डिमेंशिया देखभाल और कोविड 19: कुछ सुझाव, चित्रों द्वारा

कोविड 19 की स्थिति के कारण डिमेंशिया देखभाल में परिवारों को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। नीचे दिए गए स्लाइड-शो में कुछ मुख्य पहलुओं के लिए सुझाव दिए गए हैं। एक स्लाइड से दूसरे स्लाइड पर जाने के लिए दायें या बाएं तरफ के तीर पर क्लिक करें। स्लाइड की सूची:

  • डिमेंशिया वाले व्यक्ति को कोविड से बचाएं।
  • देखभाल को कोविड स्थिति के लिए एडजस्ट करें।
  • कोविड के दौरान चिकित्सीय सहायता प्राप्त करें।
  • ऐसे देखभाल के तरीके अपनाएं जो संतुलित हैं और कम तनावपूर्ण हैं।
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इन पहलूओं पर अधिक विस्तार में चर्चा के लिए ये चार पोस्ट भी उपलब्ध हैं: भाग 1: व्यक्ति को वायरस से बचाएं, देखभाल के बदलाव पर चर्चा: भाग 2: देखभाल कैसे एडजस्ट करें, चिकित्सीय सलाह पर चर्चा: भाग 3: दवा खरीदना, टेस्ट करवाना, टेलीमेडिसिन से सलाह लेना, अस्पताल जाना और भाग 4: कारगर देखभाल और तनाव मुक्ति के लिए अन्य सुझाव, सहायता के लिए संसाधन, इत्यादि

डिमेंशिया देखभाल और कोविड 19 (COVID19) (भाग 2) : देखभाल कैसे एडजस्ट करें

(इस पोस्ट का प्रकाशन पहली बार मई 2020 में हुआ था, और इसे नियमित रूप से बदलती स्थिति के अनुसार अपडेट करा जाता है। )

कोविड 19 महामारी से उत्पन्न स्थिति में डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति को इस वायरस से बचाना परिवार वालों के कार्यों का सिर्फ एक पहलू है (इस के लिए भाग 1 देखें)। व्यक्ति को देखभाल की जरूरत होती है, जैसे कि दैनिक कार्यों में सहायता देना, और उनको स्वस्थ और सक्षम रखने के लिए कदम उठाना, जैसे कि गतिविधियों का कारगर इस्तेमाल। पर कोविड 19 महामारी के कारण हुए बदलावों की वजह से देखभाल में भी कुछ परिवर्तनों की जरूरत है।

व्यक्ति की देखभाल सुचारू रूप से चलती रहे, इस के लिए अकसर परिवार वाले अपनी स्थिति के अनुसार एक व्यवस्था का इस्तेमाल करते हैं, पर महामारी शुरू होने पर अधिकांश परिवारों में यह व्यवस्थाअस्त-व्यस्त हो गयी थी। एक तरफ व्यक्ति को कोविड 19 से बचाने के लिए कई बदलाव जरूरी थे, और ऊपर से नए एसओपी (मानक प्रचालन प्रक्रिया) के कारण घर के लोगों के आने-जाने और काम करने के तरीके बदल गए हैं। ये बदलाव सिर्फ एक-दो दिन की बात नहीं हैं, महामारी का लोगों के रहने और काम करने पर असर अब भी कई पहलुओं में नजर आ रहा है। । वैसे भी, कोविड 19 से व्यक्ति को तब तक बचाना होगा जब तक कोविड 19 का खतरा ख़त्म न हो जाए। और कुछ इस प्रकार के बदलाव तब भी जरूरी होते हैं जब किसी भी गंभीर संक्रमण का खतरा हो।

महामारी के आरंभिक दिनों में अचानक संक्रम के खतरे और बहुत सारे प्रतिबंधनों के कारण सब कुछ बहुत अस्त-व्यस्त हो गया था जिस से डिमेंशिया देखभाल में अनेक चुनौतियाँ पेश हुईं। अब लोग फिर से सामान्य जीवन पर लौट रहे हैं, पर देखभाल में अब भी की चुनौतियाँ हैं, क्योंकि कोविड के कारण हुए बदलावों का अब भी असर है। यह जरूरी है कि परिवार वाले परिस्थिति के अनुसार ऐसे देखभाल के तरीके अपनाएं जिन से जरूरी काम ठीक चलते रहें, व्यक्ति और बाकी परिवार वालों को परेशानी न हो, और लम्बे अरसे तक भी अपनाने पर भी इस नई व्यवस्था से थकान और तनाव न हो|

इस पृष्ठ पर:

कोविड 19 और सम्बंधित प्रतिबन्ध और एसओपी से उत्पन्न चुनौतियों का असर.

मार्च 2020 में लागू करे गए लॉकडाउन को चरणबद्ध रूप से “अनलॉक” करा गया था, और काम, आवागमन, और अन्य अनेक पहलुओं के लिए एस ओ पी (मानक प्रचालन प्रक्रिया ) भी बनाए गए थे, और साथ ही आवश्यक सावधानियों पर भी दिशा-निर्देश जारी करे गए थे। हालांकि अब संक्रमण के फैलाव की स्थिति इतनी चिंताजनक नहीं है, पर इस सब से उत्पन्न कई बदलाव अब हमारे जीवन का एक अंग बन गए हैं, जैसे कि मास्क का इस्तेमाल, वर्क फ्रॉम होम की प्रणाली, कई कार्य/ व्यवसाय में “स्टेगर्ड टाइम”, अनेक सुविधाएं ऑनलाइन उपलब्ध होना, ऑनलाइन खरीदारी का बहुत बढ़ जाना, इत्यादि। कुछ से सुविधाएं बढ़ी हैं, पर कुछ से घर में देखभाल के माहौल में काफी बदलाव हुए हैं।

इस पोस्ट का प्रकाशन पहली बार मई 2020 में हुआ था, जब परिवार अचानक हुए लॉकडाउन और एक अनजान गंभीर संक्रमण से जूझने की कोशिश कर रहे थे। तब से बदलती स्थिति के अनुसार इसे नियमित रूप से अपडेट करा गया है, और इस पर उन बिंदुओं पर चर्चा है जो अब भी प्रासंगिक और उपयोगी हैं। कुछ उदाहरण:

  • घर में अधिक भीड़ और चहल-पहल: अब “वर्क फ्रॉम होम” बहुत आम प्रथा बन गई है, और अब भी कई लोग घर से ही अधिकांश काम या पढ़ाई कर रहे हैं और कई परिवार के सदस्य अब भी दिन भर घर पर ही हैं। घर से काम करने वाले फ़ोन पर जोर जोर से बात कर रहे हैं, या एक दूसरे को चुप रहने के लिए बोल रहे हैं – बिना काम वाले लोग टीवी पर लगे रहते हैं या गप्पें मारते रहते हैं। शोर और गतिविधियों का स्तर बढ़ा है। घर में तनाव का माहौल शायद बढ़ा है, और प्राइवेसी कम हुई हो। घर का साइज़ तो उतना ही है, पर अब दिन भर उसमें ज्यादा लोग हैं। आपस में बात-बेबात बहस हो सकती है। घर का काम ज्यादा हो गया है और इस से भी परेशानी हो सकती है। कुछ हेल्पलाइन और विशेषज्ञों के अनुसार इस तरह के माहौल में घरेलू संघर्ष, हिंसा, उत्पीड़न इत्यादि की घटनाएं भी बढ़ती हैं। आर्थिक कठिनाइयाँ भी हो सकती है, जिन के कारण तनाव और भी अधिक होगा।
  • सहायकों और सेवाओं/ साधनों की कमी: पहले की व्यवस्था में जिन साधनों और सहायकों का उपयोग होता था, वे साधन और सहायक अब शायद उपलब्ध न हों। कुछ सेवाएं और सुवविधाएं कोविड के कारण बंद हो गई थीं और अब तक खुल नहीं पाई हैं, कुछ को इतना आर्थिक नुकसान हुआ कि उनका कारोबार ठप हो गया। उदाहरण, कुछ केस में जिस डे केयर में व्यक्ति पहले कुछ समय के लिए जाते थे, वह डे केयर बंद हो गया और अब भी उपलब्ध नहीं है। संक्रमण के खतरे के कारण कुछ परिवार अब भी बाहर से देखभाल सहायक और घर पर काम करने वाले नहीं रख रहे हैं, और कोशिश कर रहे हैं कि सब काम वे खुद ही करें। कुछ परिवार आर्थिक समस्याओं के कारण अब इन सेवाओं का उपयोग नहीं कर पा रहे।
  • डिमेंशिया देखभाल के तरीकों में बदलाव: घर के बदले माहौल, परिवार में कोविड से हुई दिक्कतें, अधिक हल-चल और उथल-पुथल, इन सब का डिमेंशिया वाले व्यक्ति की दिनचर्या पर असर हो सकता है। नियमित गतिविधियाँ बदल सकती हैं। दिन का टाइम-टेबल फर्क हो सकता है। ऊपर से दैनिक कार्यों में मदद करने वाले व्यक्ति को कोविड 19 से बचाने के लिए जो सावधानियां लेते हैं (जैसे कि फेस मास्क पहनना) उन से भी व्यक्ति को उलझन हो सकती है।

डिमेंशिया वाले व्यक्ति के लिए आम तौर पर किसी भी नई परिस्थिति से एडजस्ट करना कठिन होता है, इतने सारे बदलावों के साथ,व्यक्ति का परेशान होना और बदले हुए व्यवहार दिखाना स्वाभाविक है। हालांकि कोविड अब कुछ सालों से है, पर डिमेंशिया वाले व्यक्ति इन सब बदलाओं के साथ सहज हो पाए हों, यह जरूरी नहीं। इसलिए वे परेशान और विचलित हो सकते हैं। उनके मूड में उतार-चढ़ाव हो सकता है। उनकी क्षमताएं भी कम हो सकती हैं। इस सब के कारण उनकी देखभाल अधिक मुश्किल हो जाती है। परिवार वालों को चिंताजनक व्यवहार कम करने की कोशिश करनी होगी। उन्हें यह ध्यान देना होगा कि घर में सीमित रहने से और घर के बदले माहौल के कारण व्यक्ति का मूड खराब न हो, बोरियत न हो, और अकेलापन न हो। ये सब डिमेंशिया वाले व्यक्ति के लिए शारीरिक या संज्ञानात्मक गिरावट का कारण बन सकते हैं।

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देखभाल के तरीके एडजस्ट करने के लिए कुछ सुझाव|

ऐसी स्थिति में कई स्रोतों से एकत्रित कुछ देखभाल टिप्स:

  • सबसे जरूरी है कि परिस्थिति के आधार पर एक उपयुक्त दैनिक दिनचर्या बनाएं। एक नियमित दिनचर्या डिमेंशिया व्यक्ति की देखभाल का एक जरूरी अंग है, क्योंकि इस से व्यक्ति को आगे क्या होगा उसका पूर्वानुमान रहता है और व्यक्ति अधिक सहज महसूस करते हैं। दिनचर्या परिस्थिति के हिसाब से हो और व्यावहारिक हो । इस में सब जरूरी कार्य शामिल करें। इस कार्यक्रम का रोज इस्तेमाल करने से व्यक्ति को और देखभाल करने वाले को, किसी को भी तनाव या नाराजगी या थकान नहीं होनी चाहिए। इस दिनचर्या को अपनाने का काम ऐसी गति से करें जो व्यक्ति को परेशान न करे और सभी को मान्य हो।
  • दिनचर्या में उपयुक्त शारीरिक और संज्ञानात्मक गतिविधियां शामिल करें। उन चीजों की तलाश करें जो व्यक्ति का मन लगाएं और उन्हें व्यस्त रखे, उनकी बेचैनी कम करे, और उनकी मानसिक क्षमता बढ़ाए। व्यक्ति अब भी शायद काफी हद तक घर में ही सीमित हों। उन गतिविधियों के बारे में सोचें जो उन्हें पहले करने में मज़ा आता था, और जो उनकी वर्तमान रुचि और क्षमता के अनुकूल हैं। ऐसे कार्यों से दूर रहें जिन से उन्हें असहजता हो या चिड़चिड़ाहट हो। ऐसे काम ही चुनें जो देखभाल करने वाले बिना मुश्किल के कर पायें। उदाहरण के लिए, यदि देखभाल करने वालों के पास इसके लिए समय और ऊर्जा है (और यदि व्यक्ति इसे पसंद करता है) तो देखभाल करने वाले व्यक्ति को अपनी पुरानी यादों, व्यंजनों की विधि आदि का टेप करने या लिखने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। या कुछ ऑनलाइन व्यायाम प्रोग्राम का चयन करें जहां व्यक्ति वीडियो में उन लोगों के साथ “भाग” ले सकते हैं। कई अन्य उपयोगी ऑनलाइन कार्यक्रम भी हैं जैसे कि कुर्सी ताइ-ची, कुर्सी योग, कुर्सी सूर्यनमस्कार आदि जो वरिष्ठों के लिए बनाए गए हैं, और डिमेंशिया वाले व्यक्ति के लिए भी उपयुक्त हैं। ये वरिष्ठ नागरिकों के साथ काम करने वाले संगठनों या डिमेंशिया या पार्किंसंस रोग सम्बंधित संस्थाओं से मिल सकते हैं। उपयोग करने से पहले जाँच करें कि इन में दिखाए गए व्यायाम सुरक्षित और सरल हैं।
  • व्यक्तियों का मनोरंजन करने के लिए उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करें। व्यक्ति को व्यस्त रखने की और उनका मन लगाए रखने की कोशिश करें (पर उन्हें अधिक उत्तेजित न होने दें)। ऐसे तरीके खोजें जिन से देखभाल करने वालों का कार्यभार न बढ़े। उदाहरण के लिए, पुराने टीवी सीरियल जो दोबारा दिखाए जा रहे हैं । या पुरानी फिल्म क्लिप और गाने, भजन आदि। देखभाल कर्ता के पास समय है तो वे व्यक्ति के साथ बैठ कर कुछ पुरानी यादों को ताजा करने वाले काम भी कर सकते हैं, पर उदास या उत्तेजित करने वाली यादों से दूर रहें । ऐसे तरीके चुनें जो व्यक्ति की पसंद के हिसाब से हैं और उन्हें खुश करती हैं पर थकाती नहीं हैं।
  • कुछ मेलजोल वाली गतिविधियों को जरूर शामिल करें। कोविड के दौरान एक बड़ी समस्या जो उभरी वह थी अकेलापन, और लोगों से जुडे रहने में दिक्कत। संभावना यह है कि डिमेंशिया वालों के अधिकांश हमउम्र और दोस्त सभी को गंभीर संक्रमणों का अधिक जोखिम है। कोविड की स्थिति में सुधार होने के बावजूद, उनका एक दूसरे के घर आना-जाना कम हो गया है। व्यक्ति को अकेलापन महसूस हो सकता है। मूड पर भी इस का असर हो सकता है । व्यक्ति को अलगाव न महसूस हो और वे सामाजिक रूप से औरों से जुड़े रहें, इस के लिए उपलब्ध तरीकों का उपयोग करें। आजकल लोग रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ जुड़े रहने के लिए फेसटाइम, जूम, स्काइप, व्हाट्सएप आदि जैसे प्लेटफार्मों का उपयोग कर रहे हैं। ये डिमेंशिया वाले व्यक्तियों के लिए भी कनेक्शन रखने में मददगार हो सकते हैं। कुछ सरल, गैर-तकनीकी चीज़ें भी कारगर हो सकती हैं, जैसे कि बालकनी में बैठ कर आसपास की चहल-पहल देखना।
  • व्यक्ति भटकें नहीं, इस के लिए अधिक सतर्क रहें। जब भी माहौल में अधिक बदलाव होते हैं, व्यक्ति के भ्रमित और विचलित होने की और भटक जाने की संभावना बढ़ जाती है। परिवार के सभी सदस्यों को सावधान रहना चाहिए कि व्यक्ति बाहर न भटकें और न ही खुद को चोट पहुंचाए।
  • व्यक्ति को ज्यादा उत्तेजित न होने दें, अधिक उकसाहट से बचें। व्यक्ति को अधिक शोर से, अधिक गतिविधियों और हलचल से दूर रखें। अत्यधिक चहल-पहल, शोर-शराबे से उनकी उत्तेजना बढ़ सकती है। कुछ उदाहरण जिन से उन्हें बचाना अच्छा होगा: हिंसक फिल्में, टीवी पर लूप करती हुई तनाव-पूर्ण खबरें, परिवार के सदस्यों की जोरदार बातचीत। इस के लिए सभी परिवार के सदस्यों को सहयोग देना होगा क्योंकि घर में कौन कहाँ क्या कर रहा है, उस में सब को कुछ एडजस्ट करने की जरूरत हो सकती है ।

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इस सीरीज के अन्य भाग: कोविड-19 से बचाव पर चर्चा: भाग 1: व्यक्ति को वायरस से बचाएं, चिकित्सीय सलाह पर चर्चा: भाग 3: दवा खरीदना, टेस्ट करवाना, टेलीमेडिसिन से सलाह लेना, अस्पताल जाना और भाग 4: कारगर देखभाल और तनाव मुक्ति के लिए अन्य सुझाव, सहायता के लिए संसाधन, इत्यादि

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डिमेंशिया केयर नोट्स (हिंदी )