अल्ज़ाइमर रोग (सबसे प्रमुख डिमेंशिया का कारण): एक परिचय

अल्जाइमर रोग (Alzheimer’s Disease, AD) सबसे ज्यादा पाया जाने वाला डिमेंशिया है (50-75%)। इस पर जानकारी अन्य डिमेंशिया रोगों से ज्यादा आसानी से मिलती है। इस पृष्ठ पर प्रस्तुत है इस पर एक सरल परिचय और कुछ उपयोगी चित्र, और हिंदी साइट और वीडियो के लिंक भी हैं|

डिमेंशिया के अन्य तीन मुख्य प्रकारों पर प्रकाशित पोस्ट  के लिए ये लिंक देखें : संवहनी डिमेंशिया (वैस्कुलर डिमेंशिया), लुई बॉडी डिमेंशिया, और फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया ) |

अल्ज़ाइमर रोग क्या है (What is Alzheimer’s Disease).

अल्ज़ाइमर रोग सबसे ज्यादा पाया जाने वाला डिमेंशिया है*1 |

  • इस डिमेंशिया में मस्तिष्क में हुई हानि को दवा से वापस ठीक नहीं किया जा सकता| यह इर्रिवर्सिबल (irreversible) है|
  • Dementia India Report 2010 के अनुसार इर्रिवार्सिब्ल डिमेंशिया के केस में से 50 – 75% लोगों को अल्ज़ाइमर रोग होता है|
  • अल्ज़ाइमर रोग अन्य डिमेंशिया के साथ-साथ भी पाया जाता है, जैसे कि वैस्कुलर डिमेंशिया के साथ। इस को मिश्रित डिमेंशिया (मिक्स्ड डिमेंशिया) कहते हैं|
Table 1.1 from Dementia India Report 2010

अल्ज़ाइमर रोग सबसे पहले डॉक्टर अलोइस अल्झाइमर ने पहचाना था| इस लिए यह रोग उन के नाम से जाना जाता है। पर यह रोग नया नहीं है। इस के लक्षण तो हम सदियों से देखते आ रहे हैं, बस हम यह नहीं जानते थे कि ये लक्षण मस्तिष्क में हो रहे बदलाव के कारण हैं।

Alzheimer's disease-neuron death
  • अल्ज़ाइमर रोग में मस्तिष्क में हो रही हानि की खास पहचान हैं बीटा-एमीलायड प्लैक और न्यूरोफिब्रिलरी टैंगल| सरलता के लिए इन्हें अकसर सिर्फ प्लैक और टैंगिल  भी बुलाया जाता है|
  • इन असामान्य खण्डों की वजह से मस्तिष्क के सेल (कोशिकाएं, न्यूरोन) मरने लगते हैं|
  • सेल एक दूसरे को सन्देश ठीक से नहीं पहुंचा पाते|
  • मस्तिष्क सिकुड़ने लगता है|
  • हानि अकसर मस्तिष्क के हिप्पोकैम्पस भाग में शुरू होती है, और धीरे धीरे सभी भागों में फैलने लगती है|
  • जैसे-जैसे हानि बढ़ती है, मस्तिष्क के अनेक भाग भी ठीक काम नहीं कर पाते|

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अल्ज़ाइमर रोग के लक्षण (Symptoms of Alzheimer’s Disease).

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अकसर हिप्पोकैंपस क्षेत्र अल्ज़ाइमर में सबसे पहले प्रभावित होता है। इस क्षेत्र का सम्बन्ध सीखने और याददाश्त से है।
  • अल्ज़ाइमर रोग में शुरू का आम लक्षण है याददाश्त की समस्या। इस लिए इस रोग को कई लोग भूलने की बीमारी कहते हैं|
  • यह स्मृति-लोप की समस्या बहुत धीरे-धीरे बढ़ती हैं| यह विशेष तौर से हाल में हुई बातों को याद करने की कोशिश करते वक्त नजर आती है|
  • अन्य शुरू के लक्षण हैं डिप्रेशन (यानि कि अवसाद), अरुच और उदासीनता|

मस्तिष्क ठीक काम नहीं कर पाता, इसलिए अन्य लक्षण भी नजर आते हैं| कुछ उदाहरण पेश हैं:

  • जगह और समय क्या है, यह ठीक से मालूम नहीं होना| भटकने की समस्या आम है|  |
  • साधारण रोज-रोज के काम करने में दिक्कत होना, काम बहुत धीरे-धीरे करना या उन में मदद की जरूरत होना|
  • ध्यान लगाने में दिक्कत|
  • नई चीजें न सीख पाना |
  • अपनी बात बताने में दिक्कत|  दूसरों की बातें समझने में दिक्कत| भाषा की दिक्कत,| लिखने में दिक्कत|
  • चीजें पहचानने में दिक्कत| चित्रों को पहचान ना पाना| दूरी का अंदाजा ठीक से नहीं लगा पाना|
  • सोचने में और तर्क करने में दिक्कत| हिसाब करने में दिक्कत| समस्याएँ ना सुलझा पाना|  निर्णय लेने में दिक्कत |
  • व्यक्तित्व और मूड में बदलाव, जैसे कि दूसरों से दूर रहने लगना, चिड़चिड़ा होना |
  • भ्रम होना|

अल्ज़ाइमर रोग में कई उप-प्रकार हैं, जिन में कुछ असामान्य अल्ज़ाइमर रोग (Atypical Alzheimer’s Disease) भी हैं, और इन में लक्षण सामान्य अल्ज़ाइमर रोग से कुछ अलग होते हैं।
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समय के साथ अल्ज़ाइमर रोग का बढ़ना (Progression of Alzheimer’s Disease).

अल्ज़ाइमर रोग एक प्रगतिशील रोग है। इस में समय के साथ-साथ हानि बढ़ती रहती है, और लक्षण भी उसी प्रकार गंभीर होते जाते हैं। शुरू में अकसर सिर्फ हिप्पोकैम्पस में हानि होती है, पर यह हानि  फैलती जाती है।

Alzheimers disease-brain shrinkage and link to wikimedia
अल्ज़ाइमर में मस्तिष्क के सेल (न्यूरोन) में हानि

रोग का व्यक्ति पर असर किस रफ्तार से और किस तरह बढ़ेगा यह हर केस में फर्क होता है। अंतिम चरण तक पहुँचते पहुँचते व्यक्ति सभी कामों के लिए दूसरों पर निर्भर हो जाते हैं। व्यक्ति का चलना फिरना, बोल पाना, यहाँ तक कि खाना निगल पाना, सभी बहुत मुश्किल हो जाता है|  वे पूरे समय बिस्तर पर ही रहते हैं।

अल्ज़ाइमर रोग में मस्तिष्क में किस प्रकार हानि होती है, और समय के साथ यह कैसे बढ़ती है, यह देखने के लिए कुछ चित्रण पेश हैं , National Institute on Aging  USA के सौजन्य से|

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अल्ज़ाइमर रोग: कुछ अन्य तथ्य (Some other facts about Alzheimer’s Disease).

बढ़ती उम्र और अल्ज़ाइमर  होने की  संभावना में सम्बन्ध है|

  • अल्ज़ाइमर की संभावना उम्र के साथ बढ़ती है, और खास तौर से 65  साल और अधिक होने  के बाद ज्यादा होती है। अधिकांश केस 65 और उससे  ज्यादा आयु  वाले लोगों में पाए जाते हैं|
  • एक जरूरी तथ्य यह है कि अल्ज़ाइमर रोग 65 से कम उम्र के लोगों में भी हो सकता है। इस को यंगर ऑनसेट अल्ज़ाइमर रोग (Younger Onset Alzheimer’s Disease, YOAD) या अर्ली ऑनसेट अल्ज़ाइमर रोग कहते हैं (Early Onset Alzheimer’s Disease, EOAD)|

अल्ज़ाइमर के कारक पर उपलब्ध जानकारी :

  • अल्ज़ाइमर रोग किसी को भी हो सकता है। इस का कोई स्पष्ट कारक नहीं मालूम है।
  • उम्र के साथ-साथ अल्ज़ाइमर रोग की संभावना बहुत बढ़ती है| उम्र बढ़ने को इस रोग का सबसे प्रमुख कारक माना जाता है|
  • यदि परिवार में किसी को अल्ज़ाइमर है, तो बच्चों में अल्ज़ाइमर की संभावना ज्यादा होती है। इस आनुवंशिकता को ठीक से समझने के लिए अभी रिसर्च चल रहा है।

अवधि:

  • यह रोग प्रगतिशील है और ला-इलाज भी, और इस की अवधि शुरू के लक्षण से लेकर व्यक्ति के मौत तक है। यह अवधि हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग है| ये अवधि कुछ साल से लेकर एक या दो दशक तक की हो सकती है।
  • कुछ अनुमान के अनुसार प्रारंभिक लक्षण से अंत तक व्यक्ति को औसतन आठ साल लगते हैं|

बचाव:

  • अल्ज़ाइमर से बचने का कोई पक्का तरीका अब तक मालूम नहीं है। इस पर जोर-शोर से शोध चल रहा है।
  • अब तक की समझ के हिसाब से कुछ चीजें  हैं जिन्हें अपनाने से इसकी संभावना कम होगी|
    • स्वस्थ जीवनशैली अपनाना, जैसे कि नियमित व्यायाम और पौष्टिक भोजन |हृदय स्वास्थ्य में इस्तेमाल तरीके अल्ज़ाइमर रोग से बचाव के लिए भी अपना सकते हैं|
    • सक्रिय और सकारात्मक जीवन बिताना, और अर्थपूर्ण काम करना|
    • अवसाद, यानि कि  डिप्रेसन से बचना|
    • ऐसे काम करना जिन से मस्तिष्क सक्रिय रहे|
    • लोगों से मिलना-जुलना| सामाजिक गतिविधियों में भाग लेना|
    • कुछ स्वास्थ्य समस्याओं से खास तौर बचना, जैसे कि मधुमेह, उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रोल, और हृदय रोग। यह  समस्याएँ हों  तो इन को नियंत्रण में रखना|
    • तंबाकू सेवन बंद करना|
    • मद्यपान सीमित रखना|

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अल्ज़ाइमर रोग-निदान और उपचार (Diagnosis and Treatment of Alzheimer’s Disease).

अल्ज़ाइमर रोग-निदान के लिए कोई एक विशिष्ट टेस्ट नहीं है। विशेषज्ञ अल्ज़ाइमर का डायग्नोसिस  पूरी चिकित्सीय जाँच के बाद ही दे सकते हैं। वे व्यक्ति के लक्षण समझने की कोशिश करते हैं, व्यक्ति की अन्य बीमारियों की जानकारी प्राप्त करते हैं, फैमिली मेडिकल हिस्ट्री लेते हैं, और परिवार वालों से भी बात करते हैं। खून के टेस्ट, मानसिक अवस्था के लिए टेस्ट, याददाश्त और सोचने-समझने के लिए टेस्ट, ब्रेन स्कैन, इत्यादि,  ये सब इस चिकित्सीय मूल्यांकन का भाग हैं।

रोग-निदान में गलतियाँ हो सकती है। कुछ उदाहरण पेश हैं|

  • लक्षण धीरे धीरे बढ़ते हैं| कई बार इन्हें बुढ़ापे की आम समस्या समझ कर नजरअंदाज कर दिया जाता है|
  • यदि व्यक्ति में अल्ज़ाइमर रोग सामान्य तरह से पेश नहीं हो, तो यह शायद न पहचाना जाए| उदाहरण है  कम उम्र में अल्ज़ाइमर होना|
  • क्योंकि अल्ज़ाइमर रोग के बारे में अन्य डिमेंशिया रोगों से ज्यादा जानकारी और जागरूकता है, इसलिए कभी-कभी मिलते-जुलते लक्षण देखने पर, बिना पूरी जाँच करे, व्यक्ति को अल्ज़ाइमर का रोग-निदान मिल सकता है। व्यक्ति को कोई दूसरी बीमारी है, यह शायद पहचाना न जाए। इस स्थिति में:
    • व्यक्ति को अन्य मौजूद बीमारी का इलाज नहीं मिल पाता है|
    • कुछ दवा जो अल्ज़ाइमर रोग में कारगर हैं, वे अन्य रोगों में नुकसान भी कर सकती हैं|

अच्छा यही होगा कि परिवार वाले संतोष कर लें कि रोग-निदान के समय सब जाँच हुई है|

रोग-निदान जितनी जल्दी हो, उतना अच्छा है, ताकि व्यक्ति उपलब्ध दवा का लाभ उठा सकें, और व्यक्ति और परिवार वाले, सब आगे के लिए योजना बना पाएँ|

इसका पूरा उपचार अब तक उपलब्ध नहीं है| 

  • वर्तमान में, दवा से अल्ज़ाइमर रोग न तो रुक सकता है, न ही उसकी प्रगति धीमी करी जा सकती हैं|
  • हालांकि मस्तिष्क में हो रही हानि के लिए कोई दवा नहीं है, पर ऐसी कुछ दवा हैं जिन से अल्ज़ाइमर के रोगियों को कुछ राहत मिल सकती है|
    • ये दवाएं लक्षणों में कुछ सुधार लाने के लिए इस्तेमाल होती हैं। यह कुछ लोगों में कारगर होती हैं, पर सब में नहीं, और यह शुरू की अवस्था में ज्यादा कारगर होती हैं।

दवा के अतिरिक्त, अन्य भी कई तरीके हैं जिन से व्यक्ति की सहायता करी जा सकती है| उदाहरण हैं घर और वातावरण में बदलाव, और देखभाल और बातचीत के बेहतर तरीके इस्तेमाल करना। व्यक्ति की खुशहाली के लिए इन्हें अपनाना बहुत जरूरी है|
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उपलब्ध जानकारी और सपोर्ट पर कुछ कमेन्ट (Available information and resources: some comments).

डिमेंशिया अनेक रोगों की वजह से हो सकता है, और इन में से अल्ज़ाइमर रोग पर सब से ज्यादा चर्चा होती है। डिमेंशिया समर्थन पर काम करने वाली संस्थाओं के नाम में अकसर अल्ज़ाइमर शब्द होता है, जैसे कि “अल्ज़ाइमर असोसिअशन” या “अल्ज़ाइमर सोसाइटी”। भारत में राष्ट्रीय स्तर के संगठन के नाम में भी अल्ज़ाइमर शब्द है: Alzheimer’s and Related Disorders Society of India (ARDSI)। लेखों में, खबरों में, अन्य जागरूकता के लिए करे गए कार्यक्रमों में, सब में अल्ज़ाइमर और डिमेंशिया दोनों शब्दों का अदल-बदल कर इस्तेमाल होता है। इस कारण यह नाम भी कई लोग पहचानते हैं| पर इस में क्या लक्षण हैं, और उन का व्यक्ति और परिवार पर क्या असर होता है, इस पर जानकारी कम है।

कई लोग अल्ज़ाइमर को भूलने की बीमारी समझते हैं या इसे वृद्धों की बीमारी के रूप में ही जानते हैं। लोग यह नहीं जानते कि व्यक्ति को बहुत तरह की दिक्कतें होती हैं और समय के साथ-साथ व्यक्ति पूरी तरह लाचार हो जाते हैं, या यह कम उम्र में भी हो सकता है। यानि कि, नाम की पहचान तो है, पर इस रोग का किस-किस पर और कितना गंभीर असर होता है, इस के बारे में  कई गलत धारणाएँ हैं।

परिवार में यदि किसी को अल्ज़ाइमर है, तो देखभाल की जरूरत होती है, और व्यक्ति की सहायता का काम समय के साथ बढ़ता जाता है। देखभाल कई साल करनी होती है| इस के लिए परिवार को सही जानकारी, सलाह और सेवाओं की जरूरत होती है। पर भारत में ऐसी बहुत ही कम संस्थाएं और सेवाएं हैं जो उचित जानकारी और सहायता दे सकती हैं।

अफ़सोस, कुछ लोग अल्ज़ाइमर रोग से संबंधित आशंका और भय का फायदा उठाते हैं। वे अपनी संस्था या सेवा के लिए दावा करते हैं कि वे अल्ज़ाइमर रोगियों को उचित सहायता और सेवा प्रदान कर पायेंगे| वे  कभी-कभी यह भी गलत दावा करते है कि वे अधिकृत संस्थाओं से जुड़े हैं। पर वास्तव में उनकी जानकारी बहुत ही सीमित होती है। किसी के भी दावे पर विश्वास करने से पहले ऐसे दावों की पुष्टि करनी जरूरी है।

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अल्ज़ाइमर रोग: मुख्य बिंदु (Salient Points of Alzheimer’s Disease).

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  • अल्ज़ाइमर रोग डिमेंशिया का सबसे आम कारण है|  यह डिमेंशिया के करीब 50 से 75% केस के लिए जिम्मेदार है|
    • यह अकेले भी पाया जाता है, और अन्य डिमेंशिया के साथ भी मौजूद हो सकता है (जैसे कि संवहनी मनोभ्रंश या लुई बॉडी डिमेंशिया के साथ)|
  • शुरू में इस का आम लक्षण है याददाश्त की समस्या। अन्य आम शुरू के लक्षण हैं अवसाद और अरुचि।
    • लक्षण धीरे धीरे बढ़ते हैं, और शुरू में पता नहीं चलता कि कुछ गड़बड़ है|
    • समय के साथ लक्षण बढ़ते जाते हैं और मस्तिष्क के सभी कामों में दिक्कत होने लगती है|
    • अंतिम चरण में व्यक्ति पूरी तरह दूसरों पर निर्भर हो जाते हैं|
  • इस को रोकने या ठीक करने के लिए दवा नहीं है, पर लक्षणों से राहत देने के लिए कुछ दवा और गैर-दवा वाले उपचार हैं|
  • इस से बचने के लिए कोई पक्का तरीका मालूम नहीं है| पर यह माना जाता है कि स्वस्थ जीवन शैली से, व्यायाम से, सक्रिय जीवन बिताने से कुछ बचाव होगा
    • हृदय स्वास्थ्य के लिए जो कदम उपयोगी है, वे इस से बचाव में भी उपयोगी हैं (यानि कि, यह मंत्र: What is good for the heart is good for the brain).

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(नोट्स: अधिक जानकारी के लिए लिंक और श्रेय) (Notes: Links and Credits)|

*1अन्य प्रमुख डिमेंशिया और उनके लिए लिंक हैं  संवहनी डिमेंशिया (वैस्कुलर डिमेंशिया, नाड़ी-संबंधी), लुई बॉडी डिमेंशिया , और फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया|

और जानकारी के लिए देखें:
मस्तिष्क में बदलाव पर हिंदी में वीडियो |
एक वीडियो परिचय, डिमेंशिया सलाहकार Atiq Hassan (Bradford,UK)द्वारा:

अल्जाइमर रोग पर एक तीन मिनट का हिंदी “पॉकेट” वीडियो: एल्ज़ाइमर्ज़ रोग क्या है|

इस विषय पर हमारे हिंदी पृष्ठ भी देखें:  डिमेंशिया किन रोगों के कारण होता है और डिमेंशिया के निदान, उपचार, और बचाव पर जानकारी |
कुछ अन्य हिंदी लिंक हैं भारत में स्थित “वाइट स्वान फ़ाउंडेशन फ़ॉर मेंटल हेल्थ”के वेबसाइट पर दो पृष्ठ: अल्ज़ाइमर रोग की समझ Opens in new window और अल्ज़ाइमर रोग Opens in new window, और अमरीका में स्थित Alzheimer’s Association, USA का हिन्दी में भारत में अल्ज़ाइमर और डिमेंशिया पर पृष्ठOpens in new window.
कुछ अंग्रेज़ी लिंक:
Alzheimer’s Association, USA का पृष्ठ What Is Alzheimer’s? Opens in new window, और Alzheimer’s Society, UK से Alzheimer’s disease: Understanding your diagnosis (अंग्रेज़ी PDF डाउनलोड उपलब्ध) Opens in new window|

अल्ज़ाइमर रोग और संबंधित विकारों के लिए कुछ शब्द/ वर्तनी पेश है:

  • अल्ज़ाइमर रोग, अल्जाइमर्ज़, अलजाइमर,एलसायमरस, एल्ज़ाइमर्ज़, बीटा-एमीलायड प्लैक, न्यूरोफिब्रिलरी टैंगिल|
  • अंग्रेजी में खोज रहे हों तो कुछ उपयोगी खोज शब्द: Alzheimer’s Disease, beta amyloid plaque, neurofibrillary tangles, young onset Alzheimer’s Disease, early-onset Alzheimer’s Disease, mixed dementia, Atypical Alzheimer’s disease, Posterior cortical atrophy (PCA), Logopenic aphasia, और Frontal variant Alzheimer’s disease.

श्रेय: (Public domain pictures) neuron death picture: 7mike5000 [CC BY-SA 3.0], via Wikimedia Commons, hippocampus: By Derivative work: Looie496 (File:Gray739.png) [Public domain], via Wikimedia Commons, Pictures of brain changes in AD, and brain shrinkage: By National Institute on Aging [Public domain], via Wikimedia Commons, brain lobes image: Henry Vandyke Carter [Public domain], via Wikimedia Commons.

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डिमेंशिया (मनोभ्रंश) क्या है

डिमेंशिया (Dementia, मनोभ्रंश) किसी विशेष बीमारी का नाम नहीं, बल्कि के लक्षणों के समूह का नाम है, जो मस्तिष्क की हानि से सम्बंधित हैं. “Dementia” शब्द “de” (without) और “mentia” (mind ) को जोड़ कर बनाया गया है.

[डिमेंशिया नाम पर स्पष्टीकरण: हालाँकि डिमेंशिया (dementia) अँग्रेज़ी का शब्द है, इसका प्रयोग हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में भी होता है, और डॉक्टर निदान (diagnosis) के समय dementia (डिमेंशिया) शब्द का इस्तेमाल करेंगे. इस क्षेत्र के जागरूकता अभियान में, रिपोर्ट्स में, और विशेषज्ञों के इंटरव्यू में भी “डिमेंशिया” शब्द का प्रयोग होता हो. परन्तु यह जानना ज़रूरी है कि हिंदी में पत्रिकाओं, समाचारपत्रों, और वेबसाइट पर डिमेंशिया के लिए “मनोभ्रंश” शब्द का भी इस्तेमाल होता है (मनो–मन सम्बंधी, भ्रंश–नष्ट होना). यह याद रखें कि डिमेंशिया और मनोभ्रंश एक ही अवस्था के दो नाम हैं. एक अन्य नोट: dementia को देवनागरी में “डिमेंशिया” के अलावा अन्य तरह से भी लिखा जाता है, जैसे कि डिमेन्शिया, डिमेंशिया डिमेंश्या, डिमेंटिया, डेमेंटिया,वगैरह.]

डिमेंशिया के लक्षण कई रोगों के कारण पैदा हो सकते है. ये सभी रोग मस्तिष्क की हानि करते हैं. क्योंकि हम अपने सब कामों के लिए अपने मस्तिष्क पर निर्भर हैं, डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति अपने दैनिक कार्य ठीक से नहीं कर पाते. इन व्यक्तियों की याददाश्त कमजोर हो सकती है. उन्हें आम तौर के रोजमर्रा के हिसाब में दिक्कत हो सकती है, और वे अपना बैंक का काम करने में भी कठिनाई महसूस कर सकते हैं. घर पर पार्टी हो तो उसका आयोजन करना उनके लिए मुश्किल हो सकता है. कभी कभी वे यह भी भूल सकते हैं कि वे किस शहर में हैं, या कौन सा साल या महीना चल रहा है. बोलते हुए उन्हें सही शब्द नहीं सूझता. उनका व्यवहार बदला बदला सा लगने लगता है, और व्यक्तित्व में भी फ़र्क आ सकता है. यह भी हो सकता है के वे असभ्य भाषा का प्रयोग करें या अश्लील तरह से पेश आएँ, या सब लोगों से कटे-कटे से रहें. …

पूरे पोस्ट के लिए यहाँ क्लिक करें : डिमेंशिया (मनोभ्रंश) क्या है

डिमेंशिया (Dementia, मनोभ्रंश) किसी विशेष बीमारी का नाम नहीं, बल्कि एक लक्षणों के समूह का नाम है, जो मस्तिष्क की हानि से सम्बंधित हैं। “Dementia” शब्द “de” (without) और “mentia” (mind ) को जोड़ कर बनाया गया है।

[डिमेंशिया नाम पर स्पष्टीकरण: हालाँकि डिमेंशिया (dementia) अँग्रेज़ी का शब्द है, इसका प्रयोग हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में भी होता है, और अधिकांश डॉक्टर निदान (diagnosis) के समय dementia (डिमेंशिया) शब्द का इस्तेमाल करेंगे। इस क्षेत्र के जागरूकता अभियान में, रिपोर्ट्स में, और विशेषज्ञों के इंटरव्यू में भी “डिमेंशिया” शब्द का प्रयोग होता हो। परन्तु यह जानना ज़रूरी है कि हिंदी में पत्रिकाओं, समाचारपत्रों, और वेबसाइट पर डिमेंशिया के लिए “मनोभ्रंश” शब्द का भी इस्तेमाल होता है (मनो–मन सम्बंधी, भ्रंश–नष्ट होना)। यह याद रखें कि डिमेंशिया और मनोभ्रंश एक ही अवस्था के दो नाम हैं। एक अन्य नोट: dementia को देवनागरी में “डिमेंशिया” के अलावा अन्य तरह से भी लिखा जाता है, जैसे कि डिमेन्शिया, डिमेंशिया डिमेंश्या, डिमेंटिया, डेमेंटिया,वगैरह।]

डिमेंशिया के लक्षण कई रोगों के कारण पैदा हो सकते है। ये सभी रोग मस्तिष्क की हानि करते हैं। क्योंकि हम अपने सब कामों के लिए अपने मस्तिष्क पर निर्भर हैं, डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति अपने दैनिक कार्य ठीक से नहीं कर पाते। इन व्यक्तियों की याददाश्त कमजोर हो सकती है। उन्हें आम तौर के रोजमर्रा के हिसाब में दिक्कत हो सकती है, और वे अपना बैंक का काम करने में भी कठिनाई महसूस कर सकते हैं। घर पर पार्टी हो तो उसका आयोजन करना उनके लिए मुश्किल हो सकता है। कभी कभी वे यह भी भूल सकते हैं कि वे किस शहर में हैं, या कौन सा साल या महीना चल रहा है। बोलते हुए उन्हें सही शब्द नहीं सूझता। उनका व्यवहार बदला बदला सा लगने लगता है, और व्यक्तित्व में भी फ़र्क आ सकता है। यह भी हो सकता है के वे असभ्य भाषा का प्रयोग करें या अश्लील तरह से पेश आएँ, या सब लोगों से कटे-कटे से रहें।

साल दर साल डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति की स्थिति अधिक खराब होती जाती है, और बाद की अवस्था में उन्हें साधारण से साधारण काम में भी दिक्कत होने लगती है, जैसे कि चल पाना, बात करना, या खाना ठीक से चबाना और निगलना, और वे छोटी से छोटी चीज के लिए भी निर्भर हो जाते हैं। वे बिस्तर पर पड़ जाते है, और उनका अंतिम समय आ जाता है।

जब व्यक्ति में लक्षण नजर आने शुरू होते हैं तो आस-पास के लोग–परिवार-वाले, दोस्त और प्रियजन, सहकर्मी, पड़ोसी–यह समझ नहीं पाते कि व्यक्ति इस अजीब तरह से क्यों पेश आ रहा है। कभी व्यक्ति परेशान या भुलक्कड़ लगता है, तो कभी सहमा हुआ, तो कभी झल्लाया हुआ, या बेकार गुस्सा करता हुआ। बदला व्यक्तित्व अकसर चरित्र की खामी समझा जाता है। यदि व्यक्ति बुज़ुर्ग हों, तो परिवार वाले अकसर भूलने या अन्य लक्षणों को सामान्य बुढ़ापा समझ कर नज़रअंदाज़ करने की कोशिश करते हैं, पर डिमेंशिया का होना उम्र बढ़ने का सामान्य अंग नहीं है। यदि व्यक्ति चालीस पचास या उससे भी कम उम्र के हों, तो लक्षणों को तनाव का नतीजा समझा जा सकता है।

इस पृष्ठ पर:

डिमेंशिया के लक्षणों के कुछ उदाहरण

आइये देखें, डिमेंशिया के लक्षणों के कुछ उदाहरण। यह एक सांकेतिक सूची है, और डिमेंशिया से प्रभावित व्यक्ति में, रोग के बढते साथ ज्यादा और अधिक गंभीर लक्षण नज़र आते हैं। याद रखें कि हर व्यक्ति में अलग अलग लक्षण नज़र आते हैं। एक व्यक्ति में यह सब लक्षण हों, यह ज़रूरी नहीं, और यह भी ज़रूरी नहीं कि यदि कोई ये लक्षण दिख रहे है तो उस व्यक्ति को डिमेंशिया है। यह जांच तो डॉक्टर ही कर सकते हैं। यह भी ध्यान में रखें कि कुछ प्रकार के डिमेंशिया में शुरू में व्यक्ति की याददाश्त पूरी तरह से सही सलामत रहती है।

early dementia patient confused and misplaces watch in fridge
  • ज़रूरी चीज़ें भूल जाना, खासकर हाल में हुई घटनाएँ (जैसे, नाश्ता करा था या नहीं)।
  • पार्टी का आयोजन न कर पाना, छोटी छोटी समस्याओं को भी न सुलझा पाना।
  • साधारण, रोज-मर्रे के काम करने में दिक्कत महसूस करना
  • गलत किस्म के कपडे पहनना, कपडे उलटे पहनना, साफ़-सुथरा न रह पाना।
  • यह भूल जाना कि तारीख क्या है, कौन सा महीना है, साल कौन सा है, व्यक्ति किस घर में हैं, किस शहर में हैं, किस देश में।
  • किसी वस्तु का चित्र देखकर यह न समझ पाना कि यह क्या है।
  • नंबर जोड़ने और घटाने में दिक्कत, गिनती करने में दिक्कत।
  • बोलते या लिखते हुए गलत शब्द का प्रयोग करना, या शब्दों के अर्थ न समझ पाना।
  • चीज़ों को गलत, अनुचित जगह पर रख छोड़ना (जैसे कि घडी को, या ऑफिस फाइल को फ्रिज में रख देना)।
  • कुछ काम शुरू करना, फिर भूल जाना कि क्या करना चाहते थे, और बहुत कोशिश के बाद भी याद न कर पाना।
  • बड़ी रकम को फालतू की स्कीम में डाल देना, पैसे से सम्बंधित अजीब निर्णय लेना, लापरवाही या गैरजिम्मेदारी दिखाना।
  • पैसे के मूल्य को न समझना, जैसे कि हजार रुपए को दस रुपए को एक जैसा समझना।
  • अपने आप में गुमसुम रहना, मेल-जोल बंद कर देना, चुप्पी साधना।
  • छोटी-छोटी बात पर, या बिना कारण ही बौखला जाना, चिल्लाना, रोना, इत्यादि।
  • किसी बात को या प्रश्न को दोहराना, जिद्द करना, तर्क न समझ पाना।
  • बात बेबात लोगों पर शक करना, आक्रामक होना।
  • लोगों की भावनाओं को न समझना या उनकी कद्र न करना।
  • सामाजिक तौर तरीके भूल जाना, और अजीबोग़रीब बातें करना।
  • भद्दी भाषा इस्तेमाल करना, गाली देना, अश्लील हरकतें करना।
Words for dementia in India indicate childishness and weak brain

यह समझना बहुत ज़रूरी है कि डिमेंशिया मंदबुद्धि (mental retardation) नहीं है। यह सन्निपात, उन्माद या संकल्प प्रलाप (delirium) नहीं है। यह पागलपन (insanity) नहीं है।यह अम्नीसिया (स्मृति लोप, स्मृति भ्रंश, amnesia) नहीं है।

अफसोस, भारत में जहाँ हम डिमेंशिया के कई लक्षणों को तो पहचानते हैं, और हमारी भाषाओं में कुछ ऐसे शब्द हैं जो इन लक्षणों से जुड़े हुए हैं (जैसे कि सठियाना), पर लोगों में यह धारणा है कि यह व्यवहार की समस्याएँ हैं, या बुढापे में अकसर पाए जाने वाली आम समस्या। लोग यह नहीं जानते कि यह लक्षण मस्तिष्क के रोग के कारण उत्पन्न हो रहे हैं। वे सोचते हैं कि यह व्यक्ति, जो अजीब तरह से पेश आ रहा है या तो जिद्दी है या पागल है। इसलिए आसपास के लोग उस व्यक्ति को उपचार के लिए डॉक्टर के पास नहीं जाते, और न ही वे व्यक्ति से बातचीत करने का तरीका बदलते हैं। वे डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति के सहायता कैसे करें, यह नहीं जानते। बल्कि वे व्यक्ति से निराश हो जाते हैं, या उस पर गुस्सा करते हैं, या उसकी अवहेलना करने लगते हैं। इससे परिवार में संघर्ष बढ़ जाते हैं और व्यक्ति को, तथा अन्य लोगों को, सब को ज्यादा दिक्कत होती है।

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डिमेंशिया में जो स्मृति की हानि होती है वह उम्र के साथ होने वाले सामान्य स्मृति हानि से फ़र्क है

memory loss in dementia not same as normal memory loss

कई लोग डिमेंशिया को “भूलने की बीमारी” कह कर छोटा समझते हैं और टाल देते हैं। कुछ अन्य लोग कोई छोटी सी बात भूलने पर भी घबरा जाते हैं कि भई, उन्हें डिमेंशिया तो नहीं हो गया? एक चाबी इधर से उधर रख दी और ढूँढने पर नहीं मिली तो डिमेंशिया का भय दिमाग को घेर लेता है।सच तो यह है कि हम सब कभी न कभी कुछ न कुछ भूलते हैं, पर डिमेंशिया का भूलना कुछ अलग सा होता है। डिमेंशिया में याददाश्त की समस्याएँ दूसरे रूप की होती हैं।

एक उदाहरण लें: क्या आप सोचते हैं कि आप कभी इतने भी भुलक्कड़ हो जायेंगे कि आप अपना नाम ही भूल जायेंगा? नहीं तो! पर डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति आगे की अवस्था में अपना ही नाम भूल सकते हैं।

एक छोटा सा उदाहरण – सामान्य लोग अकसर तारीखें और साल भूल जाते हैं, जैसे कि मुंबई किस साल गए थे। इस तरह का भूलना सामान्य है। पर डिमेंशिया हो तो व्यक्ति शायद यही भूल जाएँ कि वे काभी मुंबई गए थे, या यह भी पूछ लें कि मुंबई क्या है। सामान्य बुढापे से जुड़े भूलने में और डिमेंशिया वाले भूलने में क्या अंतर है, इसपर अधिक चर्चा, उदाहरण, और लिंक हमारे अंग्रेज़ी पृष्ठ पर देखें।

dementia patient forgets name and covers up by pretending

शुरू की अवस्था में अकसर डिमेंशिया से पीड़ित व्यक्ति अपनी भूलने की समस्या को आस पास के लोगों से छुपा पाते हैं।अगर वे कभी कुछ भूल भी जाएँ, या उलझन में नज़र आएँ, तो लोग उसे नजरंदाज कर देते हैं। बेटा यह सोचता है कि पापा की बढ़ती उम्र है, कुछ भूल गए तो क्या हुआ! शुरू की अवस्था में इन लक्षणों को पहचानने के लिए परिवार वालों को अधिक सतर्क रहना होगा।

पर जैसे जैसे रोग बढ़ता है, डिमेंशिया के लक्षण ज्यादा स्पष्ट होने लगते हैं, और व्यक्ति का व्यवहार सामान्य नहीं रहा है, यह बात औरों को भी नज़र आने लगती है। डॉक्टर से जांच कराने से पता चल सकता है कि क्या लक्षण किसी रोग के कारण हैं, और उपचार क्या है।

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डिमेंशिया बुढापे का एक सामान्य और अनिवार्य भाग नहीं है

बुढापे में भी लोग भूलते हैं, अस्त-व्यस्त हो जाते हैं, कभी कभी चिड़चिड़ा भी जाते हैं, पर डिमेंशिया इस साधारण बढ़ती उम्र की समस्याओं से भिन्न है। कुछ डॉक्टर भी शुरू के लक्षणों की ओर ध्यान नहीं देते, और बस बुढ़ापे का नाम देकर छोड़ देते हैं ।

डिमेंशिया को हम यह कह कर नहीं टाल सकते कि यह व्यक्ति कुछ तेज़ी के साथ बूढा हो रहा है। जिन रोगों से डिमेंशिया के लक्षण पैदा होते हैं, ये रोग मस्तिष्क की विशेष हानि करते हैं। मस्तिष्क की कोशिकाओं (neurons) को नष्ट करते हैं, और मस्तिष्क के भागों को जोड़ने वाले जालों को भी नष्ट करते हैं। मस्तिष्क के कुछ भाग सिकुड़ जाते हैं। कुछ लोगों में ये बीमारियां बुढ़ापे में नहीं, बल्कि जल्दी शुरू हो जाती हैं, जैसे कि चालीस पचास की उम्र में, या उससे भी पहले।

हालाँकि डिमेंशिया होने की संभावना उम्र के साथ बढ़ती है, पर उम्र बढ़ने पर डिमेंशिया ज़रूर ही होगा, ऐसा कहना गलत है। कुछ लोगों को वे रोग हो जाएँगे जिन से डिमेंशिया के लक्षण पैदा होते हैं, और दूसरे लोग डिमेंशिया से मुक्त रहेंगे।

डिमेंशिया के लक्षणों पर, और याददाश्त की कमजोरी पर अधिक जानकारी तथा कुछ उपयोगी लिंक इस पृष्ठ के नीचे, “इन्हें भी देखें” सेक्शन में हैं।

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हालांकि डिमेंशिया की संभावना उम्र के साथ बढ़ती है, पर डिमेंशिया चालीस पचास या उससे कम उम्र में भी हो सकता है

डिमेंशिया सिर्फ बुजुर्गों तक सीमित नहीं, उससे पहले (जैसे कि 30, 40 या 50 साल में) भी हो सकता है। इसको जल्दी शुरू होने वाला डिमेंशिया कहते हैं। WHO (वर्ल्ड हेल्थ ऑरगैनाइज़ेशन, विश्व स्वास्थ्य संगठन) का अनुमान है कि शायद 65 साल से कम उम्र में होने वाला डिमेंशिया, यानि कि जल्दी शुरू होने वाला डिमेंशिया (यंग ऑनसेट डिमेंशिया, यंगर ऑनसेट डिमेंशिया, young onset dementia, younger onset dementia, early onset dementia) अकसर पहचाना नहीं जाता और ऐसे केस शायद 6 से 9 प्रतिशत हैं।

जब चालीस पचास की उमर के लोग भूलने लगते हैं या बोलने में दिक्कत महसूस करते है या उनके व्यक्तित्व में बदलाव आने लगता है या उन में अन्य डिमेंशिया के लक्षण नज़र आने लगते है तो लोग डिमेंशिया की संभावना के बारे में नहीं सोचते। वे समस्या को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। व्यक्ति को दोष देते हैं या उस बदलाव को तनाव का नतीजा समझते हैं।डॉक्टर भी ऐसी स्थिति में अकसर डिमेंशिया के बारे में नहीं सोचते। इस कारण रोग-निदान (diagnosis) नहीं हो पाता या गलत होता है। यदि व्यक्ति/ परिवार वाले डिमेंशिया के बारे में जानते हों तो वे विशेषज्ञ से सलाह करके उचित निदान पाने की कोशिश कर सकते है।

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कुछ प्रकार के डिमेंशिया के शुरू के लक्षणों में याददाश्त की समस्याएँ शामिल नहीं हैं

डिमेंशिया के अनेक लक्षण होते हैं और अनेक कारण भी। हर व्यक्ति में हर लक्षण नहीं पाया जाता। कई लोगों का सोचना है कि भूलना तो डिमेंशिया का एक अनिवार्य अंग है, और डिमेंशिया है तो याददाश्त की समस्या तो होगी ही। यह सच नहीं है।

कुछ प्रकार के डिमेंशिया ऐसे हैं–जैसे कि फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया(Frontotemporal Dementia)–जिन में पहले लक्षण व्यक्तित्व का बदलाव, बोलने में दिक्कत, चलने में या संतुलन में दिक्कत या अन्य लक्षण हैं, पर याददाश्त सही रहती है।

डिमेंशिया के प्रति सतर्क रहना हो तो सिर्फ याददाश्त की कमजोरी की ओर ध्यान न दें, अन्य लक्षणों के प्रति भी सतर्क रहें।

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डिमेंशिया पर एक संक्षिप्त प्रस्तुति.

इस हिंदी प्रेजेंटेशन में देखिये डिमेंशिया क्या है, इस में मस्तिष्क में कैसी हानि होती है, लक्षण क्या हैं, और समय के साथ क्या होता है, और देखभाल करने वालों को क्या करना होता है। अन्य विषयों पर भी स्लाइड हैं। डिमेंशिया को समझ पायें, इस की सुविधा के लिए कई उदाहरण और चित्र हैं। यदि प्लेयर नीचे लोड न हो रहा हो तो यहाँ क्लिक करें: डिमेंशिया क्या है?(What is Dementia)Opens in new window.


इन सब विषयों पर, और अन्य उपयोगी विषयों पर अधिक जानकारी के लिए इस वेबसाइट के दूसरे पृष्ठ भी देखें
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इन्हें भी देखें.

हिंदी पृष्ठ, इसी साईट से:

डिमेंशिया के लक्षण किन रोगों के कारण हो सकते हैं, इस पृष्ठ पर: डिमेंशिया किन रोगों के कारण होता है

इस विषय पर हिंदी सामग्री, कुछ अन्य साईट पर: यह याद रखें कि इन में से कई लेख अन्य देश में रहने वालों के लिए बनाए गए हैं, और इनमें कई सेवाओं और सपोर्ट संबंधी बातें, कानूनी बातें, इत्यादि, भारत में लागू नहीं होंगी।

इस पृष्ठ का नवीनतम अँग्रेज़ी संस्करण यहाँ उपलब्ध है: What is dementia? Opens in new window. अंग्रेज़ी पृष्ठ पर आपको विषय पर अधिक सामयिक जानकारी मिल सकती है। कई उपयोगी अँग्रेज़ी लेखों, संस्थाओं और फ़ोरम इत्यादि के लिंक भी हो सकते हैं।कुछ खास उन्नत और प्रासंगिक विषयों पर विस्तृत चर्चा भी हो सकती है। अन्य विडियो, लेखों और ब्लॉग के लिंक, और उपयोगी पुस्तकों के नाम भी हो सकते हैं।

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डिमेंशिया केयर नोट्स के हिंदी वेबसाइट पर आपका स्वागत है

डिमेंशिया पर कुछआवश्यक जानकारी। कई प्रचलित मिथकों पर स्पष्टीकरण। इस देखभाल संबंधी जानकारी के विभिन्न सेक्शन का परिचय और लिंक। सेक्शन में मौजूद हैं: डिमेंशिया पर जानकारी, देखभाल पर विस्तृत चर्चा और ज़रूरी तरीकों पर जानकारी, इंटरव्यू, समर्थक संस्थाएं, संसाधन, वीडियो, डाउनलोड. …

पूरे पोस्ट के लिए यहाँ क्लिक करें : डिमेंशिया केयर नोट्स के हिंदी वेबसाइट पर आपका स्वागत है

डिमेंशिया क्या है? क्या यह संभव है कि आपका कोई प्रियजन डिमेंशिया से ग्रस्त है, और आपको मालूम ही नहीं? सतर्क रहने के लिए आप को डिमेंशिया के बारे में क्या जानना चाहिए? या हो सकता है कि आपके परिवार में किसी को डिमेंशिया है, और आप समझ नहीं पा रहे कि उनकी देखभाल करें तो कैसे करें, क्योंकि व्यक्ति आपकी बात समझ ही नहीं पाते हैं और अजीब तरह से पेश आ रहे हैं। आइये, डिमेंशिया और संबंधित देखभाल के बारे में कुछ आवश्यक बातें देखें।

डिमेंशिया किसी विशेष बीमारी का नाम नहीं, बल्कि एक बड़े से लक्षणों के समूह का नाम है (संलक्षण, syndrome)। डिमेंशिया को कुछ लोग “भूलने की बीमारी” कहते हैं, परन्तु डिमेंशिया सिर्फ भूलने का दूसरा नाम नहीं हैं, इसके अन्य भी कई लक्षण हैं–नयी बातें याद करने में दिक्कत, तर्क न समझ पाना, लोगों से मेल-जोल करने में झिझकना, सामान्य काम न कर पाना, अपनी भावनाओं को संभालने में मुश्किल, व्यक्तित्व में बदलाव, इत्यादि। यह सभी लक्षण मस्तिष्क की हानि के कारण होते हैं, और ज़िंदगी के हर पहलू में दिक्कतें पैदा करते हैं। यह भी गौर करें कि यह ज़रूरी नहीं है कि डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति की याददाश्त खराब हो–कुछ प्रकार के डिमेंशिया में शुरू में चरित्र में बदलाव, चाल और संतुलन में मुश्किल, बोलने में दिक्कत, या अन्य लक्षण प्रकट हो सकते हैं, पर याददाश्त सही रह सकती है। डिमेंशिया के लक्षण अनेक रोगों की वजह से पैदा हो सकते हैं, जैसे कि अल्ज़ाइमर रोग, लुई बॉडीज वाला डिमेंशिया, वास्कुलर डिमेंशिया (नाड़ी सम्बंधित/ संवहनी मनोभ्रंश),फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया, पार्किन्सन, इत्यादि।

लक्षणों के कुछ उदाहरण। हाल में हुई घटना को भूल जाना, बातचीत करने समय सही शब्द याद न आना, बैंक की स्टेटमेंट न समझ पाना, भीड़ में या दुकान में सामान खरीदते समय घबरा जाना, नए मोबाईल के बटन न समझ पाना, ज़रूरी निर्णय न ले पाना, लोगों और साधारण वस्तुओं को न पहचान पाना, वगैरह। रोगियों का व्यवहार अकसर काफी बदल जाता है। कई डिमेंशिया वाले व्यक्ति ज्यादा शक करने लगते हैं, और आसपास के लोगों पर चोरी करने का, मारने का, या भूखा रखने का आरोप लगाते हैं। कुछ व्यक्ति अधिक उत्तेजित रहने लगते हैं, कुछ अन्य व्यक्ति लोगों से मिलना बंद कर देते हैं और दिन भर चुपचाप बैठे रहते हैं। कुछ व्यक्ति अश्लील हरकतें भी करने लगते हैं। कौन से व्यक्ति में कौन से लक्षण नज़र आयेंगे, यह इस बात पर निर्भर है कि उनके मस्तिष्क के किस हिस्से में हानि हुई है। किसीमे कुछ लक्षण नज़र आते हैं, किसी में कुछ और। जैसे कि, कुछ व्यक्तियों में भूलना इतना प्रमुख नहीं होता जितना चरित्र का बदलाव।

भारत में ज़्यादातर लोग इन सब लक्षणों को उम्र बढ़ने का स्वाभाविक अंश समझते हैं, या सोचते हैं कि यह तनाव के कारण है या व्यक्ति का चरित्र बिगड़ गया है, पर यह सोच गलत है। ये लक्षण डिमेंशिया या अन्य किसी बीमारी के कारण भी हो सकते हैं, इसलिए डॉक्टर की सलाह लेना उपयुक्त है। अफ़सोस, भारत में डिमेंशिया की जानकारी कम होने के कारण इनमे से कई लक्षणों के साथ कलंक भी जुड़ा है। इसलिए डिमेंशिया से पीड़ित व्यक्ति यह सोच कर अपनी समस्याओं को छुपाते हैं कि या उन्हें पागल समझा जाएगा या लोग हंसेंगे कि क्या छोटी सी बात लेकर डॉक्टर के पास जाना चाहते हैं! परिवार वाले इन लक्षणों को बुढ़ापे का नतीजा समझ कर नकार देते हैं। वे यह नहीं सोचते कि सलाह पाने से स्थिति में सुधार हो सकता है। उन्हें यह भी नहीं पता होता है कि व्यक्ति को सहायता की ज़रूरत है। व्यक्ति के बदले हुए व्यवहार को परिवार वाले हट्टीपन या चरित्र का दोष या पागलपन समझते हैं, और कभी दुःखी और निराश होते हैं, तो कभी व्यक्ति पर गुस्सा करने लगते हैं।

निदान (diagnosis) क्यों ज़रूरी है? अगर कोई व्यक्ति डिमेंशिया के लक्षणों से परेशान हों तो डॉक्टर से सलाह करनी चाहिए। डॉक्टर जांच करके पता चलाएंगे कि यह लक्षण किस रोग के कारण हो रहे हैं। हर भूलने का मामला डिमेंशिया नहीं होता–हो सकता है कि लक्षण किसी दूसरी समस्या के कारण हों, जैसे कि अवसाद (depression)। या हो सकता है कि यह लक्षण ऐसे रोग के कारण हैं जो दवाई से पूरी तरह ठीक हो सकता है। एक उदाहरण है थाइरोइड (thyroid) होरमोन की कमी होना)। कुछ प्रकार के डिमेंशिया ऐसे भी हैं जिनका उपचार तो नहीं, पर फिर भी दवाई से कुछ रोगियों को लक्षणों से कुछ आराम मिल सकता है। यह सब तो डॉक्टर की जांच के बाद ही पता चल सकता है।

डिमेंशिया किस को हो सकता है? डिमेंशिया शब्द अँग्रेज़ी का शब्द है, परन्तु इससे ग्रस्त व्यक्ति हर देश, हर शहर, हर कौम में पाए जाते हैं। इसकी संभावना उम्र के साथ बढ़ती है। अगर आप बुजुर्गों के किस्से सुनें तो पायेंगे कि परिवार ने जिसे एक अधेढ़ उम्र के व्यक्ति का अटपटा व्यवहार समझा था, वह व्यवहार शायद डिमेंशिया के कारण था। चूंकि डिमेंशिया अँग्रेज़ी का शब्द है, इसलिए देवनागरी लिपि में इसे लिखने के कई तरीके हैं, जैसे कि, डिमेन्शिया, डिमेंशिया डिमेंश्या, डिमेंटिया, डेमेंटिया, इत्यादि। कुछ लोग इसके लिए संस्कृत के शब्द, मनोभ्रंश का इस्तेमाल करते हैं।

विश्व भर में डिमेंशिया की पहचान पिछले कुछ दशक में ज्यादा अच्छी तरह से हुई है, और अब डॉक्टरों का मानना है कि यह लक्षण उम्र बढ़ने का साधारण अंग नहीं हैं। जो रोग डिमेंशिया का कारण हैं, उन पर शोध हो रहा है ताकि बचाव और इलाज के तरीके ढूंढें जा सकें। आजकल भी, डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्तियों और उनके परिवार वालों के आराम के लिए कुछ उपाय मौजूद हैं, जिससे व्यक्ति और उनके परिवार वाले ज्यादा सरलता और सुख से रह सकें, लक्षणों की वजह से हो रही तकलीफें कम हो जाएँ, और घर के माहौल का तनाव कम हो।

क्या डिमेंशिया भारत में गंभीर समस्या है?कुछ लोग अब भी सोचते हैं कि डिमेंशिया भारत में आम समस्या नहीं है| अफ़सोस, सच तो यह है कि यह भारत में भी एक गंभीर समस्या है| जनवरी 2023 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार 60+ की आयु वर्ग में डिमेंशिया का अनुमान 8.44% है, जिसका अर्थ है कि भारत में डिमेंशिया से ग्रस्त लोगों की संख्या करीब एक करोड़ (100 लाख) है। डिमेंशिया बड़ी उम्र के लोगों में अधिक होता है,और जैसे जैसे भारत में बुजुर्गों का अनुपात बढ़ता जा रहा है, डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्तियों का अनुपात भी बढ़ता जाएगा और यह समस्या अनेक परिवारों के जीवन को छूने लगेगी| जानकारी न हो तो परिवार पहचान नहीं पायेंगे कि उनके प्रियजन की समस्याएं इस रोग के कारण है। वे उचित निदान, उपचार और देखभाल नहीं कर पायेंगे। इसलिए डिमेंशिया के बारे में जानना और इस के प्रति सतर्क रहना बहुत जरूरी है।

डिमेंशिया और बुढ़ापे में फ़र्क है। डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति के साथ रहना किसी अन्य स्वस्थ बुज़ुर्ग के साथ रहने से बहुत फ़र्क है। डिमेंशिया की वजह से व्यक्ति के सोचने-करने की क्षमता पर बहुत असर होता है, और परिवार वालों को देखभाल के तरीके उसके अनुसार बदलने होते हैं। व्यक्ति से बातचीत करने का, उनकी सहायता करने का, और उनके उत्तेजित या उदासीन मूड को संभालने का तरीका बदलना होता है। समय के साथ रोग के कारण मस्तिष्क में बहुत अधिक हानि हो जाती है, और व्यक्ति ज़्यादा निर्भर होते जाते हैं। परिवार वालों को देखभाल के लिए दिन भर व्यक्ति के साथ रहना पड़ता है, और इस को संभव बनाने के लिए अपनी अन्य जिम्मेदारियों में समझौता करना पड़ता है।

डिमेंशिया सिर्फ बुढापे में ही नहीं, पहले भी हो सकता है (जैसे कि 30, 40 या 50 साल में) । कई लोग सोचते हैं कि डिमेंशिया बुढ़ापे की बीमारी है, और सिर्फ बुजुर्गों में पायी जाती है, पर कुछ प्रकार के डिमेंशिया जल्दी शुरू हो सकते हैं। WHO (वर्ल्ड हेल्थ ऑरगैनाइज़ेशन, विश्व स्वास्थ्य संगठन ) का अनुमान है कि 65 साल से कम उम्र में होने वाले डिमेंशिया (जिसे younger onset या early onset कहते हैं) अकसर पहचाने नहीं जाते और ऐसे केस शायद 6 से 9 प्रतिशत हैं।

उचित देखभाल रोगियों और परिवार की खुशहाली के लिए बहुत ज़रूरी है। फिलहाल, अधिकांश डिमेंशिया में दवाई की भूमिका सीमित है। भारत में उपलब्ध दवाई न तो मस्तिष्क को दोबारा ठीक कर सकती है, न ही बीमारी को बढ़ने से रोक सकती है। फिर भी कुछ केस में दवाई लक्षणों से कुछ राहत पहुंचा पाती है, इसलिए डॉक्टर की सलाह ले लेनी चाहिए। क्योंकि डिमेंशिया का सिलसिला कई साल तक चलता है, पर दवाई से रोग कम नहीं होता, इसलिए डिमेंशिया वाले व्यक्ति और परिवार की खुशहाली उचित देखभाल पर निर्भर है। यदि परिवार वाले यह समझ पाएँ कि डिमेंशिया वाले व्यक्ति को किस प्रकार की दिक्कतें हो रही हैं, और वे व्यक्ति से अपनी उम्मीदें उसी हिसाब से रखें और मदद के सही तरीके अपनाएँ तो स्थिति सहनीय रह पाती है, वरना व्यक्ति और परिवार, दोनों के लिए बहुत तनाव बना रहता है। कारगर देखभाल के लिए डिमेंशिया को समझना और सम्बंधित देखभाल के तरीके समझना आवश्यक है।

इस वेबसाइट, डिमेंशिया केयर नोट्स, हिंदी (dementiahindi.com) पर डिमेंशिया की देखभाल के लिए जानकारी, संसाधन, सलाह, सुझाव, और अनेक परिवारों की कहानियाँ है, जिससे डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति की देखभाल करने वाले डिमेंशिया के रोग को समझ पाएँ, और व्यक्ति की देखभाल कैसे करें, यह सोच पाएँ। वेबसाइट पर विशेष रूप से भारत में रहने वाले परिवारों के लिए जानकारी और सलाह है।

डिमेंशिया की देखभाल के तरीके अलग हैं। क्योंकि लोग डिमेंशिया और सामान्य बुढापे में अंतर नहीं समझते, इसलिए वे डिमेंशिया से पीड़ित व्यक्ति के साथ ऐसे पेश आते हैं जैसे कि व्यक्ति की याददाश्त या अन्य किसी क्षमता में कोई कमी ही नहीं है। वे व्यक्ति से उम्मीद रखते हैं कि वे उनकी बात समझ सकेंगे, और थोड़ी कोशिश करे तो अपना काम भी कर सकेंगे। यह सब डिमेंशिया वाले व्यक्ति के लिए खासी मुश्किल पैदा कर देता है , और वे परेशान हो जाते हैं तो गुस्सा करने लगते हैं , या संकोच करने लगते हैं और मेल-जोल और बातचीत बंद कर देते हैं। परिवार वाले समझ नहीं पाते कि व्यक्ति से बात करें तो कैसे, मदद कब और कैसे करें, और उनकी उत्तेजना या अन्य अजीब व्यवहार को कैसे संभालें।

परिवार वाले यदि डिमेंशिया की सच्चाई को समझ पायें, और अपने बोलने और मदद करने का तरीका बदल पायें, तो उन को और डिमेंशिया वाले व्यक्ति को, दोनों को आराम पहुंचेगा।

देखभाल के लिए क्या जानना ज़रूरी है? यदि आप किसी डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति की देखभाल कर रहे हैं, और दिक्कतों का सामना कर रहे हैं, तो पहले कुछ ऐसी बातें पढ़ें और ऐसे उपाय देखें जिन से आपके देखभाल करने में तुरंत आसानी हो सके। जैसे कि, डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति से बातचीत कैसे करें, मदद कैसे करें, मुश्किल व्यवहार तो कैसे समझें और कम करें। आप पहले इस पृष्ठ को देखें: देखभाल करने वालों के लिए ज़रूरी लिंक

इस साईट पर:

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  • डिमेंशिया क्या है, किन रोगों से होता है, निदान कैसे होता है, इलाज है या नहीं, यह बढ़ता कैसे है, इसका व्यवहार पर क्यों और कैसे प्रभाव पड़ता है, भारत में डिमेंशिया और देखभाल की क्या स्थिति है, इन सब विषयों के बारे में इस सेक्शन के पृष्ठ देखे: : डिमेंशिया के बारे में जानकारी
  • डिमेंशिया के देखभाल का सिलसिला कई साल चलता है (यह एक दशक से ज्यादा भी हो सकता है), और अगर परिवार तनाव से मुक्त रहना चाहे तो देखभाल के लिए सही तरह से प्लान करना होगा। इस सेक्शन में देखभाल के विषय पर अनेक पृष्ठ हैं: देखभाल करने वालों के लिए। कोविड महामारी की वजह से देखभाल में अनेक नई चुनौतियों पर केन्द्रित कुछ ख़ास पोस्ट के लिए भी इस सेक्शन में पृष्ठ हैं।
  • डिमेंशिया के देखभाल करने वालों के कई इंटरव्यू हमारे अँग्रेज़ी साईट पर है। भारत में डिमेंशिया देखभाल संबंधी अनुभव वाले लेखों और ब्लॉग के लिंक भी हैं। इन सबके संशिप्त परिचय इस हिंदी साईट पर यहाँ देखें: डिमेंशिया संबंधी कुछ आवाजें, कुछ इंटरव्यू । इस सेक्शन में समाचार पत्रों इत्यादि में हिंदी में उपलब्ध कुछ लेखों के लिंक भी हैं ।
  • डिमेंशिया समझने के लिए और देखभाल के तरीके जानने के लिए तैयार किये गए वीडिओ आर प्रेजेनटेशन इस सेक्शन में हैं: वीडिओ औरप्रेजेनटेशन
  • डिमेंशिया और देखभाल की जानकारी के लिए अन्य उपलब्ध साधन के लिए, और भारत में डिमेंशिया के लिए सेवाओं और संस्थायों के लिए देखें यह सेक्शन: अन्य डिमेंशिया संसाधन
  • सम्पर्क जानकारी यहाँ है: सम्पर्क करें

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कोविड-19 (COVID-19) महामारी की स्थिति से यह स्पष्ट हो गया है कि बुजुर्गों को खास तौर से गंभीर संक्रमण से बचाने की, उनकी प्रतिरक्षक क्षमता को बढ़ाने की और वैक्सीन देने की जरूरत है। बुजुर्ग और उनके सभी परिवार वालों और देखभाल कर्ताओं को सावधान रहना होता है, और देखभाल के तरीकों को भी बदलना होता है। कोविड महामारी से प्राप्त सीख को अब हमें देखभाल के अनेक पहलुओं से जोड़ना होगा। इस साइट पर, जिन-जिन पृष्ठों पर उचित है, इस सीख पर आधारित सुझाव जोड़े गए हैं। । इसके अतिरिक्त, हमने महामारी के आरंभिक दिनों में कोविड में डिमेंशिया देखभाल के अनेक पहलूओं पर कुछ पृष्ठ प्रकाशित करे थे, और उनका बदलती स्थिति के अनुरूप अनेक बार अद्यतन करा था। आप उन्हें इस सेक्शन में देख सकते हैं – कोविड 19 के दौरान डिमेंशिया देखभाल

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