल्थ ऑरगैनाइज़ेशन, विश्व स्वास्थ्य संगठन) का अनुमान है कि शायद 65 साल से कम उम्र में होने वाला डिमेंशिया, यानि कि जल्दी शुरू होने वाला डिमेंशिया (यंग ऑनसेट डिमेंशिया, यंगर ऑनसेट डिमेंशिया, young onset dementia, younger onset dementia, early onset dementia) अकसर पहचाना नहीं जाता और ऐसे केस शायद 6 से 9 प्रतिशत हैं।
जब चालीस पचास की उमर के लोग भूलने लगते हैं या बोलने में दिक्कत महसूस करते है या उनके व्यक्तित्व में बदलाव आने लगता है या उन में अन्य डिमेंशिया के लक्षण नज़र आने लगते है तो लोग डिमेंशिया की संभावना के बारे में नहीं सोचते। वे समस्या को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। व्यक्ति को दोष देते हैं या उस बदलाव को तनाव का नतीजा समझते हैं।डॉक्टर भी ऐसी स्थिति में अकसर डिमेंशिया के बारे में नहीं सोचते। इस कारण रोग-निदान (diagnosis) नहीं हो पाता या गलत होता है। यदि व्यक्ति/ परिवार वाले डिमेंशिया के बारे में जानते हों तो वे विशेषज्ञ से सलाह करके उचित निदान पाने की कोशिश कर सकते है।
कुछ प्रकार के डिमेंशिया के शुरू के लक्षणों में याददाश्त की समस्याएँ शामिल नहीं हैं
डिमेंशिया के अनेक लक्षण होते हैं और अनेक कारण भी। हर व्यक्ति में हर लक्षण नहीं पाया जाता। कई लोगों का सोचना है कि भूलना तो डिमेंशिया का एक अनिवार्य अंग है, और डिमेंशिया है तो याददाश्त की समस्या तो होगी ही। यह सच नहीं है।
कुछ प्रकार के डिमेंशिया ऐसे हैं–जैसे कि फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया(Frontotemporal Dementia)–जिन में पहले लक्षण व्यक्तित्व का बदलाव, बोलने में दिक्कत, चलने में या संतुलन में दिक्कत या अन्य लक्षण हैं, पर याददाश्त सही रहती है।
डिमेंशिया के प्रति सतर्क रहना हो तो सिर्फ याददाश्त की कमजोरी की ओर ध्यान न दें, अन्य लक्षणों के प्रति भी सतर्क रहें।
डिमेंशिया पर एक संक्षिप्त प्रस्तुति.
इस हिंदी प्रेजेंटेशन में देखिये डिमेंशिया क्या है, इस में मस्तिष्क में कैसी हानि होती है, लक्षण क्या हैं, और समय के साथ क्या होता है, और देखभाल करने वालों को क्या करना होता है। अन्य विषयों पर भी स्लाइड हैं। डिमेंशिया को समझ पायें, इस की सुविधा के लिए कई उदाहरण और चित्र हैं। यदि प्लेयर नीचे लोड न हो रहा हो तो यहाँ क्लिक करें: डिमेंशिया क्या है?(What is Dementia)Opens in new window.
इन सब विषयों पर, और अन्य उपयोगी विषयों पर अधिक जानकारी के लिए इस वेबसाइट के दूसरे पृष्ठ भी देखें
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इन्हें भी देखें.
हिंदी पृष्ठ, इसी साईट से:
डिमेंशिया के लक्षण किन रोगों के कारण हो सकते हैं, इस पृष्ठ पर: डिमेंशिया किन रोगों के कारण होता है।
इस विषय पर हिंदी सामग्री, कुछ अन्य साईट पर: यह याद रखें कि इन में से कई लेख अन्य देश में रहने वालों के लिए बनाए गए हैं, और इनमें कई सेवाओं और सपोर्ट संबंधी बातें, कानूनी बातें, इत्यादि, भारत में लागू नहीं होंगी।
- (भारत से) संज्ञानात्मक असमर्थता और मनोभ्रंश (Cognitive Impairment and Dementia) Opens in new window: Department of Science and Technology और AIIMS की प्रस्तुति, वृद्धावस्था सम्बंधी निदान (Old Age Solutions)पर हिंदी में डिमेंशिया पर एक पृष्ठ।
- (भारत से) White Swan Foundation: वाइट स्वान फ़ाउंडेशन फ़ॉर मेंटल हेल्थ के वेबसाइट पर देखें: Dementia डिमेन्शिया यानि मनोभ्रंश Opens in new window, Alzheimer’s Disease अल्ज़ाइमर रोग Opens in new window, और Understanding Alzheimer’s Disease अल्ज़ाइमर रोग की समझ Opens in new window।
- Australia के राष्ट्रीय संस्थान द्वारा प्रकाशित पत्रिका: मनोभ्रंश रोग (डिमेंशिया) क्या है (What is dementia?)(PDF फाइल) Opens in new window ।
- Australia के राष्ट्रीय संस्थान द्वारा प्रकाशित पत्रिका: अपनी स्मरण-शक्ति के बारे में चिंतित हैं? (Worried about your Memory?) (PDF फाइल) Opens in new window।
- Alzheimer’s Association USA द्वारा: अल्ज़ाइमर और डिमेंशिया Opens in new window।
- Alzheimer’s Society U K : The dementia guide – Hindi Opens in new window (PDF फाइल )।
इस पृष्ठ का नवीनतम अँग्रेज़ी संस्करण यहाँ उपलब्ध है: What is dementia? Opens in new window. अंग्रेज़ी पृष्ठ पर आपको विषय पर अधिक सामयिक जानकारी मिल सकती है। कई उपयोगी अँग्रेज़ी लेखों, संस्थाओं और फ़ोरम इत्यादि के लिंक भी हो सकते हैं।कुछ खास उन्नत और प्रासंगिक विषयों पर विस्तृत चर्चा भी हो सकती है। अन्य विडियो, लेखों और ब्लॉग के लिंक, और उपयोगी पुस्तकों के नाम भी हो सकते हैं।