डिमेंशिया वाले व्यक्ति को शांत, संतुष्ट और सुखी कैसे रखें

डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति कई गतिविधियों (activities) का आनंद ले पाते हैं, चाहे वे इन्हें अच्छी तरीके से न कर पाएँ

देखभाल करने वाले क्या कर सकते हैं:  दिनचर्या में कुछ मजेदार और रचनात्मक गतिविधियां शामिल करें। व्यक्ति को यह महसूस करने दें कि वे अब भी सक्षम है, और उन्हें कुछ देर आनंद मिल पाए। आप भी कुछ देर व्यक्ति के साथ आराम से, सुखद वक्त बिताएं।

डिमेंशिया (मनोभ्रंश) से ग्रस्त व्यक्ति की यादें तो खोई हैं, और क्षमता भी कम हुई है, पर व्यक्ति फिर भी कई काम कर सकते हैं और कई गतिविधियों में आनंद उठा सकते। अगर व्यक्ति आसपास के माहौल से खुश हों, और अगर उन्हें लगे कि उनका जीवन सार्थक है, तो वे ज्यादा खुश रहेंगे, देखभाल का काम भी कम होगा, और देखभाल करने वाले भी व्यक्ति की संगति का आनंद ले पायेंगे। मुश्किल व्यवहार (जैसे कि उदासीनता/ उत्तेजना/ आक्रामक व्यवहार) की संभावना कम हो जाती है।

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कोविड जैसी स्थिति के लिए कुछ टिप्स: ऐसी गतिविधियाँ चुनें जो सुरक्षित हों और मजेदार भी, और इनके दौरान यह भी ध्यान रहे कि व्यक्ति कोविड और अन्य गंभीर इन्फेक्शन से बचे रहें। दोस्तों और परिवार वालों से जुड़े रहने के लिए और ग्रुप एक्टिविटी/ एक्सरसाइज के लिए डिजिटल मंचों का इस्तेमाल करें। दिनचर्या ऐसी हो जो सावधानियों और प्रतिबंधों के बावजूद सामान्य लगे, संतुष्टि और आनंद दे, और व्यक्ति की क्षमताओं के अनुरूप हो।

माहौल ऐसा बनाएँ जिसमें व्यक्ति सामान्य कार्य सुरक्षित होकर और आसानी से कर पाएँ

घर में व्यक्ति की सहूलियत और सुरक्षा के लिए बदलाव करें। व्यक्ति का रोज का कार्यक्रम एक सा रहे, और उनकी स्थिति के अनुरूप हो, तो उन्हें तनाव नहीं रहेगा कि अब क्या होने वाला है, और वे सामान्य तरह से रह पायेंगे।

कोशिश करें कि व्यक्ति का कंफ्यूशन कम से कम रहे और उन्हें अंदाजा रहे कि वे कहाँ हैं और क्या कर रहे हैं। इसके लिए कई तरह के तरीका हैं जिनसे उन्हें सही समय और जगह का सही बोध (वास्तविकता बोध) हो। व्यक्ति से बातचीत और मदद के तरीके भी डिमेंशिया की सच्चाई के हिसाब से बदलें। व्यक्ति को उनके काम में उतनी ही मदद दें जो कारगर जो और ज़रूरी हो, और जिस हद तक हो सके उन्हें अपने काम खुद करने दें। इन सब से वे खुद को सक्षम और सुरक्षित महसूस करेंगे। उन का दिन ज्यादा अच्छा बीतेगा। उन्हें कम दिक्कतें होंगी, और उन्हें काम कर पाने का संतोष भी ज्यादा मिलेगा।

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खुशहाल माहौल बनाएँ जिसमें व्यक्ति आराम कर सकें

dementia patients  may benefit from aromatherapy

व्यक्ति के लिए आरामदेह वातावरण क्या है, यह तो उनकी पसंद पर निर्भर है। कुछ सुझाव:

  • अगरबत्ती या धूप जलाएं, या अरोमाथेरेपी करें।
  • संगीत।
  • भजन।
  • पूजा का स्थान।
  • छोटा सा बगीचा या कुछ गमलों में पौधे, जैसे कि तुलसी या व्यक्ति को जो भी पसंद हों।

अगर व्यक्ति को पालतू जानवर पसंद हैं तो शायद उसे pet therapy (animal-assisted therapy) अच्छी लगे। इस थेरपी के समर्थकों का दावा है कि पालतू जानवर बिना संकोच, बिना शर्त प्यार करते हैं और यह डिमेंशिया वाले व्यक्तियों को पसंद आता है। पर भारत में पालतू जानवर इतने आम नहीं हैं, और ऐसी थेरपी अपनाने से पहले देख लें कि व्यक्ति क्या पालतू जानवर वाकई पसंद करते हैं।

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ऐसी गतिविधियां कराएं जिन्हें व्यक्ति उपयोगी समझें

अधिकाँश लोग चाहते हैं कि वे बेकार के न समझे जाएँ, वे कुछ ऐसा करें जिसका कोई फायदा हो, जो किसी के कुछ काम आ सके। डिमेंशिया होने से पहले व्यक्ति एक उपयोगी, सक्रिय जिंदगी बिता रहे थे, और अगर उन्हें लगे कि वे अब ब बेकार हो गए हैं, तो और दुःखी होंगे।

आप ऐसी गतिविधियां (activities) ढूंढ सकते हैं जो व्यक्ति कर सकते हों और जिन्हें वे उपयोगी / साठक भी समझें। गतिविधियां डिमेंशिया की अवस्था और व्यक्ति की क्षमता और रुची को धयन में रखते हुए चुनें। कुछ उदाहरण:

  • धुले हुए कपड़े सुखाने के लिए फैलाना, या सूखे हुए कपड़ों की तह करना।
  • डाल से पत्थर चुगना।
  • मटर छीलना।
  • रंगोली बनाना।
  • बाग में पौधों के साथ मदद करना।
  • वाज़ में फूल सजाना।
  • गुजिया बेलना।
  • पेंसिल तेज करना।
  • अख़बार से कटिंग करना और उन्हें फाइल में लगाना।
  • बच्चों के स्कूल चार्ट के लिए पिक्चर इकट्ठी करना।
  • किताबों की शेल्फ झाड़ना।
  • पोती को खाना बनाने की कोई रेसिपी समझाना।
  • कुत्ते को घुमाना।
  • धोबी को कपड़े देना, या कपड़े वापस लेना।
  • फिल्टर से बोतलों में पानी भरना।
  • एल्बम में फोटो ठीक से आयोजित करना ।

ऐसा काम चुने जो व्यक्ति को संतोष दें। अगर अम्मा को पकाने का शौक है, तो उन्हें मटर छीलना या उबले आलू मसलना पसंद आएगा, पर अगर उन्हें हमेशा खाना बनाना बोझ ही लगा था, तो ऐसा काम न दें। जिन लोगों को नौकर से काम कराने की आदत है, उन्हें दाल बीनने जैसे घरेलू काम देंगे तो उन्हें लगेगा कि आप उनका अपमान कर रहे हैं।

यह याद रखें कि व्यक्ति काम धीरे धीरे ही कर पायेंगे और उनसे गलतियाँ भी होंगी। यह भी हो सकता है कि व्यक्ति काम को बीच में ही छोड़ दें। आप उन पर काम ठीक से करने के लिए या काम पूरा करने के लिए जोर न दें, और गलती न निकालें। ऐसी गतिविधियां देने का इरादा यह है कि व्यक्ति को सक्षम और संतुष्ट होने का एक मौका मिले। काम ठीक हो, इस उम्मीद से काम न दें।

यह न सोचें कि व्यक्ति को डिमेंशिया है इसलिए वे कुछ भी नहीं कर पायेंगे, या उनमें सोचने या याद रखने की काबिलीयत नहीं होगी। कई व्यक्ति, कुछ सहायता और प्रोत्साहन के साथ मानसिक गतिविधियों का आनंद उठा सकते हैं। एक और बात यह है कि कुछ प्रकार के डिमेंशिया में याददाश्त सलामत रहती है, और व्यक्ति मानसिक रूप से भी सतर्क रहते हैं। उनकी समस्या अन्य क्षेत्रों में होती है, जैसे कि व्यक्तित्व में बदलाव, चलने में दिक्कत, भावनाओं पर नियंत्रण में दिक्कत, वगैरह। इस प्रकार के डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए आप जो गतिविधियां चुनें, वे उनकी शायद अलग किस्म की होंगी।

कुछ ऐसे काम भी दें जिनसे शरीर की हरकत हो। योग या चलना भी दिनचर्या में शामिल करने की कोशिश करें, ऐसी चीज़ों से स्वास्थ्य भी बना रहेगा और ये तनाव भी कम करती हैं।

यदि बाहर जाना संभव न हो तो डिजिटल के जरिए लोगों से जुड़फने की और गतिविधियां अन्य लोगों से साथ साथ करने की कोशिश करें। आजकल ऐसे कई वर्चुअल समुदाय, ऑनलिने वीडिओ और अन्य डिजिटल संसाधन उपलब्ध हैं । घर में बदलाव करें ताकि व्यक्ति के लिए घर पर ही व्यायाम और घूमना संभव ह, और व्यक्ति बाहर देख भी सकें। गतिविधियों का चुनाव व्यक्ति और स्थिति के अनुरूप करें।

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ऐसी गतिविधियां भी कराएं जो मजे के लिए हों

dementia patients  can enjoy some activities like these
Nightingales Centre for Ageing and
Alzheimer’s, Bangalore, activity room

व्यक्ति को मजेदार चीजें करने का मौका दें! बाहर पिकनिक पर जाएँ या घूमने जाएँ। यह अच्छी प्लानिंग के साथ संभव हैं। ऐसी चीज़ चुनें जो व्यक्ति की पसंद और क्षमता के अनुरूप हों। उन पर बोझ न पड़े।

व्यक्ति कई गेम या खिलौनों का भी आनंद उठा सकते हैं, खासकर अगर उन्हें साथ मिले, जैसे कि आप उनके साथ खेलें, या पोता-पोती साथ हों। अगर व्यक्ति और लोगों को कुछ करते देखें तो वे भी शामिल होना चाह अकते हैं। उनसे यह मत कहें, आपको यह करना चाहिए, डॉक्टर ने कहा है कि यह आपके लिए अच्छा है – ऐसा कहेंगे तो वे शायद मना करें, और बौखला भी सकते हैं।

खेल खेलते समय यह ध्यान रखें कि डिमेंशिया के कारण व्यक्ति को सब नियम याद नहीं रहेंगे, और वे गलती भी करेंगे और भूलेंगे भी। वे ठीक ठीक नियम-अनुसार खेलें, इसका उन पर दबाव न डालें, न ही गलतियों पर टिप्पणी करें। अगर व्यक्ति बच्चों के साथ खेल रहे हैं तो बच्चों को भी यह मालूम होना चाहिए, ताकि वह कोई तीखी बात न कह दें।जिससे व्यक्ति हीन महसूस करें या गुस्सा करने लगें और उत्तेजित हो जाएँ। इरादा मजे लेने का है।

यदि व्यक्ति थके हों या उन्हें किसी गतिविधि में रुचि न हो, तो जबरदस्ती न करें, जोर न डालें। ध्यान रहे, डिमेंशिया वाले व्यक्ति के लिए साधारण काम भी दिक्कत पेश कर सकते हैं, और थका सकते हैं। और समय के साथ व्यक्ति की पसंद-नापसंद भी शायद बदल गयी हो। गतिविधियाँ वही चुनें जो व्यक्ति की पसंद के अनुसार हैं और जिन में उन्हें आनंद आता है।

कुछ सुझाव:

  • पेंटिंग।
  • क्रेयन से चित्र बनाएँ/ रंगें।
  • लूडो या सांप-सीढ़ी जैसे गेम खेलें (Playing board games like Ludo and Snakes and Ladders)।
  • अकेले खेलने वाले सरल खिलौने, जैसे कि रंगीन छल्लों को डंडे पर सही क्रम में लगाने वाला खिलौना।
  • आपस में अन्ताक्षरी खेलें।

डिमेंशिया के बावजूद व्यक्ति घूमने फिरने का मजा उठा सकते हैं, अगर बाहर जाने के ट्रिप सही तरह से प्लान करे जाएँ, और व्यक्ति तनाव न महसूस करें और न ही थकें। भीड़ वाली जगहों से बचें। ऐसी जगह न ले जाएँ जहाँ इतना कुछ नया है कि व्यक्ति को तनाव हो। समय और स्थान ऐसे चुनें जिनमें व्यक्ति को रुचि हो और जिन से व्यक्ति पर कोई दबाव न पड़े। शायद कुछ लोग अब होटल में खाना पसंद न करें, या होटल में कांटे-चूरी और चम्मच का इस्तेमाल न कर पाएं। व्यक्ति शायद जल्दी थक जाएं या घबरा जाएं । अगर व्यक्ति परेशान लग रहे हों, तो जल्दी घर ले आएँ।

घर पर लोग मिलने आते हैं तब भी व्यक्ति कुछ देर उनकी कंपनी में अच्छा महसूस कर सकते हैं। यह ध्यान रखें कि मिलने वाले लोग डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति कि क्षमताएं और सीमाएं जानते और समझते हैं, और कुछ चोट लगाने वाली बात नहीं करेंगे। आप साथ बैठें ताकि कुछ गड़बड़ हो तो आप संभाल पाएँ। और हाँ, संक्रमण के खतरे के प्रति भी सतर्क रहें।

क्योंकि भारत में डिमेंशिया की जानकारी बहुत कम है, और लोग डिमेंशिया और बुढ़ापे में अंतर नहीं मानते, लोग कई बार व्यक्ति को उकसाने लगते हैं कि आप कोशिश नहीं कर रहे, वरना आपकी याददाश्त क्यों कमज़ोर होती! या कहने लगते हैं कि आप स्वाभिमान नहीं दिखा रहे वरना बेटे-बहू की इतनी मदद क्यों लेते हैं! ऐसे बोलने वाले मेहमानों का इरादा चाहे कितना भी नेक हो, उनकी सलाह डिमेंशिया वाले व्यक्ति के लिए अनुचित है और बेकार सब में तनाव पैदा हो जाता है। व्यक्ति को हीं भावना महसूस हो सकती है। कई इस तरह के सुझाव हानिकारक भी हो सकते हैं। व्यक्ति बहकावे में आकर, यह दिखाने के लिए कि वे अपना काम खुद कर सकते हैं, अपना कुछ नुकसान भी कर सकते हैं। ऐसे मेहमानों को व्यक्ति से दूर रख पायें तो अच्छा होगा।

कुछ परिवार वाले यह सोचने लगते हैं कि व्यक्ति को डिमेंशिया है, इसका मतलब उनका दिमाग अब बिलकुल नहीं चलेगा। पर डिमेंशिया के कारण व्यक्ति की किस क्षमता पर असर पड़ा है यह हर व्यक्ति के लिए अलग अलग होता है। कुछ रोगी तो क्रोस-वर्ड और सु-डो-कु भी बड़े आराम से कर पाते हैं, और नई उपकरणों को भी इस्तेमाल कर पाते हैं, पर कुछ व्यक्ति यह सब डिमेंशिया के बाद नहीं कर पाते। आप व्यक्ति के काबिलीयत और रुचि को देख कर ही तय करें कैसी किस प्रकार की गतिविधियां ठीक रहेंगी।

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परिवार के साथ कुछ देर पुरानी यादें ताजा कराएं

photo album for reminiscence therapy for dementia

देखभाल का काम तो करना है, पर कुछ देर व्यक्ति के साथ बैठ कर आराम से बातें करना न भूलें। ऐसे बिताए गए कुछ पल आपको और व्यक्ति को तनाव से मुक्त कर सकते हैं। परिवार अगर थोड़ी देर बैठ कर निश्चिन्तता से बात कर पाए, तो एक हंसी-खुशी का माहौल पैदा हो जाता है। पुरानी यादें भी ताजा हो जाती हैं, एक दूसरे से बोलने-सुनने का टाइम भी मिल जाता है। बीते वक्त की यादें ताजा करने के कई तरीके हैं, जैसे कि संगीत, पसंद के खाने की सुगंध, या पुरानी बातों की यादें ताजा करना। डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति की यादों में दरारें (गैप, अंतराल) हों भी तो क्या, उन यादों का मजा फिर भी लिया जा सकता है। अकसर व्यक्ति को पुरानी बातें हाल की बातों से ज्यादा याद होती हैं, और वे उन्हें याद करना पसंद भी करते हैं।

एक संभव आनंदमय गतिविधि है चित्रों वाली सरल कहानी की पुस्तिकाएं साथ-साथ देखना। परिवार वाले कहानी को जोर से पढ़ भी सकते हैं, और चित्र दिखा सकते हैं। थोड़ा बहुत कुछ भागों का अभिनय भी कर सकते हैं, जिस से और मजा आए। पुरानी, मशहूर् कहानियों के लिए यही काफी आनंद दे सकता है, जैसे कि पंचतंत्र की कहानियाँ, अकबर-बीरबल, तेनाली-राम की कहानियाँ वगैरह। यही कहानी बार बार सुनाने में भी मजा आ सकता है। इस के लिए उपयोगी अमर चित्र कथा और अन्य कई पुस्तकें आसानी से उपलब्ध हैं।

व्यक्ति यदि संगीत पसंद करते हों तो शायद वे चुनिन्दा गीत/ भजन/ राग का आनंद उठा पायेंगे। संगीत से उनको पुरानी, सुखद बातें याद आयेंगी, और शायद किसी पुराने गाने के साथ वे भी गुनगुनाना या गाना शुरू कर दें। अक्सर बचपन/ जवानी के गीत लोगों को प्रिय लगते हैं। मजेदार पुराने गाने लोगों को बहुत पसंद होते हैं। भजन और शास्त्रीय संगीत भी कई व्यक्तियों को पसंद आते हैं। संगीत पूरे दिन न चलायें, कुछ देर ही चलायें। शाम के समय मधुर, धीमी गति का संगीत सुनाएँ (बिना शब्दों वाला), जिससे वे शान्ति महसूस करें और साथ गाकर अधिक जागृत न हो जाएँ, बल्कि सोने के लिए तैयार होने लगें।

परिवार के साथ टाइम बिताने के कुछ तरीके:

  • पुराने गाने साथ सुनें और उनके बारे में यादें बाँटें।
  • पुरानी पसंदीदा फिल्म देखें (तनाव रहित फ़िल्में चुनें)।
  • पसंदीदा कहानियों के कॉमिक साथ साथ देखें, पढ़ें , उनकी ऐक्टिंग करें।
  • खाने, मसालों, रेसिपी के बारे में बात करें।
  • व्यक्ति को पुरानी घटनाओं के बारे में बात करने दें, हल्के से उन्हें याद कराएं, और उन्हें बोलने दें।
  • क्रिकेट, फुटबॉल, टेनिस आदि खेल और उनके खिलाड़ियों और मशहूर् मैच के बारे में यादें ताज़ा करें।
  • साथ बैठ कर एल्बम देखें, या उनमें फोटो फिर से लगाएं।
  • पुरानी बातें याद करें, पुराने किस्से बाँटें।

इन सबका इरादा साथ आराम से कुछ सुखद पल बांटने का है, सही इतिहास लिखने का नहीं। व्यक्ति सही घटना याद करें या गलत, या कुछ अपने ही मन से बना रहे हों, वे बात कर रहे हैं, आप इसी का आनंद लें। व्यक्ति को भी यह अच्छा लगने दें कि उनकी बात कोई ध्यान से सुन रहा है। आपको व्यक्ति की काल्पनिक दुनिया की झलक भी मिलेगी। यह भी ध्यान रखें कि अगले दिन व्यक्ति की यादें और दुनिया बिलकुल अलग हो सकती हैं!

एक अन्य बहुत उपयोगी तरीका है संस्मरण थेरपी (Reminiscence therapy), जो डिमेंशिया वाले व्यक्तियों में कारगर सिद्ध हुआ है। Pam Schweitzer ने एक लंबे अरसे वाले अध्ययन में यह दिखाया है कि डिमेंशिया वाले व्यक्तियों की यादें कभी कभी औरों की उम्मीद से ज्यादा अच्छी होती हैं। उनके प्रोजेक्ट में सप्ताह में एक बार की मीटिंग होती थी जिसमें डिमेंशिया वाले व्यक्ति और उनके परिवार वाले आकर किसी पुरानी अनुभव को रचनात्मक तरीकों से फिर से ताजा करते थे, जैसे कि संगीत, ड्रामा, चित्रकला, वस्तुएं, भिन्न भिन्न तरह से इन्द्रियों का इस्तेमाल करना, भावों और शब्दों से सन्देश बांटना, इत्यादि।

ऑनलाइन संसाधनों और फोरम द्वारा भी इस तरह की पुरानी यादों को ताज़ा करने में मदद मिल सकती है।

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कारगर गतिविधियों के लिए कुछ टिप्स

इस पृष्ठ पर हमने ऐसी कई गतिविधियों के बारे में बात करी है जो शायद व्यक्ति को पसंद आयें या जिनसे उन्हें लगे कि वे उपयोगी काम कर रहे हैं और उन्हें संतोष महसूस हो। कुछ परिवार पाते हैं कि वे इस तरह की गतिविधियां व्यक्ति के दिनचर्या में शामिल कर पाते हैं और दिन अधिक अच्छे बीतते हैं, पर कुछ परिवार पाते हैं कि ऐसी गतिविधियों से तनाव बढ़ता है, आनंद और संतोष नहीं। अक्सर इसकी वजह यह होती है कि परिवार वाले इन गतिविधियों को लेकर उम्मीदें बनाने लगते हैं, जैसे कि व्यक्ति काम ठीक करेंगे, व्यक्ति में सुधार होगा, इत्यादि। जब वे उम्मीदें पूरी नहीं होतीं तो तनाव बढ़ता है और स्थिति बिगड़ती है। गतिविधियों का उद्देश्य है व्यक्ति को संतोष, आनंद, और शांति महसूस करने देना। गतिविधियां ऐसी चुनें जो व्यक्ति की पसंद/ नापसंद, काबिलीयत, व्यक्तित्व, इत्यादि के अनुसार हों। समय कितना होगा, इसका खयाल रखे। इसके अलावा, कुछ अन्य टिप्स:


    ऐसा करें।

  • साथ बिताया हुआ वक्त आनंद और आराम पहुंचाने वाली गतिविधियों में बिताएं, ताकि आपको और व्यक्ति को साथ साथ होने का और खुश महसूस करने का मौका मिले।
  • गतिविधि को अडजस्ट करें ताकि वह व्यक्ति की क्षमता के अनुरूप हो। व्यक्ति को मजा आना चाहिए, और लग्न चाहिए कि कुछ मतलब वाला काम करा है। काम इतना आसान नहीं होना चाहिए कि बोरियत हो जाए। इतने मुश्किल भी नहीं होना चाहिए कि व्यक्ति हताश हो जाए।
  • व्यक्ति को अपनी रुचि और क्षमता के हिसाब से गति तय करने दें।
  • काम ऐसे चुनें जो व्यक्ति के लिए मायने रखते हों।

    ऐसा न करें

  • व्यक्ति काम ठीक से कर रहे हैं, इसपर निगरानी न रखें, उनका नियंत्रण करने की कोशिश न करें। आप उनके सुपरवाईज़र/ मेनेजर नहीं हैं।
  • जल्दबाजी न करें। व्यक्ति शुरू करे गए काम को खतम करें, इसके लिए उन पर दबाव न डालें।
  • यह उम्मीद न रखें कि व्यक्ति इस काम को करने से सुधार दिखाने लगेंगे, या उनका डिमेंशिया कम हो जाएगा या याददाश्त ठीक हो जायेगी। ऐसे उम्मीद गलत है और बार का तनाव पैदा कर सकती है।
  • ऐसे काम न चुनें जिनमे गलती से कुछ नुकसान हो, या व्यक्ति को (या किसी और को) चोट लग सकती हो या चिड़चिड़ा़हट हो सकती हो।
  • आप तनावग्रस्त न हों, और व्यक्ति पर रौब न जमाएं।
  • उन्हें टोकें नहीं, गलतियाँ न निकालें, उनसे कान वापस न छीनें। मदद करें, पर सिर्फ उतनी जितनी ज़रूरत हो। जल्दबाजी न करें।
  • उनकी गलतियों पर न हसें, और न ही ऐसे कुछ करें या कहें जिससे उन्हें लगे कि आप उन पर हंस रहे हैं।
  • फिजूल के काम करने को ना कहें। ऐसा करेंगे तो व्यक्ति अपमानित महसूस करेंगे।

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इन्हें भी देखें.

हिंदी पृष्ठ, इसी साईट से:

इस विषय पर कुछ अंग्रेज़ी सामग्री, हमारे अन्य साईट पर: ये सब भारत में देखभाल की स्थिति को ध्यान में रख कर बनाए गए हैं।

कुछ उपयोगी इंटरव्यू:

इस विषय पर हिंदी सामग्री, कुछ अन्य साईट पर। यह याद रखें कि इन में से कई लेख अन्य देश में रहने वालों के लिए बनाए गए हैं, और इनमें कई सेवाओं और सपोर्ट संबंधी बातें, कानूनी बातें, इत्यादि, भारत में लागू नहीं होंगी।

इस पृष्ठ का नवीनतम अँग्रेज़ी संस्करण यहाँ उपलब्ध है: Improve the patient’s quality of life Opens in new window। अंग्रेज़ी पृष्ठ पर आपको विषय पर अधिक सामयिक जानकारी मिल सकती है। कई उपयोगी अँग्रेज़ी लेखों, संस्थाओं और फ़ोरम इत्यादि के लिंक भी हो सकते हैं।

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