घर पर देखभाल करना: क्या समझें, कैसे तैयार हों

डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति की देखभाल करने के लिए कैसे तरीके अपनाएँ ताकि देखभाल भी हो सके, और बाकी जिम्मेदारियां भी पूरी कर सकें।

देखभाल करने वाले क्या कर सकते हैं: डिमेंशिया का व्यक्ति और परिवार पर क्या असर पड़ेगा, यह समझें और स्वीकारें। यह देखें कि देखभाल के अलावा क्या क्या जिम्मेदारियां निभानी हैं, और देखभाल के काम के लिए समय और पैसे निकालने के लिए क्या एडजस्ट करना होगा। देखभाल कई वर्षों तक चल सकती है। इसलिए अपनी जिंदगी को उसके हिसाब से बदलें ताकि देखभाल भी संभाल पाएं और अपनी अन्य ज़िम्मेदारियाँ भी निभा सकें। इसके लिए जो भी सीखना है, वह सीखें, और जो भी आनंद उठा सकें, वह उठायें।

इस पृष्ठ के सेक्शन:

कोविड 19 की वजह से लोगों के जीवन के सभी पहलूओं पर असर पड़ा है और दिनचर्या में बदलाव हुआ है। डिमेंशिया देखभाल में भी अधिक चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं और अनेक पह्लूओं पर असर पड़ा है। हमारे कोविड संबंधी सेक्शन में इस पर कई पोस्ट हैं: कोविड 19 के दौरान डिमेंशिया देखभाल (Dementia Care during COVID 19)। इसके अतिरिक्त, सभी देखभाल पर चर्चा वाले पृष्ठों में कोविड महामारी जैसे गंभीर संक्रमण और महामारी की स्थिति के लिए कुछ सुझाव जोड़े गए हैं।

घर पर देखभाल करने वालों के लिए दो मुख्य उद्देश्य

डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति के साथ रहने में और स्वस्थ बुजुर्ग के साथ रहने में बहुत फ़र्क है। डिमेंशिया की वजह से व्यक्तियों की सोच/ समझ, काम करने की काबिलीयत और बर्ताव सब बदलने लगते हैं। उन्हें बातचीत करने में दिक्कत होने लगती है, और रोज़मर्रा के काम करने में भी दिक्कत होने लगती है। इसलिए उन्हें सहायता की जरूरत होती है, और यह देखभाल अन्य बुजुर्गों की देखभाल से अलग और ज्यादा होती है। देखभाल का सिलसिला कई साल चलता है। परिवार वाले देखभाल सही तरह से कर पाएँ और अपनी अन्य जिम्मेदारियां भी संभाल पायें, इसके लिए उन्हें उपाय बनाना होता है और उचित तरीके अपनाने होते हैं।

घर पर व्यक्ति की देखभाल करते समय दो मुख्य उद्देश्य हैं :

  • डिमेंशिया वाले व्यक्ति को सपोर्ट करें:डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति के लिए एक ऐसा स्नेहपूर्ण माहौल बनाएं जिस में व्यक्ति सुरक्षित रहें और जिस हद तक हो सके, अपना काम खुद कर सकें। जैसे जैसे उनकी क्षमता कम हो, सहायता उसी प्रकार बदलनी होती है। । शुरू में व्यक्ति के लक्षण कम होते हैं, और कम सहायता की ज़रूरत होती है, पर समय के साथ व्यक्ति के लक्षण बढ़ते हैं और व्यक्ति अधिक निर्भर होने लगते है, और सहायता इस के अनुरूप बदलनी होती है।
  • परिवार के सदस्य अपनी दूसरी ज़िम्मेदारियाँ भी निभा पाएँ, और घर में तनाव का स्तर भी कम रहे: परिवार वालों को देखभाल और अपने अन्य काम के बीच एक ताल मेल खोजना होता है। अलग अलग परिवार के सदस्यों की ज़रूरतें और ज़िम्मेदारियाँ अलग अलग होती हैं। सिर्फ डिमेंशिया देखभाल ही घर वालों का अकेला काम नहीं हैं, ऐसे अनेक काम होते हैं जो करने होते हैं। ये सब हो पाएँ, और तनाव भी कम रहे, इस के लिए उचित योजना का इस्तेमाल करना होता है। घर के सदस्य तनाव कम महसूस करें, और देखभाल में और अन्य काम में संतोष और खुशी का अनुभव कर सकें, इसके लिए भी तरीके ढूँढने होते हैं।

कुछ लोग सोचते हैं कि वे अपने अन्य काम के साथ डिमेंशिया देखभाल भी स्वाभाविक तरह से संभाल पायेंगे। पर देखभाल से बढ़े कार्य भार को कुछ महीनों के लिए तो बिना योजना संभाला जा सकता है, सालों के लिए नहीं। आम तौर पर लोग वैसे ही रोज की जिंदगी में व्यस्त रहते हैं। जब वे इस सब में देखभाल का काम जोड़ते हैं तो कुछ अन्य जरूरी काम नहीं कर पाते हैं। देखभाल के लिए क्या करना होगा, और उसको अन्य जिम्मेदारियों के साथ कैसे फिट कर सकते हैं, इस विषय पर नीचे और पढ़ें।

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यह समझें कि डिमेंशिया की वजह से व्यक्ति के काम कर पाने पर, और उनकी भावनाओं पर किस किस तरह का असर हो सकता है

सिर्फ पढ़ने या सुनने से डिमेंशिया का वास्तविक जीवन में असर कैसे पड़ता है, यह पूरी तरह समझ में नहीं आ सकता। पत्रिका में लिखा होगा कि डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति की याददाश्त कमज़ोर हो जाती है, और यह आप मान भी लेते हैं, पर जब व्यक्ति अजीब तरह से पेश आते हैं, उस वक्त यह अजीब व्यवहार डिमेंशिया की सच्चाई के साथ जोड़ना मुश्किल हो जाता है। जब आप अपनी सोच में डिमेंशिया की सच्चाई पूरी तरह शामिल कर पायेंगे, तब आप देखेंगे कि देखभाल का काम पहले से सरल हो जाएगा।

मूल तथ्य स्पष्ट हैं, उन पर एक नज़र: डिमेंशिया लक्षणों का समूह है, और यह लक्षण दिमाग की हानि से पैदा होते हैं। ये व्यक्ति के सोचने समझने और काम करने पर असर डालते हैं और व्यक्तित्व पर भी। व्यक्ति की हालत समय के साथ बिगड़ती जाती है, और अंतिम चरण में व्यक्ति पूरी तरह से लाचार हो जाते हैं। डिमेंशिया अनेक रोगों के कारण हो सकता है। इन मे से कुछ रोग दवाई से ठीक हो सकते हैं, पर अधिकांश रोग ठीक नहीं हो सकते, और इन में एक प्रमुख रोग है अल्ज़ाइमर रोग (Alzheimer’s Disease)। डिमेंशिया पर, और व्यक्ति के व्यवहार पर डिमेंशिया के असर पर अधिक जानकारी के लिए उपयोगी लिंक नीचे “इन्हें भी देखें” सेक्शन में हैं।

पर जानकारी देने वाली पत्रिकाओं में तथ्य पढ़ना पर्याप्त नहीं होता है। रोज बातचीत करते हुए आप देखेंगे कि आप अकसर यह भूल जाते हैं कि व्यक्ति की याददाश्त कमजोर हो गयी है, क्योंकि व्यक्ति देखने में सामान्य लगते हैं। परिवार वाले अकसर व्यक्ति से उसी तरह की उम्मीद रखते हैं जैसे कि वे अन्य लोगों से रखते हैं, यानि कि, बातें याद रखना, अपना काम कर पाना, नई नई चीज़ों को चाहना और नए अनुभव में आनंद लेना, मिलने जुलने को पसंद करना, निर्णय लेना, इत्यादि। पर व्यक्ति शायद यह सब इतने आराम से नहीं करते जितना आप सोचते हैं। या शायद व्यक्ति कुछ अजीब बात कह देते हैं या कर देते हैं। इससे आसपास के लोग निराश हो जाते हैं। परिवारों में सुनाई देने वाले कुछ आम उदाहरण:

  • पिताजी फिर बिना बताए बाहर चले गए! मैंने उनसे बोला था कि वे यहीं बैठे रहें, और वे मान भी गए थे और बस मैं नाश्ता लेने अंदर गयी और उसी एक मिनट में उन्होंने दरवाज़ा खोला और पता नहीं कहाँ निकल गए!
  • अम्मा मेरी यह छोटी सी बात समझती क्यों नहीं! मैं उन्हें कितनी बार बताऊँ!
  • मैं पापा के लिए इतने शौक से नया मोबॉइल लाया था पर वे उसका इस्तेमाल नहीं करते।
  • अप्पा को बचपन की तो हर बात याद है, फिर वे यह कैसे भूल गए कि हम सब दो महीने पहले नीता की शादी के लिए मुंबई गए थे?
  • अम्मा को देखो! उन्होंने जाकर पड़ोसी से शिकायत कर दी कि मैं उन्हें कपड़े प्रेस-वाली को नहीं देती। अभी कल ही तो उनकी साड़ी प्रेस करवा के लाई थी। पता नहीं अम्मा को मेरी शिकायत करने में क्या मजा आता है।
  • इन को न जाने क्या हो गया है! कल हम पड़ोस में किसी के मरने पर शोक मनाने गए, और ये वहाँ जोर जोर से ठहाका मारकर हँसने लगे। बड़ी शर्म आयी!

यह सब ऐसी घटनाएं हैं जो आपने देखी और सुनी होंगी, और शायद आपके साथ भी हुई होंगी। ऐसे में परिवार वाले डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति से नाखुश हैं क्योंकि उन्हें जैसी उम्मीद थी, व्यक्ति वैसे नहीं कर रहे हैं। पर जिस व्यक्ति के मस्तिष्क में हानि हो चुकी है, जो बातों को ठीक समझ नहीं पा रहे और नई बातें नहीं सीख पा रहे, जिनका व्यक्तित्व बदल चुका है या जिन्हें बातें याद रखने में दिक्कत हो रही है, और अन्य भी समस्याएँ हैं, उनके लिए तो ऐसा व्यवहार स्वाभाविक है। ऐसे व्यक्तियों को डिमेंशिया के कारण हर पल, हर काम में दिक्कत होने लगी है। अगर वे आपकी कही बात भूल जाएँ, तो कोई आश्चर्य की बात नहीं। यह तो उनके रोग का एक जाना-पहचाना असर है। मुंबई गए थे, घर से बाहर नहीं जाना है, साड़ी प्रेस हुई थी, यह सब भूल जाना डिमेंशिया में स्वाभाविक है। ऐसी बातों को सामान्य मान कर देखभाल करनी होगी। ऐसी बातें डिमेंशिया की सच्चाई का अंश हैं।

जब देखभाल करते हुए आप डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति से वही उम्मीद रखते हैं जैसे कि किसी स्वास्थ्य, सामान्य व्यक्ति से, तो यह व्यक्ति के प्रति अन्याय है और उनके लिए दिक्कतें पैदा कर देता है। आप उन्हें लंबा-चौड़ा करके बातें बताते हैं, आप चाहते हैं कि पापा ही तय करें कि कौन सा टीवी खरीदा जाए और अम्मा नीता की शादी में आपके साथ चाँदनी चौक से जेवर खरीदें। फिर जब पापा या अम्मा कुछ अटपटी बात कर देते हैं या कुछ भूल जाते हैं, तो लगता है वो आपकी बातों में रुचि नहीं ले रहे। यह ख़याल नहीं आता कि शायद डिमेंशिया के कारण उनको तकलीफ हो रही है। अगर वे झल्ला जाते हैं या गुस्सा करते हैं, तो आप दुःखी हो जाते हैं, और जब वे कुछ गलती करते हैं या कोई जरूरी बात भूल जाते हैं तो शायद आप सोचते हैं कि वे पूरी कोशिश नहीं कर रहे। कभी कभी आप शायद गुस्सा या बहस करने लगें। अगर पापा बिना बताए घर से बाहर जाते हैं और फिर खो जाते हैं, तो आप शायद उन पर कुछ नियम लगाने की कोशिश करें और नियम पर हामी भरने के बाद जब पापा फिर घर से बिना बताए निकल जाते हैं तब आप को याद नहीं आता कि नियम भूलना भी डिमेंशिया के कारण हो सकता है। अभद्र व्यवहार को आप चरित्र का दोष समझते हैं। पर व्यक्ति से सामान्य व्यवहार की उम्मीद करना आपकी ही गलती है।

किताबों और पत्रिकाओं में डिमेंशिया के बारे में जब पढते हैं उस वक्त तो हम मान जाते हैं कि व्यक्ति अनजाने में अपनी यादों की दरारों को कल्पना से भरते हैं, पर जब व्यक्ति हमारे साथ बातचीत के वक्त ऐसा करते हैं, तो हम सोचते हैं कि वे झूट बोल रहे हैं और हमें बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

डिमेंशिया की सच्चाई न समझने का एक नतीजा यह भी है कि परिवार वाले यह नहीं समझ पाते कि डिमेंशिया तो कई साल चलेगा और देखभाल का कार्यभार बहुत होगा, और उस से दिक्कत और थकान हो सकती है। देखभाल की योजना की जरूरत होगी। इंतजाम करने होंगे। यह सब सामान्य स्वस्थ बुजुर्गों की देखभाल से कहीं अधिक पेचीदा होगा। देखभाल करने के लिए दिन-ब-दिन होने वाली चुनौतियों को समझना होगा, और यह समझना होगा कि स्थिति समय के साथ कैसे बदतर होगी । डिमेंशिया को बेहतर समझने से देखभाल को प्लान करने और जरूरी काम करने में सुविधा होगी।

अपने आप को डिमेंशिया वाले व्यक्ति की स्थिति में डाल कर कल्पना करने से व्यक्ति की हालत समझने में आसानी होगी और हम उनसे उतनी ही उम्मीद रखेंगे जितनी उचित है। व्यक्ति के प्रति संवेदनशील होने के लिए आप यह भी सोच सकते हैं कि मस्तिष्क कैसे हमारे सारे शरीर को और हमारे व्यवहार को नियंत्रित रखता है, और कैसे मस्तिष्क की हानि या उनके सिकुड़ने से इस सब पर असर पड़ सकता है।

व्यक्ति की स्थिति आप याद रख सकें, इसके लिए कुछ पल अपने आप को व्यक्ति के स्थान में रख कर कल्पना कीजिये:

  • आप एक कमरे में हैं पर आपको याद नहीं कि आप वहाँ क्या कर रहे हैं और आपके इर्द-गिर्द ये लोग कौन हैं। आप अपने घर जाना चाहते हैं और ये लोग कह रहे हैं कि यही आपका घर है। पर यह आपका घर नहीं है।
  • आप यह तो जानते हैं कि सामने जो खड़ा है वह कोई नज़दीकी रिश्तेदार है, पर वह है कौन, यह आपको बिलकुल याद नहीं।
  • आप घर में खुद को अकेला पा कर घबरा जाते हैं और दोस्तों को फोन करते हैं। पर फिर आपकी बेटी आकर गुस्सा करने लगती है कि वह तो सिर्फ दस मिनट के लिए गयी थी और आप से बोल कर गयी थी। आपको तो उसका ऐसा कुछ कहना बिलकुल याद नहीं है। ज़रूर वह झूठ बोल रही होगी।
  • आपके बेटे ने आपके पुराने मोबाइल की जगह आपको एक चमकता हुआ नया मोबाइल दे दिया है पर इसमें इतने बटन है कि आपके पल्ले कुछ नहीं पड़ रहा कि इसका इस्तेमाल कैसे करें। बेटा नाराज़ है कि आप उसके लाये हुए मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करते।
  • रसोई तो बाथरूम के उलटे हाथ पर थी। अचानक उसकी जगह कैसे बदल गयी? और उस में यह मशीन क्या है?
  • आपके इर्द-गिर्द कई लोग हैं, पर आप उनके चेहरे के भावों को नहीं समझ पा रहे, और शायद आपको उन में कोई रुची ही नहीं है।
  • आपको जो चाहिए उसे आप छीन क्यों नहीं सकते? आपकी जरूरत से बढ़ कर और क्या हो सकता है?

अब सोचिये कि आप दिन रात 24×7 ऐसी भावनाओं से जूझ रहे हैं, आपको यह तो लगता है कि यह कुछ अटपटा है, पर इससे कैसे उभरें आप यह नहीं जानते।

अगर देखभाल करने वाले समय व्यक्ति के व्यवहार को उनकी बदली क्षमता के संदर्भ में समझने की कोशिश करें, तो वे व्यक्ति की स्थिति को बेहतर जान पाएंगे। जोशीश करनी होगी, पर जैसे जैसे आप डिमेंशिया को ज्यादा अच्छी तरह से समझ पायेंगे, तो देखभाल करने में आसानी होगी और तनाव पैदा नहीं होगा।

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डिमेंशिया वाले व्यक्ति की देखभाल/ सहायता

व्यक्ति की देखभाल/ सहायता के लिए योजना बनानी होगी, देखभाल के कार्य करने होंगे, व्यक्ति की हालत के प्रति सतर्क रहना होगा, और योजना और कार्यों को स्थिति के अनुसार बदलते रहना होगा। इसमें शामिल है:

व्यक्ति के लिए सही माहौल बनाएँ और देखभाल के जरूरी तरीके भी सीखें

अधिकांश डिमेंशिया ऐसे रोगों के कारण होते हैं जिनमे दवाई से न तो रोग ठीक हो सकता है और न ही उसकी बढ़ने की गति कम हो सकती है। परंतु कुछ व्यक्तियों में दवा से लक्षणों से कुछ समय के लिए आराम मिल सकता है, इस लिए दवा के बारे में डॉक्टर से सलाह कर लेनी चाहिए। ध्यान रहे, ऐसे कई लोग हैं जिन्हें दवा से राहत नहीं मिलती। दवा के दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। अग्रिम अवस्थाओं में दवा से संभव राहत बहुत सीमित है। इसलिए यह समझना जरूरी है की व्यक्ति की खुशहाली बहुत हद तक उनके माहौल पर और आसपास के लोगों के व्यवहार और मदद करने के तरीके पर निर्भर है। देखभाल कर्ता स्थिति को किस हद तक समझते हैं और उसके अनुरूप व्यक्ति की कैसे सहायता करते हैं, इससे व्यक्ति की ख़ैरियत में बहुत फ़र्क पड़ता है। यूं कहिये, डिमेंशिया में व्यक्ति के कुशल-क्षेम के लिए देखभाल का रोल अहम है, और देखभाल कर्ता इस के लिए उचित कदम उठा सकते हैं।

डिमेंशिया की देखभाल तो सालों-साल चल सकती है। लंबे अरसे के लिए देखभाल आराम से कर पाएँ, इसके लिए कुछ कारगर तरीके सीखने से आराम रहता है। ज़रूरत के हिसाब से माहौल को बदलने से भी काम आसान हो जाता है। कुछ जरूरी बातें:

  • देखभाल का रोल समझें।
  • देखभाल सालों तक चल सकती है, यह सोच कर ही प्लान बनाएँ।
  • व्यक्ति के लिए उचित सुरक्षित माहौल बनाएँ।
  • देखभाल के लिए बातचीत करने के तरीके और कार्यों में सहायता करने के तरीके सीखें।
  • महत्वपूर्ण/ रुचिकर गतिविधियों के माध्यम से व्यक्ति को संतुष्ट, शांत और सक्रिय बनाएँ।

देखभाल का रोल समझें : देखभाल के काम आपके दिन का एक अच्छा ख़ासा अंश बन जायेंगे, और जीवन के हर क्षेत्र पर असर डालेंगे। इसलिए देखभाल करने के रोल (भूमिका, caregiver role) के बारे में जानें।

देखभाल सालों तक चल सकती है, यह सोच कर ही प्लान बनाएँ: देखभाल का काम दिन के कई घंटे ले सकता है, और देखभाल साल दर साल बढ़ती जायेगी। बिना योजना बनाए यह काम इतने साल नहीं सँभाला जा सकता। देखभाल के लिए समय और पैसे निकलने के लिए आपको अपने और अन्य परिवार वालों की ज़िंदगी में क्या बदलना होगा, इसके लिए प्लान बनाएँ। सब को मिल कर काम करना होगा। आपस में पूरी समझ और ताल-मेल बिठाने के लिए यह जरूरी है कि सब देखभाल के कार्यभार को समझें, और यह भी समझें कि यह काम व्यक्ति की बिगड़ती अवस्था के साथ कैसे बदलेगा। सब यह सलाह करें कि यह काम आपस में कैसे बांटेंगे।

व्यक्ति के लिए उचित सुरक्षित माहौल बनाएँ: डिमेंशिया से ग्रस्त होने के बावजूद, शुरू और मध्यम अवस्था में व्यक्ति उचित सहायता के साथ अपने काम काफी हद तक खुद कर सकते हैं। घर में कुछ बदलाव करने से व्यक्ति खुद को सक्षम पाते हैं, और उनका ध्यान उन बातों पर रहता है जो वे कर सकते हैं, न कि उन पर जो वे नहीं कर सकते। इससे वे संतुष्ट और खुश रह पाते हैं, और सुरक्षित भी। छोटे छोटे बदलाव, जैसे के बड़ी घड़ी टाँगना, हैंड रेल लगाना, इत्यादि, इनसे व्यक्ति का जीवन सुधर सकता है, और देखभाल का काम घट सकता है। घर का माहौल उनके लिए सुरक्षित और सुविधाजनक बनाया जा सकता है। समय के साथ व्यक्ति की स्थिति के अनुसार घर में अधिक बदलाव करे जा सकते हैं।

देखभाल के लिए जरूरी बातचीत और सहायता के तरीके सीखें : व्यक्ति से बातचीत करना अकसर मुश्किल हो जाता है, क्योंकि वे आपकी बात समझ नहीं सकते या गलत समझते हैं, या बात करते करते बीच में कुछ भूल जाते हैं। उन को काम में सहायता करना भी मुश्किल हो जाता है। इसलिए यह जरूरी है कि आप बातचीत और सहायता करने के उचित तरीके सीखें। बदले व्यवहार से जूझने के तरीके जानने होंगे। डिमेंशि की अग्रिम अवस्था की देखभाल के लिए जरूरी देखभाल के तरीके भी सीखने होंगे। इस साइट पर इन सब पर विस्तृत पेज उपलब्ध हैं।

महत्वपूर्ण/ रुचिकर गतिविधियों के माध्यम से व्यक्ति को संतुष्ट, शांत और सक्रिय बनाएँ : डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति संतुष्ट और सक्रिय जीवन बिता सकते हैं। इसके लिए उन माहौल खुशहाल होना चाहिए और उन्हें उनकी क्षमता के अनुरूप गतिविधियों में लगाना होगा। जब व्यक्ति खुश रहेंगे तो उनकी देखभाल भी सरल और सुखद हो जायेगी, और घर में सब खुश और तनाव-मुक्त रह पायेंगे। व्यक्ति को शांत, संतुष्ट और सुखी रखने के तरीके सीखें और अपनाएँ।

देखभाल के तरीकों को समझने के लिए एक अन्य नजरिया है इन को दो श्रेणी में बांटना। एक श्रेणी ऐसे तरीकों की है जिन से व्यक्ति का माहौल व्यक्ति की क्षमताओं के अनुकूल रखा जाए, जिन से व्यक्ति स्वयं को सक्षम समझें और संतुष्ट भी रहें। दूसरी श्रेणी है ऐसे तरीकों कि जिन को आप किसी विशिष्ट समस्या को सुलझाने के लिए इस्तेमाल करें।

व्यक्ति के इर्द-गिर्द के माहौल परिवर्तन और सामान्य देखभाल के तरीकों को अपनाने से व्यक्ति के जीवन में सुधार। व्यक्ति स्वयं को सक्षम समझें और संतुष्ट भी रहें इसके लिए आप घर में ऐसे बदलाव कर सकते हैं जिन से व्यक्ति आसानी से अपने काम कर सकें और खुद को सुरक्षित महसूस करें। बातचीत के सही तरीके अपनाने से व्यक्ति लोगों की बातें समझ सकेंगे और अपनी बात कह सकेंगे। दैनिक कार्यों में जितनी ज़रूरत हो, उतनी ही मदद करने करें। इससे व्यक्ति खुद को सक्षम भी समझेंगे, और यह भी जानेंगे कि तकलीफ होने पर मदद मिल जाती है। दिनचर्या पहले से तय हो तो व्यक्ति को अनुमान रहता है कि किस टाइम पर क्या करना है, जिससे उनका तनाव कम होता है। और दिन में उपयोगी या रुचिकर गतिविधयां जोड़ने से आनंद भी मिलेगा और व्यक्ति को अपना जीवन सार्थक लगेगा। ऐसे तरीकों से व्यक्ति का संतोष बढ़ेगा और तनाव घटेगा।

विशिष्ट समस्याओं के लिए अन्य लक्षित तरीके भी अपनाने होंगे। यह अकसर चिंताजनक, चुनौतीपूर्ण बदले व्यवहार में जरूरी हो जाते हैं, जैसे कि जब व्यक्ति उत्तेजित या आक्रामक हों, जब वे भटकें, जब वे मिलना-जुलना बंद कर दें और स्वयं में सिकुड जाएँ, वगैरह। इन समस्याओं के लिए उपयुक्त तरीके एक खास समस्या पर लक्षित होते हैं। ये उसके कारण समझने की कोशिश करते हैं और उचित बदलाव पर केंद्रित होते हैं जिससे समस्या हल हो। अक्सर, यदि माहौल व्यक्ति के अनुकूल हो, तो इस प्रकार के व्यवहार कम होते हैं, और इस तरह के विशिष्ट तरीकों की ज़रूरत भी कम होती है। चूंकि हम व्यक्ति के साथ काफी सुखद समय भी बिता रहे हैं, हम यह भी जल्दी समझ पाते हैं कि इस दिक्कत वाले व्यवहार का क्या कारण हो सकता है, और क्या समाधान हो सकता है।

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देखभाल करें और समय के साथ, जैसे जैसे ज़रूरत हो, वैसे वैसे सहायता करने के ढंग को बदलते जाएँ

देखभाल व्यक्ति की बदलती क्षमता के हिसाब से करनी होती है। आपको पूरे वक्त सतर्क रहना होता है कि व्यक्ति क्या कर पा रहे हैं और क्या नहीं, और अपनी मदद करने के तरीके को उसी हिसाब से बदलना होता है। कोशिश यह रहती है कि व्यक्ति जितना खुद कर पाएँ, उतना उन्हें करने दिया जाए। पर जैसे ही व्यक्ति को दिक्कत होने लगे, या वे परेशान लगें, वैसे ही आप उनकी उचित मदद करें।

डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति के लिए हर काम ज्यादा दिक्कत वाला हो सकता है। व्यक्ति को कुछ हद तक आराम हो, इसके लिए एक जरूरी अंश है एक दिनचर्या जिस से व्यक्ति को मालूम रहे कि कब क्या करना है। इससे व्यक्ति को सुरक्षा की भावना मिलती है। नियमित दिनचर्या अपनाने से व्यक्ति के दिन एक जाने-पहचाने ढाँचे में बीतते हैं, स्थिरता मिलती है, और तनाव कम होता है। कुछ नई और रुचिकर चीज़ें भी दिन में शामिल करें, ताकि व्यक्ति को नई चीज़ों का आनंद भी मिल पाए, पर यह नई चीज़ें व्यक्ति की सीमा में रहें, ताकि वे उन में मज़ा ले सके, और थकें नहीं।

यह समझना जरूरी है कि व्यक्ति की क्षमता हर रोज एक जैसे नहीं होगी। यह भी समझें कि आपकी देखभाल और कोशिश के बावजूद औसतन व्यक्ति की क्षमताएं समय के साथ घटेंगी। सहायता करते हुए, व्यक्ति क्या कर पा रहे हैं और क्या नहीं, आप इसकी ओर सतर्क रहें और अपनी सहायता को उसी हिसाब से बढ़ाएं या घटाएं। याद रखें, देखभाल का काम डिमेंशिया के चरण के हिसाब से बदलता है। घर को व्यक्ति के लिए बदलना होता है, और देखभाल के तरीके भी बदलने होते हैं।

परिवार के सभी सदस्यों को देखभाल के काम में और सम्बंधित निर्णयों में शामिल रखना चाहिए, इससे मन-मुटाव और आपस में तनाव की संभावना कम होगी और काम भी बंटेगा। परिवार वालों के साथ मिल-जुल कर देखभाल कैसे कर सकते हैं, यह सोचें।

देखभाल का काम औसतन समय के साथ बढ़ता रहेगा। देखभाल करने वालों की मदद के लिए कुछ सेवाएं उपलब्ध हैं। आप जैसे उचित हो, इनका इस्तेमाल करें। अधिक चर्चा/ लिंक पृष्ठ के अन्य सेक्शनों में देखें।

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देखभाल के दौरान यह भी देखें कि डिमेंशिया वाले व्यक्ति ठीक-ठाक रहें, सुरक्षित रहें, और आराम से रहें.

उपयुक्त देखभाल से डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति अधिक खुशहाल भी रह सकते हैं। यदि व्यक्ति स्वयं को सक्षम समझें और सोचें कि वे भी कुछ उपयोगी काम कर पाते हैं, उन्हें अपना जीवन अधिक सार्थक लगेगा वे बेहतर महसूस करेंगे। वे भी ज़्यादा खुश रहेंगे और परिवार का माहौल भी अधिक सुखद रहेगा। मुश्किल व्यवहार भी कम होंगे और कम चुनौतियाँ होंगी। व्यक्ति के लिए एक उचित दैनिक दिनचर्या बनाएं और उस में सार्थक और आनन्दपूर्ण गतिविधियां डालना न भूलें!

कई देश ऐसे हैं जिनमे देखभाल का अधिकांश काम डिमेंशिया के लिए खास बनायी गयी संस्थाओं में होता है। ऐसी संस्थाओं में कर्मचारी अकसर व्यक्ति को सिर्फ एक मरीज के रूप में देखते हैं, और व्यक्ति उनके लिए एक रोग से पीड़ित रोगी है जिसका उपचार हो रहा है और जिसे मदद की ज़रूरत है। वे व्यक्ति का व्यक्तित्व नहीं पहचान पाते हैं। इस स्थिति में देखभाल सिर्फ कुछ निर्धारित तरीकों को अपनाने तक सीमित हो जाती है। व्यक्ति के अपनी क्या ज़रूरतें हैं, क्या पसंद/ नापसंद हैं, इन सब पर वे ध्यान नहीं देते। देखभाल में आदर कम हो जाता है, और व्यक्ति की मर्यादा का ध्यान कम हो जाता है, व्यक्तित्व नहीं पहचाना जाता। इस स्थिति के बचने के लिए इन देशों में विशेषज्ञ “person-centered approaches” (व्यक्ति केंद्रित दृष्टिकोण, वैयक्तिक दृष्टिकोण) पर जोर देते हैं, ताकि देखभाल के दौरान व्यक्ति के मोल को देखभाल कर्ता अनदेखा न कर दें, और व्यक्ति का गौरव बना रहे।

भारत में यह समस्या कम है। अधिकांश देखभाल घरों में होती है, जहाँ परिवार वाले व्यक्ति को अच्छी तरह से जानते हैं और उनके व्यक्तित्व को पहचानते हैं। वे व्यक्ति की पुरानी ज़िंदगी और हादसों के बारे में जानते हैं, पसंद नापसंद और रोज की आदतों और ज़रूरतों को जानते हैं। एक बार वे डिमेंशिया की सच्चाई समझने लगें तो परिवार वाले, कुछ शुरुआती गलतियों के बाद देखभाल के तरीके ढूंढ पाते हैं और आपसी आनंद के मौके भी ढूंढ पाते हैं। कुछ जानकारी और स्वीकारने के बाद, कुछ गलतियों के बाद, देखभाल में तालमेल बिठा पाते हैं और व्यक्ति भी अधिक खुशहाल रह पाते हैं।

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तनाव कम रखें और अन्य जिम्मेदारियां भी सम्भाल पाएँ

देखभाल करने के दौरान परिवार वालों की थकान कम रहे और तनाव भी कम रहे , इसके लिए कुछ तरीके हैं जिन्हें अपनाने से फायदा हो सकता है। तनाव या थकान से पूरी तरह से बचना तो मुश्किल है, पर कोशिश यह रहती है कि इनका स्तर कम रहे।

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उपलब्ध सेवाओं और संस्थाओं का उपयोग करें, और आसपास के लोगों से, जैसे उचित हो, सहायता लें

परिवार वाले अकसर यह नहीं समझ पाते कि देखभाल का काम कितना बढ़ जाएगा और यह नहीं सोचते कि उन्हें मदद की ज़रूरत पड़ेगी।

शुरू के दिनों में, अगर आप औरों को दूर रखेंगे और व्यक्ति की हालत को छुपाएंगे तो बाद में लोग आपकी स्थिति नहीं समझेंगे और कहेंगे कि आप बात बढ़ा-चढ़ा कर कह रहे हैं। वे यह नहीं समझ पायेंगे कि आपको मदद की ज़रूरत है या यह नहीं जानेंगे कि मदद कैसे करें। इसलिए शुरू से ही पूरे परिवार को देखभाल में शामिल रखें। कोशिश करें कि आप परिवार वालों के साथ मिल कर देखभाल करें। यह ज़रूर देखें कि आप मित्र, सहकर्मी, पड़ोसी, इत्यादि से कैसे मदद ले सकते हैं। शायद ये लोग नहीं जानते कि आपको मदद की ज़रूरत है, या शायद वे आपकी मदद करना चाहते हैं, पर वे यह नहीं जानते कि वे कैसे मदद करें।

शुरू में शायद आप सोचेंगे कि आप देखभाल खुद, बिना मदद कर पायेंगे, पर जैसे जैसे देखभाल का काम बढ़ता है, पूरा कार्यभार अकेले संभालना मुश्किल होता जाता है। व्यक्ति को अकेला नहीं छोड़ा जा सकता, काम भी बहुत हो जाता है, रोज-रोज करते थकान भी होने लगती है। अगर आप औरों से सहायता लें, और उपलब्ध सेवाओं का इस्तेमाल कर पाएँ, तो काम और तनाव, दोनों कम हो सकते हैं। आप कुछ टाइम अपने लिए भी निकाल पाते हैं और अपने आप को ताज़ा कर पाते हैं। सहायता देखभाल के लिए ही लें, यह जरूरी नहीं। हो सकता है आपको घर से बाहर के काम करने में सहायता चाहिए। इसलिए जब लोगों से बात करें, तो याद रखें कि शायद वे आपकी सहायता कर सकते हैं। मदद मांगते वक्त यह सोचें कि जिससे आप मदद मांग रहे हैं उन्हें डिमेंशिया के बारे में कितना मालूम है, और वे किस प्रकार की मदद आसानी से कर पाएंगे। अगर उन्हें रोगियों के साथ रहने में अटपटा लगता है, तो बाहर के कामों के लिए मदद ले लें, जैसे कि बैंक का काम या खरीदारी करना। दोस्तों, सहकर्मियों, पड़ोसियों से मदद कैसे लें, इसके तरीके सीखें और अपनाएँ।

देखभाल करने वालों की सहायता के लिए कुछ सेवाएँ भी उपलब्ध हैं। घर बैठे बैठे आप दवाईयां मंगा सकते हैं और ब्लड टेस्ट भी करवा सकते हैं। राशन का सामान भी मांगा सकते हैं, और कुछ सब्जीवाले भी घर पर आकर सब्जी दे जाते हैं। अन्य देखभाल करने वालों से सपोर्ट ग्रुप द्वारा सम्पर्क करके आप देखभाल के टिप्स की अदला बदली भी कर सकते हैं। कुछ अन्य सेवाएँ हैं डे केयर, घर पर आकलन करके सलाह लेना, इत्यादि। किस प्रकार की सेवाएँ मिलती हैं, यह जानें, और इनका जैसे उचित हो, इस्तेमाल करें। डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति की सहायता के लिए घर पर देखभाल के लिए प्रशिक्षित सहायक रखने से परिवार को काफी आराम हो सकता है। ऐसे सहायक कहाँ मिलते हैं, और उनको देखभाल के लिए कारगर तरीके से कैसे इस्तेमाल करें, यह सीखें और अपनाएँ।

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प्रसन्न रहें और तनाव रहित भी

यह माना जाता है कि डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति की देखभाल करना अन्य देखभाल से अधिक तनाव-पूर्ण होता है। देखभाल की जिम्मेदारी का आपके जीवन के हर पहलू पर असर होगा – आपका करिअर, मिलन-जुलना, सामाजिक दायरा, पारिवारिक जीवन, आर्थिक स्थिति,आरान का समय। तनाव से बचना होगा। आपके लिए यह जरूरी है कि आप अपने स्वास्थ्य का ख़याल रखें और खुद को प्रसन्नचित्त रखें। त अगर आप तनाव-ग्रस्त होंगे या बीमार पड़ जायेंगे या एकदम थक जायेंगे तो व्यक्ति की देखभाल कैसे होगी? देखभाल के कुछ पल यदि ऐसे हों जिन से आपको संतोष हो और आपको व्यक्ति के साथ कुछ देर आनंद आ पाए, तो जिन दिनों देखभाल का काम जयादा है और व्यक्ति का सहयोग नहीं मिल रहा हो, उन दिनों आप इन मधुर यादों से सुकून पा सकते हैं।

अकसर देखभाल करने वाले अपनी स्व-देखभाल के लिए कोई योजना नहीं बनाते। अजैसे जैसे देखभाल का कार्यभार बढ़ता है, वे पाते हैं कि उन्हें अपने लिए समय नहीं मिल पाता, और ये इतने थके हुए होते हैं कि अपने लिए कुछ करने की सोच भी नहीं पाते। भारत में कुछ दिनों के लिए आराम ले पाने के लिए किसी सहायक को रखना या डिमेंशिया वाले व्यक्ति को “रेसपाइट केयर” में कुछ दिन रखना इतना आसान नहीं है। इसलिए विराम लेना और भी कठिन है।

स्व-देखभाल (सेल्फ केयर) के लिए शुरू में ही प्लान करें। अपने स्वास्थ और खुशहाली के लिए जरूरी प्रबंध पहले से ही करें। सोचें कि यदि आप घर से निकाल नहीं पाएंगे, तो ऐसे में आपको घर पर अपने लिए किस तरह का इंतजाम करना होगा। कुछ प्रबंध दहभाल के कार्यभार को कम करने के लिए होंगे – जैसे कि घरेलू खरीदारी और घर पर स्वास्थ्य सेवाओं को पाने के लिए। अपने स्वास्थ्य के बारे में सोचें। आप अपने डॉक्टर चेक-अप कैसे करेंगे? फिट रहने के लिए घर पर क्या कुछ सामान रखना होगा? क्या योग सीखना होगा ताकि आप बाद में घर पर खुद कर सकें? क्या घर के लिए कुछ व्यायाम का इक्विप्मन्ट खरीदना होगा ?

आर्थिक और लीगल पहलुओं के बारे में भी शुरू में प्रबंध करने की सोचें ताकि इस से संबंधित समस्याएं आप को बाद में न परेशान करें। इन सब के बारे में आगे के पेज पर चर्चा है।

आप अपने में तनाव, चिंता और अवसाद के लक्षणों के प्रति सतर्क रहें, ताकि आप इनके अधिक बढ़ने से पहले कदम उठासकें और मदद मांग सकें। अपनी स्थिति में जो संभव है, उस दायरे में स्व-देखभाल के तरीके खोजने होंगे। तनाव इतना न बढ़ने दें कि बाद में संभालना असंभव लगे। मोर तौर पर सोचें कि आप अपना कार्यभार दूसरों के साथ बांटकर या सेवाओं के उपयोग से कैसे कम कर सकते हैं। छोटे छोटे विराम दीं में कैसे शामिल कर सकते हैं। देखभाल के कार्य में कुछ संतोष और खुशी के पल जोड़ना क्या संभव है?

देखभाल में तनाव महसूस करने के कई कारण हैं। आप पाएंगे कि ज़िंदगी के हर पहलू पर आपके देखभाल के रोल का असर हो रहा है, चाहे वह करियर हो या समाज में मिलना-जुलना या आपकी आर्थिक हालत या बच्चों के साथ समय बिता पाना। इतनी मेहनत के बाद भी आप देखेंगे कि व्यक्ति की हालत बिगड़ती जा रही है। पहले जब आप थक जाते थे तो बाहर जा कर चाट खा लेते थे या पिक्चर देख लेते थे या दोस्तों के साथ गपशप करते थे, पर यह तनाव से मुक्त होने के रास्ते अब शायद उपलब्ध नहीं हों। अब आपको खुश रहने के लिए और तनाव-मुक्ति के लिए नए तरीके ढूँढने पड़ेंगे।

मिलने-जुलने का दायरा सीमित होने पर भी, व्यस्त होने पर भी, कुछ ऐसी चीज़ें हैं जो आपको आनंद दे सकती हैं। जैसे कि, कहानी पढ़ना, गाने सुनना, मनपसंद टीवी सीरियल या किसी पिक्चर की ऑनलाइन स्ट्रीमिंग देखना। घर पर अगर दोस्तों को न बुला सकें तो आप पास के कॉफी हाउस में उनसे मिल सकते हैं। स्वयं को छोटे विराम (breaks) देकर आप खुशी के कुछ पल ले सकते हैं और तनाव को बढ़ने से रोक सकते हैं।

यदि आप डिमेंशिया की सच्चाई को सही तरह से समझें और स्वीकारें तो उसकी सीमाओं के अंदर भी आप अपने रोल के महत्त्व को समझ कर देखभाल करने में संतोष पा सकते हैं। देखभाल को आप एक रचनात्मक क्रिया मान सकते हैं और दिल लगा कर यह रोल निभा सकते हैं। अन्य लोग आपकी कद्र करें या नहीं, आप अपने काम का मूल्य पहचान सकते हैं।

व्यक्ति के साथ बीता समय भी आनंद का एक स्त्रोत हो सकता है। वे कई बातें भूल चुके हों तब भी अकसर खुशी के कुछ पल का आनंद ले सकते हैं। उनके साथ कुछ देर सुस्ताने में, या साथ बैठ गाने सुनने में या धूप सेकने में आपको मज़ा आ सकता है। बालकनी में साथ बैठ कर नीचे क्रिकेट खेलते बच्चों को देख सकते हैं। पुरानी फोटो-एल्बम देख सकते है, या कोई खेल खेल सकते हैं, चाहे व्यक्ति को खेल के नियम याद हों या नहीं, आप मज़ा लेने के लिए किसी भी तरह खेलें। आवश्यक बात यह है कि आप अपनी उम्मीदें डिमेंशिया की सच्चाइयों के अनुसार रखें। व्यक्ति को शांत, संतुष्ट और सुखी कैसे रखें, यह सीखें और अपनाएँ।

वर्तमान में आनंद ले पाने से बहुत आराम मिल सकता है। सब कुछ आदर्श तरह से करने की कोशिश न करें, अपने साथ सख्ती न करें। देखभाल का कार्यभार बहुत अधिक होता है, और इसकी वजह से आपको अपनी ज़िंदगी में बहुत सी चीज़ें बदलनी पड़ेंगी। पर यदि आप और आपके परिवार वाले काम बाँट कर, डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति की देखभाल शांत और खुश रहकर कर पायेंगे तो यह अनुभव आप सब को नज़दीक ही लाएगा और इसमें आपको खुशी के भी कई पल मिल पाएंगे। व्यक्ति भी अधिक शांत और खुश रह पाएंगे। बुरे वक्त में यह खुशी के पल याद करके आपको सुकून और हौसला मिलेगा।

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संक्षेप में.

डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति की देखभाल सालों चलती है। यह कार्यभार ठीक से संभालने के लिए यदि आप सक्रिय कदम उठायें, ठीक से स्थिति समझें और उसके लिए आयोजन करेंगे, तो काम में ज्यादा सुविधा होगी और तनाव कम होगा। इसके लिए आपको कई कदम उठाने होंगे। डिमेंशिया का व्यक्ति पर क्या असर हो रहा है, यह आपको गहराई से समझना होगा। सिर्फ सतह पर समझने से काम नहीं बनेगा। व्यक्ति के व्यक्तित्व (personhood) का आदर करना होगा, और उनसे भावनात्मक तौर से सम्बन्ध बनाए रखना होगा। अगर आप ठीक से डिमेंशिया का असर नहीं समझेंगे तो आप पायेंगे कि आप व्यक्ति से कुछ ऐसी उम्मीद कर रहे हैं जो वे पूरी नहीं कर पा रहे हैं। आपको देखभाल के कार्यभार को समझना होगा, ताकि देखभाल कर पाने के लिए आपको जो अन्य काम और जिम्मेदारियों में बदलना है, आप उसे बदल पाएँ। अपनी सब जिम्मेदारियां निभा पाएँ, इसके लिए प्लान करना होगा, घर में बदलाव करने होंगे, देखभाल के तरीके भी सीखने होंगे। व्यक्ति यदि खुश रहें तो उनकी देखभाल ज्यादा आसान होती है। यह सब करने पर ही आप यह सालों लंबा रास्ता बिना तनाव के तय कर पायेंगे। स्व-देखभाल के बारे में रोचना होगा। इस सब में रचनात्मक रहना होगा। थकान होगी, पर हो सकता है आप देखभाल करते समय आनंद भी ले सकें और आपको सही तरह से देखभाल करने का संतोष भी मिले।

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इन्हें भी देखें

हिंदी पृष्ठ, इसी साईट से:

इस वेबसाइट पर अनेक पृष्ठों पर सम्बंधित विषयों पर विस्तार से चर्चा है। देखें:

डिमेंशिया पर अधिक जानकारी के लिए:

व्यक्ति की भावनाओं और व्यवहार पर डिमेंशिया का असर समझने के लिए देखें: डिमेंशिया का व्यक्ति के व्यवहार पर असर।

देखभाल के अनेक पहलूओं पर विस्तार से चर्चा इन पृष्ठों पर:

इस पृष्ठ का नवीनतम अँग्रेज़ी संस्करण यहाँ उपलब्ध है: Dementia Home Care: An Overview Opens in new window। अंग्रेज़ी पृष्ठ पर आपको विषय पर अधिक सामयिक जानकारी मिल सकती है। कई उपयोगी अँग्रेज़ी लेखों, संस्थाओं और फ़ोरम इत्यादि के लिंक भी हो सकते हैं।

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डिमेंशिया केयर नोट्स (हिंदी )