डिमेंशिया/ अल्ज़ाइमर देखभाल पर हिंदी वेबसाइट

इंटरनेट पर उपलब्ध हिन्दी में जानकारी।

इन्टरनेट पर डिमेंशिया (मनोभ्रंश)/ अल्ज़ाइमर सम्बंधित अधिकांश जानकारी अँग्रेज़ी में है। इस प्रकार की जानकारी विभिन्न देशों के अल्ज़ाइमर / डिमेंशिया संस्थाओं द्वारा उनके वेबसाइट पर उपलब्ध है। कई साईट Alzheimer’s Disease के राष्ट्रीय या प्रांतीय संस्थाओं के हैं। अन्य प्रकार के डिमेंशिया के भी राष्ट्रीय और अन्तराष्ट्रीय वेबसाइट हैं, जैसे कि फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया (Fronto Temporal Dementia, FTD) या लुई-बॉडी डिमेंशिया (Lewy Body Dementia, LBD)। इन में खास डिमेंशिया रोग (FTD, LBD, इत्यादि) और सम्बंधित देखभाल पर जानकारी और सलाह मौजूद है। कई साईट पर देखभाल कर्ताओं के लिए उपयोगी डाउनलोड भी हैं। कुछ साईट पर ऑनलाइन समुदाय (कम्यूनिटी, caregiver community) भी हैं जहाँ देखभाल करने वाले आपस में समस्याओं और सुझावों का आदान प्रदान कर सकते हैं।

कुछ अल्ज़ाइमर संगठनों ने अल्ज़ाइमर/ डिमेंशिया जानकारी हिन्दी और अन्य कई भाषाओं में भी उपलब्ध कराई है। अपने देश के प्रवासियों की सुविधा के लिए कुछ राष्ट्रों की Alzheimer’s Association ने कुछ सरल पत्रिकाएँ अन्य भाषाओं में भी प्रकाशित करी हैं। उदाहरण के तौर पर, ऑस्ट्रेलिया में ऐसे कई लोग रहते हैं जो अँग्रेज़ी के अलावा अन्य भाषाएँ बोलते हैं। उनकी सुविधा के लिए ऑस्ट्रेलिया के डिमेंशिया संगठन के वेबसाइट पर डिमेंशिया जानकारी अनेक भाषाओं में उपलब्ध है। इन भाषाओं में हिंदी और कुछ अन्य भारतीय भाषाएँ भी हैं। अन्य देशों के Alzheimer’s Association वेबसाइट पर भी कुछ हिंदी पत्रिकाएँ हैं।

अन्य देशों द्वारा उपलब्ध कराई गयी जानकारी डिमेंशिया के लक्षण और उपचार को समझने के लिए बहुत उपयोगी हैं। देखभाल पर भी अच्छी जानकारी है। पर इन पत्रिकाओं में जानकारी उस देश में रहने वालों के लिए है, और सहयोगी सेवाओं पर चर्चा करते हुए इन में यह माना गया है कि डिमेंशिया से जूझ रहे परिवारों को उचित और पर्याप्त सहायता मिल पायेगी। यह जानकारी जिन देशों के लिए लिखी गयी है वहाँ डिमेंशिया की जागरूकता अधिक है, और उपलब्ध सहायता भी ज्यादा और अनेक किस्म की है। भारत में स्थित परिवारों के लिए आज-कल के हालत में यह सच नहीं है।

भारत में भी कुछ अल्ज़ाइमर/ डिमेंशिया और देखभाल जानकारी हिंदी में इन्टरनेट पर उपलब्ध है। यह जानकारी भारत में रहने वालों के लिए लिखी गयी है।

हिंदी में जानकारी आपको इन लिंक पर मिल सकती हैं: [अस्वीर्करण.]

कोविड लॉकडाउन के बाद से कुछ अन्य प्रकार के हिन्दी संसाधन भी उपलब्ध हुए हैं।

जब कोविड-19 लॉकडाउन शुरू हुआ, तो लगभग सभी व्यक्तिगत डिमेंशिया सेवाएं बंद हो गईं, परिवारों को समर्थन दे पाने के लिए धीरे धीरे कई संगठनों ने ऑनलाइन या फोन हेल्पलाइन शुरू किए। ये अब भी काफी हद तक उपलब्ध हैं। चूंकि ऑनलाइन संसाधनों तक कोई भी व्यक्ति पहुंच सकता है, परिवार अधिक जानने, लोगों से जुड़ने, समर्थन प्राप्त करने आदि के लिए स्थानीय संगठनों तक सीमित नहीं हैं। कई तरह के वेबईनार और पैनल डिस्कशन भी अब अधिक होते हैं, और ईवेंट खतम होने के बाद भी ऑनलाइन उपलब्ध रहते हैं। ऐसे भी सेशन होते हैं जिनमें परिवार वाले या डिमेंशिया वाले व्यक्ति ऑनलाइन माध्यम से अन्य लोगों के साठ गतिविधियों में जुड़ पाते हैं।

हालांकि अब भी ये ज्यादातर अंग्रेजी में ही हैं, इनमें कई बार हिन्दी में प्रश्न पूछना या किसी विषय पर जानकारी प्राप्त करना संभव होता है। कुछ सेशन तो अंग्रेजी और हिन्दी, दोनों भाषाओं में होते हैं।

इन नए संसाधनों से लाभ उठाने के लिए, परिवारों को इस्तेमाल किए जा रहे तकनीकी प्लेटफॉर्म से परिचित होने की जरूरत है। सौभाग्य से, अधिकांश परिवारों ने जितना सोचा था उससे कहीं अधिक आसानी से ऑनलाइन मोड को अपना लिया है।

इन तरह के इवेंट्स और संदसाधन के बारे में जानने के लिए आप ऐसी विश्वसनीय संस्थाओं से संपर्क में रहें जो डिमेंशिया के, वरिष्ट नागरिकों के और मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्यरत हैं। हमारे अंग्रेजी साइट के संसाधनों के पृष्ठ भी देखें: Dementia Caregiver Resources across India Opens in new window और आपके शहर/ राज्य में City-wise/ region-wise resources Opens in new window

सपोर्ट के लिए अनलाइन फोरम।

फेसबुक और कुछ अन्य माध्यमों द्वारा ससहायता और समर्थन के लिए अनलाइन समुदाय उपलब्ध हैं। इनमें से कई दूसरे देशों से है, और कुछ भारत से भी हैं। इसके अतिरिक्त आजकल कुछ समुदाय व्हाट्सप्प पर भी मिलते हैं।, इनमें ज्यादातर चर्चा अंग्रेजी में होती है।आप इनके बारे में हमारे अंगरजी साइट पर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

एक विकल्प है कि टेक्नॉलजी की सहायता से देखभाल करते वाले और स्वयंसेवक और विशेषज्ञ अपने छोटे छूटे समुदाय बनाएं। आजकल कुछ लोग ऐसे समुदाय व्हाट्सप्प, फेसबुकइत्यादि द्वारा बना लेते हैं।

उदाहरण के तौर पर, एक ऐसी स्थिति हो सकती है जब कोई संगठन एक सपोर्ट ग्रुप मीटिंग करता है और फिर स्वयंसेवक एक व्हाट्सएप समूह बनाते हैं है ताकि मीटिंग में उपस्थित देखभाल कर्ता संपर्क में रह सकें। इस तरह के छोटे समूहों में गतिविधि का स्तर और साझा की गई जानकारी की गुणवत्ता और उपयोगिता बहुत भिन्न होती हैं। ऐसे समूहों पर बातचीत में जानकारी साझा करना, प्रश्न और सुझाव, ऐसी सेवाओं का विवरण जिसे किसी ने उपयोगी पाया है, व्यक्तिगत कहानियों को साझा करना, और अनौपचारिक रूप से मिलना शामिल हो सकता है। ऐसे कुछ समूह बहुत सक्रिय और उपयोगी रहते हैं, कुछ नहीं।

यदि आप ऐसे समूह का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो आप अपने परिचित किसी स्वयंसेवक से ऐसे समूह की स्थापना और समन्वय करने के लिए कह सकते हैं। या आप अन्य देखभाल करने वालों के साथ जुड़ कर जानकारी साझा करने और संपर्क में रहने के लिए अपना समुदाय बना सकते हैं।

एक अन्य संभावना है कि आप खुद ही ऐसा फोरम बनाएं और उसे माडरेट करें। ऐसा करने की सोच रहे हों तो कुछ बातों का खास खयाल रखना होता है।

  • सुनिश्चित करें कि एक या अधिक जानकार, जिम्मेदार विशेषज्ञ सक्रिय रूप से फोरम में भाग लेंगे, और ग्रुप को उपयोगी बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इससे सदस्यों द्वारा भ्रामक जानकारी साझा करने की संभावना कम हो जाती है। साथ ही, प्रश्नों के बेहतर और अधिक विश्वसनीय उत्तर पाने में भी मदद मिलती है।
  • सुनिश्चित करें कि आप समूह की गोपनीयता सेटिंग्स और नियमों के बारे में स्पष्ट हैं। इस बात से सावधान रहें कि समूह के सदस्य दूसरे सदस्यों की गोपनीयता का सम्मान करें। सावधान रहें कि आप फोरम में क्या साझा करते हैं, क्योंकि हो सकता है फोरम में कुछ ऐसे सदस्य हैं जिन से आप वह बात न कहना चाहें। फेसबुक और व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि अन्य सदस्य आपका नाम / फोन नंबर जान सकते हैं। कोई भी आपके द्वारा पोस्ट किए गए संदेश को फॉरवर्ड कर सकता है या उसका स्क्रीनशॉट लेकर साझा कर सकता है।
  • किसी भी ऑनलाइन फोरम का चिकित्सकीय सलाह के लिए उपयोग न करें। अगर कोई किसी दवा या वैकल्पिक चिकित्सा की सिफारिश करता है, तो यह न मानें कि जानकारी सही है। ध्यान से मूल्यांकन करें और अपने डॉक्टर से भी पूछें। यदि आप समूह को मॉडरेट कर रहे हैं, तो सदस्यों को यह दावा न करने दें कि कोई विशिष्ट दवा या वैकल्पिक चिकित्सा समस्या को पक्की तरह ठीक कर सकती है।
  • कुछ फ़ोरम में, यूजर कई अप्रासंगिक पोस्ट करते हैं। नतीजतन, सदस्य शायद महत्वपूर्ण पोस्ट न देख पाएं/ उन पर पर ध्यान न दें क्योंकि उनकी स्क्रीन चुटकुलों और कहानियों से भरी है। यह समस्या अकसर व्हाट्सएप ग्रुप में देखी जाती है। सदस्यों से निवेदन करें कि पोस्ट सिर्फ डिमेंशिया और दहभाल से ही संबंधित हों, और उचित माडरैशन करें।

अधिक जानकारी और संसाधन।

हिंदी के अतिरिक्त अन्य भारतीन भाषाओं में इन्टरनेट पर डिमेंशिया/ देखभाल पर पत्रिकाएं और वेबसाइट के बारे में जानकारी हमारे अँग्रेज़ी वेबसाइट पर देखें: Dementia Information in Bengali, Gujarati, Hindi,Malayalam, Marathi, Punjabi, Tamil, Telugu, Urdu Opens in new window। यहाँ आपको बंगाली, गुजराती, मलयालम, मराठी, पंजाबी, तमिल, तेलगू, और उर्दू भाषाओं में उपलब्ध जानकारी के लिए लिंक मिलेंगे।

इस पृष्ठ का अँग्रेज़ी संस्करण यहाँ उपलब्ध है: Informational websites on dementia / caregiving Opens in new window। इस अँग्रेज़ी पृष्ठ पर डिमेंशिया और देखभाल के विषय पर अँग्रेज़ी और अनेक भारतीय भाषाओं में उपलब्ध जानकारी के लिए कई लिंक हैं। भिन्न-भिन्न प्रकार के डिमेंशिया के कारक रोगों के लिए वेबसाइट लिंक (अँग्रेज़ी) आप यहाँ देख सकते हैं: डिमेंशिया किन रोगों के कारण होता है

उपयोगी अँग्रेज़ी पुस्तकों पर जानकारी के लिए हमारे अँग्रेज़ी पृष्ठ को देखें: Books Opens in new window

अस्वीकरण: ये लिंक सिर्फ यहाँ आपकी सुविधा के लिए दिए गए हैं। हम इन लिंक पर उपलब्ध जानकारी की विश्वसनीयता, सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता के लिए ज़िम्मेदार नहीं हैं

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