अफ़सोस, अधिकांश प्रकार के डिमेंशिया (मनोभ्रंश) ऐसे रोगों के कारण होते हैं जिन में मस्तिष्क की हानि को ठीक नहीं किया जा सकता (irreversible) और डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति की हालत समय के साथ बिगड़ती जाती है (progressive)।
जैसे जैसे डिमेंशिया बढता है, मस्तिष्क में हानि बढ़ती जाती है, और अन्य भागों में भी फैलने लगती है। लक्षण अधिक गंभीर होने लगते हैं, और नए लक्षण भी नज़र आने लगते हैं। व्यक्ति को अपने साधारण रोज के कामों में ज्यादा दिक्कत होने लगती है, जैसे कि खुद नहाना, खाना बनाना और खाना, बैंक का काम करना, खरीदारी करना, सही दवाई समय पर नियमित रूप से लेना, वगैरह। इस तरह के कार्यों को अकसर “ऐक्टिविटीज़ ऑफ डेली लिविंग” भी कहा जाता है। रोग के कारण व्यक्ति की दूसरों पर निर्भरता बढ़ने लगती है, और परिवार वालों को उनकी सहायता करनी होती है। व्यक्ति का व्यवहार भी बदल सकता है, और व्यक्तित्व फ़र्क लगने लगता है। भटकने की संभावना बढ़ जाती है। कुछ व्यक्ति उत्तेजित या आक्रामक होने लगते हैं, कुछ उदास या कटे कटे रहने लगते हैं , कुछ गाली देना और अश्लील हरकत करना भी शुरू कर सकते हैं। कई व्यक्ति भूलने लगते हैं और यह नहीं जान पाते कि वे कहाँ हैं, कौन सा साल या महीना चल रहा है। लोगों को पहचान पाना भी कम हो सकता है। सामान्य वस्तुओं के इस्तेमाल में दिक्कत होने लगती है। वे खुद की साफ-सफाई ठीक से नहीं रखते, और अपना खयाल नहीं रख पाते हैं – ठीक से खाना, मौसम के अनुकूल कपड़े पहना, इत्यादि। वे खुद को चोट भी लगा सकते हैं । वे अपनी जरूरतें नहीं समझा पाते हैं। चलने में, संतुलन रखने में, शरीर के भागों के तालमेल में भी गिरावट हो सकती है। स्थिति बिगड़ती रहती है और अंत में व्यक्ति पूरी तरह लाचार हो, बिस्तर पर पड़ सकते हैं, और बातचीत भी बंद हो सकती है।
स्थिति कितनी जल्दी बिगड़ती है, यह हर व्यक्ति के केस के लिए अलग होता है। यह इस पर निर्भर है कि व्यक्ति को किस तरह का डिमेंशिया है, वह कितनी तेजी से बिगड़ रहा है, और व्यक्ति का स्वास्थ्य कैसा है और उन्हें और कौन-कौन सी बीमारियाँ हैं। कुछ मामलों में यह गिरावट कुछ दो तीन सालों में ही हो जाती है, कुछ में एक दशक से ऊपर लगता है।
परिवार वालों को व्यक्ति की अवस्था के अनुसार उसकी सहायता करनी होती है, और यह भी समझना होता है कि समय के साथ व्यक्ति की हालत कैसे बिगड़ेगी और सहायता कैसे करनी होगी, ताकि वे उस प्रकार की देखभाल करने के लिए तैयार हों, और अगर उन्हें समय या पैसे का प्रबंध करना हो, तो वे उसके लिए भी तैयार हो पायें।
डिमेंशिया के चरण क्या हैं, इसके लिए कोई अधिकृत परिभाषा उपलब्ध नहीं है, चूंकि डिमेंशिया अनेक रोगों के कारण हो सकता है, और हर व्यक्ति की हालत अलग अलग तरह से बदतर होती है, और बिगड़ने की गति भी हर व्यक्ति के लिए अलग होती है। स्पष्ट रूप से सिर्फ इतना कह सकते हैं कि डिमेंशिया के कारण व्यक्ति की हालत बिगड़ेगी और जीवन-काल कम होगा। पर देखभाल करने वालों को कुछ तो अंदाज़ा चाहिए कि आगे क्या क्या हो सकता है, ताकि वे देखभाल करने के लिए तैयारी कर सकें। वे भावनात्मक रूप से भी डिमेंशिया के बिगड़ने के लिए तैयार हो सकते हैं।
देखभाल करने वाले योजना बना सकें, इस की सुविधा के लिए अकसर मोटे तौर पर डिमेंशिया को तीन अवस्थाओं (चरणों) में विभाजित करा जाता हैं –प्रारंभिक (शुरू) की अवस्था (early stage), मध्यम (बीच की अवस्था)(middle stage), और अग्रिम/ अंतिम अवस्था (late stage)। इस पर चर्चा:
- प्रारंभिक (शुरू) की अवस्था (early stage).
- मध्यम (बीच की अवस्था)(middle stage).
- अग्रिम/ अंतिम अवस्था (late stage).
- कुछ सम्बंधित नोट.
डिमेंशिया की इन अवस्थाओं में देखभाल करने के लिए किस तरह सोच सकते हैं, इस पर विस्तृत चर्चा देखें हमारे देखभाल-सम्बंधी इस पृष्ठ पर: डिमेंशिया की बढ़ती और बदलती अवस्थाओं के लिए देखभाल की तैयारी करना।
प्रारंभिक (शुरू) की अवस्था (early stage).
इस अवस्था में मस्तिष्क में हानि बहुत ज्यादा नहीं होती, और व्यक्ति, कुछ सहायता और आयोजन के साथ, अपने काम स्वयं कर पाते हैं। लक्षण मंद होते हैं। कौन से लक्षण प्रकट होते हैं यह इस पर निर्भर होता है कि डिमेंशिया किस रोग के कारण हुआ है। जैसे कि यदि अल्जाइमर रोग है तो भूलने का लक्षण अकसर पाया जाता है, पर यदि फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया (Frontotemporal Dementia, FTD) है तो व्यक्तित्व में बदलाव या बोलने में दिक्कत नज़र आने की संभावना ज्यादा है। अकसर किसी को शक नहीं होता कि यह लक्षण किसी बीमारी के कारण हैं, और लोग इन्हें यह सोच कर नज़रअंदाज़ कर देते हैं कि यह तो बुढ़ापा है, या तनाव के कारण है, या व्यक्ति का चरित्र बदल गया है। अधिकाँश स्थिति में इस चरण में बीमारी का शक किसी बड़े हादसे के बाद ही होता है, जैसे कि व्यक्ति का भटकना या किसी के बहकावे में आकर अपनी पूरी जायदाद खो देना या किसी पर आक्रमण करना। पर सतर्क रहें तो लक्षण जल्दी पहचान सकते हैं और डॉक्टर से सलाह कर सकते हैं। निदान हो जाए तो परिवार को और व्यक्ति को स्थिति के लिए उचित प्लान करने का मौका मिल सकता है।
लक्षणों के कुछ उदाहरण:
- व्यक्ति तारीख भूल जाते हैं।
- वे लोगों और वस्तुओं का नाम भूल जाते हैं।
- उन्हें हाल में हुई बातें याद नहीं रहतीं, जैसे कि आज खाना खाया था या नहीं।
- अगर आप उन्हें एक चित्र दें (जैसे कि घड़ी का चित्र), और उसकी नकल करने को बोलें, तो उन्हें दिक्कत होती है।
- वे घटनाओं और समाचार का विश्लेषण नहीं कर पाते।
- उन को बातचीत करने में दिक्कत हो सकती है।
- वे लोगों से मिलना कम कर देते हैं, और चुपचाप सहमे हुए रहते हैं।
- उनका मूड ऊपर-नीचे बिना बात के होता रहता है और वे चिड़चिड़े रहते हैं।
- हिसाब रखने में और पैसे गिनने और सँभालने में उन्हें दिक्कत होती है, और वे अकसर गलतीयाँ करते हैं। जैसे कि, वे समझ नहीं पाते कि क्या हजार रुपए दस रुपये से ज्यादा हैं ।
- वे चिल्लाने लगते हैं और गाली देने लगते हैं।
- वे अश्लील हरकतें करने लगते हैं या समाज में ठीक से उठना बैठना भूल जाते हैं।
- वे औरों की भावनाओं को नहीं पहचान पाते, और उनकी कद्र नहीं करते।
- वे बहुत अधिक खाने लगते हैं या शराब पीने लगते हैं।
मध्यम (बीच की अवस्था) (middle stage).
डिमेंशिया के बीच की अवस्था में आते आते परिवार वालों को व्यक्ति की परेशानियां साफ़ नज़र आने लगती हैं। व्यक्ति अकसर असमंजस में होते हैं, ज्यादा गलतीयाँ करते है, अपना काम धीरे धीरे करते हैं, और अकसर या तो उत्तेजित हो जाते हैं या मिलना-झुलना बिलकुल बंद कर देते हैं। परिवार वालों को उनकी देखभाल के लिए ज्यादा काम करने पड़ते हैं, और व्यक्ति के बदले स्वभाव और व्यवहार की वजह से उत्पन्न चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है। अकसर देखभाल दिन रात करनी पड़ती है, क्योंकि व्यक्ति खुद को भी नुक्सान पंहुचा सकते हैं, और आस पास के लोगों और वस्तुओं को भी। इस चरण में देखभाल की जिम्मेदारी बहुत तनाव पूर्ण रहती है। काम बहुत होता है, दिक्कतें बहुत होती हैं, पर आस पास समर्थक व्यवस्थाएं कम हैं और अन्य लोग भी अकसर डिमेंशिया के निदान को नहीं स्वीकारते।
लक्षणों के कुछ उदाहरण:
- व्यक्ति यह भूल जाते हैं कि वे कहाँ हैं (जैसे कि, किस शहर में, किस के घर में) और जानी-पहचानी जगह में भी खो जाते हैं।
- परिवार वाले उनसे क्या कह रहे हैं, वे समझ नहीं पाते।
- वे किसी काम पर ध्यान नहीं दे पाते।
- वे नई चीज़ें नहीं सीख पाते, जैसे कि नए टीवी का रिमोट कैसे चलता है, या कोई नए विषय पर किसी लेख में क्या बताया गया है।
- वे पैसे नहीं गिन पाते, हिसाब नहीं रख पाते, और चीज़ों का मूल्य क्या है, यह समझ नहीं पाते।
- रोज-मर्रा के काम भी वे अब बिना मदद के नहीं कर पाते–जैसे कि खाना पकाना, खरीदारी करना, बैंक जाना।
- वे अकसर भ्रमित हो जाते हैं। जो नहीं हुआ है, उसको वे सच मानते हैं, और समझाने पर भी नहीं मानते, उलटा उत्तेजित हो कर आरोप लगाने लगते हैं, जैसे कि उनका खून हो जाएगा या उन्हें भूखा मारा जा रहा है।
- कभी कभी वे घबराए हुए लगते हैं, या सहम जाते हैं या बहुत मायूस लगते हैं और अवसाद (depression) का शिकार हो जाते हैं।
- वे अपनी साफ-सफाई ठीक नहीं रखते।
- उन्हें कपड़े पहनने में, दांत साफ़ करने में, नहाने में, ऐसे निजी कार्यों में भी दिक्कत होने लगती है, और सहायता की ज़रूरत होती है।
- साधारण वस्तुओं को देखते हुए या इस्तेमाल करते हुए वे कभी कभी कंफ्यूस हो जाते हैं।
- वे सबके प्रति उदासीन हो जाते हैं, और उन्हें किसी भी चीज़ में रुचि नहीं रहती।
- वे उत्तेजित और आक्रामक हो सकते हैं।
- वे लोगों से ठीक से बोलना भी भूल सकते हैं और अश्लील हरकतें भी कर सकते हैं।
अग्रिम/ अंतिम अवस्था (Late stage).
इस अवस्था तक पंहुचने पर डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति के मस्तिष्क में हानि बहुत फैल जाती है। शरीर पर भी असर काफी ज्यादा नज़र आता है। चलना फिरना, बात करना, अपनी ज़रूरतें बता पाना, सब में बहुत गिरावट हो जाती है। वे लाचार हो जाते हैं, और अपने सब कार्यों के लिए पूरी तरह दूसरों पर निर्भर हो जाते हैं। खुद खाना खाने में और निगलने में भी दिक्कत होने लगती है।
- वे क्या कह रहे हैं, यह समझना बहुत ही मुश्किल हो जाता है।कई व्यक्ति बोलना बिलकुल बंद ही कर देते हैं।
- अधिकाँश रोगियों में याददाश्त बहुत ही खराब हो जाती है।
- वे अपने हाथ-पैर का इस्तेमाल ठीक से नहीं कर पाते, मानो शरीर के अंगों में पर्याप्त समन्वय नहीं रहा हो। हाथों पर नियंत्रण बहुत काम जो जाता है, जिस से कुछ भी काम करने में दिक्कत होती है।
- वे अपने निजी दैनिक काम नहीं कर पाते।
- वे मल-मूत्र पर अपना नियंत्रण खो देते हैं।
- चलने में बहुत समस्या होने लगती है, संतुलन नहीं रहता, चलना-फिरना बंद हो जाता है ।
- अकसर उन को लोगों में और आस पास कि घटनाओं में रुचि नहीं रहती।
- खाने और पीने में दिक्कत होती है, निगलने में दिक्कत होती है, और खाने के कण कई बार फेफड़ों में चले जाते हैं, जिससे इन्फेक्शन हो जाता है।
- वे दिन का अधिकाँश भाग सोते रहते हैं।
- अंत की ओर वे पूरी तरह बिस्तर पकड़ लेते हैं, और बिलकुल भी उठ-बैठ नहीं पाते। हर काम बिस्तर पर ही होता है। बेड सोर और इन्फेक्शन ज्यादा होने लगते हैं और शरीर जवाब देने लगता है।
डिमेंशिया को अब जीवन सीमित (life-limiting) करने वाला रोग माना जाता है, और मरणांतक (terminal) भी। सामान्य काबिलीयत पर भी डिमेंशिया का असर पड़ता है, जैसे कि खाना निगलना, जिससे व्यक्ति को खतरा रहता है। डिमेंशिया वाले व्यक्ति अपनी तकलीफें नहीं बता पाते हैं और खुद को संभाल भी नहीं पाते, और इसलिए उन्हें समय से सहायता और उपचार नहीं मिल पाता। डिमेंशिया के कारण व्यक्ति के अन्य रोग और गंभीर भी हो सकते हैं। जटिलताएं हो सकती हैं। डिमेंशिया के जीवन सीमित करने के विषय पर अधिक चर्चा और लिंक हमारे अँग्रेज़ी पृष्ठ पर देखें।
आरंभिक लक्षणों और निदान से निधन तक के सफर में ज्यादातर दो से बीस साल लगते है, और अधिकांश केस चार से आठ साल के होते हैं। यानि कि, कुछ लोगों में डिमेंशिया एक दशक से ऊपर लेता है, पर कुछ में हानि इतनी तेज गति से बढ़ती है कि यह सफर एक दो साल में ही तय जो जाता है और व्यक्ति का निधन हो जाता है। जैसे जैसे डिमेंशिया बढ़ता है, व्यक्ति की हालत खराब होती जाती है, और परिवार वालों को देखभाल उस हिसाब से बढानी होती है। व्यक्ति और परिवार वालों, दोनों के लिए यह एक बहुत लंबा सफर है
कुछ सम्बंधित नोट.
क्योंकि हर व्यक्ति में डिमेंशिया अलग अलग रूप से प्रकट होता है और अलग अलग रूप से बढ़ता हैं, इसलिए हर परिवार को व्यक्ति की देखभाल अपनी स्थिति के हिसाब से करनी होती है। उन्हें देखना होता है कि उनके प्रियजन के कौन से लक्षण प्रमुख हैं, कौन सी क्षमताएं कम हो रही हैं, किस काम में सहायता चाहिए, व्यवहार में किस तरह का बदलाव है, और उसे कैसे संभालें। परिवार वाले यदि डिमेंशिया की अवस्थाओं के बारे में जानते हों, तो वे मोटे तौर से अनुमान लगा सकते हैं कि किस तरह की सहायता की ज़रूरत पड़ेगी, और उसके लिये परिवार वालों को अपनी जिंदगी में अपने अन्य काम और जिम्मेदारियों में क्या क्या बदलना होगा। शुरुआती देखभाल में व्यक्ति की स्वतंत्रता और सक्षमता पर जोर होता है, मध्यम अवस्था में उन्हें खतरों से बचाए रखना होता है, और अंत की ओर उनकी सुख शान्ति का, आराम को खास तौर पर ध्यान में रखना होता है। विभिन्न चरणों में देखभाल पर चर्चा इस पृष्ठ पर देखें:डिमेंशिया की बढ़ती और बदलती अवस्थाओं के लिए देखभाल की तैयारी करना।
डिमेंशिया के लक्षण कई रोगों के कारण हो सकते हैं। सबसे आम रोग है अल्ज़ाइमर रोग (Alzheimer’s Disease), परन्तु अन्य भी कई रोग हैं जो डिमेंशिया के लक्षण पैदा कर सकते हैं। हर रोग का मस्तिष्क पर अलग तरह से असर हो सकता है। समय के साथ रोग के बढ़ने का तरीका भी फ़र्क हो सकता है। इसलिए डिमेंशिया के चरण के लक्षण भी फ़र्क हो सकते हैं। इस पर अधिक चर्चा, और अनेक उपयोगी (अंग्रेज़ी) लिंक के लिए इस पेज के अँग्रेज़ी संस्करण को देखें (लिंक नीचे है)।
इस पृष्ठ का नवीनतम अँग्रेज़ी संस्करण यहाँ उपलब्ध है: Stages of dementia Opens in new window। अंग्रेज़ी पृष्ठ पर आपको विषय पर अधिक सामयिक जानकारी मिल सकती है। कई उपयोगी अँग्रेज़ी लेखों, संस्थाओं और फ़ोरम इत्यादि के लिंक भी हो सकते हैं। अलग अलग डिमेंशिया रोगों के चरण कैसे कैसे हो सकते हैं, इसके लिए भी अँग्रेज़ी पृष्ठ पर जानकारी और लिंक हैं।
Previous: डिमेंशिया/ अल्जाइमर से कैसे बचें: चित्रण Next: डिमेंशिया का व्यक्ति के व्यवहार पर असर