कोविड 19 की स्थिति के कारण डिमेंशिया देखभाल में परिवारों को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। नीचे दिए गए स्लाइड-शो में कुछ मुख्य पहलुओं के लिए सुझाव दिए गए हैं। एक स्लाइड से दूसरे स्लाइड पर जाने के लिए दायें या बाएं तरफ के तीर पर क्लिक करें। स्लाइड की सूची:
डिमेंशिया वाले व्यक्ति को कोविड से बचाएं।
देखभाल को कोविड स्थिति के लिए एडजस्ट करें।
कोविड के दौरान चिकित्सीय सहायता प्राप्त करें।
ऐसे देखभाल के तरीके अपनाएं जो संतुलित हैं और कम तनावपूर्ण हैं।
(इस पोस्ट का प्रकाशन पहली बार मई 2020 में हुआ था, और इसे नियमित रूप से बदलती स्थिति के अनुसार अपडेट करा जाता है। )
कोविड 19 (नोवल कोरोनावायरस) एक गंभीर संक्रमण (इनफ़ेक्शन) है जो साल 2020 में विश्व भर में फैला था और जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (W H O) ने “पैनडेमिक” (वैश्विक महामारी) के रूप में पहचाना है। भारत में इस के फैलाव को सीमित करने के लिए और इस संक्रमण के इलाज के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इनमें शामिल हैं स्वास्थ्य संसाधनों का क्षमता निर्माण, कोविड 19 के रोगियों को जल्द पहचानना और अलग रखकर उनका इलाज करना। लोगों को इनफ़ेक्शन से बचने के लिए उचित आदतें अपनाने की सलाह दी जाती है, जो अन्य श्वास-संबंधी (हवा से फैलने वाले) संक्रमणों के लिए भी उचित है, जैसे मास्क पहनना और एक दूसरे से दूरी रखना। महामारी के शुरू के दिनों में गतिविधियों और आवागमन पर कड़े प्रतिबंध भी लागू करे गए थे, जिन से लोगों के दैनिक जीवन में अनेक बदलाव हुए और चुनौतियाँ भी पैदा हुईं। अब स्थिति काफी हद तक काबू में है और कोविड वैक्सीन लगवाना भी संभव है, जिस से प्रतिरक्षक क्षमता विकसित होती है। (वैक्सीन पर पोस्ट देखें: डिमेंशिया वाले व्यक्ति , उनके देखभाल कर्ता और कोविड-19 वैक्सीन)।
पिछले कुछ वर्षों में कोविड के फैलाव में उतार चढ़ाव हुए हैं, (जिन्हे हम कोविड वेव या लहर भी कहते हैं) और वायरस का रूप भी बदलता रहा है (इस के कई वेरीअन्ट फैल रहे हैं)। हर बदले प्रकार के लक्षणों और इलाज में कुछ अंतर हैं, और कोविड पर उपलब्ध जानकारी भी पहले से अधिक है। कोविड 19 के क्या लक्षण हैं, डॉक्टर के पास कब और कैसे जाना होगा, इसका इलाज क्या है, इस से कैसे बचें, इस के लिए हेल्पलाइन कौन सी हैं, यह भारत में कितना फैल रहा है, इत्यादि, इन सब विषयों पर जानकारी का सबसे विश्वसनीय स्रोत है स्वास्थ्य मंत्रालय का वेबसाइट। मंत्रालय के साईट पर हिंदी के डॉक्यूमेंट, पोस्टर और वीडियो के लिंक भी हैं।
अब तक उपलब्ध सभी जानकारी के अनुसार कोविड 19 वायरस बुजुर्गों के लिए ज्यादा खतरनाक है, ख़ास तौर से उन बुजुर्गों के लिए जो पहले से ही अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं, जैसे कि उच्च रक्तचाप, दमा, दिल की समस्याएं या मधुमेह। इसे सह-रुग्णता या को-मोरबीडीटीस भी कहते हैं। इसलिए जिन परिवारों में बुज़ुर्ग हैं, उनको बहुत सावधान रहना होगा।
डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति अकसर बड़ी उम्र के होते हैं और उन्हें अन्य बीमारियाँ भी हो सकती हैं। इसलिए कोविड 19 होना उनके लिए अधिक खतरनाक है। ऊपर से, यदि किसी डिमेंशिया वाले व्यक्ति को कोविड 19 हो जाए (या उन्हें क्वारंटाइन की जरूरत हो), तो अस्पताल में रहना उनके लिए अधिक समस्या पैदा कर सकता है। उन्हें अस्पताल के माहौल से तालमेल बिठा पाने में अधिक दिक्कत होगी। उनके प्रियजन उनके साथ नहीं रह पायेंगे। व्यक्ति के आस-पास सब स्वास्थ्य कर्मचारी मास्क और PPE (personal protective equipment, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण) पहने होंगे, और उनके चेहरे भी ठीक से नजर नहीं आ रहे होंगे। कल्पना कीजिये कि पहले से ही अपने माहौल में दिक्कत महसूस करने वाले लोगों के लिए यह सब कितना डरावना होगा! वे समझ नहीं पायेंगे कि उनके चारों ओर यह सब क्यों हो रहा है, और न ही अपनी परेशानी बता पायेंगे। पूछ भी पाए तो उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिल पायेगा। वे अपनी ज़रूरतें और समस्याएं व्यक्त करने में भी दिक्कत महसूस करेंगे।
हालांकि यह पोस्ट डिमेंशिया वाले परिवारों पर केन्द्रित है, यह किसी भी ऐसे परिवार के लिए मददगार हो सकती है जिस में बुज़ुर्ग हैं। इसमें सिर्फ देखभाल संबंधी चर्चा और संसाधन है, कोई चिकित्सा सलाह नहीं है।
एक चेतावनी: कोविड संबंधी अब लगभग सभी प्रतिबन्ध हटा दिए गए हैं, पर फिर भी अभी यह नहीं कहा जा सकता कि कोविड चला गया है, और यदि फिर से कोविड का फैलाव बढ़े और कोविड की लहर चले, तो प्रतिबंध कुछ हद तक वापस लागू हो सकते हैं। ध्यान रहे कि कई लोग, जिन्हें कोविड है, उनमें लक्षण नजर नहीं आते हैं। डिमेंशिया वाले व्यक्ति को कोविड से बचाए रखने के कदम लेते रहना अब भी उचित रहेगा (खासकर बंद जगहों में, अस्पतालों में, वगैरह)। कितना सचेत रहना होगा, यह तय करने के लिए आस-पास कोविड कितना फैल रहा है, इस पर नजर रखे। वैक्सीन लगवा लें, और वैक्सीन लगवा लिया हो, तब भी सावधान रहें।
बुजुर्गों के लिए कोविड 19 अधिक खतरनाक है। इसे पहचानते हुए, भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने शुरू में ही एक दस्तावेज़ जारी किया था : कोविड 19 (COVID 19) के दौरान वरिष्ठ नागरिकों के लिए सलाह Opens in new window। अन्य बातों के अलावा, इस में यह सलाह दी गयी है कि वरिष्ठ नागरिकों को घर के भीतर ही रहना चाहिए, आगंतुकों से बचना चाहिए, स्वच्छता बनाए रखने वाली आदतें अपनानी चाहिए, और अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। उनकी देखरेख करने वाले व्यक्तियों को मदद करने से पहले हाथ धोना चाहिए, देखभाल के काम करते समय नाक-मुंह ढके रहना चाहिए, और जिन सतहों का अकसर उपयोग होता है, उन्हें साफ़ करते रहना चाहिए। वरिष्ठ नागरिकों के उचित पोषण और पानी का सेवन सुनिश्चित करना चाहिए। यह डॉक्यूमेंट इस बात पर भी जोर देता है कि देखभाल करने वाले किसी भी लक्षण से पीड़ित हों तो उन्हें वरिष्ठ व्यक्ति के पास नहीं जाना चाहिए।
कोई भी प्रश्न हो या लगे की शायद आपको या किसी प्रियजन को कोविड जैसे कुछ लक्षण हैं, तो बिना देर करे नि:संकोच राष्ट्रीय हेल्पलाइन: 91-11-2397 8046 या टोल फ्री नंबर: 1075 डायल करें। इ-मेल संपर्क है: ncov2019@gov.in, और ncov2019@gmail.com या अपने राज्य की हेल्पलाइन पर संपर्क करें। सभी राज्यों की हेल्पलाइन की सूची यहाँ देखें Opens in new window (archived copy)।
वैसे, इस तरह की सावधानियाँ बरतना और प्रतिरक्षक क्षमता बढ़ाने के लिए वैक्सीन लेना और अन्य कदम उठाना किसी भी गंभीर संक्रामक बीमारी में अच्छा होगा।
डिमेंशिया वाले व्यक्तियों को कोविड 19 से बचाने की ख़ास चुनौतियों पर चर्चा.
कोविड 19 संक्रमण से डिमेंशिया वाले व्यक्तियों की रक्षा करने में कुछ अतिरिक्त चुनौतियाँ हैं।
व्यक्ति को कोविड 19 के बारे में समझना अधिक मुश्किल है। कोविड 19 एक खतरनाक संक्रमण (इन्फेक्शन) है जो आसानी से फैलता है, इसलिए इस में अधिक सावधानी की जरूरत है। डिमेंशिया वाले व्यक्ति शायद इस बात को समझ न पायें या जानकारी याद न रख पायें। वे आस-पास के परिवर्तनों से विचलित या परेशान हो सकते हैं। संक्रमण की जरूरी जानकारी को सरल तरीके से, बार-बार दोहराने की जरूरत हो सकती है। इसके लिए चित्रों / कार्टूनों के इस्तेमाल के बारे में सोचें। या शायद मोटे तौर पर सिर्फ इतना कहना पर्याप्त हो सकता है कि यह एक ऐसी समस्या है जिसके लिए कुछ अधिक सावधानियों की आवश्यकता है। ध्यान रखें, जानकारी से उन्हें टेंशन नहीं होना चाहिए। आप स्वास्थ्य मंत्रालय के वेबसाइट पर उपलब्ध साधनों में से कुछ ऐसे सरल लेख और चित्र चुन सकते हैं जो व्यक्ति के लिए उपयुक्त हैं। ऊपर दिए गए साधन देखें।
देखभाल करने के तरीकों में बदलाव स्वीकारने में दिक्कत, जैसे कि देखभाल कर्ता का मास्क पहनना, बार-बार हाथ धोना, सतह साफ़ करना इत्यादि। व्यक्ति को कोविड 19 से बचाने के लिए उनके पास जाने पर देखभाल कर्ता को मास्क पहनना होगा। ख़ास तौर से दैनिक कार्यों में मदद करते समय, जैसे कि व्यक्ति को नहलाना, खाना खिलाना, इत्यादि। परन्तु मास्क पहनने के कारण देखभाल कर्ता का चेहरा अलग लगता है और शायद पहचाना न जाए, मुस्कराहट और अन्य भाव दिखाई नहीं देते हैं, और मास्क की बाधा के कारण बोली भी अस्पष्ट हों सकती है। वैसे तो अब मास्क पहने हुए लोगों को देखना पहले से ज्यादा आम है, पर यदि ढके चेहरे वाले देखभाल कर्ता के साथ डिमेंशिया वाले व्यक्ति सहज न हों तो कुछ रचनात्मक समाधान खोजें, और व्यक्ति को बार-बार आश्वस्त करने और तालमेल बिठाए रखने पर अधिक ध्यान दें। कार्य पूरा करने के लिए जल्द-बाज़ी न करें। सब्र रखें और जब-तब जरूरी हो, व्यक्ति को याद दिलाएं कि आप कौन हैं, और अगर वे पूछें तो बताएं कि यह मास्क उन की सुरक्षा के लिए है।
पूरे वक्त घर में रहने वाले डिमेंशिया वाले व्यक्ति को कौन सी (और किस हद तक) स्वच्छता सम्बंधित आदतों को अपनाना होगा, इस पर विचार करें। : मास्क पहनना, बार-बार हाथ धोना, सतह साफ़ करना, क्या यह सब उन डिमेंशिया वाले व्यक्ति को भी करना होगा जो सिर्फ घर पर ही हैं? क्या वे यह सब समझेंगे और कर पायेंगे? या क्या बाकी परिवार वाले अधिक सतर्क रहें और पूरी सावधानी बरतें तो व्यक्ति को कोविड 19 से बचाने के लिए पर्याप्त होगा? क्या घर पर सबने वैक्सीन लिया हुआ है या नहीं? आज-कल कोविड का कितना खतरा है? व्यक्ति की उम्र, उनकी अन्य बीमारियाँ, उनका स्वास्थ्य, इत्यादि, के बारे में भी सोचें। इस सब के संदर्भ में तय करें कि किस स्तर की सावधानी उचित होगी – आप अपने डॉक्टर से भी बात कर सकते हैं।
उदाहरण के तौर पर, डिमेंशिया वाले व्यक्ति मास्क पहनने के लिए शायद ही सहमत हों – क्योंकि यह अजीब और असुविधाजनक लग सकता है। कई परिवारों का अनुभव है कि मास्क पहनने पर जोर देने से व्यक्ति उत्तेजित हो जाते हैं। शायद यह पर्याप्त रहे कि सब परिवार वाले और अन्य घर में आने वाले दूसरे लोग पूरी सावधानी रख रहे हैं।और व्यक्ति से मास्क पहनने को सिर्फ घर के बाहर ही कहा जाए।
यदि व्यक्ति का घर से बाहर निकलना जरूरी हो, तो बहुत ध्यान रखना होगा। कुछ ऐसी परिस्थितियां हैं जहां डिमेंशिया वाले व्यक्ति को घर के बाहर जाना अनिवार्य है, जैसे कि जब कोई जरूरी काम हो, या स्वास्थ्य के लिए निकलना जरूरी हो। यदि संक्रमण का खतरा है, तो उनका निकलना कम से कम रहे तो बेहतर है। पर यदि उन्हें बाहर निकलना है, तो बहुत सावधान रहना होगा। उनके साथ जा रहे लोगों को पूरे वक्त सतर्क रहना होगा। मास्क ठीक तरह से व्यक्ति के चेहरे पर बना रहे, व्यक्ति बेकार इधर उधर चीज़ें न छूएं, बार-बार उनके हाथों को सैनिटाइज़र से साफ़ करा जाए, इत्यादि। भीड़ वाली या बंद जगहों से बचें, या जाना पड़े तो और भी सतर्क रहें। अस्पताल वगैरह जाना हो तो खास तौर से सतर्क रहें। वैक्सीन लगवा लिया हो, तब भी सावधानी बनाए रखने की जरूरत है। व्यक्ति यदि बाहर के माहौल से घबरा रहे हों तो उन्हें आश्वस्त करते रहना होगा।
भारत में लॉकडाउन का सिलसिला मार्च 2020 में शुरू हुआ था। इसके अंतर्गत जो प्रतिबन्ध लागू करे गए हैं, वे समय के साथ बदलते गए। शुरू में लॉकडाउन बहुत सख्त था, पर फिर ढील दी जाने लगी। खास तौर से उन इलाकों में ढील करी गई जहां कोविड अधिक नियंत्रण में था, जैसे कि कई दिनों से कोई नया केस न नज़र आना। फिलहाल कोविड के केस काफी कम हैं, और अधिकांश लोग सावधानियाँ नहीं बरत रहे हैं, प्रतिबंध भी बहुत ही कम हो गए हैं। पर अब भी कोरोनावायरस के नए वैरिएंट नजर आ रहे हैं, इसलिए खतरा पूरी तरह टला नहीं है। स्थानीय हालात और दिशा-निर्देशों पर नजर रखें।
कुल मिलाकर यूं मानिए, डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति को कोविड 19 जैसे किसी भी गंभीर संक्रमण से बचाए रखना और उस स्थिति में उनकी उचित देखभाल करना एक चुनौती है। अनेक परिवर्तनों की जरूरत हो सकती है। इन सब बदलाव से व्यक्ति परेशान और उत्तेजित या मायूस न हों, इसके लिए भी कदम उठाने होंगे। कोविड के कारण हुए प्रतिबंधों और लोगों के आवागमन में रोक के कारण कई डिमेंशिया वाले व्यक्ति बहुत अकेले पड़ गए हैं, और इस से उनकी मनो:स्थिति पर भी असर पड़ा है। स्थिति अब भी पूरी तरह सामान्य नहीं है। दुनिया भर के डिमेंशिया परिवार इस समस्या का सामना कर रहे हैं।
इस सब से कैसे जूझें और फिर से एक “न्यू नॉर्मल” (यानि कि हालिया स्थिति के अनुरूप सामान्य जीवन का नया मापदंड) कैसे स्थापित करें, इस पर कई फ़ोरम में चर्चा होती रहती है। ऑनलाइन फोरम ज्यादातर अंग्रेज़ी में हैं, पर इस विषय पर भारतीय भाषाओं में कुछ वैबीनार भी मिल सकते हैं। आप किसी स्थानीय फोरम, हेल्पलाइन, या संसाधन या सेवा से भी संपर्क कर सकते हैं जो आपकी कुछ सहायता करें। सहायता के लिए सिर्फ डिमेंशिया संसाधन तक सीमित न रहें। वरिष्ठ नागरिकों की या मानसिक तनाव की हेल्पलाइन से भी मदद मिल सकती है।
नोट: यदि डिमेंशिया व्यक्ति अकेले रहते हैं तो उनके लिए यह सब समझना और संभालना कहीं अधिक पेचीदा है। बेहतर यही होगा कि वे किसी रिश्तेदार के घर में रहें।