कोविड 19 की स्थिति के कारण डिमेंशिया देखभाल में परिवारों को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। नीचे दिए गए स्लाइड-शो में कुछ मुख्य पहलुओं के लिए सुझाव दिए गए हैं। एक स्लाइड से दूसरे स्लाइड पर जाने के लिए दायें या बाएं तरफ के तीर पर क्लिक करें। स्लाइड की सूची:
डिमेंशिया वाले व्यक्ति को कोविड से बचाएं।
देखभाल को कोविड स्थिति के लिए एडजस्ट करें।
कोविड के दौरान चिकित्सीय सहायता प्राप्त करें।
ऐसे देखभाल के तरीके अपनाएं जो संतुलित हैं और कम तनावपूर्ण हैं।
ऐसी व्यवस्था बनाएं जो बिना थकान के लम्बे अरसे तक अपना सकें।
कोविड 19 और सम्बंधित बदलाव की वजह से कई घरों का वातावरण काफी बदला है। कार्यस्थलों में काम करने के तरीके बदल गए हैं, और कुछ प्रकार की गतिविधियाँ और आवागमन में भी काफी बदलाव हुए हैं। अब कई लोग घर पर हैं, कुछ वर्क फ्रॉम होम की वजह से, कुछ नौकरी खोने/ कारोबार के बंद होने की वजह से। घर में अधिक लोग होने की वजह से शायद प्राइवेसी कम हो। दूसरों को घर से काम करने या पढ़ाई करने के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है। घरेलू काम और खाना पकाने का कार्यभार शायद अधिक हो। कुछ रिपोर्ट के अनुसार कोविड 19 स्थिति के कारण बहस, गुस्सा, और घरेलू हिंसा और उत्पीड़न में वृद्धि हुई है।
ऐसे वातावरण में अगर घर में किसी को डिमेंशिया हो, तो उस व्यक्ति के लिए और उनकी देखभाल करने वालों के लिए चुनौतियां कई गुना बढ़ जाती हैं। पर स्थिति जो भी हो, परिवार वालों को मिल कर उस व्यक्ति की देखभाल करनी होगी।
अच्छा होगा यदि परिवार के सदस्य घर और देखभाल के बारे में सलाह-मशवरा कर के कार्यों को आपस में बाँट लें। व्यक्ति किस देखभाल कर्ता के साथ सहज महसूस करते हैं, देखभाल के कार्यों को बांटते समय इस का ख़याल रहे। देखभाल के तरीकों में इतने बदलाव न करें जिस से व्यक्ति घबरा जाएँ या उन्हें असुविधा हो। अगर देखभाल का कार्यभार एक देखभाल कर्ता पर ज्यादा है, तो परिवार वाले बाकी कामों में अधिक सहायता दे सकते हैं। देखभाल और अन्य कार्यों को आपस में ऐसे बाँटें जो सब के अनुकूल हो और व्यावहारिक भी।
अधिकांश डिमेंशिया देखभाल संबंधी सुझाव इस बात पर केंद्रित होते हैं कि डिमेंशिया वाले व्यक्ति का जीवन कैसे बेहतर बनाया जाए। कुछ देखभाल करने वाले के तनाव को कम करने के लिए युक्तियाँ भी शामिल होती हैं। उदाहरण के लिए, एक आम सुझाव है कि परिवार वाले व्यक्ति को अनेक संज्ञानात्मक क्षमता बढ़ाने वाली गतिविधियों में शामिल करें। पर सच तो यह है कि परिवार वाले देखभाल के साथ-साथ अनेक दूसरे काम भी संभालते हैं। और कोविड 19 से उत्पन्न समस्याओं के कारण उनका कार्यभार और तनाव काफी बढ़ गया है। अगर वे व्यक्ति के साथ की गतिविधियाँ बढ़ाएंगे तो कार्यभार बढ़ सकता है, पर यदि वे ऐसा नहीं करेंगे तो क्या उन्हें अपराध-बोध होगा?
ऐसे समय में संतुलन बनाए रखने के लिए यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं। परन्तु कृपया इन सुझावों को अधिक तनाव का स्रोत न बनने दें। अपने तनाव को कम करने के लिए छोटे छोटे कदम लें जिन से आप को कुछ राहत मिले। अपने साथ सख्ती न करें। यह पहचानें कि आप का कार्यभार अधिक है और थकान स्वाभाविक है। खुद के प्रति सहानुभूति का भाव रखें न कि आलोचना का। बहुत ज्यादा काम करने की कोशिश न करें। आदर्श बनने की कोशिश न करें। कुछ लोग खुद से इतनी उम्मीद रखते हैं और इतना अपराध बोध महसूस करते हैं कि वे अपना कार्यभार हद से ज्यादा बढ़ा देते हैं। इस से उनका तनाव और चिड़चिड़ापन भी बहुत बढ़ जाता है, और घर का माहौल अधिक बिगड़ जाता है।
परिवार के अन्य सदस्यों के साथ काम बांटें। ये देखभाल के काम हों, ऐसा जरूरी नहीं। यदि अन्य परिवार के सदस्य देखभाल करने वाले के बाकी कार्य-भार को अपने ऊपर ले लें तो देखभाल करने वाले को देखभाल के लिए अधिक टाइम और उर्जा मिलेगी।
आवश्यक कार्यों और उद्देश्यों पर ध्यान केंद्रित रखें। कार्य ऐसे चुनें जिन से एक कार्य करने से कई उद्देश्य पूरे हो पायें। जो भी काम किया जा रहा है या करने की जरूरत है, उस पर विचार करें। देखें कि क्या काम एकदम आवश्यक हैं, क्या इतने जरूरी नहीं हैं, और किन कामों की बिलकुल भी जरूरत नहीं है। आवश्यक कार्यों को प्राथमिकता दें, और सोचें कि क्या इन्हें ऐसे संभाला जा सकता है कि एक ही काम करने से कई आवश्यकताएं पूरी हो जाएं। काम ऐसे करें जो व्यक्ति और देखभाल कर्ता, दोनों के लिए कारगर हो। ध्यान रहे, क्या कर सकते हैं, क्या अच्छा है और क्या नहीं, यह हर स्थिति और व्यक्ति के लिए अलग है। इस की कोई स्टैण्डर्ड सूची नहीं है।
एक उदाहरण: डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति के हाथ धुलवाते समय व्यक्ति के साथ गपशप करें और खेल भाव अपनाएँ जैसे कि उंगलियों की गिनती वाले कुछ बचपन की कविताएँ कहना, साबुन के बुलबुले बनाना, मज़ाक करना। ऐसा करने से एक आवश्यक काम पूरा हो जाता है और साथ-साथ एक संज्ञानात्मक खेल और मनोरंजन भी।
या मटर छीलते समय व्यक्ति के साथ बैठें, शायद उन्हें छीलने के लिए कुछ फली भी दें। एक घरेलू काम निपट जाता है, और बातचीत और गतिविधि भी हो जाती है। इस तरह के रचनात्मक तरीकों के बारे में सोचें, पर ध्यान रहे, व्यक्ति की सुरक्षा का ख़याल रहे।
याद रखें, उद्देश्य तनाव को कम करना है। यदि माँ के साथ मटर छीलना तनाव बढ़ाता है, तो न करें। कार्यों का चयन इस बात पर आधारित होना चाहिए कि देखभाल करने वाले और व्यक्ति दोनों के लिए ठीक हों, न कि किसी पुस्तक या संसाधन में उनका उल्लेख हो 🙂 ।
देखभाल का कार्यभार तभी बढ़ाएं अगर बहुत आवश्यक हो। परिवर्तन करते समय, जहां उचित हो, वहां मौजूदा कार्यों की जगह ऐसे कार्य करें जो इस स्थिति में अधिक उपयुक्त हैं। जब देखभाल कार्यों या घर के काम की बात आती है, तो हमेशा ऐसा लगता है कि अधिक काम करने की गुंजाइश है। घर की कुछ और अधिक सफाई हो सकती है, व्यक्ति के साथ कुछ और गतिविधियाँ हो सकती हैं। लेकिन यह नजरिया रहे तो काम का कोई अंत नहीं होगा। और इन अतिरिक्त कार्यों के बिना भी सब ठीक-ठाक चल सकता है। दिनचर्या ऐसा हो कि उस से थकान कम से कम हो। दिनचर्या व्यवहारिक हो। आदर्श देखभाल कर्ता बनने की कोशिश में खुद को न फसायें।
यदि डिमेंशिया वाले व्यक्ति अकेले रहते हैं तो देखभाल कर्ता की भूमिका दूर से देखभाल का प्रबंधन करने वाले की है। यह स्थिति विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण है क्योंकि देखभाल के रोजमर्रा वाले कार्यों के लिए वे दूसरे लोगों और संस्थाओं पर निर्भर है। यदि डिमेंशिया वाले व्यक्ति के घर में सही इंतजाम नहीं है, तो अन्दर क्या हो रहा है यह देखने के लिए स्काइप जैसा कोई वीडियो संपर्क हो सकता है। इस तरह की स्थिति आमतौर पर ऐसे परिवारों में है जहां वयस्क बच्चे एक घर में हैं और उनके बुज़ुर्ग माता-पिता अकेले दूसरे घर में हैं, चाहे उसी शहर में हों या दूसरे शहर या देश में।
ऐसी स्थिति में, दूर से देखभाल करने वालों को एक बहुत ही सक्रिय भूमिका निभानी होगी, स्थिति के बारे में सूचित रहना होगा, और सब संभव सहारे के स्रोतों से जुड़ा रहना होगा।
वरिष्ठ नागरिकों को संक्रमण का खतरा ज्यादा है, खास तौर पर घर से बाहर जाने पर, इसलिए घर से ही खरीदारी और सब तरह के प्रबंध कर पाने की क्षमता बहुत जरूरी है। परिवार वालों को लोगों से जुड़े रहना चाहिए और जान-पहचान वालों के नेटवर्क का इस्तेमाल कर पाना चाहिए। कई देखभाल करने वाले खुद वरिष्ठ नागरिक होते हैं, और उनकी अपनी भी कई स्वास्थ्य चुनौतयां हैं।
कई वरिष्ठ नागरिक टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल में सहजता नहीं महसूस करते। वे दूसरों से मदद मांगने में भी झिझकते हैं। इस लिए कोविड 19 जैसी स्थिति में उनकी परेशानी बहुत बढ़ी। पर कई लोगों ने पाया कि टेक्नोलॉजी का उपयोग करना और दूसरों से मदद लेना इतना मुश्किल नहीं था।अच्छी खबर यह है कि ऐसे कई बुज़ुर्ग जो पहले टेक्नोलॉजी से दूर रहते थे, वे अब टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर पाते हैं । बस शुरू में उन्हें हिचकिचाहट की बाधा पार करनी पड़ी और कुछ प्रयत्न करना पड़ा। वैसे भी, पूछने पर पड़ोसी मदद कर सकते हैं, और दोस्त और उनके बच्चे भी। वरिष्ठों के साथ काम करने वाले संगठन जरूरी कार्य करने में मदद करने लगे हैं, और कई संस्थान वरिष्ठों को टेक्नोलॉजी और अन्य आवश्यक कौशल सिखा रहे हैं। साथ ही, आजकल कुछ ऐसे फ़ोरम भी हैं जहां लोग विशिष्ट सहायता मांग सकते हैं।
सामान्य तौर पर, दूसरों पर आश्रित होना और असहाय महसूस करना बहुत ही निराश कर सकता है। यह निश्चित नहीं है कि इस गंभीर संक्रमण का खतरा कब तक रहेगा – और कोविड नहीं तो कुछ और भी आ सकता है। लेकिन कुछ कोशिश करें तो देखभाल करने वाले स्थिति को संभालने के लिए बेहतर तरीके ढूंढ सकते हैं और जरूरी कौशल भी सीख सकते हैं, जैसे कि टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल। वे गिने-चुने लोगों से मदद मांगने के तरीके भी ढूँढ़ सकते हैं।
देखभाल कर्ता के लिए स्व-देखभाल आवश्यक है। ऐसे व्यवहारिक तरीके चुनें जो आप रोज कर पायें। किसी भव्य आदर्श स्व-देखभाल प्रोग्राम की उम्मीद में न बैठे रहें, क्योंकि वह आप शायद न कर पायें।। किसी भी गंभीर स्थिति में देखभाल करने वालों को स्व-देखभाल के लिए ज्यादा टाइम निकाल पाना मुश्किल होता है। कुछ सामान्य गतिविधियाँ संभव नहीं रहती, जैसे कि कोविड के शुरुआती दिनों में बाहर टहलना या जॉगिंग के लिए जाना संभव नहीं था, और योग क्लास या जिम जाने के विकल्प उपलब्ध नहीं थे। घर पर व्यायाम कर पायें, यह कुछ लोगों के लिए तो संभव है पर दूसरों के लिए नहीं है। खुद के लिए ज्यादा लम्बा टाइम निकालना शायद न हो पाए। प्राइवेसी कम हो सकती है। एक देखभाल करने वाले ने साझा किया कि वे अपने भीड़ भरे घर के माहौल में निजी विचारों को अपनी डायरी लिखने में सहज महसूस नहीं करती हैं। एक अन्य महिला ने कहा कि दोस्तों से फ़ोन पर बात कर पाने के लिए उन्हें बाथरूम में छुपना पड़ता है ताकि और लोग उनकी बात न सुन पायें।
अपनी स्व-देखभाल के लिए ऐसे छोटे-छोटे काम की पहचान करें जिन में अधिक जगह या सामान की जरूरत नहीं है, और जिन्हें आप भरे हुए, शोर वाले घर में भी आराम से कर सकेंगे ऐसे कार्य चुनें जिन से आपको कुछ राहत मिले और जो आप दिन में कई बार कर सकें। ये छोटी छोटी चीज़ें आपको दिन में कई बार करनी याद रहें, इस के लिए इन्हें अन्य घटनाओं से जोड़ लें।
यहाँ एक उदाहरण है: हर बार जब आप एक कमरे से दूसरे में जाते हैं, तो तीन गहरी साँसें लें। या हर घंटे हेडफ़ोन पर एक गीत सुनें। फोन को अलार्म रिमाइंडर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। रिंग टोन पर ऐसा गाना लगाएं जो आपके चेहरे पर मुस्कान लाए या जिस से आप शांति महसूस करें। कुछ सोचने से आप ऐसी कई छोटी चीज़ें पहचान पायेंगे जो आप बिना ज्यादा इंतज़ाम के, बिना किसी के जाने हुए कर सकते हैं और जिन के लिए अलग अकेले जा कर करने की जरूरत नहीं, जिनमें गोपनीयता की आवश्यकता नहीं है।
दोस्तों के साथ जुड़े रहें। अपने संपर्कों की सूची से रोज कुछ दोस्तों से बात करें, ताकि दोस्तियाँ और रिश्ते बने रहें।
तनाव के लिए हेल्पलाइन:
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से मनोसामाजिक टोल-फ्री हेल्पलाइन पर संपर्क करें: 080-46110007।
एक बहुत ही उपयोगी संसाधन iCall साइकोसोशल हेल्पलाइन (iCall Psychosocial Helpline) है, जो मुफ्त परामर्श प्रदान करता है, और 93702 48501, 99202 41248, 83697 99513 या 92929 87821, ईमेल icall@tiss.edu, और nULTA ऐप (चैट) का उपयोग करके पहुँचा जा सकता है: सोमवार से शनिवार सुबह 10 बजे से रात 8 बजे तक।
डिमेंशिया की सेवा प्रदाता संस्थाएं डे केयर, मेमोरी कैफ़े, और ऐसे अन्य प्रोग्राम चलाती हैं । कोविड महामारी के शुरुआती दिनों में, लॉकडाउन होने पर, उन सब ने ऐसे सब प्रोग्राम निलंबित कर दिए थे जिन में डिमेंशिया वाले व्यक्ति या देखभाल कर्ता उनके केंद्र में कुछ गतिविधि करते थे या कुछ सहायता या समर्थन प्राप्त करते थे। अब जैसे-जैसे फिर से लोग सामान्य जीवन पर लौट रहे हैं, कई सेवाएं फिर से चालू हो गयी हैं पर कई परिवार वाले अब भी संक्रमण होने के भय से ऐसी सेवाओं का उपयोग नहीं कर रहे हैं। कई लोगों ने पाया है कि ऑनलाइन सेवाओं से समय की बचत होती है और थकान और असुवविधा कम होती है। कुछ संगठन ने ऑनलाइन / फोन के माध्यम से अधिक सेवाएं देना शुरू कर दिया है। उदाहरण के लिए, वे अब स्काइप या ज़ूम या अन्य प्लेटफार्म का उपयोग करके ऑनलाइन सपोर्ट ग्रुप मीटिंग करते हैं, और फ़ोन के माध्यम से अधिक जानकारी और सुझाव देते हैं। कुछ लोग इंटरएक्टिव अभ्यासों आदि के लिए सत्र आयोजित करते हैं। कुछ संगठन ऑनलाइन समर्थन तो प्रदान करते हैं, लेकिन मुख्यतः सिर्फ उन जाने-पहचाने परिवारों के लिए जो उनके केंद्र आया करते थे। लेकिन अन्य संगठनों ने ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर अपना काम नहीं बढ़ाया है।
ऑनलाइन / फोन समर्थन का एक फायदा यह है कि समर्थन देने वाली संस्था आपके ही शहर में हों, ऐसा जरूरी नहीं। सहायता ढूँढने वाले परिवार भारत स्थित संस्थाओं के लिए व्यापक खोज कर सकते हैं । अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन सेवाएं भी कुछ प्रकार की जानकारी के लिए उपयोगी होंगी, और अंतर्राष्ट्रीय फोरम में साझा किये गए अनुभव और सुझाव भी मददगार हो सकते हैं। इस तरह की सहायता स्काइप, ज़ूम, सिस्को वेबेक्स, फेसबुक लाइव, यूट्यूब लाइव, ऑनलाइन मंचों, फोन हेल्पलाइन आदि जैसे प्लेटफार्म पर मिल सकती है। कुछ वेबिनार / बैठकें सूचना प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करती हैं, और टाइप किए गए प्रश्नों का जवाब देती हैं। इस तरह के कुछ प्रोग्राम सार्वजनिक हैं। इनमें कोई भी शामिल हो सकता है / कोई भी देख सकता है,और रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध होती है।
ऑनलाइन माध्यम द्वारा उपलब्ध सहायता का उपयोग करते समय परिवारों को अपनी गोपनीयता के बारे में सावधान रहने की आवश्यकता है। हो सकता है कि वे अपने नाम को उनके सवालों के साथ नहीं जोड़ना चाहें। उदाहरण के लिए, फेसबुक के मुकाबले वे एक ज़ूम प्रोग्राम पसंद कर सकते हैं, क्योंकि फेसबुक लाइव सेशन पर अगर वे कुछ पूछें तो सब देख पायेंगे कि किसने प्रश्न उठाया है। सामान्य तौर पर परिवार ऐसे सत्रों से भी लाभ उठा सकते हैं जहां अन्य लोग सवाल पूछ रहे हैं और उनके मुद्दे पर भी लोगों के सवाल होंगे।
ऑनलाइन / फोन द्वारा सहायता देने वाले संसाधनों की पहचान के लिए परिवार वाले उन संस्थाओं से पूछ सकते हैं जिनके साथ वे पहले से ही संपर्क में थे। वे अन्य डिमेंशिया सेवा प्रदाता/ संस्था से भी उनकी ऑनलाइन/ फ़ोन सेवाओं के बारे में पूछ सकते हैं। भारत के विभिन्न शहरों में डिमेंशिया संस्थाओं की जानकारी इन पृष्ठों पर उपलब्ध है)। एक पाठक से प्राप्त एक उपयोगी टिप: वरिष्ठ नागरिकों (सीनियर सिटीजन) के लिए उपलब्ध हेल्पलाइन भी डिमेंशिया वाले व्यक्ति की देखभाल संबंधी कठिनाइयों के लिए उपयोगी हो सकती हैं। ये हेल्पलाइन परिवारों को जानकारी दे सकती हैं या उन्हें ऐसी संस्थाओं से जोड़ सकती हैं जो उस समस्या के लिए अधिक उपयोगी हैं। अन्य स्रोतों से सहायता न मिले तो इन्हें भी आजमायें।
ध्यान दें कि भले ही कोई संसाधन डिमेंशिया के लिए न हो, वहां भी उपयोगी जानकारी और सहायता मिल सकती है, विशेषकर ऐसी संस्थाएं जो वरिष्ठ नागरिकों, पार्किंसंस रोग, विकलांगता या मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों से जूझ रहे व्यक्तियों की मदद करती हैं। इन क्षेत्रों और डिमेंशिया के बीच चुनौतियों और सुझावों/ समाधानों में काफी समानताएं हैं।
डिमेंशिया देखभाल करने वाले परिवारों की मदद कैसे करें.
परिवारों की मदद करने वाले लोग ऊपर लिखी गयी बातों से मदद करने के लिए क्षेत्रों की पहचान कर सकते हैं। यह देखते हुए कि गंभीर संक्रमण से सुरक्षित रहने के लिए घर पर ही ऑनलाइन सेवाएं ले पाना अब प्रचलित हो रहा है, पर उचित संसाधन तक पहुंचना इतना आसान नहीं है, परिवारों की मदद के लिए कुछ सुझाव नीचे देखें:
उपलब्ध हेल्पलाइन और अन्य ऑनलाइन संसाधनों को प्रचारित किया जाना चाहिए। इन की जानकारी व्याप्त की जानी चाहिए ताकि जिन्हें मदद की आवश्यकता है वे इनसे संपर्क करें।
ऑनलाइन सहायता समूह बनाएं, और तनाव के लिए फोन परामर्श दें। विश्वसनीय डॉक्टरों का डेटाबेस उपलब्ध करवाएं। समर्थन सभी परिवारों के लिए उपलब्ध होना चाहिए। सहायता कई भाषाओं में उपलब्ध होनी चाहिए और कई प्रकार के देखभाल करने वालों के लिए उचित होनी चाहिए। यह केवल अंग्रेजी बोलने वाले उच्च-मध्यम वर्गीय शहरी परिवार तक सीमित नहीं होनी चाहिए।
विश्वसनीय स्वास्थ्य संबंधी सहायता कैसे प्राप्त करें, इस पर परिवारों को जानकारी और सहायता देनी चाहिए।
डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों और संसाधनों के नाम और संपर्क की सूचना एकत्रित करके उपलब्ध करवाना एक बहुत उपयोगी कदम होगा। घर पर आकर सलाह देने वाले डॉक्टर की सूची भी बहुत मददगार होगी। और ऐसे डॉक्टर जो टेलीमेडिसिन में नए मरीजों को सलाह देने के लिए तैयार हों। इस तरह की जानकारी से परिवार डॉक्टर की सलाह और अन्य स्वास्थ्य सहायता अधिक आसानी से प्राप्त कर पाएंगे।
एक अन्य क्षेत्र है देखभाल करने वालों को ऑनलाइन संसाधनों का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षण देना।
परिवारों तक पहुँच पाने के तरीके बहुत तकनीकी हों या महंगे उपकरणों और तेज इन्टरनेट पर निर्भर हों, ऐसा नहीं होना चाहिए। रेडियो कार्यक्रम और सस्ते फ़ोन पर चलने वाले सिस्टम भी बहुत कारगर हो सकते हैं।
जागरूकता क्षेत्र में कार्यरत लोग डिमेंशिया व्यक्तियों की कोविड 19 स्थिति में होने वाली समस्याओं के प्रति समाज और अन्य संस्थाओं में संवेदनशीलता पर काम कर सकते हैं। वे कोशिश कर सकते हैं कि डिमेंशिया वाले लोग और उनके देखभाल करने वालों को सहायता की जरूरत है, इस बात को भूला न जाए ।