कोविड 19 की स्थिति के कारण डिमेंशिया देखभाल में परिवारों को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। नीचे दिए गए स्लाइड-शो में कुछ मुख्य पहलुओं के लिए सुझाव दिए गए हैं। एक स्लाइड से दूसरे स्लाइड पर जाने के लिए दायें या बाएं तरफ के तीर पर क्लिक करें। स्लाइड की सूची:
डिमेंशिया वाले व्यक्ति को कोविड से बचाएं।
देखभाल को कोविड स्थिति के लिए एडजस्ट करें।
कोविड के दौरान चिकित्सीय सहायता प्राप्त करें।
ऐसे देखभाल के तरीके अपनाएं जो संतुलित हैं और कम तनावपूर्ण हैं।
देखभाल करने वालों की चिंता और चुनौती का एक बड़ा हिस्सा चिकित्सा पहलुओं से संबंधित है। जैसे, जरूरत पड़ने पर, गंभीर संक्रमण के जोखिम की स्थिति में, चिकित्सकीय सहायता कैसे प्राप्त करी जाए, उसके लिए सुरक्षित परिवहन की व्यवस्था करना, और आपात स्थिति में तुरंत सहायता पाना। इसके अलावा, कई लोगों को डर है कि कहीं अस्पताल जाने से उन्हें कोविड न हो जाए! देखभाल कर्ताओं को सोचना होगा कि सलाह और चिकित्सा कैसे पायें, और यदि अस्पताल जाना हो, तो अस्पताल में संक्रमित होने के खतरे से कैसे बचें।
स्वास्थ्य संबंधी पहलुओं को संभालने के लिए सही जानकारी और उपयुक्त योजना की आवश्यकता होती है। गंभीर संक्रमण के जोखिम (और संबंधित व्यवस्थाओं) के कारण कुछ नई अड़चनें हो सकती हैं। इस संदर्भ में याद करें कि कोविड के प्रारंभिक चरण में 65 से ऊपर के लोगों को घर पर ही रहने की सलाह दी गयी थी। सुझाव था कि आवश्यक कार्यों और स्वास्थ्य प्रयोजनों की वजह के अलावा वे घर पर ही रहें। डॉक्टर की सलाह के लिए टेलीकंसल्टेशन का उपयोग करने की सलाह थी।
कोविड के माहौल में चिकित्सा सहायता के विभिन्न पहलुओं पर नीचे चर्चा की गई है। ध्यान दें कि यदि संक्रमण के खतरे की स्थिति में किसी डिमेंशिया वाले व्यक्ति को घर से बाहर कुछ जांच या परामर्श आदि के लिए ले जाया जा रहा है, तो उचित सावधानियां बरतनी होंगी। व्यक्ति को मास्क पहने रहना होगा और यह भी ध्यान देना होगा कि वे अपनी आँखें, नाक और मुंह को न छूएं। हाथ की सफाई के लिए हाथ धोना होगा या सैनिटाइज़र का इस्तेमाल करना होगा। इसके लिए साथ जाने वालों को बहुत सतर्क रहना होगा। व्यक्ति उन की बात मानें, इस के लिए उन्हें बार-बार प्यार से समझाते रहना होगा।
दवा की दुकानें खुली हैं, इसलिए दवा लेने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए। आजकल कई दवा की दुकानें होम डिलीवरी भी करती हैं। लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में दवाएं प्राप्त करने में कई लोगों को दिक्कत हुई थी, पर अब स्थिति लगभग सामान्य है। कई मोबाईल एप भी हैं जिनसे दवाएं घर पर मिल सकती हैं। ऑनलाइन दवा खरीदने के लिए नुस्खे को अपलोड करना और व्यक्तिगत जानकारी एप में डालना आवश्यक हैं।
कोविड के शुरुआती दिनों में कई लोगों को दवा मिलने में दिक्कत हुई क्योंकि उनके पास हाल के नुस्खे नहीं थे। वास्तव में, उनके पास कुछ तरह की दवाओं के लिए कोई भी नुस्खा नहीं था – विशेष रूप से सप्लीमेंट या आयुर्वेदिक या कुछ तरह की गैर-एलोपैथी दवाओं के लिए, या ऐसी दवाओं के लिए जिनका उपयोग वे वर्षों से कर रहे थे। कई परिवार डॉक्टरों के साथ नियमित संपर्क में नहीं थे। वे पुराने नुस्खे के साथ ही काम चलाते आ रहे थे और वर्षों तक एक ही दवा लेते जा रहे थे। अपनी सोच-समझ से वे खुद ही दवा की मात्रा (डोज़) को ऊपर-नीचे एडजस्ट करते रहते। यह चिकित्सकीय रूप से उचित नहीं है, लेकिन फिर भी एक वास्तविकता है।
दवा प्राप्त करने में समस्या हो या नहीं, परिवारों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि उनके पास अपनी दवाओं के लिए नुस्खे हैं। अगर नहीं हैं तो वे इन्हें डॉक्टर से मिल कर या टेलीमेडिसिन द्वारा प्राप्त कर सकते हैं। टेलीमेडिसिन के लिए नीचे का सेक्शन देखें। दवाओं का, खासकर जरूरी दवाओं का कुछ हफ्तों के लायक स्टॉक रखें। यदि संक्रमण की संभावना बढ़ी हो, तो होम डिलीवरी लेते समय फेस-मास्क और सैनिटाइज़र का उपयोग अवश्य करें। कोविड के शुरू के दिनों में कुछ लोगों ने संक्रमण से बचने के लिए हर होम डेलीवेरी को इस्तेमाल करने से पहले कुछ देर धूप में रखने की आदत डाल ली थी। आजकल शायद ही कोई ऐसा करता है, पर यदि आप ऐसा कर रहे हैं तो कृपया याद रखें कि अधिकांश दवाओं को घंटों के लिए सीधे धूप में नहीं रखना चाहिए। यह कदम शायद वायरस को मार दे, पर यह दवा को बेकार और बेअसर भी कर सकता है।
घर आकर रक्त परीक्षण (ब्लड टेस्ट) के लिए सैंपल लेने वाली सेवाएं अब आसानी से उपलब्ध हैं। महामारी में ऐसी कई नई सेवाएं भी शुरू हुई थीं । टेस्ट को फोन से बुक करा जा सकता है। टेस्ट के लिए तकनीशियन किस दिन आ पायेगा यह सेवा में स्टाफ की उपलब्धी पर निर्भर होगा।
पड़ोसियों से पूछें कि आपके इलाके के लिए कौन सी सेवा भरोसेमंद है। यदि आप एक अपार्टमेंट परिसर में हों तो सुनिश्चित करें कि सैंपल कलेक्ट करने के लिए आने वाले तकनीशियन को अन्दर आने की अनुमति है। कलेक्शन के समय सुरक्षित रहने के लिए हाथ सैनिटाइज़र, मास्क आदि जैसी सावधानियों का उपयोग करें और तकनीशियन को भी सुरक्षित रखें। बार-बार बुलाने के बजाय, एक बार में ही सब टेस्ट करवाने की सोचें। कुछ जांचों के लिए अस्पताल जाना जरूरी होता है। ये टेस्ट करवाने ज़रूरी हैं या नहीं, इस के लिए डॉक्टर से बात कर लें।
अच्छा यही होगा कि आप डॉक्टर से सलाह करें कि किन-किन परीक्षण और जांच की आवश्यकता है, और यदि संक्रमण का जोखिम अधिक हो, तो यह भी पूछें कि किन परीक्षणों को (और कब तक) स्थगित किया जा सकता है। इस सलाह के लिए आप टेलीमेडिसिन का इस्तेमाल कर सकते हैं।
ऐसे कई कारण हैं जिन की वजह से डॉक्टर की सलाह की आवश्यकता हो सकती है। उदारहण हैं – नए नुस्खे प्राप्त करने की जरूरत, नए चिंताजनक शारीरिक या मानसिक लक्षण, मूड की समस्याएँ, व्यक्ति की हालत पहले से खराब होना, और अन्य मौजूदा बीमारियों से सम्बंधित समस्याएं, जैसे कि उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, या अन्य कोई फॉलो-अप वगैरह।
अधिकांश अस्पताल और पॉलीक्लिनिक काम तो कर रहे हैं, पर कम कर्मचारियों के साथ। कुछ जगहों ने ओपीडी समय को सीमित कर दिया है। स्वास्थ्य संस्थाओं के लिए जारी विभिन्न एसओपी के अनुसार सुरक्षा के लिए बार बार क्लिनिक और अस्पतालों में मशीनों और बाकी जगह को साफ करते रहना होता है, और इस की वजह से हर मरीज़ के लिए अधिक टाइम लगता है। यह नेत्र, दांत, और अन्य उन स्पेशियलटीज़ में अधिक हैं जिन में अधिक करीब का संपर्क होता है या किसी मशीन का इस्तेमाल होता है। साथ ही, अस्पताल आने-जाने में भी चुनौतियाँ हो सकती हैं।
महामारी के शुरू में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने गैर-आपातकालीन स्थितियों के लिए टेलीमेडिसिन के उपयोग की सिफारिश की थी। इसके लिए मंत्रालय ने व्यापक दिशानिर्देश भी जारी किए। कई डॉक्टर और अस्पताल अब टेलीमेडिसिन द्वारा भी सलाह दे रहे हैं। कुछ डॉक्टर और मरीज़ तो इसके आदी हो गए हैं, पर कई अब भी इस तरह की सलाह के साथ सहज नहीं हैं। नीचे देखें टेलीमेडिसिन का कारगर इस्तेमाल करने की लिए कुछ प्रमुख बिंदु।
अधिकांश अस्पतालों और क्लिनिक में टेलीमेडिसिन की सुविधा के लिए अड्वान्स में पैसे देने होते हैं, और सलाह फोन या वीडियो पर ली जा सकती है। पिछले एक-दो साल से इस प्रणाली का उपयोग करने के कारण अपॉइन्टमेंट लेने, पैसे का भुगतान करने इत्यादि का सिस्टम अब ठीक चल रहा है, पर कुछ जगह अब भी इसमें दिक्कतें होती हैं।
कोशिश करें कि टेलीमेडिसिन द्वारा सलाह उसी डॉक्टर से लें जिस के पास आप व्यक्ति के लिए नियमित रूप से जाते हैं और जो आपको जानता है। किसी नए डॉक्टर से सलाह करने के मुकाबले यह अधिक अच्छा है। इसके कई कारण हैं।
आपके परिचित डॉक्टर को या तो व्यक्ति का केस याद होगा या उन्हें कुछ मुख्य बातें याद दिलाने से केस याद आ सकता है। उनके पास केस की फाइल मौजूद हो सकती है। इसके विपरीत यदि नए डॉक्टर से सलाह करें तो व्यक्ति की केस हिस्ट्री देनी होगी। केस समझाते समय यह सोचना होगा कि किस पहलू को प्राथमिकता दें। यह मुश्किल काम है। हो सकता है आपके पास सारा डेटा भी न हो, खासकर अगर पहले वाले डॉक्टर ने केस फाइल अपने पास ही रखी थी।
परिचित डॉक्टर के आपको उपयुक्त सलाह देने की अधिक संभावना है। नया डॉक्टर संकोच कर सकता है या केस लेने से मना भी कर सकता है। डॉक्टर कह सकता है कि, “क्या करना है यह तो आपको ही तय करना होगा”, या “मैं ऐसे कुछ नहीं कह सकता। यदि आप चिंतित हैं, तो कृपया अस्पताल जाएँ।”
टेलीकंसल्टेशन के लिए तैयार होने के लिए व्यक्ति की केस हिस्ट्री, सबसे नया प्रिस्क्रिप्शन, टेस्ट रिपोर्ट, उनकी वर्तमान समस्या और सवालों को इकट्ठा करने की आवश्यकता है। यह कदम अपने परिचित डॉक्टर से परामर्श कर रहे हों, तब भी फायदेमंद है। यह इसलिए क्योंकि हो सकता है डॉक्टर को केस पूरी तरह से याद न हो और उनके पास केस फाइल न हो। परिवार वाले जितना अधिक तैयार होंगे,उन्हें उतनी ही उपयोगी सलाह मिलेगी।
पुरानी हिस्ट्री के मुख्य बिंदु और नए टेस्ट रिजल्ट डॉक्टर के पास सलाह करने से पहले कैसे उपलब्ध करवा सकते हैं, यह पता लगाएं, वर्ना अपॉइंटमेंट का अधिकाँश समय टेस्टरिजल्ट पढ़ कर सुनाने में जा सकता है । कई अस्पताल आपको अपॉइन्ट्मन्ट लेते समय टेस्ट रिजल्ट और अन्य डाक्यमेन्ट अपलोड करने देते हैं, ताकि जब आप डॉक्टर से बात करें, तो डॉक्टर के पास यह जानकारी हो।
याद रखें कि अगर डॉक्टर को लगता है कि उनके पास केस का पर्याप्त डेटा नहीं है या उन्हें व्यक्ति की शारीरिक परीक्षा करने की आवश्यकता है तो वे केस पर सलाह देने से इनकार कर सकते हैं।
“वीडियो” पर परामर्श लेने का प्रयास करें। केवल बोलने या टेक्स्ट करने के मुकाबले यह अधिक कारगर है। वीडियो पर आपको और डिमेंशिया वाले व्यक्ति को देखने पर डॉक्टर को केस पहचानने में आसानी होगी। वे सलाह देने में अधिक सहज होंगे। यदि डिमेंशिया व्यक्ति को वीडियो कॉल में शामिल करना चुनौतीपूर्ण है, तो आप व्यक्ति की तस्वीर साझा कर सकते हैं। या डॉक्टर को व्यक्ति के वीडियो क्लिप दिखा सकते हैं। कुछ डॉक्टर व्हाट्स-अप वीडियो फॉरवर्ड देखने को तैयार होते हैं।
टेली-कंसल्टेशन का दायरा सीमित है। सरकार ने अपनी गाइडलाइन में बताया है कि टेलीमेडिसिन के माध्यम से कौन सी दवा दी जा सकती हैं और कौन सी नहीं। गाइडलाइन में बताया गया है कि नया केस है, या मौजूदा परिचित केस है पर उस में नई चिकित्सकीय समस्या है तो डॉक्टर क्या दे सकते हैं। यह भी बताया गया है कि पहले से परिचित केस की पुरानी बीमारी का फॉलोअप है, तो उस में डॉक्टर क्या दे सकते हैं।
पर डॉक्टर को परिवार को यह बताने में सक्षम होना चाहिए कि जिस समस्या के लिए आपने संपर्क करा है, क्या वह इमरजेंसी स्थिति है और क्या आपको अस्पताल जाना चाहिए।
सुनिश्चित करें कि टेली-कंसल्टेशन के बाद परचा (प्रिस्क्रीप्शन ) ऐसे रूप में मिले जो केमिस्ट या ऑनलाइन फार्मेसी स्वीकार करे। पर्चे में डॉक्टर का नाम, संपर्क और रजिस्ट्रेशन नंबर, रोगी का नाम, पर्चे की तिथि, दवा का नाम और इसके सामान्य (जेनेरिक) नाम और इसकी ताकत और खुराक सब स्पष्ट होने चाहियें।
अस्पताल जाना, जैसे कि आपातकालीन स्थिति में या आवश्यक चिकित्सा प्रक्रिया के लिए.
संक्रमण के जोखिम के माहौल में किसी क्लिनिक या अस्पताल पर जाना एक कठिन निर्णय हो सकता है। लोग डरते हैं कि अस्पताल में संक्रमित होने का खतरा ज्यादा है। परन्तु कई परिस्थितिओं में अस्पताल जाना बेहतर है और टालना नहीं चाहिए न ही देरी करनी चाहिए, क्योंकि कुछ मामलों में देरी से स्थिति बिगड़ सकती है।
यदि ऐसे लक्षण हैं जो कोविड 19 के हो सकते हैं, तो परिवार को कोविड हेल्पलाइन से संपर्क करने में कोई संकोच नहीं करना चाहिए। साथ ही, आजकल कई जगह घर से ही कोविड का टेस्ट करा जा सकता है। कई अस्पताल भी कोविड के लिए प्रारंभिक सलाह ऑनलाइन और फोन पर देते हैं, और उनके कोविड देखभाल के लिए “पैकेज ” भी हैं। देर न करें, देर करने से इलाज कम कारगर हो सकता है। हेल्पलाइन सवालों का जवाब देगी और मार्गदर्शन करेगी कि आपको क्या करना चाहिए।
यदि कोई चोट लगी है या दुर्घटना हुई है, या कोई अन्य आपातकाल स्थिति है, जैसे कि हार्ट अटैक या स्ट्रोक तो अवश्य अस्पताल तुरंत जाएँ। देरी न करें, संकोच न करें। हो सके तो ऐसा अस्पताल चुनें जहां सब सुविधाएं और स्पेशलिटी उपलब्ध हैं।
कुछ प्रोसीजर आवश्यक हैं, जैसे डायलिसिस, कीमोथेरेपी, आदि। इन के लिए निर्धारित टाइम टेबल के हिसाब से अस्पताल जाने की आवश्यकता होती है। अस्पताल के सम्बंधित विभाग के साथ संपर्क रखें। आने-जाने और ट्रीटमेंट करवाने का इन्तजाम करें।
यदि कोई ऐसे महत्वपूर्ण चेकअप हैं जो सिर्फ अस्पताल में या क्लिनिक में हो सकते हैं, जिनके लिये जरूरी मशीन और उपकरण के लिए अस्पताल जाना जरूरी है, और आप सोच रहें हैं कि अस्पताल जाएँ या नहीं, तो टेलीमेडिसिन से डॉक्टर से सलाह करने से निर्णय में आसानी होगी।
यदि अस्पताल जाना हो तो क्या प्लान करें और खुद को कैसे सुरक्षित रखें? उदाहरण के तौर पर, कितने देखभालकर्ता व्यक्ति के साथ (वाहन में, या अस्पताल में या डॉक्टर के कक्ष में ) जा सकते हैं – अस्पतालों में इस पर कुछ प्रतिबन्ध हैं। कैसे जाएँ ,यह भी चुनौती हो सकती है। यदि कोविड (या अन्य किसी गंभीर संक्रमण) की लहर चल रही है और आप के पास निजी वाहन नहीं हैं, या उनके ड्राइवर उपलब्ध नहीं हैं, तो अस्पताल कैसे जाएँ? क्या टैक्सी, ऑटो, सार्वजनिक परिवहन उपलब्ध और सुरक्षित हैं? आने-जाने के वक्त, और अस्पताल में भी संक्रमण का खतरा है। यह भी हो सकता है कि आपको अस्पताल जल्दी में जाना पड़े, और उस समय सब जानकारीऔर संसाधन ढूँढने का समय न हो, इसलिए पहले से क्या जानना होगा? इमरजेंसी यकायक कभी भी पैदा हो सकती है। इसका पहले से नहीं पता। इन पहलूओं के लिए कुछ सुझाव नीचे देखें।
पहले से पता कर लें कि कौन से अस्पताल सुरक्षित है और आपकी संभावित जरूरतों के लिए अधिक उपयुक्त हैं। कुछ अस्पताल सामान्य इमरजेंसी केस लेने से इनकार कर रहे हैं अगर उन्हें शक है कि व्यक्ति को शायद कोविड है या व्यक्ति ने वैक्सीन नहीं लगवाया है। कुछ अस्पताल केस लेने से पहले जिद्द कर रहे हैं कि आप हालिया टेस्ट रिपोर्ट देकर साबित करें कि व्यक्ति को कोविड नहीं है। इसलिए पहले से जानना अच्छा है कि कौन से अस्पताल किस तरह के केस लेते हैं और वहाँ कौन सी औपचारिक्ताएं हैं। यदि संभव हो, तो जाने से पहले अस्पताल को फ़ोन करके पुष्टि कर लें कि वे आपके प्रियजन जैसे केस ले रहे हैं या नहीं।
अस्पताल के हेल्पलाइन नंबर को जानें। इसके अलावा, एम्बुलेंस या अस्पताल आने-जाने के लिए अन्य साधन, जैसे कि टैक्सी के नंबर अपने पास रखें। एंबुलेंस और पुलिस सहायता भी संभव हैं। अस्पताल आने जाने के इन साधनों के बारे में सूचित रहें।
यदि कोविड की लहर चल रही है और उस के कारण कुछ क्षेत्र “कंटेनमेंट ज़ोन” घोषित हुए हैं, तो वहाँ शायद कुछ प्रतिबन्ध और व्यवस्था लागू हों और अनुमति के लिए प्रक्रियाएँ हों।
अस्पताल की तत्काल यात्रा के लिए तैयार रहें। महत्वपूर्ण मेडिकल डेटा अपने साथ एकत्रित करके रखें। इसके अलावा, आवश्यक फोन नंबर और हाथ सैनिटाइजर और मास्क जैसे सामान भी तैयार रखें।
एम्बुलेंस या टैक्सी या अन्य वाहन में आते जाते वक्त बीमारी न लगे, इस के लिए सावधानी बरतें। उदाहरण हैं, मास्क पहनना, हैण्ड सैनीटाइजर का इस्तेमाल, सतह पोंछना, आँख/ मुंह/ नाक न छूना वगैरह। व्यक्ति और देखभाल कर्ता, दोनों की अस्पताल की तत्काल यात्रा के लिए तैयार रहें। महत्वपूर्ण मेडिकल डेटा और आवश्यक फोन नंबर और हाथ सैनिटाइजर और मास्क जैसे सामान ले जाना न भूलें।
इस बात पर विचार करें कि प्राथमिक देखभाल कर्ता अस्वस्थ हों तो डिमेंशिया वाले व्यक्ति की देखभाल कौन करेगा। इस के लिए उसे किस जानकारी और सामान की जरूरत होगी।